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Monday, 29 April 2013

rang aaor rog ki pahachan



सूर्य चिकित्सा रंग  ओर रोग  कि पहचान 




rang aaor rog ki pahachan








सूर्य चिकित्सा के सिद्धान्त के अनुसार रोगोत्पत्ति का कारण शरीर में रंगों का घटना-बढना है| सूर्य किरण चिकित्सा के अनुसार अलग‍-अलग रंगों के अलग-अलग गुण होते हैं| लाल रंग उत्तेजना और नीला रंग शक्ति पैदा करता है| इन रंगों का लाभ लेने के लिए रंगीन बोतलों में आठ-नौ घण्टे तक पानी रखकर उसका सेवन किया जाता है|


मानव शरीर रासायनिक तत्वों का बना है| रंग एक रासायनिक मिश्रण है| जिस अंग में जिस प्रकार के रंग की अधिकता होती है शरीर का रंग उसी तरह का होता है| जैसे त्वचा का रंग गेहुंआ, केश का रंग काला और नेत्रों के गोलक का रंग सफेद होता है| शरीर में रंग विशेष के घटने-बढने से रोग के लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे खून की कमी होना शरीर में लाल रंग की कमी का लक्षण है|

सूर्य स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का भण्डार है| मनुष्य सूर्य के जितने अधिक सम्पर्क में रहेगा उतना ही अधिक स्वस्थ रहेगा| जो लोग अपने घर को चारों तरफ से खिडकियों से बन्द करके रखते हैं और सूर्य के प्रकाश को घर में घुसने नहीं देते वे लोग सदा रोगी बने रहते हैं |

जहां सूर्य की किरणें पहुंचती हैं, वहां रोग के कीटाणु स्वत: मर जाते हैं और रोगों का जन्म ही नहीं हो पाता| सूर्य अपनी किरणों द्वारा अनेक प्रकार के आवश्यक तत्वों की वर्षा करता है और उन तत्वों को शरीर में ग्रहण करने से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं|

शरीर को कुछ ही क्षणों में झुलसा देने वाली गर्मियों की प्रचंड धूप से भले ही व्यक्ति स्वस्थ होने की बजाय उल्टे बीमार पड जाए लेकिन प्राचीन ग्रंथ अथर्ववेद में सबेरे धूप स्नान हृदय को स्वस्थ रखने का कारगर तरीका बताया गया है| उसमें कहा गया है कि जो व्यक्ति सूर्योदय के समय सूर्य की लाल रश्मियों का सेवन करता है उसे हृदय रोग कभी नहीं होता|


रंग  ओर रोग  कि पहचान 

1. लाल रंग ... यह ज्वार, दमा, खाँसी, मलेरिया, सर्दी, ज़ुकाम, सिर दर्द और पेट के विकार आदि में लाभ कारक है


2. हरा रंग .... यह स्नायुरोग, नाडी संस्थान के रोग, लिवर के रोग, श्वास रोग आदि को दूर करने में सहायक है


3. पीला रंग ...... चोट ,घाव रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, दिल के रोग, अतिसार आदि में फ़ायदा करता है

4. नीला रंग.....दाह, अपच, मधुमेह आदि में लाभकारी है

5. बैंगनी रंग.... श्वास रोग, सर्दी, खाँसी, मिर् गी ..दाँतो के रोग में सहायक है

6. नारंगी रंग... वात रोग . अम्लपित्त, अनिद्रा, कान के रोग दूर करता है

7. आसमानी रंग... स्नायु रोग, यौनरोग, सरदर्द, सर्दी- जुकाम आदि में सहायक है

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