Friday, 30 October 2015

कार्तिक मास के 6 नियम पालन करने देते हैं धन और सुख


कार्तिक मास के 6  नियम पालन करने पर देते हैं धन और सुख 


दीपदान - धर्म शास्त्रों के अनुसार सबसे प्रमुख काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने में  नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
Image result for लक्ष्मी नारायण तुलसी पूजा - इस महीने में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिकमें तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
 भूमि पर शयन -  भूमि पर सोना तीसरा प्रमुख काम माना गया है। भूमि पर सोने से मन में  सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं। 
 दलहन (दालों) खाना निषेध - में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना  चाहिए।
 ब्रह्मचर्य का पालन -- ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने  पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं। 
संयम रखें--  व्रत करने वालों को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें आदि।

कार्तिक मास और दीपदान-जो देता अक्षय लक्ष्मी

kartik mas aur dipdan 


कार्तिक मास और  दीपदान-जो देता अक्षय लक्ष्मी 


लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है। कहा जाता है कि इस महीने में जो मनुष्‍य देवालय, नदी किनारे, तुलसी के समक्ष एवं अपने शयन कक्ष में दीप लगाता (जलाता) है, उसे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।
 
पुराणों कहते हैं कि कार्तिक मास में धन से संबंधित विशेष आराधना व उपासना की जाती है, जिससे धन, आयु व आरोग्य की प्राप्ति होती है। अपने अंधकार दूर होकर जीवन प्रकाशमान हो जाता है। भगवान नारायण विष्णु एवं लक्ष्मी जी को दीपक लगाने से अमिट फल प्राप्त होते हैं। मनुष्य पुण्य का भागी होकर वह लक्ष्मी कृपा को प्राप्त करता है। इस माह में किया गया स्नानदान, दीपदान एवं तुलसी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। 
 

करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा

करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा





Karva Chauth Katha Hindiबहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे औउनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।

शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे,लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।

सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।

इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।
उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।
सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह र वह चली जाती है।
सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।

अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। 

हे श्री गणेश- मां गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।

Wednesday, 28 October 2015

childrans name Rashi anusar

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प्यारे बच्चो के प्यारे नाम राशि अनुसार 


धनु राशि बालिका 


धनु राशि बालक


वृश्चिक राशि बालिका 


वृषभ राशि बालक

वृश्चिक राशि बालक  




मीन राशि बालिका 





मीन  राशि बालक 



वृषभ  राशि बालिका 





तुला  राशि बालक 





सिह  राशि बालिका 



सिह  राशि बालक 




कन्या  राशि बालक  



तुला  राशि बालिका 



मिथुन  राशि बालिका 



मिथुन  राशि बालक  



मेष  राशि बालिका 




मेष  राशि बालक 










कुम्भ  राशि बालिका 


कुम्भ  राशि बालक 




कर्क राशि बालिका 


childrans name बच्चो के प्यारे नाम राशि अनुसार

childrans  name बच्चो के प्यारे नाम राशि अनुसार
Rashi anusar name  kanya rashi 



Sunday, 25 October 2015

aaj ka bajar --vyapar bhvishy

                                                               aaj ka bajar --vyapar bhvishy 

शेयरबाजार में कल मंदी का योग |26 -10 -2015                                                                                                                                                     यदि आप अपने व्यापार में हानि नहीं उठाना चहते सभी वस्तुओ की तेजी मंदी दिन ,सप्ताह मासिक तेजी की बुकलेट करे जिस में बाजार के उतर चढ़ व की जानकारी एवं कब कब अधिक तेजी के योग बनेगे आप स्वयं जान सकते है +917697961597

Saturday, 10 October 2015

commodity market --teji mandi octobrt 2015

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व्यापारिक तेजी मंदी -अक्टूबर 20 15 


यदि आप अपने व्यापार में हानि नहीं उठाना चहते सभी वस्तुओ की तेजी मंदी दिन ,सप्ताह मासिक तेजी की बुकलेट करे जिस में बाजार के उतर चढ़ व की जानकारी एवं कब कब अधिक तेजी के योग बनेगे आप स्वयं जान सकते है        +917697961597


Monday, 5 October 2015

धन हानि के 4 कारण जो होते है आपके घर में

धन हानि के 4 कारण जो होते है आपके घर में 




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. धन रखने की दिशा

धन में वृद्धि और बचत के लिए तिजोरी या आलमारी जिसमें धन रखते हों, उसे दक्षिण दिशा में इस तरह रखें की इसका मुंह उत्तर दिशा की ओर रहे। धन में वृद्धि के लिए तिजोरी का मुंह उत्तर दिशा की ओर रखना सबसे अच्छा माना जाता है।

. नल से पानी टपकना

घर के नलों में से पानी का टपकना बहुत आम बात मानी जाती है। इसलिए इसे बहुत से लोग अनदेखा कर जाते हैं, लेकिन नल से पानी का टपकते रहना भी वास्तुशास्त्र में आर्थिक नुकसान का बड़ा कारण माना गया है। वास्तु के नियम के अनुसार, नल से पानी का टपकते रहना धीरे-धीरे धन के खर्च होने का संकेत होता है। इसलिए नल में खराबी आ जाने पर तुरंत बदल देना चाहिए।

. घर में न रखें कबाड़

घर में टूटे-फूटे बर्तन एवं कबाड़ को जमा करके रखने से घर में नेगेटिव ऊर्जा फैलती है। टूटा हुआ पलंग, अलमारी या लकड़ी का अन्य सामान भी घर में नहीं रखना चाहिए, इससे आर्थिक लाभ में कमी आती है और खर्च बढ़ता है। छत पर या सीढ़ियों के नीचे कबाड़ जमा करके रखना भी आर्थिक नुकसान का कारण बनता है।

. ध्यान रखें पानी की निकासी

वास्तुशास्त्र के अनुसार, जल की निकासी कई चीजों को प्रभावित करती है। जिनके घर में जल की निकासी दक्षिण या पश्चिम दिशा में होती है उन्हें आर्थिक समस्याओं के साथ अन्य कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उत्तर दिशा एवं पूर्व दिशा में जल की निकासी आर्थिक दृष्टि से शुभ माना गया है।