Thursday, 26 November 2015

dahan saukh dene evm ksht nivarak --tulsai stotrm

धन सुख देने एव कष्ट निवारक ---तुलसी स्तोत्रम् 

dahan saukh dene evm ksht nivarak --tulsai stotrm
तुलसी जी को हिन्दू धर्म में अति पूजनीय माना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार तुलसी का नाम मात्र उच्चारण करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं। साथ ही मान्यता है कि जिस घर के आंगन में तुलसी होती हैं वहां कभी कोई कष्ट नहीं आता है।
                             तुलसी स्तोत्र पढ़ने का महत्व 
Image result for तुलसीतुलसी जी की पूजा में कई मंत्रों के साथ तुलसी स्तोत्र का भी पाठ किया जाता है। पद्मपुराण के अनुसार द्वादशी की रात को जागरण करते हुए तुलसी स्तोत्र को पढ़ना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु जातक के सभी अपराध क्षमा कर देते हैं। तुलसी स्त्रोत को सुनने से भी समान पुण्य मिलता है। तुलसी स्त्रोत निम्न हैं-  
तुलसी स्तोत्रम् 
जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे।
यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥1॥
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥2॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।
कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥3॥
नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् ।
यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥4॥
तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ।
या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥5॥
नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाजलिं कलौ ।
कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥6॥
तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले ।
यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥7॥
तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।
आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥8॥
तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।
अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥9॥
नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।
पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥10॥
इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।
विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥11॥
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।
धर्म्या धर्नानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥12॥
लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।
षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥13॥
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥14॥
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥15॥
इति श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

Wednesday, 25 November 2015

sabse phle ganeshji ka hi pujan kyo

सबसे पहले गणेशजी का ही पूजन क्यों

sabse phle ganeshji ka hi pujan kyo

 इस संबंध में एक कहानी प्रचलित है. एक बार सभी देवों में यह प्रश्न उठा कि पृथ्वी पर सर्वप्रथम किस देव की पूजा होनी चाहिए. सभी देव अपने को महान बताने लगे। अंत में इस समस्या को सुलझाने के लिए देवर्षि नारद ने शिव को निणार्यक बनाने की सलाह दी। शिव ने सोच-विचारकर एक प्रतियोगिता आयोजित की। जो अपने वाहन पर सवार हो पृथ्वी की परिक्रमा करके प्रथम लौटेंगे, वे ही पृथ्वी पर प्रथम पूजा के अधिकारी होंगे। सभी देव अपने वाहनों पर सवार हो चल पड़े। गणेश जी ने अपने पिता शिव और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा की और शांत भाव से उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े रहे। कार्तिकेय अपने मयूर वाहन पर आरूढ़ हो पृथ्वी का चक्कर लगाकर लौटे और दर्प से बोले, 'मैं इस स्पर्धा में विजयी हुआ, इसलिए पृथ्वी पर प्रथम पूजा पाने का अधिकारी मैं हूं।
शिव अपने चरणों के पास भक्ति-भाव से खड़े विनायक की ओर मुस्कुराकर देखते हुए बोले, पुत्र गणेश तुमसे भी पहले ब्रह्मांड की परिक्रमा कर चुका है, वही प्रथम पूजा का अधिकारी होगा। कार्तिकेय खिन्न होकर बोले, 'पिताजी, यह कैसे संभव है। गणेश अपने मूषक वाहन पर बैठकर कई वर्षो में ब्रह्मांड की परिक्रमा कर सकते हैं। आप कहीं मजाक तो नहीं कर रहे हैं। नहीं बेटे गणेश अपने माता-पिता की परिक्रमा करके यह प्रमाणित कर चुका है कि माता-पिता ब्रह्मांड से बढ़कर कुछ और हैं. गणेश ने जगत् को इस बात का ज्ञान कराया है। इसलिए श्री गणेश का पूजन आज से सर्वप्रथम किया जाएगा।

 

Friday, 20 November 2015

नरेन्द्र मोदी जी की कुंडली का विश्लेषण-राजयोगदेने वाले ग्रह और दशाये


नरेन्द्र मोदी जी की कुंडली का विश्लेषण-राजयोगदेने वाले ग्रह और दशाये

Narendar Modoji ki kundli ka vishleshan



Monday, 16 November 2015

श्री सर्वोत्तम हिंदी पंचांग 20 16

shree sarvottam hindi panchang 2016
श्री सर्वोत्तम हिंदी पंचांग 20 16 

यह पंचांग रोचक जानकारी से भरपूर है यदि आप इस पंचांग को पढने,विक्रय करने  आदि के लिए संपर्क करे
mo.+917697961597



mashik teji mandi november 2015

 mashik teji mandi november 2015 

Tuesday, 10 November 2015

चाणक्य नीति- किसी व्यक्ति को परखना हो तो ये है तरीका

चाणक्य नीति- किसी व्यक्ति को परखना हो तो ये है तरीका




किसी भी व्यक्ति को परखने के लिए आचार्य चाणक्य ने एक नीति बताई है। यदि इस नीति में बताई गई बातों के आधार पर किसी स्त्री या पुरुष को परखेंगे तो व्यक्ति के संबंध में सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
आचार्य कहते हैं कि-
यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणं छेदनतापताडनै:।
तथा चतुर्भि: पुरुषं परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं स्वर्ण को परखने के लिए हमें चार काम करना चाहिए। ये चार काम हैं- सोने को रगड़ना चाहिए, काट कर देखना चाहिए, आग में तपा कर परखना चाहिए और सोने को पीट कर परख की जाती है। ये चार काम करने के बाद ही शुद्ध सोने की परख की जा सकती है। यदि सोने में मिलावट होगी तो इन चार कामों से वह सामने आ जाती है। इसी प्रकार किसी व्यक्ति के परखने के लिए भी हमें 4 बातें ध्यान रखना चाहिए, ये चार बातें कौन-कौन सी हैं 
पहली बात- त्याग की भावना देखनी चाहिए
किसी व्यक्ति भी को परखने के लिए सबसे पहले उसकी त्याग क्षमता देखनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए खुद के सुख का त्याग कर सकता है तो वह बहुत अच्छा इंसान होता है। जिन लोगों में त्याग की भावना नहीं होती है, वे कभी भी अच्छे इंसान नहीं बन पाते हैं। त्याग की भावना के बिना व्यक्ति किसी का भला नहीं कर पाता है।
दूसरी बात- चरित्र देखना चाहिए
व्यक्ति को परखने की प्रक्रिया में दूसरी बात है चरित्र देखना चाहिए। जिन लोगों का चरित्र बेदाग है यानी जो लोग बुराइयों से दूर हैं और दूसरों के प्रति गलत भावनाएं नहीं रखते हैं, वे श्रेष्ठ होते हैं। यदि किसी व्यक्ति का चरित्र दूषित है और विचार पवित्र नहीं हैं तो उनसे दूर रहना चाहिए।
तीसरी बात- गुण देखना चाहिए
परखने की प्रक्रिया में तीसरी बात है व्यक्ति के गुण देखना चाहिए। सामान्यत: सभी लोगों में कुछ गुण और कुछ अवगुण होते हैं, लेकिन जिन लोगों में अवगुण अधिक होते हैं, उनसे दूर रहना चाहिए। अवगुण यानी अधिक क्रोध करना, बात-बात पर झूठ बोलना, दूसरों का अपमान करना, अहंकार आदि। जिन लोगों में ऐसे अवगुण होते हैं, वे श्रेष्ठ इंसान नहीं माने जाते।
चौथी बात- कर्म देखना चाहिए
अंतिम बात यह है कि किसी व्यक्ति के कर्मों को भी देखना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति गलत तरीके से धन अर्जित करता है या अधार्मिक काम करता है तो उससे दूर रहना ही अच्छा है। गलत काम करने वाला इंसान अपने आसपास रहने वाले लोगों पर भी बुरा असर डालता है। साथ ही, ऐसे लोगों की मित्रता के कारण हम भी फंस सकते हैं।

Monday, 9 November 2015

दीपावली पूजन के विशेष शुभमुहूर्त -2015

दीपावली पूजन के विशेष शुभमुहूर्त -2015 

diwalipujan ke shubh muhurt-2015 


दीपावली पूजन के लिए  शुभ मुहूर्त। इन मुहूर्त में पूजन करने से महालक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन सुखी  धनी ऐश्वर्यशाली होता है।
 - चौघड़िया  के अनुसार शुभमुहूर्त 
10.30 से दोपहर 01.30 (लाभ-अमृत) 
03.00 से 04.30 (शुभ), 
रात्रि- 07.30 से 09.00 (लाभ) 
रात्रि 10.00 से 12.00 तक। 
देर रात्रि पूजन करने वालों के लिए 
रात्रि 12.00 से 01.30 तक।

प्रदोष काल मुहूर्त----शाम 5 बजकर 25मिनिट से 8 :00 तक रहेगा 
स्थिर लग्न मुहूर्त 
दोपहर 12.54 से 02.26 (कुंभ-लग्न),
05.39  से 08.35  (वृषभ-लग्न) 
सिंह लग्न में पूजन का समय है रात्रि 12.06 से 02.18 तक। 

निशीथ काल मुहूर्त 
रात्रि 11 :44मि.से 12:24 मि तक रहेगा |

Friday, 6 November 2015