गायत्री मंत्र कब जपे --जाने
gayatri mantr kab jape-jane
गायत्री मंत्र
ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।
गायत्री मंत्र का सरल अर्थ
सृष्टि कर्ता यानी सृष्टी की रचना करने वाले प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं। परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सही मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।
सुबह उठते वक़्त आठ बार,
अष्ट कर्मों को जीतने के लिए !
अष्ट कर्मों को जीतने के लिए !
भोजन के समय एक बार
अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए !
अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए !
बाहर जाते समय तीन बार
समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए !!
समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए !!
मन्दिर में बारह बार
प्रभु के गुणों को याद करने के लिए !
प्रभु के गुणों को याद करने के लिए !
छींक आए तब गायत्री मंत्र उच्चारण एक बार
अमंगल दूर करने के लिए !
अमंगल दूर करने के लिए !