Monday, 29 November 2021
Thursday, 25 November 2021
Friday, 19 November 2021
Tuesday, 16 November 2021
Friday, 12 November 2021
Wednesday, 10 November 2021
Friday, 5 November 2021
share market astrology नवंबर 2021ज्योतिष और तेजी मंदी
share market astrology नवंबर 2021ज्योतिष और तेजी मंदी
तारीख 1 गेहूं और चना कपास सोना चांदी मंदी किराना में तेजी
तारीख 2 बाजार में तेजी रहे
तारीख 3 सरसों मूंगफली कपास चना में मंदी
तारीख 4 सोना चांदी सूत सरसों वस्त्र में मंदी
तारीख 5 सरसों तिलहन तेल में मंदी धातुओं में घटबढ़
तारीख 6 बाजार सामान्य रहे
तारीख 7 बाजार सामान्य रहे
तारीख 8 तेल के सरसों सूत में मंदी
तारीख 9 सोना पीतल गेहूं गुड़ में तेजी
तारीख 10 चांदी तांबा पीतल मे तेजी
तारीख 11 धातुओं में तेजी और शक्कर में मंदी गुड़ शक्कर में मंदी
तारीख 12 सोना तांबा शक्कर में मंदी
तारीख 13 बाजार सामान्य रहे
तारीख 14 बाजार सामान्य रहे
तारीख 15 बाजार में मंदी रहे
तारीख 16 बाजार में घट बढ़ चले
तारीख 17 बाजार तेजी
तारीख 18 धातुओं में मंदी अनाजों में तेजी
तारीख 19 बाजार मैं घट बढ़ चले
तारीख 20 बाजार सामान्य रहे
तारीख 21 बाजार सामान्य रहे
तारीख 22 सोना चांदी लोहा ताबा में तेजी
तारीख 23 गेहूं चना उड़द मूंग धातुओं में मंदी
तारीख 24 मूंगफली तेल सफेद वस्तुओं में तेजी
तारीख 25 बाजार में तेजी के बाद मंदी
तारीख 26 पहले मंदी बाद में तेजी
तारीख 27 बाजार सामान्य रहे
तारीख 28 बाजार सामान्य रहे
तारीख 29 किराना में तेजी धातुओं में मंदी
तारीख 30 सोना चांदी ताबा में मंदी तेल तेल तेल में तेजी
नोट- व्यापारी वर्ग मार्केट का रुख देखकर ही कार्य करें यह गणना ज्योतिष के आधार पर की गई है
नोट हमारे कार्यालय से दैनिक प्रतिदिन की टाइम सहित तेजी मंदी दी जाती है इसमें सोना चांदी ताबा क्रूड आयल शेयर बाजार कमोडिटी कि आप प्रतिदिन की रिपोर्ट हमारे कार्यालय के नंबर पर संपर्क करके प्राप्त कर सकते हैं
मुक्ता ज्योतिष समाधान केंद्र
मोबाइल नंबर –769796 1597
Tuesday, 2 November 2021
नरक चतुर्दशी या रूप चौदस आज 2021
नरक चतुर्दशी या रूप चौदस आज क्या करे
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इस बार नरक चतुर्दशी का पावन पर्व 3 नवंबर 2021, गुरुवार को है। नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी, नरक चौदस और काली चौदस भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। नरक चतुर्दशी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि विधान से श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है तथा शाम के समय यमराज की पूजा करने से नरक की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। वहीं इस दिन मां काली की पूजा का भी विधान है। कहा जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा अर्चना करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी का पावन पर्व धनतेरस के अगले दिन यानी छोटी दीपावली को मनाया जाता है। इस बार नरक चतुर्दशी 3 नवंबर 2021, बुधवार को है।
हिंदू पंचांग के अनुसार नरक चतुर्दशी का पावन पर्व 3 नवंबर 2021, बुधवार को है। इस दिन यम देव की पूजा अर्चना करने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है।
नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त
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नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त 3 नंबर 2021 को सुबह 09:02 से चतुर्दशी तिथि आरंभ होकर 4 नंबर 2021 प्रात: 06:03 पर समाप्त होगी।
पूजा का शुभ समय:-
अमृत काल– 01:55 से 03:22 तक।
ब्रह्म मुहूर्त– 05:02 से 05:50 तक।
विजय मुहूर्त - दोपहर 01:33 से 02:17 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:05 से 05:29 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:07 तक।
शुभ चौघड़िया
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लाभ : 06:38 am से 08:00 amतक।
अमृत : 08:00 am से 09:21am तक।
शुभ : 10:43 am से 12:04 am तक।
लाभ : 04:08 pm से 05:30 pm तक।
शुभ : 07:09 pm से 08:47 pm तक।
अमृत : 08:47 pm से 10:26 pm तक।
लाभ : 03:22 am से 05:00 am तक।
नरक चतुर्दशी या काली चौदस की पूजा विधि
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सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन 6 देवी देवताओं यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और वामन की पूजा का विधान है। ऐसे में घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से पूजा अर्चना करें। सभी देवी देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रो का जाप करें। बता दें इस दिन यमदेव की पूजा अर्चना करने अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और सभी पापों का नाश होता है। तथा घर में सकारात्मकता का वास होता है। ऐसे में शाम के समय यमदेव की पूजा करें और चौखट के दोनों ओर दीप जलाकर रखें।
नरक चतुर्दशी की कथा
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प्राचीन समय में रन्तिदेव नामक एक राजा था। वह हमेशा धर्म – कर्म के काम में लगा रहता था। जब उनका अंतिम समय आया तब उन्हें लेने के लिए यमराज के दूत आये और उन्होंने कहा कि राजन अब आपका नरक में जाने का समय आ गया हैं। नरक में जाने की बात सुनकर राजा हैरान रह गये और उन्होंने यमदूतों से पूछा कि मैंने तो कभी कोई अधर्म या पाप नहीं किया। मैंने हमेशा अपना जीवन अच्छे कार्यों को करने में व्यतीत किया तो आप मुझे नरक में क्यों ले जा रहे हो। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि एक बार राजन तुम्हारे महल के द्वार पर एक ब्राह्मण आया था जो भूखा ही तुम्हारे द्वार से लौट गया। इस कारण ही तुम्हें नरक में जाना पड़ रहा है।
राजा ने यमराज से अपनी गलती को सुधारने के लिए एक वर्ष का अतिरिक्त समय देने की प्रार्थना की। यमराज ने राजा के द्वारा किये गये नम्र निवेदन को स्वीकार कर लिया और उन्हें एक वर्ष का समय दे दिया। यमदूतों से मुक्ति पाने के बाद राजा ऋषियों के पास गए और उन्हें पूर्ण वृतांत विस्तार से सुनाया। यह सब सुनकर ऋषियों ने राजा को एक उपाय बताया। जिसके अनुसार ही उसने कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रत रखा और ब्राह्मणों को भोजन कराया जिसके बाद उसे नरक जाने से मुक्ति मिल गई। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति के लिए भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।
नरक चतुर्दशी के इन टोटकों से होगा लाभ
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नरक चतुर्दशी के दिन लाल चंदन, गुलाब के फूल व रोली के पैकेट की पूजा करें बाद में उन्हें एक लाल कपड़ें में बांधकर तिजोरी में रख दे। इस उपाय को करने से धन की प्राप्ति होती है और धन घर में रुकता भी है।
इस दिन स्नान से पहले तिल के तेल से मालिश करें। कार्तिक के महीने में जो लोग तेल का इस्तेमाल नहीं करते है वह भी इस दिन तेल लगा सकते हैं। ऐसी मान्यता है की इस दिन तेल में लक्ष्मी जी का और जल में गंगा जी का वास होता हैं।
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान के बाद यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करना चाहिए।
नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने के पश्चात पति-पत्नी दोनों को विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में दर्शन करने चाहिए। इससे व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते है और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है। सनत कुमार संहिता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित दीप दान करने से पितरों को भी स्वर्ग का मार्ग दीखता है और उनको नरक से मुक्ति मिलती है।
नरक चतुर्दशी के दिन भगवान वामन ओर राजा बलि का स्मरण करना चाहिए ऐसा करने से लक्ष्मी जी स्थायी रूप से आपके घर में निवास करती हैं। वामन पुराण की कथा के अनुसार जब राजा बलि के यज्ञ को भंग करके वामन भगवान ने तीन पग में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नाप लिया था तब राजा बलि के द्वारा मांगे वर के अनुसार जो मनुष्य इस पर्व पर दीप दान करेगा उसके यहाँ स्थिर लक्ष्मी का वास होगा।
नरक चतुर्दशी का महत्व
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नरक चौदस का पावन पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चौदस को मनाया जाता है। इसे नरक मुक्ति का त्योहार भी माना जाता है। इस दिन यमराज की पूजा अर्चना करने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और सभी पापों का नाश होता है। नरक चौदस के दिन तिल के तेल से मालिश करने से त्वचा पर निखार आता है।
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