रत्न भाग्य और आप
ससांर में रत्नो के प्रति आकर्षण प्राचीन काल से चला आ रहा है| रत्न दवैक शक्ति से परी पूर्ण होते है|रत्न रोग औ र भाग्य चमकने दोनों में लाभकरी सिद्ध होते हें |कुल 84 रत्न होता हें |इसमे नौ रत्न सर्व धिक महत्वपूर्ण हें |माणिक्य, हीरा ,पन्ना,नीलम ,मोती ,मूंगा ,पुखराज ,गोमदे ,लहसुनिया, हें | एवम सभी उपरत्न हें |यदि आप अपनी जनमकुंडली के आधार पर रत्न धारण करते हें तो आप अपना भाग्य बदल सकते हें कुंडली में 12 लग्न होती हें प्र तिएक कुंडली में नौ गह अपनी राशि के अनुसार निवास करतेहेंअर्थातआपके जन्म समय ,तारीख ,स्थान के आधार पर जो कुंडली बनती हें उसे लग्न कुंडली कहते हें उदाहरण-यदि आप जन्म मेष लग्न में हुआ तो मेष राशि का स्वामी मंगल हें |मंगल यदि अपनी नीच राशी कर्कमें बैठा हें यदि आप मूंगा धारण कर लेते हें यह आप को स्वास्थ्य ,धन ,ऐश्वर्य भूमि ,समपदा, देने वाला होगा |इस प्रकार यदि सम्पूर्ण कुंडली का अधययनकर शुभ अशुभ का विचार कर अपनी के सवसे भाग्य शाली रत्न धारण कर लेते हें तो हम उस रत्न से होने वाले सभीचमत्करी फल प्रप्ता कर लेते हें |
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