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मुर्गे का अंडा
एक फार्म का मालिक एक दिन सभी मुर्गियों से बोलता है,“ कल से सबको दो-दो अंडे देने है जो नहीं देगा उसे मैं काट डालूंगा.”
अगली सुबह सब मुर्गियों ने दो-दो अंडे दिए मगर एक ने सिर्फ एक ही अंडे दिया. मालिक ने इसकी वजह पूछी तो वह मुर्गी बोली, “जनाब, यह भी आपके डर से दिया वरना मैं तो मुर्गा हूं.”
दुनियां गोल है
पिता (पुत्र से)- बेटा! मैं चाहता हूँ तुम इतने महान बनो कि तुम्हारा नाम दुनियां के चारो कोनों में फैले.
पुत्र- पापा, महान तो मैं बन जाऊंगा पर एक समस्या है.
पिता- वह क्या?
पुत्र- दुनियां तो गोल है, उसके चार कोने हो ही नहीं सकते, फिर मेरा नाम कैसे चारो कोनों में फैलेगा.
मुर्गे का अंडा
एक फार्म का मालिक एक दिन सभी मुर्गियों से बोलता है,“ कल से सबको दो-दो अंडे देने है जो नहीं देगा उसे मैं काट डालूंगा.”
अगली सुबह सब मुर्गियों ने दो-दो अंडे दिए मगर एक ने सिर्फ एक ही अंडे दिया. मालिक ने इसकी वजह पूछी तो वह मुर्गी बोली, “जनाब, यह भी आपके डर से दिया वरना मैं तो मुर्गा हूं.”
दुनियां गोल है
पिता (पुत्र से)- बेटा! मैं चाहता हूँ तुम इतने महान बनो कि तुम्हारा नाम दुनियां के चारो कोनों में फैले.
पुत्र- पापा, महान तो मैं बन जाऊंगा पर एक समस्या है.
पिता- वह क्या?
पुत्र- दुनियां तो गोल है, उसके चार कोने हो ही नहीं सकते, फिर मेरा नाम कैसे चारो कोनों में फैलेगा.
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