मार्गशीर्ष{अहघनमास }की चमत्कारी ग्यारस जो भाग्य जगाये 13 दिसम्बर 2013
सुबह सूर्यादय से पहले उठकर नित्य कर्म कर, स्नान के बाद कर भगवान विष्णु की सोलह उपचारों या पूजन सामगियों जिनमें केसर चंदह, पीले फूल, पीला वस्त्र, इत्र खासतौर पर शामिल हो, से भगवान की पूजा करनी चाहिए।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए।
श्रीमद्भागवतपुराण का पाठ करना या सुनना चाहिए।इस दिन घर, मंदिर, तीर्थ और पवित्र देवस्थानों में भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही व्रत-उपवास करने के साथ दान, पुण्य, पूजा, कथा व " श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी। हे नाथ नारायण वासुदेव।" ये नाम लेकर कीर्तन और जागरण करना चाहिए।।
श्रीमएश्रीमद्भागवतपुराण का पाठ करना या सुनना चाहिए।का पाठ करना या सुनना चाहिए।श्रीमद्भागवतपुराण का पाठ करना या सुनना चाहिए।
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