Tuesday, 29 April 2014

sury rekha se jane man sammn trkki dhan



sury rekha se jane  man sammn  trkki  dhan

सूर्य रेखा  से जाने  मान सम्मन तरक्की  धन 


सूर्य रेखा अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) के ठीक नीचे वाले भाग सूर्य पर्वत पर होती है। इस भाग पर जो रेखाएं खड़ी अवस्था में होती हैं, वे सूर्य रेखा कहलाती है। सूर्य पर्वत पर होने की वजह से इसे सूर्य रेखा कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति के हाथ में ये रेखा दोष रहित हो तो व्यक्ति को जीवन में भरपूर मान-सम्मान और पैसा प्राप्त होता है।
आमतौर पर ये रेखा सभी लोगों के हाथों में नहीं होती है। कई परिस्थितियों में सूर्य रेखा होने के बाद भी व्यक्ति को पैसों की तंगी झेलना पड़ सकती है।
सूर्य रेखा रिंग फिंगर यानी अनामिका उंगली के नीचे वाले हिस्से पर होती है। हथेली का ये भाग सूर्य पर्वत कहलाता है। यहां खड़ी रेखा हो तो वह सूर्य रेखा कहलाती है। यह रेखा सूर्य पर्वत से हथेली के नीचले हिस्से मणिबंध या जीवन रेखा की ओर जाती है। सूर्य रेखा यदि अन्य रेखाओं से कटी हुई हो या टूटी हुई हो तो इसका शुभ प्रभाव समाप्त हो सकता है।
- हथेली में भाग्यरेखा से निकलकर सूर्य रेखा अनामिका उंगली की ओर जाती है तो यह भी शुभ प्रभाव दर्शाने वाली स्थिति होती है। इसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति बहुत नाम और पैसा कमा सकता है।
- यदि किसी व्यक्ति के हाथ में मणिबंध से अनामिका उंगली तक सूर्य रेखा है तो यह बहुत शुभ स्थिति मानी जाती है। ऐसे लोग जीवन में बहुत कामयाब होते हैं और भरपूर धन लाभ प्राप्त करते हैं।
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा लहरदार होती है तो व्यक्ति किसी भी कार्य को एकाग्रता के साथ नहीं कर पाता है। यदि यह रेखा बीच में लहरदार हो और सूर्य पर्वत पर सीधी एवं सुंदर हो गई हो तो व्यक्ति किसी विशेष कार्य में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर लेता है।
यदि सूर्य रेखा पर किसी क्रॉस का निशान हो तो व्यक्ति को जीवन में कई बार दुखों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोग कठिनाइयों के साथ कार्य को पूरा करते हैं और फिर भी इन्हें उचित प्रतिफल प्राप्त नहीं हो पाता है।
यदि किसी व्यक्ति के हाथों में जीवन रेखा से निकलकर सूर्य रेखा अनामिका उंगली की ओर जाती है तो यह रेखा व्यक्ति को भाग्यशाली बनाती है। ऐसे लोग जीवन में सभी सुख और सुविधाओं के साथ मान-सम्मान भी प्राप्त करते हैं।
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में चंद्र पर्वत से निकलकर कोई रेखा सूर्य पर्वत की ओर जाती है तो यह भी सूर्य रेखा ही कहलाती है। चंद्र पर्वत हथेली में अंगूठे के ठीक दूसरी ओर अंतिम भाग को कहते हैं। यहां से रेखा निकलकर अनामिका उंगली की ओर जाती है तो व्यक्ति की कल्पना शक्ति बहुत तेज रहती है। इन लोगों की भाषा पर अच्छी पकड़ रहती है
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य के साथ ही एक या एक से अधिक खड़ी समानांतर रेखाएं चल रही हों तो ये रेखाएं सूर्य रेखा के शुभ प्रभावों को और अधिक बढ़ा देती हैं। इस प्रकार की रेखाओं के कारण व्यक्ति समाज में प्रसिद्ध होता है और धन-ऐश्वर्य प्राप्त करता है।
ली में सूर्य रेखा जितनी लंबी और स्पष्ट होती है, उतना अधिक लाभ देती है। यदि यह रेखा अन्य रेखाओं से कटी हुई हो या बीच-बीच में टूटी हुई हो तो इसके शुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं। लंबी, साफ एवं स्पष्ट सूर्य रेखा होने पर व्यक्ति बुद्धिमान होता है और घर-परिवार के साथ ही समाज में भी एक खास मुकाम हासिल करता है।
सूर्य रेखा पर बिंदु का निशान हो तो व्यक्ति को अशुभ प्रभाव प्राप्त होते हैं। ऐसी रेखा वाले इंसान की बदनामी होने का भय बना रहता है। यदि बिंदु एक से अधिक हों और अधिक गहरे हों तो यह स्थिति समाज में अपमानित होने का योग बनाती है। अत: ऐसी रेखा वाले इंसान को सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए।
- यदि सूर्य रेखा से छोटी-छोटी शाखाएं निकल रही हों और वे ऊपर उंगलियों की ओर जा रही हो तो यह शुभ लक्षण होता है।
- यदि सूर्य रेखा से छोटी-छोटी शाखाएं निकलकर नीचे की ओर जा रही हो तो ये रेखाएं सूर्य रेखा को कमजोर करती हैं।
यदि किसी व्यक्ति की हथेली में सूर्य पर्वत (अनामिका की उंगली यानी रिंग फिंगर के ठीक नीचे वाला भाग सूर्य पर्वत कहलाता है।) पर पहुंचकर सूर्य रेखा की एक शाखा शनि पर्वत (मध्यमा उंगली के नीचे वाला भाग शनि पर्वत कहलाता है।) की ओर तथा एक शाखा बुध पर्वत (सबसे छोटी उंगली के ठीक नीचे वाला भाग बुध पर्वत होता है।) की ओर जाती हो तो ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान, चतुर, गंभीर होता है। ऐसे लोग समाज में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं और बहुत पैसा कमाते हैं।
ऐसे लोग राजा-महाराजाओं के समान शाही जीवन व्यतीत करते हैं, जिनके हाथों में सूर्य रेखा बृहस्पति पर्वत (इंडेक्स फिंगर के नीचे वाला भाग बृहस्पति पर्वत कहलाता है।) तक जाती है। बृहस्पति पर्वत पर पहुंचकर सूर्य रेखा के अंत में यदि किसी तारे का निशान बना हो तो व्यक्ति किसी राज्य का बड़ा अधिकारी हो सकता है।
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा न हो तो इसका मतलब यह नहीं माना जा सकता है कि व्यक्ति जीवन में सफल नहीं होगा। सूर्य रेखा कुछ लोगों के हाथों में नहीं होती है। यह रेखा जीवन में व्यक्ति की सफलता को आसान बनाती है। सूर्य रेखा न होने पर व्यक्ति को परिश्रम अधिक करना पड़ सकता है, लेकिन व्यक्ति सफल भी हो सकता है। हथेली में सूर्य रेखा न हो और अन्य रेखाओं का प्रभाव शुभ हो तो व्यक्ति जीवन में उल्लेखनीय कार्य कर सकता है।

Saturday, 26 April 2014

jane chanakya niti kis avastha me koon sai chij kar sakti hai barbad

jane chanakya niti  kis avastha me koon sai chij kar sakti hai barbad

जाने चाणक्य नीति -->किस अवस्था में कौन सी चीज कर सकती है बर्बाद



चाणक्य ने बताया है किस अवस्था में कौन सी चीज कर सकती है बर्बाद
अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।।
अनभ्यासे विषं शास्त्रम्- आचार्य इस श्लोक में कहते हैं कि अनभ्यासे विषं शास्त्रम् यानी किसी भी व्यक्ति के लिए अभ्यास के बिना शास्त्रों का ज्ञान विष के समान है। शास्त्रों के ज्ञान का निरंतर अभ्यास किया जाना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति बिना अभ्यास किए स्वयं को शास्त्रों का ज्ञाता बताता है तो भविष्य में उसे पूरे समाज के सामने अपमान का सामना करना पड़ सकता है। ज्ञानी व्यक्ति के अपमान किसी विष के समान ही है। इसीलिए कहा जाता है कि अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।
इस श्लोक में आचार्य ने यह भी बताया है कि किसी वृद्ध पुरुष के लिए नवयौवना (जवान स्त्री) विष के समान है।
अजीर्णे भोजनं विषम्
चाणक्य ने बताया है कि अजीर्णे भोजनं विषम् यानी यदि व्यक्ति का पेट खराब हो तो उस अवस्था में भोजन विष के समान होता है। पेट स्वस्थ हो, तब तो स्वादिष्ट भोजन देखकर मन तुरंत ही ललचा जाता है, लेकिन पेट खराब होने की स्थिति में छप्पन भोग भी विष की तरह प्रतीत होते हैं। ऐसी स्थिति में उचित उपचार किए बिना स्वादिष्ट भोजन से भी दूर रहना ही श्रेष्ठ रहता है।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी
इस श्लोक में चाणक्य ने आगे बताया है कि दरिद्रस्य विषं गोष्ठी यानी किसी गरीब व्यक्ति के कोई सभा या समारोह विष के समान होता है। किसी भी प्रकार की सभा हो, आमतौर वहां सभी लोग अच्छे वस्त्र धारण किए रहते हैं। अच्छे और धनी लोगों के बीच यदि कोई गरीब व्यक्ति चले जाएगा तो उसे अपमान का अहसास होता है। इसीलिए चाणक्य कहते हैं कि किसी स्वाभिमानी गरीब व्यक्ति के लिए सभा में जाना ही विषपान करने जैसा है।
वृद्धस्य तरुणी विषम्
इस श्लोक के अंत में चाणक्य कहते हैं कि वृद्धस्य तरुणी विषम् यानी किसी वृद्ध पुरुष के लिए नवयौवना विष के समान होती है। यदि कोई वृद्ध या शारीरिक रूप से कमजोर पुरुष किसी सुंदर और जवान स्त्री से विवाह करता है तो वह उसे संतुष्ट नहीं कर पाएगा। अधिकांश परिस्थितियों में वैवाहिक जीवन तभी अच्छा रह सकता है, जब पति-पत्नी, दोनों एक-दूसरे को शारीरिक रूप से भी संतुष्ट करते हैं।
यदि कोई वृद्ध पुरुष नवयौवना को संतुष्ट नहीं कर पाता है तो उसकी पत्नी पथ भ्रष्ट हो सकती है। पत्नी के पथ भ्रष्ट होने पर पति को समाज में अपमान का सामना करना पड़ता है। ऐसी अवस्था में किसी भी वृद्ध और कमजोर पुरुष के लिए नवयौवना विष के समान होती है।

Saturday, 19 April 2014

vidya bal rog sumti sharirik dur krnekre hanumanji ki sadhana


vidya bal rog sumti sharirik dur krnekre hanumanji ki sadhana

विद्या ,बल ,रोग ,सुमति शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए करे -->                               
                           हनुमान जी कीसाधना 



हनुमानजी कलयुग में तत्काल फल देने वाले प्रभु है यदि आपके अधिक समय न हो तो आप मंगलवार व शनिवार को किसी मंदिरमें पूजन कर [108वारव 108 दिन]लगातार आप जिस समस्या से परेशान हो विद्या ,बल ,रोग ,सुमति शारीरिक कमजोरी के अनुसार सकल्प कर नियम पूवर्क इन चोपईयो का जप करे खिंडित न हो आपको लाभ  प्राप्त हो गा |   

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
यदि कोई व्यक्ति हनुमान चालीसा की इस पंक्ति का जप करता है तो उसे सुबुद्धि प्राप्त होती है। इस पंक्ति का जप करने वाले लोगों के कुविचार नष्ट होते हैं और सुविचार बनने लगते हैं। बुराई से ध्यान हटता है और अच्छाई की ओर मन लगता है।
इस पंक्ति का अर्थ यह है कि बजरंगबली महावीर हैं और हनुमानजी कुमति को निवारते हैं यानी कुमति को दूर करते हैं। बजरंग बली सुमति यानी अच्छे विचारों को बढ़ाते हैं।

बिद्यबान गुनी अति चातुर।
रामकाज करीबे को आतुर।।
यदि किसी व्यक्ति को विद्याधन चाहिए तो उसे इस पंक्ति का विशेष रूप से जप करना चाहिए। इस पंक्ति के जप से हमें विद्या और चतुराई प्राप्त होती है। इसके साथ ही हमारे हृदय में श्रीराम की भक्ति भी बढ़ती है।
इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमानजी विद्यावान और गुणवान हैं। हनुमानजी बहुत चतुर भी हैं। वे सदैव ही श्रीराम सेवा करने के लिए तत्पर रहते हैं। जो भी व्यक्ति इस चौपाई का जप करता है, उसे हनुमानजी से विद्या, गुण, चतुराई के साथ ही, श्रीराम की भक्ति प्राप्त होती है।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्रजी के काज संवारे।।
जब आप शत्रुओं से परेशान हो जाएं और कोई रास्ता दिखाई न दे तो हनुमान चालीसा की इस चौपाई का विशेष जप करें। यदि एकाग्रता और भक्ति के साथ हनुमान चालीसा की सिर्फ इस पंक्ति का जप किया जाए तो शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है।
इस पंक्ति का अर्थ यह है कि श्रीराम और रावण के बीच हुए युद्ध में हनुमानजी ने भीम रूप यानी विशाल रूप धारण किया था। इसी भीम रूप में असुरों-राक्षसों का संहार किया। श्रीराम के काम पूर्ण करने में हनुमानजी ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिससे श्रीराम के सभी काम संवर गए।
लाय संजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
इस पंक्ति का जप करने से भयंकर बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाती है। यदि कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है और दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है तो उसे भक्ति के साथ पूरी हनुमान चालीसा या सिर्फ इस पंक्ति का विशेष जप करना चाहिए। दवाओं का असर होना शुरू हो जाएगा, बीमारी धीरे-धीरे ठीक होने लगेगी।
इस चौपाई का अर्थ यह है कि रावण के पुत्र मेघनाद ने लक्ष्मण को मुर्छित कर दिया था। तब सभी की औषधियों से भी लक्ष्मण की चेतना लौट नहीं रही थी। तब हनुमानजी संजीवनी औषधि लेकर आए और लक्ष्मण के प्राण बचाए। हनुमानजी के इस चमत्कार से श्रीराम अतिप्रसन्न हुए।
रामदूत अतुलित बलधामा।
अंजनिपुत्र पवनसुत नामा।
यदि कोई व्यक्ति इस चौपाई का जप करता है तो उसे शारीरिक कमजोरियों से मुक्ति मिलती है। इस पंक्ति का अर्थ यह है कि हनुमानजी श्रीराम के दूत हैं और अतुलित बल के धाम हैं। यानी हनुमानजी परम शक्तिशाली हैं। इनकी माता का नाम अंजनी है, इसी वजह से इन्हें अंजनी पुत्र कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी को पवन देव का पुत्र माना गया है और इसी वजह से इन्हें पवनसुत भी कहते हैं।

Saturday, 12 April 2014

कनकधारा स्तोत्र करता धन की वर्षा

कनकधारा स्तोत्र करता है धन की वर्षा 





आदि शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्र मंत्र ऐसा सिद्घ मंत्र माना जाता है जिसके नियमित पाठ से देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव घर में बनी रहती है। इसी मंत्र से शंकराचार्य ने सोने की बरसात करवा दी थी इसलिए इस मंत्र को कनकधारा स्तोत्र कहा जाता है। आप भी धन वृद्घि के लिए नियमित इस स्तोत्र का पाठ करें।

अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।

मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।।

विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।।

बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।।

कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।।

प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।7।।

दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।।

इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।9।।

गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै ‍नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।10।।

श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।11।।

नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।12।।

सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।13।।

यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।14।।

सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।15।।

दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।16।।

कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।17।।

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।18।।

।। इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।


कुबेर महाराज भगवान के खजांची हैं। इन्हीं के पास भगवान के खजाने की चाबी है। कहते हैं लक्ष्मी धन का आशीर्वाद देती है लेकिन धन कुबेर बरसाते हैं।

 'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्यधिपतये। धनधान्यसमृद्घिं में देहि दापाय स्वाहा।। इस मंत्र का नियमित तीन या कम से कम एक माला जप करना चाहिए। जप के समय मुंह उत्तर दिशा की ओर रखें। घर में सिद्ध श्री यंत्र एवम कनक धारायंत्र व कुबेर मूर्ति रखे जो धन त्रियोदशी में मन्त्र हवन विधिवत्पूजित हो रखे
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Thursday, 3 April 2014

chanaakya niti-stri ho ya purush-apne jivan ki kshas bate kabhi bhi kisi ko na bataaya

chanaakya niti-stri ho ya purush-apne jivan ki kshas bate kabhi bhi kisi ko na bataaya 

स्त्री हो या पुरुष, अपने जीवनकी खास बातें कभी भी किसी को न बताएं


स्त्री हो या पुरुष, अपने ऐसे काम कभी भी किसी को न बताएं


चाणक्य कहते हैं कि

अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च।
नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
इस श्लोक में चाणक्य ने बताया है कि जीवन में हमें किन बातों को राज ही रखना चाहिए। आचार्य कहते हैं कि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे जीवन में कभी भी धन हानि का सामना नहीं करना पड़ा हो। बड़ी धन हानि के विषय में हमें ध्यान रखना चाहिए कि ये बात किसी को मालूम न हो, क्योंकि जब ये बात लोगों को मालूम हो जाएगी तो धन संबंधी कार्यों में हमारी मदद कोई नहीं करेगा। पैसों की मदद ऐसे ही लोगों को प्राप्त होती है जो लोग पहले से ही सक्षम हैं।
हमें हमारा दुख भी किसी पर जाहिर नहीं करना चाहिए। ऐसी बातें बताने से कोई लाभ नहीं मिलता, लेकिन हम समाज में हंसी के पात्र अवश्य बन सकते हैं। ऐसे काफी लोग हैं, जिन्हें दूसरों को दुखी देखकर सुख प्राप्त होता है।
हर घर में कभी ना कभी पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद होता है, ऐसे में वाद-विवाद की ये बातें घर से बाहर किसी को नहीं बताना चाहिए। पुरुष को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि अपनी पत्नी के स्वभाव से जुड़ी बातें को भी राज ही रखना चाहिए। पत्नी से संबंधित किसी भी प्रकार की बात अन्य लोगों को बताने पर भविष्य में भयंकर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
आचार्य कहते हैं कि यदि हमें जीवन में कभी अपमानित होना पड़ा हो तो ऐसी घटना को भी राज ही रखना चाहिए। अपमान से जुड़ी बातों को समाज में बताने पर हम हंसी-मजाक के पात्र बन सकते हैं।
विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई अन्य विद्यालय आज तक नहीं बना है और विपत्ति के समय में दुख भोगने से ही सुख के मूल्य का पता चलता है।
यह दुनिया उसी व्यक्ति को श्रेष्ठ मानती है जो कृतकार्य होकर उसे यह दिखला देता है कि इसी तरह से सफलता हासिल की जा सकती है।
क्रोध, मूर्खता से शुरू होकर पश्चाताप पर खत्म होता है। जो व्यक्ति अपने क्रोध को अपने ऊपर ही झेल लेता है, वह दूसरों के क्रोध से बच जाता है।
गरीब वह व्यक्ति है, जिसका खर्च उसकी आमदनी से अधिक है। उस इंसान से अधिक कोई और गरीब नहीं है, जिसके पास सिर्फ पैसा है। 
जिस तरह से बिना घिसे हीरे में चमक नहीं आती, उसी तरह से बिना गलतियां करे इंसान पूर्ण नहीं होता। मगर, गलतियों पर दृढ़ केवल मूर्ख ही रहते हैं।
बहुत विद्वान होने से कोई आत्मगौरव प्राप्त नहीं कर सकता। इसके लिए सच्चरित्र होना जरूरी है। चरित्र के सामने विद्या का मूल्य बहुत कम है।
चिंता एक ऐसी हथौड़ी है, जो मनुष्य के सूक्ष्म और सुकोमल सूत्रों व तंतुजाल को विघटित कर उसकी कार्य करने की शक्ति को नष्ट कर देती है। 
यह मानना कि वर्तमान समय बड़ा नाजुक है, जीवन का सबसे बड़ा भ्रम है। अपने हृदय में यह अंकित कर लें कि जीवन का हर पल जीवन का सर्वोत्तम समय है।
जीवन का पहला और स्पष्ट लक्ष्य है-विस्तार। जिस क्षण आप विस्तार करना बंद कर देंगे, उसी क्षण जान लें कि आपको मृत्यु ने घेर लिया है, विपत्तियां सामने हैं।
ईमानदारी वैभव का मुंह नहीं देखती। वह तो परिश्रम के पालने में किलकारियां मारती है और संतोष पिता की भांति उसे देखकर तृप्त होता है।

Tuesday, 1 April 2014

durga ji ke chamatkari mantra in hindi

durga ke chamatkari mantra



दुर्गा जी  के चमत्कारी मंत्र ---->यदि आप किसी समस्या से परेशान है तो आपनी समस्या के अनुसार देवी जी के मन्त्रो का नियम पूर्वक पूजन कर स्पष्ट उचारण कर मन्त्रो 108 बार जप करे जो भी मनोकामना हो बोले अपने पूजा घर में विधि पूर्वक पूजन करे |
प्रस्तुती -->मुक्ता ज्योतिष समाधान केंद्र  मो.  +917697961597  


















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