Wednesday, 30 December 2015

vyapar vrdhi ke srl upay

व्यापार में  वृद्धि  के सरल उपाय
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Image result for व्यापार बढाने के टोटके
         सोमवार के दिन  तीन गारनेट के नग खरीदकर लाइयेऔररात को उन्हे किसी साफ कांच के बर्तन में पानी में डुबोकर खुले स्थान में रख दीजिये,उननगों को लगातार नौ दिन तक यानी अगले मंगलवार तक उसी स्थान पर रखा रहनेदीजियेऔर मंगलवार की शाम को उन नगीनों को मय उस पानी के उठा लीजिये,बुधवारको उस पानी से नगीनों को अपने व्यवसाय वाले स्थान पर निकाल लीजिये और पानी कोव्यवसाय स्थान के सभी कोनों और अन्धेरी जगह पर कैस काउन्टर और टेबिल ड्रावर केअन्दर छिडक दीजियेतथा उन नगीनों को (तीनों कोअपनी टेबिल पर सजाकर सामनेरख लीजियेइस प्रकार से आपके व्यापारिक स्थान की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चलीजायेगीऔर सकारात्मक ऊर्जा आने लगेगी  नगीनों को सम्भाल कर रखे,जिससे कोईउन्हे ले  जा सके।

शनिवार को पीपल के पेड़ से एक पत्ता तोड़ लाएंउसे धूप-बत्ती दिखाकर अपनी दुकानकी गादी जिस पर आप बैठते हैंउसके नीचे रख दें। सात शनिवार तक लगातार ऐसा हीकरें। जब गादी के नीचे सात पत्ते इकट्ठे हो जाएं तो उन्हें एक साथ किसी तालाब या कुएंमें बहा दें। व्यवसाय चल निकलेगा।


 व्यापार स्थल पर किसी भी प्रकार की समस्या होतो वहां श्वेतार्क गणपति तथाएकाक्षी श्रीफल की स्थापना करें। फिर नियमित रूप से धूपदीप आदि से पूजा करें तथासप्ताह में एक बार मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद यथासंभव अधिक से अधिक लोगों कोबांटें। भोग नित्य प्रति भी लगा सकते हैं।

Thursday, 17 December 2015

vyaparik vyapar bhvishy december -2015

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व्यापार भविष्य दिसम्बर- 20 15 तेजी मंदी 

20 16 की वार्षिक तेजी मंदी के लिए संपर्क करे  mo. +917697961597

Tuesday, 15 December 2015

विष्णु पुराण: इन 4 तरह की स्त्रियों से नहीं करना चाहिए विवाह

विष्णु पुराण: इन 4 तरह की स्त्रियों से नहीं करना चाहिए विवाह
vishnu puran---en 4 trh ki striyo se nahi krna chahiye vivah


1. बुरा बोलने वाली
कहा जाता है कि वाणी में ही मां सरस्वती का निवास होता है। जो स्त्री मधुर वाणी बोलने वाली होती है, उससे मां सरस्वती सदैव प्रसन्न रहती हैं। बुरे या कटु वचन बोलने वाली स्त्री का स्वभाव भी उसकी भाषा की तरह बुरा ही होता है। ऐसी स्त्री की वजह से घर में अशांति का वातावरण बना रहता है। इसीलिए ऐसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए।

2. देर तक सोने वाली
देर तक सोने के कारण महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पाती है। देर तक सोना आलस की निशानी होती है। आलसी स्त्री घर को साफ नहीं रख सकती। घर में लक्ष्मी की कृपा बनाएं रखने के लिए साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी होता है। घर में गंदगी होने से गरीबी बढ़ती है। साथ ही देर तक सोना कई बिमारियों का भी कारण बन सकता हैं। इसलिए ऐसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए, जो देर तक सोती हो या आलसी हो।

3. माता या पिता पक्ष की ओर से कोई रिश्ता हो
किसी भी व्यक्ति को उस स्त्री से कभी शादी नहीं करना चाहिए, जिसका हमारे पिता या माता की ओर से कोई रिश्ता हो। शास्त्रों में आपसी रिश्तेदारी या एक ही गोत्र में विवाह करना मना किया गया है। इससे जेनेटिक बीमारियां होने की भी संभावनाएं रहती हैं। जिस स्त्री से माता पक्ष से पांचवीं पीढ़ी तक और पिता पक्ष से सातवीं पीढ़ी तक रिश्ता जुड़ा हुआ हो, उससे शादी नहीं करना चाहिए।

4. दुष्ट पुरुष से संबंध रखने वाली
स्त्री को दुष्ट पुरुष से मेल-जोल नहीं बढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से वह कभी भी किसी मुश्किल में फंस सकती है। दुष्ट पुरुष उस स्त्री का उपयोग अपने निजी हित के लिए कर सकता है। उसकी संगत में रहने से स्त्री का स्वभाव भी वैसा हो सकता है। ऐसा होने से उसके चरित्र में भी दोष आ जाता है। इसलिए ऐसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए, जो दुष्ट पुरुष से संबंध रखती हो।

Friday, 11 December 2015

chanakya niti--jivan me saphlta ke upay

chanakya niti--jivan me saphlta ke upay
चाणक्य नीति-- जीवन में सफलता उपाए

आचार्य चाणक्य को कूटनीति और राजनीति के ज्ञाता मनाते हैं लेकिन आचार्य चाणक्य ने इंसानों को जीवन में सफलता के कई उपाए बताए हैं।
आचार्य चाणक्य का जन्म करीब 300 ईसा पूर्व हुआ था। आचार्य चाणक्य का संबंध पाटलिपुत्र से था, जिसे उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया। आचार्य चाणक्य नीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र का जनक भी हैं। उनका कहना था कि...                                                                 1 ऋण इंसान को कभी भी खुश नहीं रहने देता है। ऋण मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। यदि जीवन में खुशहाल रहना है तो ऋण की एक फूटी कौड़ी भी पास नहीं रखनी चाहिए।             2 मनुष्य सबसे दुखी भूतकाल और भविष्यकाल की बातों को सोचकर होता है। केवल वर्तमान के विषय में सोचकर अपने जीवन को सफल बनाया जा सकता है।                              3 शिक्षा ही मनुष्य की सबसे अच्छी और सच्ची दोस्त होती है क्योंकि एक दिन सुंदरता और युवावस्था छोड़कर चली जाती है परन्तु शिक्षा एक मात्र ऐसी धरोहर है जो हमेशा उसके साथ रहती है।
4 व्यवसाय में लाभ से जुड़े अपने राज किसी भी व्यक्ति के साथ साझा करना आर्थिक दृष्टी से हानिकारक हो सकती है। अत: व्यवसाय की वास्तविक ज्ञान को अपने तक ही सिमित रखें तो उत्तम होगा।                                                                              5 किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले कुछ प्रश्नों का उत्तर अपने आप से जरुर कर लें कि, क्या तुम सचमुच यह कार्य करना चाहते हैं? आप यह काम क्यों करना चाहते हैं? यदि इन सब का जवाब सकारात्मक मिलता है तभी उस काम की शुरुआत करनी चाहिए।
6 इंसान कभी-कभी खुद के डर से ही भयभीत हो जाता है। यह दशा काफी खराब होती है। अत: किसी भी बात का भय है तो उसका सामना कर उसे जड़ से समाप्त कर देना चाहिए।            7 आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जरुरत से ज्यादा सीधा-साधा भी सफलता के लिए ठीक नहीं होता है। जैसे- सीधा खड़ा वृक्ष सबसे पहले कटता है। ठीक उसी तरह बहुत ज्यादा ईमानदारी भी घातक सिद्ध हो सकती है।

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चाणक्य नीति: हमेशा रखें इन 5 बातों का ध्यान
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चाणक्य नीति में कही गई बातें आज भी प्रभावी हैं। इन बातों को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। इन्‍हें जिंदगी के हर पहलू में आत्मसात करते हुए बेहतर तरीके से जिंदगी का आनंद उठाया जा सकता है। चाणक्य कहते हैं...
  • उस देश में निवास न करें जहां आपका कोई सम्मान नहीं हो, जहां आप रोजगार नहीं कमा सकते, जहां आपका कोई मित्र नहीं और जहां आप कोई ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते।
  • नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्त्तव्य का पालन न कर रहा हो, रिश्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत में घिरे हों, मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों में करें, और जब आपका वक्त अच्छा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करें।

Tuesday, 8 December 2015

कष्ट निवारक ----तुलसी जी ksht nivarak--tulasaiji



कष्ट निवारक ----तुलसी जी
ksht nivarak--tulasaiji

Image result for तुलसी की खेतीतुलसी जी को हिन्दू धर्म में अति पूजनीय माना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार तुलसी का नाम मात्र उच्चारण करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं। साथ ही मान्यता है कि जिस घर के आंगन में तुलसी होती हैं वहां कभी कोई कष्ट नहीं आता है।
तुलसी स्तोत्र पढ़ने का महत्व 
तुलसी जी की पूजा में कई मंत्रों के साथ तुलसी स्तोत्र का भी पाठ किया जाता है। पद्मपुराण के अनुसार द्वादशी की रात को जागरण करते हुए तुलसी स्तोत्र को पढ़ना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु जातक के सभी अपराध क्षमा कर देते हैं। तुलसी स्त्रोत को सुनने से भी समान पुण्य मिलता है। तुलसी स्त्रोत निम्न हैं-  
तुलसी स्तोत्रम्
जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे।
यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥1॥
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥2॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।
कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥3॥
नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् ।
यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥4॥
तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ।
या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥5॥
नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाजलिं कलौ ।
कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥6॥
तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले ।
यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥7॥
तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।
आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥8॥
तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।
अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥9॥
नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।
पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥10॥
इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।
विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥11॥
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।
धर्म्या धर्नानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥12॥
लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।
षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥13॥
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥14॥
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥15॥
इति श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥