Tuesday, 29 March 2016

hstrekha se jane svsth medikal vigyan me saphlta yog

 हस्तरेखा से जाने स्वस्थ मेडीकल विज्ञान रसायन  में सफलता के योग

hstrekha se jane svsth medikal vigyan me saphlta yog


 हस्तरेखा से जाने स्वस्थ मेडीकल विज्ञान रसायन  में सफलता के योग --- हस्तरेखा में -
* जिस व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा श्रेष्ठ हो, बुध पर्वत उच्च हो और उस पर छोटी-छोटी तीन खड़ी रेखाएं हों, उंगलियां लंबी हों, उंगलियों का प्रथम भाग भी भरा हुआ हो, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा भी श्रेष्ठ हो, चंद्र और शुक्र पर्वत समान हो|

* जिस व्यक्ति के हाथ का मध्य भाग भरा हुआ हो, उंगलियों का आगे वाला भाग मोटा हो तथा सूर्य रेखा भी श्रेष्ठ हो|

Image result for hast rekha*जिस स्त्री का हाथ गोल, पतला, चपटा हो और हाथ मजबूत हो, साथ ही बुध पर्वत पर खड़ी रेखाएं हों, चंद्र-शुक्र पर्वत भी श्रेष्ठ हो|

 *जिस व्यक्ति के हाथ में बुध पर्वत पर छोटी-छोटी खड़ी रेखाएं होती हैं, मंगल पर्वत श्रेष्ठ होता है और उस पर दो खड़ी रेखाएं हों |
*जिस व्यक्ति के हाथ के मंगल व बुध पर्वत उच्च हों, उंगलियां लंबी, आगे से गोल, पतली या चपटी हो। साथ ही, सभी उंगलियों का दूसरा भाग भरा हुआ दिखाई दे रहा हो और बुध पर्वत पर तीन-चार खड़ी रेखाएं हों, हथेली मजबूत हो, सूर्य रेखा तथा मस्तिष्क रेखा भी गहरी हो|

* जिस व्यक्ति के हाथ में चंद्र पर्वत उच्च और मोटा हो तथा सूर्य रेखा स्पष्ट, शुभ हो | वह स्वस्थ मेडीकल विज्ञान रसायन  
के विषयों में रूचि रखता है एवम् इस क्षेत्र  सफलता प्राप्त करता है |

Monday, 14 March 2016

कार्य सिद्धि हेतु होरा मुहूर्त karya siddhi hetu hora muhurat

कार्य सिद्धि हेतु होरा मुहूर्त 

karya siddhi hetu hora muhurat

किसी भी व्यक्ति को विशेष कार्य की शुरुआत करनी हो तो वो उसे विशेष मुहूर्त मे ही काम करना चाहता है.ज्योतिष शास्त्र मे होरा चक्र का निर्माण किया गया है जिसे आप स्वयं देख कर किसी भी कार्य की शुरुआत कर सकते है जिससे आप का कार्य सफल होज्योतिषशास्त्र में होरा चक्र का निर्माण किया गया,जिससे आप किसी भी दिन स्वयं होरा देखकर कोई भी काम कर सकते हैं |ज्योतिषशास्त्र के अनुसार एक होरा (दिन-रात)में २४ होराएँ होती हैं जिन्हें हम २४ घंटो के रूप में जानते हैं जिसके आधार पर हर एक घंटे की एक होरा होती हैं जो किसी ना किसी ग्रह की मानी जाती हैं|प्रत्येक वार की प्रथम होरा उस ग्रह की होती हैं जिसका वो वार होता हैं जैसे यदि रविवार हैं तो पहली होरा सूर्य की ही होगी
होराओ का क्रम- प्रत्येक ग्रह की पृथ्वी से जो दुरी हैं उस हिसाब से ही होरा चक्र बनाया गया हैं आईये देखते हैं की होरा कैसे देखी जातीं हैं|मान लेते हैं की हमें रविवार के दिन किसी भी ग्रह की होरा देखनी हो तो हम उसे इस प्रकार से देखेंगे|

पहली होरा -सूर्य ग्रह की होगी 

दूसरी होरा -शुक्र ग्रह की होगी 

तीसरी होरा -बुध ग्रह की होगी 

चौथी होरा-चंद्र ग्रह की होगी 

पांचवी होरा -शनि ग्रह की होगी 

छठी होरा -गुरु ग्रह की होगी 

सातवी होरा -मंगल ग्रह की होगी 

आठवी होरा फ़िर से सूर्य की ही होगी तथा यह क्रमश: ऐसे ही चलता रहेगा इस प्रकार जो भी वार हो उसी वार की होरा से आगे की होरा निकाली जा सकती हैं तथा अपने महत्वपूर्ण कार्य किए जा सकते हैं|
विभिन्न ग्रहों की होरा में कुछ निश्चित कार्य किए जाए तो सफलता निश्चित ही प्राप्त होती हैं |आप प्रतिदिन होरा मुहूर्त जानकर अपने कार्यो में सफलता प्राप्त कर सकते है |

सूर्य की होरा --सरकारी नौकरी ज्वाइन करना,चार्ज लेना और देना,अधिकारी से मिलना,टेंडर भरना व 

चंद्र की होरा --यह होरा सभी कार्यो हेतु शुभ मानी जाती हैं |

मंगल की होरा---पुलिस व न्यायालयों से सम्बंधित कार्य व नौकरी ज्वाइन करना, जुआ सट्टा लगाना,क़र्ज़ देना, सभा समितियो में भाग लेना,

बुध की होरा--नया व्यापार शुरू करना,लेखन व प्रकाशन कार्य करना,प्रार्थना पत्र देना,विद्या शुरू करना,कोष संग्रह करना,

गुरु की होरा --बड़े अधिकारियो से मिलना,शिक्षा विभाग में जाना व शिक्षक से मिलना,विवाह सम्बन्धी कार्य 

शुक्र की होरा --नए वस्त्र पहनना,आभूषण खरीदना व धारण करना,फिल्मो से सम्बंधित कार्य करना ,

शनि की होरा --मकान की नींव खोदना व खुदवाना,कारखाना शुरू करना,वाहन व भूमि खरीदना,|

Tuesday, 8 March 2016

जन्म कुंडली से देखे विशेष धन योग

जन्म कुंडली से देखे विशेष धन योग 

jnm kundli se dekhe vishesh dhan yog 



*मेष लग्न की कुंडली में लग्न में सूर्य, मंगल, गुरु व शुक्र यह चारों यदि नवम भाव में हों तथा शनि सप्तम भाव में हो तो धन प्राप्ति के योग बनते हैं। 
* मेष लग्न की कुंडली में लग्न में सूर्य व चतुर्थ भाव में चंद्र स्थित हो।
* वृष लग्न की कुंडली में बुध-गुरु एकसाथ बैठे हों तथा मंगल की उन पर दृष्टि हो।
* मिथुन लग्न की कुंडली में चंद्र-मंगल-शुक्र तीनों एकसाथ द्वितीय भाव में हों।
* मिथुन लग्न की कुंडली में शनि नवम भाव में तथा चंद्र व मंगल ग्यारहवें भाव में हों।

* कर्क लग्न की कुंडली में चंद्र-मंगल-गुरु दूसरे भाव में तथा शुक्र-सूर्य पंचम भाव में हों।
* कर्क लग्न की कुंडली में लग्न में चंद्र तथा सप्तम भाव में मंगल हों।
* कर्क लग्न की कुंडली में लग्न में चंद्र तथा चतुर्थ में शनि हो।

 सिंह लग्न की कुंडली में सूर्य, मंगल तथा बुध- ये तीनों कहीं भी एकसाथ बैठे हों। 
* सिंह लग्न की कुंडली में सूर्य, बुध तथा गुरु- ये तीनों कहीं भी एकसाथ बैठे हों।
* कन्या लग्न कुंडली में शुक्र व केतु दोनों धनभाव में हों।
* तुला लग्न कुंडली में चतुर्थ भाव में शनि हो।
* तुला लग्न कुंडली में गुरु अष्टम भाव में हो।
* वृश्चिक लग्न कुंडली में बुध व गुरु कहीं भी एकसाथ बैठे हों।
* वृश्चिक लग्न कुंडली में बुध व गुरु की परस्पर सप्तम दृष्टि हो।
* धनु लग्न वाली कुंडली में दशम भाव में शुक्र हो।
* मकर लग्न कुंडली में मंगल तथा सप्तम भाव में चंद्र हो।

* कुंभ लग्न कुंडली में गुरु किसी भी शुभ भाव में बलवान होकर बैठा हो।
* कुंभ लग्न कुंडली में दशम भाव में शनि हो।
* मीन लग्न कुंडली में लाभ भाव में मंगल हो।
* मीन लग्न कुंडली में छठे भाव में गुरु, आठवें में शुक्र, नवम में शनि तथा ग्यारहवें भाव में चंद्र-मंगल हों।