दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करे
durga saptshti ka path kaise kre
दुर्गा सप्तशती का विधिपूर्वक किया गया पाठ जीवन में अन्न, धन, वस्त्र, यश, शौर्य, शांति और मनवांछित फल प्रदान करता है। विशेषकर, नवरात्र में पहले दिन कलश स्थापना के बाद दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्यायों का पाठ करने का विधान है। रहस्याध्याय के अनुसार, जिस मनुष्य को एक दिन में पूरे पाठ करने का अवसर न मिले, तो वह एक दिन केवल मध्यम चरित्र का तथा दूसरे दिन शेष दो चरित्रों का पाठ कर सकता है।प्रतिदिन पाठ करने वाले मनुष्य एक दिन में पूरा पाठ न कर पाएं, तो वे एक, दो, एक, चार, दो, एक और दो अध्यायों के क्रम से सात दिनों में पाठ पूरा कर सकते हैं। संपूर्ण दुर्गासप्तशती का पाठ न करने वाले मनुष्य देवी कवच, अर्गलास्तोत्र, कीलकम का पाठ करके देवी सूक्तम पढ़ सकते हैं।
लेकिन नवरात्र में दुर्गा कवच प्रत्येक देवी भक्त को पढ़ना चाहिए। समय का अभाव हो, तो केवल सूक्तम से भी भगवती की आराधना करके उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। देवी सूक्तम से पहले अगर सातवां अध्याय पढ़ लिया जाए, तो अधिक लाभकारी रहता है।
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