श्री यंत्र ही देता है सर्व सिद्धि और अपर धन
shree yantr hi deta hai sarv siddhi aur apar dhan
श्री यंत्र साधना उपासना से लक्ष्मी की प्राप्ति, शत्रुओं का शमन और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस की देवी त्रिपुरसुंदरी है। श्री यंत्र रचना: इसमें कई वृत्त होते हैं। इसके केंद्र में बिंदु होता है। इसके चारों ओर नौ त्रिकोण होते हैं। इनमें 5 की नोंकें ऊपर व चार की नोंकें नीचे की ओर होती हंै। इसमें एक अष्ट दल व दूसरा षोडश दस वाला कमल होता है। आनंद लहरी में श्री शंकराचार्य इस संबंध में कहते हैं ‘‘चतुर्भीः श्रीकण्ठेः शिव युवतीभिः पंचभिरपि मूल प्रकृतिभिः त्रयश्च त्वारिशद्वसुदल कलाब्जत्रिबलय त्रिरेखाभिः सार्घः तव भवन कोणः परिणताः। यह अनेक तरह के होते हैं। इस यंत्र में पांच शक्ति त्रिकोण ऊध्र्वमुखी व चार शिव त्रिकोण अधोमुखी होते हैं। यह यंत्र सर्व सिद्धिदायक है और इसी से इसे यंत्र राज कहते हैं। यह भोजपत्र, त्रिलोह, ताम्रपत्र, रजत व स्वर्ण पत्र पर बनाया जा सकता है। यह स्फटिक का भी होता है। स्फटिक या स्वर्ण के शास्त्रोक्त मुहूर्त में बने ऊध्र्वमुखी यंत्र की पूजा कर कमलगट्टे की माला से जप करने से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। श्रीयंत्र केवल धन प्राप्ति का ही नहीं, अपितु यह अपने आप में इतनी शक्ति समेटे हुए है, की यह संसार के सारे सुख देने में पूर्ण समर्थ है !!
एक दक्षिण भारतीय पौराणिक गाथा के अनुसार लक्ष्मी जी, अपने पति भगवान नारायण से रुष्ट हो कर वैकुण्ठ से चली गई ! तो लक्ष्मीजी की अनुपस्थिति में भगवान नारायण बहुत परेशान हुए ! तब महर्षि वशिष्ठ और श्री विष्णु ने मिलकर लक्ष्मीजी को बहुत ढूंढा, फिर भी लक्ष्मी जी कहीं नहीं मिलीं ! तब देवगुरु बृहस्पति ने एक उपाय किया, लक्ष्मीजी को आकर्षित करने के लिए ""श्रीयंत्र"" नामक एक यंत्र की रचना की ! तथा वैदिक रीती से उसके स्थापन एवं पूजन का उपाय बताया ! इस यंत्र का ऐसा प्रभाव हुआ, की माताजी अपने-आप को रोक ना सकीं, और वापस भगवान नारायण को प्राप्त हुई !!तब भगवान् नारायण ने स्वयं अपने श्रीमुख से कहा - की जो कोई भी , व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक इस विधि से श्रीयंत्र के उपर, देवी लक्ष्मी की आराधना करेगा ! उसके घर में सर्वदा अष्ट-लक्ष्मी का निवास होगा ! तथा माता लक्ष्मी ने भी कहा " श्रीयंत्र ही मेरा आधार है, और इस यंत्र में मेरी आत्मा निवास करती है, इसी लिए इसी विवसता वश मुझे आना ही पड़ा ! अत: आज के उपरांत जो कोई भी व्यक्ति, किसी श्रेष्ठ वेदज्ञ-जानकार ब्राह्मण से, विधि पूर्वक इसकी कराकर, अपने घर में स्थापित करेगा, उसके उपर मेरी पूर्ण कृपा होगी !! विधि पूर्वकप्राण प्रतिष्ठा किए हुए श्री यंत्र को ले , एक ताम्बे के छोटे से प्लेट में, सिंदूर अथवा अष्टगंध के ऊपर स्थापित कर दीजिए ! सुबह उठकर नहा-धोकर सूर्यार्घ आदि से निवृत्त होकर पूजा घर में आइये ! फिर यंत्र को उस स्थान से उठाकर, शुद्ध जल से धोकर, एक कटोरी में रख लीजिए ! एक दूसरे कटोरी में शुद्ध जल और चम्मच ले लीजिए !श्री सूक्त से जल को चम्मच, श्रृंगी अथवा दक्षिणावर्ती शंख से यंत्र के ऊपर गिराते हुए अभिषेक करना है !
अभिषेक के उपरांत यंत्र को सूखे कपडे से साफ करके यथास्थान स्थापित कर दीजिए ! फिर घर में जैसे आप नियमित पूजा करते हैं, वैसे ही रोली चन्दन धुप, दीप तथा नैवेद्य आदि से पूजा करें
यदि आप गृह कलह से आप जूझ रहें हैं, लक्ष्मी आती है, लेकिन रुकती नहीं है ! घर में वास्तु दोष है, बच्चों का पढने में मन नहीं लगता ! आपकी नौकरी बार-बार छूट जाती है, अथवा आपको अपने धंधे से लाभ शुन्य होता है ! तो श्री यंत्र ही सभी कष्टो को दूर करता है
प्राण-प्रतिष्ठा पूजित श्री यंत्र उपलब्ध है |
No comments:
Post a Comment