Thursday, 30 November 2017

नजर टोने टोटके को दूर करे 2 मिनिट मे by muktajyotishs

before building a house मकान बनाने से पहले इस बात का विचार अवश्य करे by ...

See your own lucky tree and miracle बस लगाये अपना एक लकी वृक्ष और चम...

जन्म कुंडली के 12 भाव जन्म से मृत्यु तक के रहस्य को बताते है

जन्म कुंडली के 12 भाव जन्म से मृत्यु तक के रहस्य को बताते है

kundli ke 12 bhav kya batate hai 


Image result for हार्दिक पटेल की कुंडली जन्म समयमनुष्य के लिए संसार में सबसे पहली घटना उसका इस पृथ्वी पर जन्म है, इसीलिए प्रथम भाव जन्म भाव कहलाता है। जन्म लेने पर जो वस्तुएं मनुष्य को प्राप्त होती हैं उन सब वस्तुओं का विचार अथवा संबंध प्रथम भाव से होता है। जसे-रंग-रूप, कद, जाति, जन्म स्थान तथा जन्म समय की बातें। ईश्वर का विधान है कि मनुष्य जन्म पाकर मोक्ष तक पहुंचे अर्थात प्रथम भाव से द्वादश भाव तक पहुंचे। जीवन से मरण यात्रा तक जिन वस्तुओं आदि की आवश्यकता मनुष्य को पड़ती है वह द्वितीय भाव से एकादश भाव तक के स्थानों से दर्शाई गई है। मनुष्य को शरीर तो प्राप्त हो गया, किंतु शरीर को स्वस्थ रखने और ऊर्जा के लिए दूध, रोटी आदि खाद्य पदार्थो की आवश्यकता होती है अन्यथा शरीर नहीं चलने वाला। इसीलिए खाद्य पदार्थ, धन, कुटुंब आदि का संबंध द्वितीय स्थान से है। धन अथवा अन्य आवश्यकता की वस्तुएं बिना श्रम के प्राप्त नहीं हो सकतीं और बिना परिश्रम के धन टिक नहीं सकता। धन, वस्तुएं आदि रखने के लिए बल आदि की आवश्यकता होती है इसीलिए तृतीय स्थान का संबंध, बल, परिश्रम व बाहु से होता है। शरीर, परिश्रम, धन आदि तभी सार्थक होंगे जब काम करने की भावना होगी, रूचि होगी अन्यथा सब व्यर्थ है। अत: कामनाओं, भावनाओं का स्थान चतुर्थ रखा गया है। चतुर्थ स्थान मन का विकास स्थान है। मनुष्य के पास शरीर, धन, परिश्रम, शक्ति, इच्छा सभी हों, किंतु कार्य करने की तकनीकी जानकारी का अभाव हो अर्थात् विचार शक्ति का अभाव हो अथवा कर्म विधि का ज्ञान न हो तो जीवनचर्या आगे चलना मुश्किल है। पंचम भाव को विचार शक्ति के मन के अन्ततर जगह दिया जाना विकास क्रम के अनुसार ही है। यदि मनुष्य अड़चनों, विरोधी शक्तियों, मुश्किलों आदि से लड़ न पाए तो जीवन निखरता नहीं है। अत: षष्ठ भाव शत्रु, विरोध, कठिनाइयों आदि के लिए मान्य है। मनुष्य में यदि दूसरों से मिलकर चलने की शक्ति न हो और वीर्य शक्ति न हो तो वह जीवन में असफल समझा जाएगा। अत: मिलकर चलने की आदत व वीर्यशक्ति आवश्यक है और उसके लिए भागीदार, जीवनसाथी की आवश्यकता होती ही है। अत: वीर्य जीवनसाथी, भागीदार आदि का विचार सप्तम भाव से किया जाता है। यदि मनुष्य अपने साथ आयु लेकर न आए तो उसका रंग, रूप, स्वास्थ्य, गुण, व्यापार आदि कोशिशें सब बेकार अर्थात् व्यर्थ हो जाएंगी। अत: अष्टम भाव को आयु भाव माना गया है। आयु का विचार अष्टम से करना चाहिए। नवम स्थान को धर्म व भाग्य स्थान माना है। धर्म-कर्म अच्छे होने पर मनुष्य के भाग्य में उन्नति होती है और इसीलिए धर्म और भाग्य का स्थान नवम माना गया है। दसवें स्थान अथवा भाव को कर्म का स्थान दिया गया है। अत: जसा कर्म हमने अपने पूर्व में किया होगा उसी के अनुसार हमें फल मिलेगा। एकादश स्थान प्राप्ति स्थान है। हमने जसे धर्म-कर्म किए होंगे उसी के अनुसार हमें प्राप्ति होगी अर्थात् अर्थ लाभ होगा, क्योंकि बिना अर्थ सब व्यर्थ है आज इस अर्थ प्रधान युग में। द्वादश भाव को मोक्ष स्थान माना गया है। अत: संसार में आने और जन्म लेने के उद्देश्य को हमारी जन्मकुण्डली क्रम से इसी तथ्य को व्यक्त करती है। जन्मकुण्डली का फल कथन : जिस भाव में जो राशि होती है उसी राशि के स्वामी ग्रह को उस भाव का भावेश कहते हैं। तृतीय, षष्ठ, एकादश भावों के पापी ग्रहों का रहना शुभ माना जाता है। षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश भाव के स्वामी जिन भावों में रहते हैं उसका वह अनिष्ट करते हैं यदि वह स्वग्रही अथवा उच्च न हो तो। अपने स्वामी ग्रह से देखा जाने वाला भाव बलवान व शुभ होता है। अष्टम व द्वादश भाव में सभी ग्रह अनिष्ट फलप्रद होते हैं, किंतु शुक्र द्वादश स्थान में बहुत प्रसन्न रहता है, क्योंकि शुक्र एक भोगात्मक ग्रह है तथा द्वादश स्थान भोग स्थान है। छठे भाव अथवा स्थान में भी शुक्र सम्पन्न रहता है, क्योंकि छठे, स्थान से द्वादश स्थान पर शुक्र की सप्तम दृष्टि पड़ती है। अत: छठे स्थान में आया शुक्र धन के लिए शुभ होता है और भोग-विलास की वस्तुएं देता है। ग्रह अपने भाव केन्द्रीय, त्रिकोण, पंचम, चतुर्थ, दशम हो तो शुभ होता है। किंतु ग्रह का मित्र राशि में अथवा स्वग्रही अथवा उच्च होना अथवा वक्री होना अनिवार्य है। सूर्य व मंगल को दशम भाव में, बुध व बृहस्पति को लग्न में, शुक्र व चंद्रमा को चतुर्थ में और शनि को सप्तम भाव में दिग्बल की प्राप्ति होती है। ‘‘चन्द्र लग्नं शरीरं स्यात्, लग्नस्यात् प्राण संज्ञकम।ड्ढr ते उो शंपरीक्ष्यैव सर्व नाड़ी फलं स्मृतम।’’ अर्थात् चंद्र लग्न शरीर है और लग्न प्राण, इन दोनों का सम्मिलित विचार करके ही कुण्डली का फल करना चाहिए। ग्रह अपना शुभ अथवा अशुभ फल अपनी महादशा में देते हैं। महादशा व अंतर्दशा के ग्रह मित्र होकर एक दूसरे के भावों में जिसे ग्रहों का ‘राशि परिवर्तन योग’ कहते हैं, होंगे तो अत्यंत शुभ फलदायक होंगे। महादशा व अंतर्दशा के ग्रह एक दूसरे के शत्रु होंगे तो अशुभ फल की प्राप्ति होगी। किसी भी ग्रह का उच्च का होकर वक्री होना उसकी शुभता में न्यूनता लाता है। ग्रह का वक्री होकर उच्च होना अशुभता का सूचक है। महादशा से अंतर्दशा का स्वामी ज्यादा बलवान होता है। अत: अंतर्दशा का स्वामी शुभ हुआ और महादशा के ग्रह मित्र हुआ तो अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यदि महादशा का स्वामी ग्रह महादशा का शत्रु हुआ और दोनों ग्रह एक-दूसरे से तृतीय, षष्ठम अष्टम अथवा द्वादश हुए तो महाअशुभ फलों की प्राप्ति समझनी चाहिए।इस प्रकार कुंडली सम्पूर्ण जीवन फल को बताती है जो समय समय पर घटित होता है |

Wednesday, 29 November 2017

श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग -2018 अनेक महत्वपूर्ण जानकारी वार्षिक तेजी मंदी

श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग -2018 अनेक महत्वपूर्ण जानकारी वार्षिक तेजी मंदी



श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग -2018 यह पंचांग मान्यकेतकी शुद्ध द्दष्यगणित से निंर्मित है श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग -2018 मे ग्रह संचार ,चंद्र संचार मास फल मे --भविष्य  की होने वाली घटना  तेजी मंदी आकाशी लक्ष्ण आप का राशि फल मंगल मुहूर्त शकुन विचार  भद्रा का समय  मूल नक्षत्र रो का ज्ञान प्रमुख जयंती दिवस प्रमुख त्योहार ,मुस्लिम त्योहार  महापातयोग
आदि प्रत्येक मास मे दिये है 
जन्म दिन कैसे मानये  वर -वधू मिलापक सारणी  वर्षफल 2018 का   कोडी के प्रयोग हरिद्र गणपती के प्रयोग   नवग्रह शांति के मंत्र और यंत्र आदि मंगल दोष परिहार  देनिक  तेजी मंदी व्यापारिक भविष्य 2018  मन चाहीसंतान प्राप्त का ज्ञान चक्र शनि की सादे साती ढैया की शांति उपाय वार्षिक राशि फल  अनेक कार्य सिद्धि के योग दिवाली पूजन के शुभ मुहूर्त आदि 
अनेक महत्वपूर्ण जानकारी से युक्त श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग 
2018 एक वार अवश्य पढे 
नोट ---  थोक और फुटकर विक्रेता संपर्क करे 

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Tuesday, 28 November 2017

फ्रांस के 16वीं सदी के भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां 2018 के लिए

फ्रांस के 16वीं सदी के  भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां 2018 के लिए 

Predictionsnsrt of Nastredamus for 2018



नास्त्रेदमस ने 2018 के लिए की थीं ये भविष्यवाणियांफ्रांस के 16वींसदी के जाने माने भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां आज भी दुनिया भर के कई वैज्ञानिकों और लोगों के लिए पहेली बनी हुई हैंआने वाली 20 शताब्दियों के लिए 400 साल पहले जो भविष्यवाणियां की थीं, उनमें से अधिकतर सच साबित हुई हैं इसलिए पूरी दुनिया के लोगों ने नास्त्रेदमस की किताबों और क्रिस्टल बॉल्स को देखना शुरू कर दिया है. नास्त्रेदमस ने कविताओं के जरिए ये भविष्यवाणियां की थीं. उनकी भविष्यवाणियां इतनी उलझाऊ और अबूझ है कि उसे समझना काफी मुश्किल भरा काम होता है. आइए जानते हैं कि 2018 के लिए नास्त्रेदमस ने क्या भविष्यवाणियां की हैं.डायना की मौत, एडोल्फ हिटलर के उदय, परमाणु बम, द्वितीय विश्व युद्ध, 9/11 के बारे में नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां बिल्कुल सटीक साबित हुई हैं. 2016 में अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी नास्त्रेदमस की भविष्वाणी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. दुनिया के सबसे ताकतवर देश के 45वें राष्ट्रपति के बारे में नास्त्रेदमस ने जो कुछ भी सांकेतिक रूप में कहा था, वह डॉनल्ड ट्रंप के रूप में बिल्कुल सटीक साबित हुआ है.कुछ रिसर्चरों के मुताबिक, नास्त्रेदमस ने अपनी मौत के बारे में भी बिल्कुल सटीक भविष्यवाणी कर दी थी. उन्होंने भविष्यवाणी करते हुए कहा था, मैं बेंच और बिस्तर के नजदीक मृत पाया जाऊंगा. उन्होंने अपनी मौत से ठीक एक रात पहले यह भी बता दिया था कि वह अगली रात जिंदा नहीं होंगे. नास्त्रेदमस अगली सुबह अपने बेडरूम में अपनी टेबल पर मृत पाए गए थे. इस तरह उनकी अपनी ही मौत के बारे में की गई भविष्यवाणी सच साबित हुई थी.नास्त्रेदमस ने 2018 के लिए जो भविष्यवाणियां की हैं, उसमें कई भयावह घटनाओं की भी भविष्यवाणियां की हैं. नास्त्रेदमस के मुताबिक, 2018 में मृत आत्माएं अपनी कब्र से बाहर आ जाएंगी और दुनिया में काफी उथल-पुथल मचेगी. नास्त्रेदमस ने 2018 में कई प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी की है.नास्त्रेदमस की तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी: नास्त्रेदमस ने अपनी किताब 'द प्रोफेसीज' में तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी की है. नास्त्रेदमस ने वैश्विक व्यवस्था में एक बड़े फेरदबदल की भविष्यवाणी की है. नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी के मुताबिक, तीसरा विश्व युद्ध केवल दो और दो से ज्यादा देशों में नहीं बल्कि दो दिशाओं के बीच का होगा यानी पूरब और पश्चिम के बीच. पू्र्व और पश्चिम के देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति के बारे में हमें पता ही है.नास्त्रेदमस भविष्यवाणी के मुताबिक, आदमी आदमी को मार रहे होंगे और युद्ध के अंत में कुछ लोग ही शांति का आनंद उठाने के लिए बचेंगे. आसमान से उड़ती हुई आग की गेंदे गिरेंगी और लोग असहाय हो जाएंगे. उत्तर कोरियाके लगातार न्यूक्लियर मिसाइल्स परीक्षणों से लगातार यह डर बना ही हुआ है.2018 में कई विनाशकारी भूकंप आएंगे. चीन भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा और कई हजार मौतें होंगी. 2018 की सर्दी में पैसिफिक की बेल्ट में ज्वाला उठेगी और कई भूकंप और ज्वालामुखी अपना कहर बरसाएंगे. दुनिया के कई हिस्सों में बाढ़ भी आएगी जिससे आतंक मचेगा. चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया में टाइफून आएगा. रूस मौसम और बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा.सौर विकरण से जल उठेगी धरती: नास्त्रेदमस ने अपनी किताब 'द प्रोफेसीज' में लिखा है, राजा जंगलों को चुरा ले जाएगा, आसमान खुल जाएगा, ताप से सभी खेत जल जाएंगे. कई विद्वानों ने नास्त्रेदमस की इस भविष्यवाणी की व्याख्या ओजोन छिद्र के बड़ा होने और जंगल के विनाश से की है जिससे पृथ्वी सौर विकिरण से प्रभावित होगी.2018 में विसुवियस में आग उठेगी जिससे पूरा इटली हिल जाएगा. इटली के भू वैज्ञानिकों की मानें तो विसुवियस एक सक्रिय ज्वालामुखी से बढ़कर है. 2018 के अंत तक इसके फटने की संभावना है या फिर 2019 की शुरूआत में. अभी तक इतिहास में यह केवल दो बार फटा है

Monday, 27 November 2017

shani ko prsnn kre ye bate शनि को प्रसन्न करे ये खास बाते by muktajyotishs

ketu shanti ka saral upay केतू से पीड़ित है केवल 2 उपाय करे by muktajyotisha

अपने जन्म नक्षत्र के वृक्षों को लगाओ और जीवन मे सफलता पाओ

अपने जन्म नक्षत्र  के वृक्षों को लगाओ और जीवन मे सफलता पाओ 

apne janm nakstr ka vrksh lagao saphlta paaao 


Image result for नक्षत्र के वृक्षकिसी व्यक्ति के जन्म के समय, चंद्रमा धरती से जिस नक्षत्र की सीध में रहता है, वह उस व्यक्ति का जन्म-नक्षत्र कहलाता है। इस प्रकार अपने जन्म-नक्षत्र जानकर उस वृक्ष को पहचानिए जिसका सेवन आपके लिए वर्जित है। अत: जन्म-नक्षत्र से संबंधित वृक्ष का सेवन नहीं, सेवा करनी चाहिए।पने जन्म-नक्षत्र के पौधे घर में लगाकर उसे सींचे। ऐसा करना आपके हित में होगा। इससे आप निरोगी, स्वस्थ और संपन्न रहेंगे, साथ ही दीर्घायु भी। 
अपने जन्म नक्षत्र के वृक्षों को बढ़ाने और पालन करने से आयु आदि की वृद्धि होती है। क्रम नक्षत्र देवता वृक्षों के नाम 1. अश्विनी अश्विनी कुचिला 2. भरणी यम आंवला 3. कृत्तिका अग्नि गूलर 4. रोहिणी ब्रह्म जामुन 5. मृगशिरा सोम खैर 6. आद्र्रा रुद्र शीशम 7. पुनर्वसु अदिति बांस 8. पुष्य गुरु पीपल 9. आश्लेषा सर्प नागकेसर 10. मघा पितर बरगद 11. पू. फाल्गुनी भग ढाक 12. उ. फाल्गुनी अर्यमा पाकड़ 13. हस्त सविता रीठा 14. चित्रा त्वष्टा बेल 15. स्वाति वायु अर्जुन 16. विशाखा इन्द्राग्नि विकंकत 17. अनुराधा मित्र मौलश्री 18. ज्येष्ठा इन्द्र चीड़ 19. मूल निऋति साल 20. पूर्वाषाढ़ा अप (जल) जलवेतस 21. उत्तराषाढ़ा विश्वेदेव कटहल 22. श्रवण विष्णु मदार 23. धनिष्ठा वसु शमी 24. शतभिषा वरुण कदंब 25. पू. भाद्रपद अजैकपद आम 26. उ. भाद्रपद अहिर्बुध्न्य नीम 27. रेवती पूषा महुआ

Wednesday, 22 November 2017

2राशि पर ढैय्याऔर 3 राशि पर है साढ़ेसाती शनिवार को करें ये उपाय

2राशि  पर ढैय्याऔर 3 राशि पर है साढ़ेसाती  शनिवार को करें ये उपाय

shani ki dhaiya aur sadhe sati ka upay 

Image result for ढैय्यावृषभ राशि के उपाय

1. काले घोड़े की नाल या समुद्री नाव की कील से लोहे की अंगूठी बनवाएं। उस पर शनि मंत्र के 23000 जाप करें अपनी अंगूठी मध्यमा (शनि की अंगुली) में ही पहनें।
2. किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23000 जाप करें या करवाएं।
मंत्र- ऊँ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

कन्या राशि के उपाय

1. काले कुत्तों को लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो जाता है।
2.शनि कवच यंत्र धरण करे 
3. किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23000 जाप करें या करवाएं। ये है शनि का तंत्रोक्त मंत्र-
ऊँ प्रां प्रीं स: श्नैश्चराय नम:

वृश्चिक राशि के उपाय

1. इस शनिवार को शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें। इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं। नीला या काला पुष्प चढ़ाएं। ऐसा करने से लाभ होगा।
2. रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।
वैदिक मंत्र-
ऊँ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।

धनु राशि के उपाय

1.काला सुलमानी चांदीकी अंगूठी में अभिमंत्रित करवा कर धारण करें।
2.शनिवार को किसी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें और शनि दोष की शांति के लिए हनुमानजी से प्रार्थना करें। बूंदी के लड्डू का भोग भी लगाएं।
3. शनिवार को शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पहले स्नान आदि करने के बाद सरसों के तेल का दीपक लगाएं और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।

मकर राशि के उपाय

1. शमी वृक्ष की जड़ काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें। शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा शनि के कारण जितनी भी समस्याएं हैं, उनका निदान होगा।
2. इस शनिवार को इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें-
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
अर्थात:1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते है




Friday, 17 November 2017

today vyapar bhvishy taji mandi

today vyapar bhvishy taji mandi


आज 17 -11 -2017 को सोने मे मंदी का योग
muktajyotish samadhan kendr 
mo.+917697961597www.muktajyotish.com

Tuesday, 14 November 2017

व्यापार- वृद्धि व दुकान बंधन खोलने वाला अचूक मंत्र

 व्यापार- वृद्धि व दुकान बंधन खोलने वाला अचूक  मंत्र 

Trade-up
  विधि: पहले किसी शुभ मुहूर्त में घृत, गुग्गुल की धूप देते हुए 108 जप कर लें। दुकान खोलकर साफ-सफाई करने के बाद काली साबुत उड़द के दानों पर 108 बार मंत्र पढ़कर दुकान में बिखेर दें तथा कुछ दाने बैठने वाली गद्दी के नीचे अवश्य ही डालें। प्रयोग रविवार के दिन से प्रारंभ कर आवश्यकतानुसार 3, 5 या 7 रविवार तक लगातार करें। प्रारंभ व समापन रविवार को ही करने से लाभ होगा। इससे व्यापार में वृद्धि तथा दुकान बंधी हो तो खुल जाना स्वाभाविक है। 
मंत्र: भंवर वीर तू चेला मेरा, खोल दुकान कहा  कर मेरा। उठै जो डण्डी बिकै जो माल, भंवरवीर सोखे नहिं जाय।

कर्ज से मुक्ति के लिए इस प्रकार करें हनुमान जी को प्रसन्न


कर्ज से मुक्ति के लिए इस प्रकार करें हनुमान जी को प्रसन्न

karj se mukti hetu hanumaan ji ko prssn kre 

Image result for hanumanसांसारिक जीवन में श्री राम भक्त हनुमान को भक्ति का दूसरा नाम माना जाता है, कहा जाता है की यदि आपके जीवन मे आने वाली मुश्किलों पर विजय प्राप्त करना है तो उसके लिए मंगलवार का दिन सर्वेश्रेष्ठ है।  ऐसे उपाय  हैं जिनसे मंगलवार के दिन करने से जीवन में आने वाली हर मुश्किल से पार पाया जा सकता है।

अगर लंबे समय से आपके ऊपर कर्ज है और आप उस कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऋण मोचन मंगल स्त्रोत का पाठ करें।

शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए शुद्ध घी के रोट का भोग हनुमान जी को भोग लगाना चाहिए। मंगलवार को यह उपाय करें तो और भी अच्छा है।

यदि आप काफी समय से मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं तो मंगल कवच का पाठ करें।

अगर आप लंबे समय से किसी रोग से पीड़ित हैं तो प्रत्येक मंगलवार “ॐ अं अंगारकाय नमः” की 5 माला जाप करें। जल्द ही रोग मुक्त हो जाएंगे।

Friday, 10 November 2017

सफलता चूमेगी आपके कदम इन वारो मे करे ये कार्य

सफलता चूमेगी आपके कदम इन वारो  मे करे ये कार्य


यदि  आपके सोचे हुए काम पूरे नही होते या उनका कोई परिणाम नही मिलता तो आप उन कार्यों को पुराणों, मुहूर्त ग्रंथों और फलति ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार बताए गए वार को करें। आप जरूर सफल होंगे।

रविवार को  यह सूर्य देव का वार माना गया है। इस दिन नवीन गृह प्रवेश और सरकारी कार्य करना चाहिए। विज्ञान, इंजीनियरिंग, सेना, उद्योग बिजली, मैडिकल एवं प्रशासनिक शिक्षा उत्तम, नवीन वस्त्र धारण, सोने और तांबे की वस्तुओं के नवीन आभूषण धारण करने शुभ होते हैं। किसी रोग का इलाज करने क लिए भी यह दिन शुभ माना जाता है। 

सोमवार कोसरकारी नौकरी वालों के लिए पद ग्रहण करने के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। ग्रह शुभारंभ ,लेखनादि कार्य, मेडिकल शिक्षा, सौंदर्य प्रसाधन, औषधि निर्माण व योजना संबंधित, आभूषण धारण, तेल लगाना, हजामत बनाना, नया जूता पहनना शुभ है। गहने खरीदने और बेचने के लिए भी सोमवार का दिन अच्छा माना जाता है।  

मंगलवार को  मंगल देव के इस दिन विवाद एवं मुकद्दमे से संबंधित कार्य करने चाहिए। बिजली से संबंधित कार्य, सर्जरी की शिक्षा, शस्त्र विद्या सीखना, अग्नि स्पोर्टस, भूगर्भ विज्ञान, दंत चिकित्सा, मुकदमा दायर करना शुभ है। लेकिन इस दिन भूल कर भी किसी से उधार न लें।

बुधवार को  इस दिन यात्रा करना, करना, दलाली, योजना बनाना आदि काम करने चाहिए। गणित, लेखनादि, बौद्धिक कार्य, बैंक, वकालत, तकनीकी हुनर, ज्योतिष, विज्ञान, वाहनादि चलाना सीखना, नवीन वस्त्र धारण, नवीन आभूषण धारण, तेल लगाना विशेष शुभ, हजामत, नया जूता पहनना, मुकदमा दायर करने लिए बुधवार को उचित दिन माना गया है।
 

गुरुवार को बृहस्पति देव के इस दिन यात्रा, धार्मिक कार्य, विद्याध्ययन और बैंक से संबंधित कार्र्य करना चाहिए। दर्शन-शास्त्र, धर्म मंत्र, ज्योतिष, वकालत, उच्च पद प्रशासनिक, शिक्षा, वैद्यकी कार्य, नवीन वस्त्र धारण, नवीन आभूषण धारण शुभ है।


शुक्रवार को गृह प्रवेश,  शुक्र देव भौतिक सुखों के स्वामी है। इसलिए इस दिन सुख भोगने के साधनों का उपयोग करें। नृत्य, वाद्य, गायन, कल, संगीत, एक्टिंग, गीत-काव्य, स्त्रियों एवं सौंदर्य संबंधित, नवीन वस्त्र धारण अतिशुभ, नवीन आभूषण, आदि

शनिवार को मकान बनाना, गृह प्रवेश, ऑपरेशन, तकनीकी शिल्प कला, मशीनरी संबंधित ज्ञान, ज्ञान सीखना, तेल लगाना विशेष शुभ, मुकदमा दायर करना शुभ है। 

ज्योतिष के अनुसार चांदी में तेजी या मंदी के योग

 ज्योतिष के अनुसार चांदी में तेजी या मंदी के योग

According to astrology teji mandi in silver


ज्योतिष में ग्रह की पूरे मार्केट को प्रभावित करती है यह पर चाँदी के बारे मे जानकारी दी जा रही है चांदी में अचानक बहुत तेजी आ जाती है या यहमंदीहो जाती है। ऐसा क्यों होता है? इसके लिए ज्योतिष में कुछ ग्रहों को कारक माना जाता है। चांदी में तेजी या मंदी निम्र ग्रह योगों के होने पर भी तेजी और मंदी की सम्भावना रहती है |
मंदी का योग
* मंगल अश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण पर आए तो यह चांदी में मंदी का संकेत है।

* सोमवारी अमावस्या चांदी को मंदी करती है।

* शनि के मार्गी या वक्री होने पर चांदी में मंदी आ सकती है।

* शुक्र का वक्री होकर अस्त होना चांदी में मंदी करा सकता है।

* बुध, शुक्र या बुध-चंद्र की युती चांदी में मंदी ला सकती है।

* शुक्लपक्ष 16 दिनों का हो तो चांदी में मंदी आती है।

* बुधवार के दिन चंद्र दर्शन चांदी में मंदी करता है।
तेजी के योग
* बुध या गुरु के वक्री होने पर चांदी के भाव तेज होना संभव है।

* शुक्रवार, शनिवार का चंद्र दर्शन चांदी में तेजी करवा सकता है।

* शुभ ग्रह रहित पुष्प या धनिष्ठा नक्षत्र चांदी में तेजी का कारण बनते हैं।

* बुध-गुरु-शुक्र में से कोई भी ग्रह अस्त होने पर चांदी में तेजी होना संभव है।

* किसी महीने में पांच बुधवार होने पर चांदी में उतार-चढ़ाव आकर तेजी होना संभव है।

* शुक्लपक्ष की पंचमी मंगलवारी हो तो चांदी में तेजी हो सकती है।

* सूर्य की संक्रांति के समय सूर्य चंद्र एक राशि पर आने से चांदी में तेजी आना संभव है।

* बुध, गुरु का उदय तथा पश्चिम का शुक्रास्त चांदी में तेजी लाता है।

Wednesday, 8 November 2017

दर्पण या कांच के टूटने क्या बताता है

दर्पण या  कांच के टूटने क्या बताता है
mirror ke tutna shubh ya ashubh


दर्पण घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दर्पण सदैव उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर लगाना चाहिए। घर या प्रतिष्ठान में नुकीले या तेजधार वाले दर्पण कभी नहीं लगाने चाहिए। शयन कक्ष में यदि दर्पण लगाना है तो उत्तर या पूर्व की दीवार पर ही लगाना चाहिए।

Image result for दर्पण टूटनाशयनकक्ष में बेड के ठीक सामने आईना लगाना अशुभ माना जाता है। बेड के ठीक सामने दर्पण होने से पति-पत्नी के बीच टकराव पैदा हो जाता है। दर्पण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए इसे ढंककर रखना चाहिए। रात में तो दर्पण आखों को नजर नहीं आना चाहिए।

दर्पण का टूटना अशुभ माना जाता है । माना जाता है कि दर्पण के टूटने पर जैसे कोई मुसीबत इस पर टल गई हो। टूटे हुए शीशे को तुरंत फेंक देना चाहिए। कांच का टूटना घर मे नकारात्मकता को लाता है। इसके टूटते ही घर की शांति भंग हो जाती है। 

घर में जब अचानक से कांच टूट जाये तो इसका संकेत होता हैकि घर में किसी तरह की कोई विपदा आने वाली होती है। वह दर्पण या  कांच के टूटने के कारण हमारी  कोई मुसीबत  टल गई हो। 

Tuesday, 7 November 2017

अगहन माह के गुरुवार में मां लक्ष्मी पूजा

अगहन माह के  गुरुवार में मां लक्ष्मी के साथ करें दक्षिणावर्ती शंख की  पूजा बरसेगा अपार धन



मार्गशीर्ष अगहन माह माह प्रारंभ हो गया है।  घरों में बुधवार से ही गुरुवारी पूजा की तैयारी शुरू हो गई है। अगहन माह में देवी भगवती की उपासना शुभ फलदायी होती है।
एव दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी स्वरूप कहा जाता है। इसके बिना लक्ष्मीजी की आराधना पूरी नहीं मानी जाती है। अगहन मास में खास तौर पर गुरुवार के दिन लक्ष्मी पूजन करते समय दक्षिणावर्ती शंख की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसके अलावा भी प्रतिदिन घर में शंख पूजन करने से जीवन में कभी भी रुपए-पैसे, धन की कमी महसूस नहीं होती। 
Image result for लक्ष्मीगुरुवार के दिन हर घर में मां लक्ष्मी का पूजन होगा। हर घर में मां लक्ष्मी की स्थापना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी। हर घर के द्वार पर दीपों से रोशनी की जाएगी। 
 हर घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजा स्थल तक चावल के आटे के घोल से आकर्षक अल्पनाएं बनाई जाएंगी।

इन अल्पनाओं में मां लक्ष्मी के पांव विशेष रूप से बनाए जाएंगे। शाम होते ही मां लक्ष्मी के सिंहासन को आम, आंवला और धान की बालियों से सजाया जाएगा और कलश की स्थापना कर मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। इसके बाद गुरुवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही मां लक्ष्मी की भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद उन्हें विशेष प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाएगा। 
  अगहन महीने के गुरुवारी पूजा में मां लक्ष्मी को प्रत्येक गुरुवार को अलग-अलग पकवानों का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। गुरुवार को पूजा-अर्चना के बाद शाम होते ही प्रसाद खाने-खिलाने का दौर शुरू हो जाता है। इस अवसर पर आस-पड़ोस की महिलाओं, बहू-बेटियों को प्रसाद खाने के लिए विशेष रूप से निमंत्रण दिया जाता है।  अगहन महीने के गुरुवार की पूजन करने से जीवन में कभी भी रुपए-पैसे, धन की कमी महसूस नहीं होती।