कपड़े कैसे पहने कब पहने फटे- पुराने कपड़े का क्या करे kapade kaise pahne kb pahne purane kapade ka kya kre
शास्त्र के अनुसार --
* एक वस्त्र धारण करके न तो भोजन करें, न यज्ञ करें, न दान करें, न अग्नि में आहूति दें, न स्वाध्याय करें, न पितृ तर्पण करें। (यज्ञं दानं जपो होमं... व्याघ्रपादस्मृति 381)
* जिसकी किनारी या मगजी न लगी हो, ऐसे वस्त्र धारण करने योग्य नहीं। (वर्ज्य च विदशं वस्त्रम्...)
* पहले के पहने हुए वस्त्र को बिना धोए पुन: नहीं पहनना चाहिए। (नाप्रक्षाोलतं पूर्वधृतं वसनं विभृयात...विष्णुस्मृति 64)
* वस्त्र के ऊपर जल छिड़क कर ही उसे पहनना चाहिए। (प्रोक्ष्य वास उपयोजयेत् आपस्तम्बधर्मसू्त्र 1/5/15/15)
* धन के रहते हुए पुराने और मैले वस्त्र नहीं पहनने चाहिएं। (सति विभवे न जीर्णमलवद्वासां: स्यात्...गौतम स्मृति 9)
* मनुष्य को भीगे हुए वस्त्र नहीं पहनने चाहिएं। (न चैवाद्राणि वासांसि...महाभारत, अनु.104/52)
* अधिक लाल, रंग बिरंगे, नीले और काले रंग के वस्त्र धारण करना उत्तम नहीं। (न चापि रक्तवासा:...मार्कंडेय पुराण 34/54)
* कपड़ों और गहनों को उल्टा कभी न पहनें। (न च कुर्याद विपर्यासं...मार्कण्डेय पुराण 34/54)
* दूसरों के पहने हुए कपड़े नहीं पहनने चाहिएं। (तथा नान्यधृतं धार्यम्...महाभारत, अनु.104/86)
* सोने के लिए दूसरा वस्त्र होना चाहिए। सड़कों पर घूमने के लिए दूसरा और देवताओं की पूजा करने के लिए दूसरा वस्त्र रखना चाहिए। (अन्यदेव भवेद् वास: शयनीये नरोत्तम...महाभारत, अनु. 104/86-87)
फटे -पुराने कपड़ों पर प्रभाव--क्या करे
लोग घरों की अलमारी या दीवान में फटे-पुराने कपड़ों की एक पोटली रखते हैं। हालांकि कुछ लोग जो कपड़े अनुपयोगी हो गए हैं उनको कबर्ड या अलमारी के निचले हिस्से में रख छोड़ते हैं। फटे-पुराने कपड़ों या चादरों से भी घर में नकारात्मक मानसिकता और ऊर्जा का निर्माण होता है।
इस तरह के वस्त्रों को किसी को दान कर देना चाहिए धोके दान करना करे या इसका किसी और काम में उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा कभी फटी बनियान, जांघिये या फटे कपड़े न पहने। टावेल भी आपका कहीं से फटा या पुराना नहीं होना चाहिए।
कपड़े ना सिर्फ शरीर ढकने के काम आते है बल्कि हमारे व्यक्तित्व,व्यवसाय,स्तर के साथ साथ हमारे चरित्र,व्यवहार,आत्मविश्वास को भी दर्शाने के काम आते हैं किसी भी व्यक्ति को उसके कपड़े पहनने के तरीके से,कपड़ो के रंग से,कपड़ो की गुणवत्ता से अर्थात पहनावे से सरलता से पहचाना जा सकता हैं की उसका सामाजिक स्तर उसकी सोच व व्यवसाय किस प्रकार का है। साधारणतया अधोवस्त्र/उपवस्त्र अर्थात अंदर पहने जाने वाले वस्त्रों का उपयोग जो हमारे शरीर को अपने प्रकार से सुरक्षित रखता है, वहीं उनका फटा होना हमारे तन-मन के लिए हानिकारक भी सिद्ध हो सकता है। सबसे पहले तो ये बात ध्यान रखने योग्य है कि फटे-पुराने कपड़े पहनना हमारी संस्कृति के अनुसार नहीं है लेकिन इससे भी अधिक ऐसे कपड़े शुक्र ग्रह को भी प्रभावित करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फटे उपवस्त्र हमारी शारीरिक क्षमता एवं ऊर्जा को नष्ट कर देते हैं तथा तन-मन को शिथिल बनाकर अनेक बीमारियों को जन्म देने वाले होते हैं।
अर्थात फटे हुए उपवस्त्र के प्रयोग से मन हमेशा चंचल बना रहता है। ये रोग, शोक एवं अनेक प्रकार के अनिष्टों को जन्म देने का कारण बनते हैं।
इसलिए कपड़े वही पहनें तो साफ हों एवं कहीं से फटे ना हों। तभी आपको उनके माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होगी।
ज्योतिष अध्ययनों के अनुसार कोई भी वस्त्र जो बुनकर बनाया जाता है, उसके धागों पर बुध ग्रह अपना अधिपत्य रखता है। वह धागे जब एकत्रित करके बुने जाते हैं एवं आखिरकार जब उनसे एक वस्त्र तैयार किया जाता है तब वो वस्त्र शुक्र की श्रेणी में आ जाता है।
इसके बाद उस वस्त्र को पहनने लायक बनाने के लिए जब हम सिलाई के लिए उसे उपयोग में लाने हेतु काटते हैं, तो उस पर मंगल ग्रह का प्रतीक लिए कैंची का उपयोग किया जाता है। उसे नाप देकर चन्द्र रूपी धागे से सिला जाता है। अंत में यह वस्त्र जब पहनने योग्य हो जाता है तो वो शनि का रूप धारण कर लेता है।
परंतु जो वस्त्र नए तथा बिना धुले हुए अर्थात कोरे हों उन्हें पहनकर हम शनि, मंगल, बुध, शुक्र और शनि से संबंधित समस्याओं को अपने ऊपर ले लेते हैं क्योंकि कपड़ों को सिलते समय सुई का इस्तेमाल होता है जो शनि के समान हैं इसी कारण कपड़े जब तक धुलते नहीं हैं वो कीलक की श्रेणी में आ जाते हैं। इसी कारण नए बिना धुले कपड़ों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।यदि हम नए एवं साफ वस्त्र पहनते हैं तो वे वस्त्र हमारे लिए शुभ सिद्ध होते हैं। लेकिन गंदे एवं फटे हुए कपड़े अशुभ हैं,
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधवार, वीरवार एवं शुक्रवार को ही नवीन वस्त्र पहनने चाहिएं। शनिवार को पहनने से वस्त्र शीघ्र फटता है। रविवार को पहनने से वस्त्र के जलने का डर रहता है तथा सोमवार को नवीन वस्त्र पहनने से पहनने वाले की आयु क्षीण होती है।