Thursday, 25 April 2019

वस्तु टिप्स -- उत्तर दिशा सुधार ली तो दूर होगी धन परेशानी

वस्तु टिप्स -- उत्तर दिशा  सुधार ली  तो दूर होगी धन परेशानी 

vastu tips for north direction

वास्तु के अनुसार ध्यान रखें ये बातें -
Image result for वस्तु1. घर की उत्तर दिशा की दिवारों का रंग हरा होना चाहिए।
2. पानी का स्थान उत्तर दिशा में होना चाहिए।
3. पानीमे   शंख, चांदी का सिक्का या चांदी का कछुआ रखें।
4. सजावटी सामानों में एक्वेरियम को घर की उत्तर दिशा में रखना चाहिए।
 5. कुबेर की दिशा होने के कारण उत्तर में तिजोरी रखनी चाहिए।
6. उत्तर दिशा में रंग का पिरामिड रखने से संपत्ति लाभ होता है।
7. उत्तर दिशा में कांच का बड़ा बाउल रखें और उसमें चांदी के सिक्के डाल दें।
8. पूर्व-उत्तर कोने में गणेश और लक्ष्मीजी की मूर्ति रखकर पूजा करें।
9. घर के पूर्व-उत्तर कोने में गंदगी न रखें।
10. उत्तर दिशा में आंवले का पेड़ या तुलसी का पौधा लगाएं।

Monday, 22 April 2019

घर में इन कारणो से होती है धन की बर्बादी

  •  घर में इन कारणो से होती है धन की  बर्बादी

  •  वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कई बार कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिसकी हम अनदेखी कर देते हैं जो बनती है बर्बादी का कारण --
  • 1 घर मे क लह अशांति हमेशा बनी रहना |
  • Image result for धन2 वास्तु शास्त्र में घर पर मकड़ी के जाले को अशुभ माना जाता है इसलिए मकड़ी का जाला घर में न लगने दें।
  • 3टूटे हुए आईने से हमेशा नकारात्मक ऊर्जा निकलती रहती है इसलिए घर में जब भी कोई दर्पण या शीशा टूट जाए तो उसे घर से बाहर कर दें। 
  • 4 घर में चमगादड़ का प्रवेश अशुभ माना गया है। वास्तु विज्ञान के अनुसार घर में चमगादड़ का आना सूनेपन की निशानी है। घर में कुछ बुरी घटनाएं होने के संकेत होते हैं।
  • 5 घर की दीवारों में दरारों का होना अशुभ होता है इसलिए जहां दरार हो उसकी मरम्मत करवाएं, दरार का होना धन के लिए अशुभ माना गया है । 
  • 6 नल से पानी टपकते रहने को अशुभ माना गया है। नल से लगातार पानी टपकने से धन की हानि होती है। इसलिए जब भी नल से पानी टपकता हो तो उसे ठीक करा लें।
  • 7 घर की छत पर कबाड़ और बेकार की चीजों को एकत्र न होने दें। 
  • 8 पूजा घर या घर पर कभी भी में बासी फूल को इकट्ठा करके नहीं रखें। 
  •  9 घर में खराब पड़े बिजली के उपकरणों को नहीं रहने देना चाहिए।
  •  10 घर में कबूतर का घोंसला बनाना वास्तु विज्ञान के अनुसार अशुभ चिन्ह है। माना जाता है इससे घर पर बड़ी मुसीबत आती है।

Saturday, 13 April 2019

कन्या भोज करने से प ह ले ध्यान रखे ये बाते

  1. कन्या भोज करने से प ह ले ध्यान रखे ये बाते 

  2. Related image कन्या पूजन में कन्‍याओं को घर बुलाकर उन्हे भोजन कराया जाता है और पूजा की जाती है। कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है। इनका आर्शीवाद लिया जाता है। हम आपको कन्या पूजन विधि के बारे में बताते हैं ताकि आपको देवी रूपी कन्याओं का आर्शीवाद मिल सके।
  3. कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित करना चाहिए।
    • गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ स्वागत करें और मातृ शक्ति का आवाह्न करें।
    • कन्याओं को स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए।
    • उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाना चाहिए। इसके बाद मां भगवती का ध्यान करके कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं।
    • भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें।
  4. कन्या पूजन में कितनी हो कन्याओं की उम्र?

    कन्याओं की उम्र 2 तथा 10 साल तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए। जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है।
    • जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती, उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है। 
  5. उम्र के आधार पर माना गया है माता के स्वरूप

    दो वर्ष की कन्या को कुमारी माना जाता है।
    • तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति का स्वरूप मानी जाती है। त्रिमूर्ति यानी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का स्वरूप।
    • चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है।
    • पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा जाता है।
    • छह वर्ष की कन्या को माता कालिका का रूप माना जाता है।
    • सात वर्ष की कन्या को चंडिका माता माना जाता है।
    • आठ वर्ष की कन्या को शाम्‍भवी कहा जाता है।
    • नौ वर्ष की कन्या को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है।
    • दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है।

Monday, 1 April 2019

दिग्विजय सिंह की कुंडली के ग्रहयोग क्या कहा रहे है –एक विशलेषण

दिग्विजय सिंह की कुंडली के ग्रहयोग
क्या कहा रहे है –एक विशलेषण

Digvijay Singh kundli 

राघोगढ़ राजपरिवार में राजा बलभद्र सिंह के घर प्रथम पुत्र के रूप में दिग्विजय सिंह का जन्म:
नाम-दिग्विजय सिंह चौहान
जन्म तारीख-28.02.1948समय-12.00 बजे
वार-शुक्रवार
स्थान-राघोगढ़
लग्न-वृषभ
राशी-वृषभ
नक्षत्र-रोहिणी


शिक्षा:-
*स्कूल -"डेली कॉलेज, इंदौर"  सन् 1969 में मात्र 22 वर्ष की उम्र में राघौगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष बने, वो भी निर्दलीय। 
*1977 में 30 वर्ष की उम्र में राघौगढ़ विधानसभा से कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव जीता
* 33 वर्ष की उम्र में 1980 से 1984 तक अर्जुन सिंह जी की सरकार में कृषि व सिंचाई मंत्री रहे।
सांसद-1984 व 1991 में उन्होंने 8वीं व 10वीं लोकसभा.
*1985 व में अपनी उम्र के 38वें साल में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष चुने गए।
*दोबारा 1992 में पुनः मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
मुख्यमंत्री:-(दस वर्ष)
प्रथम बार- दिसम्बर 1993
दूसरी बार-दिसम्बर 1998
राज्यसभा में 2004 से अब तक वर्तमान में इस पार्टी में महासचिव के पद पर है। लोकसभा चुनाव 2019 मे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बनाये गये हैं
गुरु की सातवी दृष्टि चंद्र के साथ होने से सुप्रशिद्ध "गज केशरी योग" राजयोग बन गया है।
यह जातक को धन,यश,कीर्ति, मान, सम्मान, ओर शौर्य प्रदान करता है।
दशम भाव मेंमंगल  सूर्य हमेशा ही सर्वोच्च फल देता है। जातक को सूर्य के समान तेज और प्रभावशाली व्यक्तित्व प्राप्त होता है।अपने यौवन काल मे सर्वोच्च ऊंचाइयां प्राप्त कर लेता है।
लग्नेश शुक्र-भाग्य भाव में स्थित जातक को उच्च कुल में जन्म देकर देश/विदेश में भरपूर नाम रोशन कराता है।
पराक्रम भाव मे शनि जातक को बहुत बलवान ओर शक्तिशाली बनाता है।भाइयो के लिये यहां शनि अच्छा नही है।
आय भाव मे मंगल जातक को आपने कुल की कीर्ति ओर वैभव प्रदान करता है।
लग्न में चंद्र-राहु की युति जातक को कई बार आप के वाणी और भाषा के कारण विवाद का कारण बनाता हैं।
सप्तम भाव में गुरु के साथ केतु दो विवाह का कारण बनता है।
दिग्विजय सिंह की कुंडली लग्न मे राहू चंद्र ने संपूर  जीवन राजनीति से जोड़ा राहू व गुरु की महादशा मे उचा मन पद की प्राप्ति हुई वर्तमान मे बुध मे शुक्र का अंतर चल रहा है जो अधिक परिश्रम दे सफलता के योग बनाता है गोचर का शनि भी असमान्य स्थिति उत्पन करता है