Monday, 1 April 2019

दिग्विजय सिंह की कुंडली के ग्रहयोग क्या कहा रहे है –एक विशलेषण

दिग्विजय सिंह की कुंडली के ग्रहयोग
क्या कहा रहे है –एक विशलेषण

Digvijay Singh kundli 

राघोगढ़ राजपरिवार में राजा बलभद्र सिंह के घर प्रथम पुत्र के रूप में दिग्विजय सिंह का जन्म:
नाम-दिग्विजय सिंह चौहान
जन्म तारीख-28.02.1948समय-12.00 बजे
वार-शुक्रवार
स्थान-राघोगढ़
लग्न-वृषभ
राशी-वृषभ
नक्षत्र-रोहिणी


शिक्षा:-
*स्कूल -"डेली कॉलेज, इंदौर"  सन् 1969 में मात्र 22 वर्ष की उम्र में राघौगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष बने, वो भी निर्दलीय। 
*1977 में 30 वर्ष की उम्र में राघौगढ़ विधानसभा से कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव जीता
* 33 वर्ष की उम्र में 1980 से 1984 तक अर्जुन सिंह जी की सरकार में कृषि व सिंचाई मंत्री रहे।
सांसद-1984 व 1991 में उन्होंने 8वीं व 10वीं लोकसभा.
*1985 व में अपनी उम्र के 38वें साल में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष चुने गए।
*दोबारा 1992 में पुनः मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
मुख्यमंत्री:-(दस वर्ष)
प्रथम बार- दिसम्बर 1993
दूसरी बार-दिसम्बर 1998
राज्यसभा में 2004 से अब तक वर्तमान में इस पार्टी में महासचिव के पद पर है। लोकसभा चुनाव 2019 मे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बनाये गये हैं
गुरु की सातवी दृष्टि चंद्र के साथ होने से सुप्रशिद्ध "गज केशरी योग" राजयोग बन गया है।
यह जातक को धन,यश,कीर्ति, मान, सम्मान, ओर शौर्य प्रदान करता है।
दशम भाव मेंमंगल  सूर्य हमेशा ही सर्वोच्च फल देता है। जातक को सूर्य के समान तेज और प्रभावशाली व्यक्तित्व प्राप्त होता है।अपने यौवन काल मे सर्वोच्च ऊंचाइयां प्राप्त कर लेता है।
लग्नेश शुक्र-भाग्य भाव में स्थित जातक को उच्च कुल में जन्म देकर देश/विदेश में भरपूर नाम रोशन कराता है।
पराक्रम भाव मे शनि जातक को बहुत बलवान ओर शक्तिशाली बनाता है।भाइयो के लिये यहां शनि अच्छा नही है।
आय भाव मे मंगल जातक को आपने कुल की कीर्ति ओर वैभव प्रदान करता है।
लग्न में चंद्र-राहु की युति जातक को कई बार आप के वाणी और भाषा के कारण विवाद का कारण बनाता हैं।
सप्तम भाव में गुरु के साथ केतु दो विवाह का कारण बनता है।
दिग्विजय सिंह की कुंडली लग्न मे राहू चंद्र ने संपूर  जीवन राजनीति से जोड़ा राहू व गुरु की महादशा मे उचा मन पद की प्राप्ति हुई वर्तमान मे बुध मे शुक्र का अंतर चल रहा है जो अधिक परिश्रम दे सफलता के योग बनाता है गोचर का शनि भी असमान्य स्थिति उत्पन करता है 

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