मकर संक्रांति पर्व तिथि व मुहूर्त 2020
भारत में एक पर्व है मकर संक्रांति| यह हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व है| ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है| सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं| दरसल मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि 'संक्रांति' का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है| चूंकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस समय को 'मकर संक्रांति' कहा जाता है| मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है| इस दिन गंगा स्नान कर व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है|
मकर संक्रांति पर्व का महत्त्व व मान्यताएं -
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को नकारात्मकता तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है| इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कर्मों का विशेष महत्व है| ऐसी धारणा है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है| इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है| जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ट होता है-
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
मकर संक्रांति से जुड़ी कई प्रचलित पौराणिक कथाएं हैं| ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भानु अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके लोक जाते हैं| शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं| इसलिए इस दिन को मकर सक्रांति के नाम से जाना जाता है|
यह भी माना जाता है मकर संक्रांति के ही दिन भागीरथ के पीछे पीछे माँ गंगा मुनि कपिल के आश्रम से होकर सागर में मिली थीं| अन्य मान्यता है कि माँ गंगा को धरती पर लाने वाले भागीरथ ने अपने पूर्वजों का इस दिन तर्पण किया था| मान्यता यह भी है कि तीरों की सैय्या पर लेटे हुए पितामह भीष्म ने प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था| यह विश्वास किया जाता है कि इस अवधि में देहत्याग करने वाला व्यक्ति जन्म मरण के चक्र से पूर्णत: मुक्त हो जाता है|
मकर संक्रांति कहाँ - कहाँ और किस रूप में मनाई जाती है -
जैसी विविधता इस पर्व को मानाने में है वैसी किसी और पर्व में नहीं| त्यौहार के नाम, महत्त्व और मनाने के तरीके प्रदेश और भौगोलिक स्थिति के अनुसार बदल जाते हैं| दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल, तो वहीं उत्तर भारत में इसे लोहड़ी, खिचड़ी, उत्तरायण, माघी, पतंगोत्सव आदि के नाम से जाना जाता है मध्यभारत में इसे संक्रांति कहा जाता है|
मकर संक्रांति के विशेष पकवान -
शीत ऋतु में वातावरण का तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग और बीमारियां जल्दी घात करती हैं| इसलिए इस दिन गुड़ और तिल से बने मिष्ठान्न या पकवान बनाये, खाये और बांटे जाते हैं| इन पकवानों में गर्मी पैदा करने वाले तत्वों के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी मौजूद होते हैं| इसलिए उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है तथा गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद बांटा जाता है|
मकर संक्रांति पर्व तिथि व मुहूर्त 2020
मकर संक्रांति 2020
15 जनवरी
संक्रांति काल - 07:19 बजे (15 जनवरी 2020)
पुण्यकाल - 07:19 से 12:31 बजे तक
महापुण्य काल - 07:19 से 09:03 बजे तक
संक्रांति स्नान - प्रात:काल, 15 जनवरी 2020
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