महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020 का महत्व और व्रत की कथा
Maha Shivratri 2020
शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था। इसलिए इस दिन उनके विवाह का उत्सव मनाया जाता है।इस दिन बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शर्करा से भगवान शिव का अभिषेक करने से मनवांछित इच्छा पूरी होती है। इस बार महाशिवरात्रि 21 फरवरी को पड़ रही है। महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020 को शाम को 5 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। जो श्रद्धालु मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते है, वह इसे महाशिवरात्रि से शुरू कर सकते हैं। यहां पढ़ें इस व्रत की कथा:
शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था। इसलिए इस दिन उनके विवाह का उत्सव मनाया जाता है।इस दिन बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शर्करा से भगवान शिव का अभिषेक करने से मनवांछित इच्छा पूरी होती है। इस बार महाशिवरात्रि 21 फरवरी को पड़ रही है। महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020 को शाम को 5 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। जो श्रद्धालु मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते है, वह इसे महाशिवरात्रि से शुरू कर सकते हैं। इस व्रत की कथा:
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक आदमी जो शिव का परम भक्त था, एक बार जंगल गया, और खो गया। बहुत रात हो चुकी थी इसीलिए उसे घर जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था। क्योंकि वह जंगल में काफी अंदर चला गया था इसलिए जानवरों के डर से वह एक पेड़ पर चढ़ गया।
लेकिन उसे डर था कि अगर वह सो गया तो वह पेड़ से गिर जाएगा और जानवर उसे खा जाएंगे। इसलिए जागते रहने के लिए वह रात भर शिवजी नाम लेके पत्तियां तोड़ के गिरता रहा। जब सुबह हुई तो उसने देखा कि उसने रात में हजार पत्तियां तोड़ कर शिव लिंग पर गिराई हैं, और जिस पेड़ की पत्तियां वह तोड़ रहा था वह बेल का पेड़ था।
लेकिन उसे डर था कि अगर वह सो गया तो वह पेड़ से गिर जाएगा और जानवर उसे खा जाएंगे। इसलिए जागते रहने के लिए वह रात भर शिवजी नाम लेके पत्तियां तोड़ के गिरता रहा। जब सुबह हुई तो उसने देखा कि उसने रात में हजार पत्तियां तोड़ कर शिव लिंग पर गिराई हैं, और जिस पेड़ की पत्तियां वह तोड़ रहा था वह बेल का पेड़ था।
अनजाने में वह रात भर शिव की पूजा कर रहा था जिससे खुश हो कर शिव ने उसे आशीर्वाद दिया।
इसके बाद शिवलिंग पर शहद, पानी और दूध के मिश्रण से भोले शंकर को स्नान कराना चाहिए। इसके बाद बेल पत्र, धतूरा, फल और फूल भगवान शिव को अर्पित करने चाहिए। धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करनी चाहिए। इस दिन भोले शिव को बेर चढ़ाना भी बहुत शुभ होता है। शिव महापुराण में कहा गया है कि इन छह द्रव्यों, दूध, योगर्ट, शहद,घी, गुड़ और पानी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
जल से रुद्राभिषेक करने से शुद्धी
गु़ड़ से रुद्राभिषेक करने से खुशियां
घी से रुद्राभिषेक करने से जीत
शहद से रुद्राभिषेक करने से मीठी वाणी
योगर्ट से रुद्राभिषेक करने से समृद्धि
गु़ड़ से रुद्राभिषेक करने से खुशियां
घी से रुद्राभिषेक करने से जीत
शहद से रुद्राभिषेक करने से मीठी वाणी
योगर्ट से रुद्राभिषेक करने से समृद्धि
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