Monday, 23 March 2020

चैत्र नवरात्रि 2020 25 मार्च से शुरू जानिए शुभ मुहूर्त, घट स्‍थापना, पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि 2020

25 मार्च से शुरू  जानिए शुभ मुहूर्त, घट स्‍थापना, पूजा विधि
Image result for chaitra navratri 2020  नौ रातें. चैत्र नवरात्र  (Chaitra Navratri) हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं. चैत्र नवरात्र के के साथ ही हिन्‍दू नव वर्ष की शुरुआत होती है . नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्‍यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्‍चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं. है. हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र (Chaitra) महीने के पहले दिन से ही नव वर्ष की शुरुआत हो जाती है. साथ ही इसी दिन से चैत्र नवरात्रि  2020 भी शुरू हो जाती हैं. इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के तौर पर भी जाना जाता है. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस पर्व को उगादि  के रूप में मनाया जाता है. कि साल में मुख्य रूप से दो नवरात्र आती हैं जिसमें से चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र होती हैं. चैत्र नवरात्र से हिन्‍दू नव वर्ष शुरू होता है, जबकि शारदीय नवरात्र बुराई पर अच्‍छाई की जीत का प्रतीक है. इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा (Marathi New Year) के तौर पर भी जाना जाता है. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस पर्व को उगादि (Ugadi) के रूप में मनाया जाता है.
चैत्र नवरात्रि कब हैं?
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्र हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं. इस बार चैत्र नवरात्र 25 मार्च 2020 से शुरू होकर 2 अप्रैल 2020 को खत्‍म हो रहे हैं. वहीं, राम नवमी 2 अप्रैल 2020 को मनाई जाएगी.
25 मार्च 2020: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्‍थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन.
26 मार्च 2020: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्व‍ितीया, बह्मचारिणी पूजन.
27 मार्च 2020:  नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन.
28 मार्च 2020: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्‍मांडा पूजन.
29 मार्च 2020: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्‍कंदमाता पूजन.
30 मार्च 2020: नवरात्रि का छठा दिन, षष्‍ठी, सरस्‍वती पूजन.
31 मार्च 2020: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्‍तमी, कात्‍यायनी पूजन.
1 अप्रैल 2020: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्‍टमी, कालरात्रि पूजन, कन्‍या पूजन.
2 अप्रैल 2020: नवरात्रि का नौवां दिन, राम नवमी, महागौरी पूजन, कन्‍या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण
घट स्‍थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त
घट स्‍थापना की तिथि:
 25 मार्च 2020
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 24 मार्च 2020 को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्‍त: 25 मार्च 2020 को शाम 5 बजकर 26 मिनट तक
घट स्‍थापना मुहूर्त: 25 मार्च 2020 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक
कुल अवधि: 58 मिनट 

कैसे मनाया जाता है नवरात्रि का त्‍योहार?
नवरात्रि का त्‍योहार पूरे भारत में मनाया जाता है. उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों की पूजा की जाती है. भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते हैं. पहले दिन कलश स्‍थापना की जाती है और अखंड ज्‍योति जलाई जाती है. फिर अष्‍टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओं को भोजन कराया जाता है. चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन यानी कि नवमी को राम नवमी कहते हैं. हिन्‍दू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. रामनवमी के साथ ही मां दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है. रामनवमी के दिन पूजा की जाती है. इस दिन मंदिरों में विशेष रूप से रामायण का पाठ किया जाता है और भगवान श्री राम की पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही भजन-कीर्तन कर आरती की जाती है और भक्‍तों में प्रसाद बांटा जाता है.
नवरात्रि व्रत के नियम
अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्‍छुक हैं तो इन नियमों का पालन करना चाहिए.
- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें.
- पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
- दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.
- शाम के समय मां की आरती उतारें.
- सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.
- फिर भोजन ग्रहण करें.
- हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
- अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं. उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें.
- अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें
नवरात्रि की अंखड ज्योति
नवरात्रि की अखंड ज्योति का बहुत महत्व होता है. आपने देखा होगा मंदिरों और घरों में नवरात्रि के दौरान दिन रात जलने वाली ज्योति जलाई जाती है. माना जाता है हर पूजा दीपक के बिना अधूरी है और ये ज्योति ज्ञान, प्रकाश, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होती है.
अखंड ज्‍योति से जुड़े नियम
1. दीपक जलाने के लिए बड़े आकार का मिट्टी या पीतल का दीपक लें.
2. अखंड ज्‍योति का दीपक कभी खाली जमीन पर ना रखें.
3. इस दीपक को लकड़ी के पटरे या किसी चौकी पर रखें.
4. दीपक रखने से पहले उसमें रंगे हुए चावल डालें.
5. अखंड ज्‍योति की बाती रक्षा सूत्र से बनाई जाती है. इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लेकर उसे बाती की तरह बनाएं और फिर दीपक के बीचों-बीच रखें.
6. अब दीपक में घी डालें. अगर घी ना हो तो सरसों या तिल के तेल का इस्‍तेमाल भी कर सकते हैं.
7. मान्‍यता अनुसार अगर घी का दीपक जला रहे हैं तो उसे देवी मां के दाईं ओर रखना चाहिए.
8. दीपक जलाने से पहले गणेश भगवान, मां दुर्गा और भगवान शिव का ध्‍यान करें.
9. अगर किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए यह अखंड ज्‍योति जला रहे हैं तो पहले हाथ जोड़कर उस कामना को मन में दोहराएं.
10. ये मंत्र पढ़ें.
"ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।" 
11. अब दीपक के आस-पास कुछ लाल फूल भी रखें.
12. ध्‍यान रहे अखंड ज्‍योति व्रत समाप्‍ति तक बुझनी नहीं चाहिए. इसलिए बीच-बीच में घी या तेल डालते रहें और बाती भी ठीक करते रहें.

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