Thursday, 25 July 2013

maha bharat katha


maha bharat  katha


अर्जुन ने जीता स्वयंवर लेकिन द्रोपदी बनी पांच भाइयों की पत्नी, जानिए 








महाभारत में द्रोपदी के पांच पति थे, यह बात तो लगभग हर व्यक्ति जानता है लेकिन ऐसा क्यों हुआ यह बहुत कम लोग जानते हैं। यदि आप भी ये बात नहीं जानते हैं तो यहां बताया जा रहा है कि द्रोपदी किस प्रकार पांच पाण्डव की महाभारत में द्रोपदी के पांच पति थे, यह बात तो लगभग हर व्यक्ति जानता है लेकिन ऐसा क्यों हुआ यह बहुत कम लोग जानते हैं। यदि आप भी ये बात नहीं जानते हैं तो यहां बताया जा रहा है कि द्रोपदी किस प्रकार पांच पाण्डव की पत्नी बनीं।पत्नी बनीं। राजा द्रुपद ने एक विशेष धनुष बनवाया। इसके साथ आकाश में एक ऐसा यंत्र चक्र लगवाया जो लगातार गोल-गोल घूम रहा था। इसी चक्र में लक्ष्य निर्धारित किया गया जिसे धनुष से तीर चलाकर भेदना था। इस कठिन लक्ष्य को भेदने वाले से द्रोपदी का विवाह किया जाना तय हुआ था।
स्वयंवर की सभा कई राजा उपस्थित हुए लेकिन कोई भी इस शर्त को पूरा नहीं कर सका। तब अंत में पाण्डव पुत्र अर्जुन आए और उन्होंने लक्ष्य को भेद दिया। इसके बाद द्रोपदी का विवाह अर्जुन के साथ संपन्न हुआ। पांचों पाण्डव द्रोपदी सहित अपनी माता के समक्ष पहुंचे। घर पहुंचकर पाण्डवों ने कहा कि माता हम भिक्षा ले आए हैं। पाण्डवों की माता कुंती ने पीछे देखे बिना ही कह दिया कि जो भी भिक्षा लाए हो पांचों भाई आपस में बांट लो और उसका उपभोग करो।
इसके बाद जब कुंती को यह मालूम हुआ कि पाण्डव द्रोपदी को लेकर आए तो उन्हें बहुत पश्चाताप हुआ कि एक स्त्री को पांचों भाइयों में बांटने का आदेश दे दिया। पांचों पाण्डव माता की आज्ञा का अनादर नहीं कर सकते थे अत: तभी से द्रोपदी पांचों पाण्डव की पत्नी हो गईं।

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