Friday, 13 September 2013

chanakya niti

                               chanakya niti


ये 7 लोग जब भी सोते हुए दिखे तो इन्हें तुरंत उठा देना चाहिए



                                           चाणक्य  नीति



आचार्य चाणक्य द्वारा बताया गया है कि किन लोगों को कब नहीं सोना चाहिए, यदि ये लोग सो रहे हों तो इन्हें तुरंत उठा देना चाहिए। जानिए ये सात लोग कौन-कौन हैं-
आचार्य कहते हैं कि-
विद्यार्थी सेवक: पान्थ: क्षुधार्तो भयकातर:।
भाण्डारी प्रतिहारी च सप्त सुप्तान् प्रबोधयेत्।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि यदि कोई विद्यार्थी परीक्षा के समय सो रहा है तो उसे तुरंत उठा देना चाहिए ताकि वह विद्या का अभ्यास ठीक से कर सके। अन्यथा विद्यार्थी सोता रहेगा तो वह परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं यदि कोई नौकर काम के समय सो रहा हो तो उसे तुरंत जगा देना चाहिए अन्यथा कार्य पूर्ण नहीं हो सकेगा।
यदि कोई व्यक्ति नींद में डर रहा है तो उसे भी उसी समय उठा देना चाहिए ताकि उसका भयानक सपना टूट जाए और उसे शांति मिले।
हो सकता है। 


यदि कोई राहगीर या यात्री रास्ते में सोता दिखाई दे तो उसे भी उठा देना चाहिए अन्यथा उसका सामान चोरी होने का भय रहता है। यात्री को सोता देख कोई चोर उसके धन हानि या अन्य कष्ट पहुंचा सकता है।
यदि कोई व्यक्ति भूखा है तो उसे उठा देना चाहिए और उसे भोजन देना चाहिए। भूखा व्यक्ति सोता रहेगा तो उसे शारीरिक कष्ट झेलना पड़ सकते हैं, वह बीमार हो सकता है।
किसी भण्डार गृह का रक्षक या कोई चौकीदार अपने कर्तव्य के समय सोते दिखे तो इन्हें भी तुरंत जगा देना चाहिए। भण्डार गृह का रक्षक या चौकीदार के सोने पर चोरी होने का भय बना रहता है इसके साथ ही जन हानि होने की भी वैर के कारण उत्पन्न होने वाली आग एक पक्ष को स्वाहा किए बिना कभी शांत नहीं होती। -वेदव्यास
अंधेरे को कोसने से बेहतर है कि एक दीया जलाया जाए। -उपनिषद
यदि तुम जीवन से सूर्य के जाने पर रो पड़ोगे तो आंसू भरी आंखे सितारे कैसे देख सकेंगी? - रवींद्रनाथ ठाकुर
संभावनाएं रहती हैं  दुख को दूर करने की एक ही अमोघ ओषधि है- मन से दुखों की चिंता न करना। - वेदव्यास
पराजय से सत्याग्रही को निराशा नहीं होती बल्कि कार्यक्षमता और लगन बढ़ती है। -महात्मा गांधी
मुट्ठी भर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। -महात्मा गांधी
जिनका चित्त विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों में भी अस्थिर नहीं होता वे ही सच्चे धीर पुरुष होते हैं। -कालिदास
पुण्य की कमाई मेरे घर की शोभा बढ़ाए, पाप की कमाई को मैंने नष्ट कर दिया है। - अथर्ववेद
मातृभाषा, मातृ संस्कृति और मातृभूमि ये तीनों सुखकारिणी देवियां स्थिर होकर हमारे हृदयासन पर विराजें। -ऋग्वेद
कष्ट पडऩे पर भी साधु पुरुष मलिन नहीं होते, जैसे सोने को जितना तपाया जाता है वह उतना ही निखरता है। -कबीर
जीवन का पहला और स्पष्ट लक्ष्य है-विस्तार। जिस क्षण आप विस्तार करना बंद कर देंगे, उसी क्षण जान लें कि आपको मृत्यु ने घेर लिया है, विपत्तियां सामने हैं।
ईमानदारी वैभव का मुंह नहीं देखती। वह तो परिश्रम के पालने में किलकारियां मारती है और संतोष पिता की भांति उसे देखकर तृप्त होता है।

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