जिससे हम किसी भी व्यक्ति से अपना कार्य पूरा करवा सकते हैं
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
यस्माच्च प्रियमिच्छेत्तु तस्य ब्रूयात् सदा प्रियम्।
व्याधो मृगवधं गन्तुं गीतं गायति सुस्वरम्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति से अपना काम करवाना हो तो हमेशा मीठा बोलना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग दूसरों से ऐसे काम करवाना चाहते हैं जिससे सिर्फ और सिर्फ उनका खुद का फायदा हो तो वे दूसरों से सदैव मीठा बोलते हैं। जिस प्रकार जंगल में शिकारी हिरण का शिकार करने के लिए मीठी आवाज में गाने गाता है। इस गाने को सुनकर हिरण शिकारी के जाल में फंस जाता है। यही बात इंसानों पर भी लागू होती है। किसी व्यक्ति को अपने जाल में फंसाने के लिए मीठी-मीठी बातों का सहारा लिया जाता है।
इसी प्रकार किसी सांप को फंसाने के लिए सपेरा बीन बजाता है। बीन की तंरगों में फंसकर सांप सपेरे के सामने पहुंच जाता है और खुद की जान को आफत में डाल देता है। अत: इस बात का भी हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब कोई अधिक मीठा बोले तो उसकी बातों फंसे नहीं। अन्यथा भविष्य में कोई भयंकर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
इसी प्रकार किसी सांप को फंसाने के लिए सपेरा बीन बजाता है। बीन की तंरगों में फंसकर सांप सपेरे के सामने पहुंच जाता है और खुद की जान को आफत में डाल देता है। अत: इस बात का भी हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब कोई अधिक मीठा बोले तो उसकी बातों फंसे नहीं। अन्यथा भविष्य में कोई भयंकर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
No comments:
Post a Comment