शनि प्रदोषव्रत करे पुत्र प्राप्ति के लिये
shani pradosh
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शनि प्रदोष व्रत की विधि-
- प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
- शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें, जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें।
- भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।
- रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।
शनि प्रदोष व्रत की कथा इस प्रकार है-
प्राचीन समय की बात है। किसी नगर में एक सेठ-सेठानी रहते थे। वह अत्यन्त दयालु थे। उसके यहां से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी जिसके कारण वे दोनों काफी दु:खी रहते थे। एक दिन उन्होंने तीर्थयात्रा पर जाने का निश्चय किया। अभी वे नगर के बाहर ही निकले थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़े। दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए। पति-पत्नी दोनों समाधिलीन साधु के सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे। सुबह से शाम और फिर रात हो गई लेकिन साधु की समाधि नही टूटी। मगर वे दोनों पति-पत्नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े पूर्ववत बैठे रहे। अंतत: अगले दिन सुबह साधु समाधि से उठे। पति-पत्नी को वहां बैठा देख साधु महाराज बोले- मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूं वत्स! मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं। साधु ने सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की विधि समझाई और शंकर भगवान की निम्न वन्दना बताई-
हे रुद्रदेव शिव नमस्कार। शिव शंकर जगगुरु नमस्कार॥
हे नीलकंठ सुर नमस्कार। शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार॥
हे उमाकान्त सुधि नमस्कार। उग्रत्व रूप मन नमस्कार॥
ईशान ईश प्रभु नमस्कार। विश्वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार॥
तीर्थयात्रा के बाद दोनों पति-पत्नी वापस घर लौटे और नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे। कुछ समय बाद ही सेठ की पत्नी ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। इस प्रकार शनि व्रत करने से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।