Saturday, 30 November 2013

shani pradosh

                      शनि प्रदोषव्रत करे पुत्र प्राप्ति के लिये

                                          shani pradosh



शनि प्रदोष आज: पुत्र सुख चाहिए तो आज जरूर करें ये व्रत



 शनि प्रदोष व्रत की विधि-
 - प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
- शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें, जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें।
- भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।
- रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।
 शनि प्रदोष व्रत की कथा इस प्रकार है-

प्राचीन समय की बात है। किसी नगर में एक सेठ-सेठानी रहते थे। वह अत्यन्त दयालु थे। उसके यहां से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी जिसके कारण वे दोनों काफी दु:खी रहते थे। एक दिन उन्होंने तीर्थयात्रा पर जाने का निश्चय किया। अभी वे नगर के बाहर ही निकले थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़े। दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए। पति-पत्नी दोनों समाधिलीन साधु के सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे। सुबह से शाम और फिर रात हो गई लेकिन साधु की समाधि नही टूटी। मगर वे दोनों पति-पत्नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े पूर्ववत बैठे रहे। अंतत: अगले दिन सुबह साधु समाधि से उठे। पति-पत्नी को वहां बैठा देख साधु महाराज बोले- मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूं वत्स! मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं। साधु ने सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की विधि समझाई और शंकर भगवान की निम्न वन्दना बताई-
हे रुद्रदेव शिव नमस्कार। शिव शंकर जगगुरु नमस्कार॥
हे नीलकंठ सुर नमस्कार। शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार॥
हे उमाकान्त सुधि नमस्कार। उग्रत्व रूप मन नमस्कार॥
ईशान ईश प्रभु नमस्कार। विश्वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार॥
तीर्थयात्रा के बाद दोनों पति-पत्नी वापस घर लौटे और नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे। कुछ समय बाद ही सेठ की पत्नी ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। इस प्रकार शनि व्रत करने से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।

Saturday, 23 November 2013

vastu aur shyankaksh

                                                              vastu aur  shyankaksh
                                                        
                                                                   वस्तु और शयनकक्ष

 शयनकक्ष में खिड़की अवश्य होना चाहिए। सुबह की किरणें शयनकक्ष में प्रवेश करने से स्वास्थ्य बेहतर रहता है। कभी भी मुख्य द्वार की ओर पैर करके न सोएं। पलंग के सम्मुख दर्पण नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से आप सदैव व्याकुल व परेशान रहेंगे।
 बेडरूम में पलंग सदैव दक्षिण दिशा में रखना चाहिए तथा सोते समय सिरदक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं कर सकते तो पश्चिम दिशा में पलंग रखा जा सकता है। इस स्थिति में सोते समय मुख पूर्व की ओर व सिरहाना पश्चिम की ओर रहना चाहिए।  पूर्वाभिमुख व उत्तराभिमुख शयन करना सुखदायक होता है। दक्षिण की ओर मुख करके नहीं सोना चाहिए। दक्षिणामुख शयन करने से नींद नहीं आती है और आती है तो बुरे स्वप्न आते हैं। घर का मुख्य शयन कक्ष सदैव नैऋत्य(पश्चिम-दक्षिण) कोण में बनाना चाहिए। मुख्य शयनकक्ष वह होता है जिसगृहस्वामी सोता में है |  बेडरूम में डे्रसिंग टेबल कभी भी खिड़की के सामने न रखें क्योंकि खिड़की से आने वाला प्रकाश परावर्तित होने के कारण परेशानी उत्पन्न करेगा। पलंग के सामने खिड़की न होकर ठोस दीवार होना चाहिए। बेडरूम में फर्नीचर धनुषाकार, अर्धचन्द्राकार या वृत्ताकार नहीं होने चाहिए इससे घर के सदस्यों का स्वास्थ्य बिगड़ा रहेगा।  शयनकक्ष में पलंग के दाईं ओर छोटी टेबल आवश्यक वस्तु रखने के लिए रख सकते हैं। शयनकक्ष में प्रकाश व्यवस्था ऐसी हो कि पलंग पर सीधा प्रकाश नहीं पड़े। प्रकाश सदैव पीछे या बाईं ओर से आना चाहिए। पलंग के सामने की दीवार पर प्रेरक व रमणीय चित्र लगाने चाहिए। आदर्शवादी चित्र आत्मबल को बढ़ाते हैं और दाम्पत्य जीवन भी आनन्दमय व विश्वस्त बना रहता है। पलंग शयनकक्ष के द्वार के पास स्थापित नहीं करना चाहिए यदि ऐसा करेंगे तो चित्त में अशांति व व्याकुलता बनी रहेगी।


























Thursday, 14 November 2013

Teji Mandi


तेजी मंदी 14-11-20 13 
16 ता.से सोना  चाँदी ,रुई,कपास ,ऊन  सरसों अलसी  मुगफली ,तांबा में तेजी एवम  लाल मिर्च ,लाल चंदन ,लाल रंग की वस्तु ,सुपारी गुड  चीनी चना में मंदी के योग |

FUN Time

Fun Time

                                    मुर्गे  का अंडा 

क फार्म का मालिक एक दिन सभी मुर्गियों से बोलता है,“ कल से सबको दो-दो अंडे देने है जो नहीं देगा उसे मैं काट डालूंगा.” 

अगली सुबह सब मुर्गियों ने दो-दो अंडे दिए मगर एक ने सिर्फ एक ही अंडे दिया. मालिक ने इसकी वजह पूछी तो वह मुर्गी बोली, “जनाब, यह भी आपके डर से दिया वरना मैं तो मुर्गा हूं.”


                      दुनियां गोल है 
  
पिता (पुत्र से)- बेटा! मैं चाहता हूँ तुम इतने महान बनो कि तुम्हारा नाम दुनियां के चारो कोनों में फैले.

पुत्र- पापा, महान तो मैं बन जाऊंगा पर एक समस्या है.

पिता- वह क्या?

पुत्र- दुनियां तो गोल है, उसके चार कोने हो ही नहीं सकते, फिर मेरा नाम कैसे चारो कोनों में फैलेगा.

Sunday, 10 November 2013

भविष्य विचार नवम्बर 20 13


भविष्य  विचार  नवम्बर  20 13 

चार ग्रह  के  योग  से कही  भूकंप अग्नीकांड विस्फोट  आतंकी कृत्य  से हानी होगी |भारत  की सीमा  पर अतिक्रमण की  कोशिश    जनतामें रोग एवम कष्ट व्याप्त हो  चीन जापान  आदि में प्रकति प्रकोप से पीड़ित होगे |

chanakya niti




हमेशा सुखी रहना हो तो ध्यान रखें ये एक चाणक्य नीति





hamesha  sukhi  rahna ho  to  dyhanr  khe  ye ea chanakya  niti





आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि।।
इस श्लोक का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति निश्चित वस्तुओं को छोड़कर अनिश्चित वस्तुओं की ओर भागता है उसके हाथों से दोनों ही वस्तुएं निकल जाती है। अत: जीवन में निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस प्रकार की गलतियां हमें नहीं करना चाहिएआचार्य चाणक्य के अनुसार लालची लोगों के साथ अक्सर ऐसा ही होता है, अंत में वह खाली हाथ रह जाता है। जो वस्तुएं और सुविधाएं हमारे पास पहले से ही हैं उन्हें छोड़कर अनिश्चित सुविधाओं के पीछे भागने वाले इंसान को अंत में दुख का ही सामना करना पड़ता है। जबकि समझदारी इसी में है कि जो वस्तुएं या सुविधाएं हमारे पास हैं उन्हीं से संतोष प्राप्त करें। इसके विपरित जो सुविधाएं हमारे पास हैं वे भी नष्ट हो जाएंगी।