Saturday, 30 August 2014
ganesh ji ki puja se purn kre apni sabhi manokamna
गणेश जी की पूजा से पूर्ण करे अपनी सभी मनोकामना
ganesh ji ki puja se purn kre apni sabhi manokamna
वर्तमान समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी परेशानी से परेशान रहता है। इस परेशानी को बहुत हद तक कम किया जा सकता है यदि रोज सुबह के समय{अपनी सुविधा अनुसार } गणेश जी की पंचोपचार या षोडशोउपचार पूजन कर के 108 नाम से दूर्वा चढ़ावे तो जीवन की हरमुश्किल आशान हो जाएँगी । गणेश जी कोरिधि सिद्धि शुभ लाभ एवम विघ्नहर्त्ता कहा गया है। गणेश जी के 108 नाम व सरल पूजन विधि इस प्रकार हैं:-
पूजन सामग्री
Thursday, 28 August 2014
Monthly Rashiphal --september 2014
Monthly Rashiphal --september 2014
मासिक राशि फल –सितम्बर 2014
मेष राशि -- समय में सुधार,रुके
कामबनेगे ,मान सम्मान की बढ़े |
वृष ---भाई की वृद्धि हो,सुख सुविधा बढ़े,यात्रा हो,समाचार चिंता का विषय बने|
मिथुन ---कुटुम्बमें सुख,मिलन हो,शत्रुहार माने,स्त्री के
प्रति चिंता,धार्मिक कार्य हो
कर्क ---समय का लाभ उठाये,रुके हुए कार्य बनेगे,सम्मानबढ़ेगा
|
सिंह ---परिवार की किसी बात को लेकर चिंता, शुभ कार्य में
व्यय अधिक हो|
कन्या ---रोजगारबढ़े,रोग से चिंता,लाभ के योग बने |
तुला ----कुटुम्ब परिवार में परेशानी,नये कार्य बने,स्त्री कष्ट,चोट,यात्रा योग |
वृश्चिक----पराक्रमसे यश,मान,कार्य बने,चिंता स्वास्थ्य विषम रहे|
धनु -----वातरोग,परिवार में सुख,पराक्रम सेकार्य बने,धार्मिक कार्य हो,नईवस्तु आये |
मकर ----समय का फायदाउठावे,यश बढ़े,कार्य बने,भाई मित्र से
मदद मिले,सुख सुविधा बढ़े |
कुम्भ ---राष्ट्र कार्य से मान प्रतिष्ठा बढ़े,परिवार में
हर्ष,भाई –बहनो में चिंता,समस्या बने|
मीन ---संतानो के कार्यो से हर्ष,मान बढ़े,मंगल कार्य हो चिंता हो |
मुक्ता ज्योतिष समाधान केंद्र
मो.--+917697961597
Tuesday, 26 August 2014
हरितालिका तीज व्रत
हरितालिका तीज व्रत ----- अखंड सौभाग्य देने वाला व्रत
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन अखंड सौभाग्य की कामना के लिए स्त्रियां हरतालिका तीज का विशिष्ट व्रत रखती हैं. शास्त्र इस व्रत की आज्ञा सम्पूर्ण स्त्री जाति को प्रदान करता है. कुँवारी कन्याएँ सुयोग्य एवं सुंदर जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए और विवाहिता स्त्रियां अपने पति की सुख, समृद्धि और दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं. इस व्रत को अखण्ड सौभाग्य प्रदान करने वाला माना जाता है. यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है. इसमें सुबह चार बजे उठकर बिना बोले नहाना होता है और फिर निर्जल रहकर व्रत करना पड़ता है अर्थात इसमें अन्न, फल, दूध इत्यादि की मनाही तो होती है, पूरे दिन व्रत करने वाली स्त्रियां जल भी नहीं पीती. हरतालिका तीज पर रात भर भजन-जागरण होता है. इस व्रत को करने की इच्छुक स्त्रियों को चाहिए कि वे व्रत के एक दिन पहले बहुत ही सात्विक आहार लें. फलाहार अथवा अन्य हल्का आहार करना उत्तम होगा. रात्रि को सोने से पहले दातुन कर लेना चाहिए. रात्रि में सोते समय भवगती पार्वती और भगवान शिव से इस कठिन व्रत को पूरा करने के लिए शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करें.
इस व्रत का प्रारंभ ''मम उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये'' के संकल्प के साथ करना चाहिए.
भारतीय महिलाओं ने इस पुरानी परंपराओं को कायम रखा है. यह शिव-पार्वती की आराधना का सौभाग्य व्रत है, जो केवल महिलाओं के लिए है. महिलाएं व कन्याएं भगवान शिव को गंगाजल, दही, दूध, शहद आदि से स्नान कराकर उन्हें फल समर्पित करती हैं. रात्रि के समय अपने घरों में सुंदर वस्त्रों, फूल पत्रों से सजाकर फुलहरा बनाकर भगवान शिव और पार्वती का विधि-विधान से पूजन अर्चन किया जाता है.
पौराणिक कथा :
हरितालिका तीज की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शंकर-पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठे थे. तब पार्वती ने शंकर जी से पूछा कि सभी व्रतों में श्रेष्ठ व्रत कौन-सा है और मैं आपको पत्नी के रूप में कैसे मिली. तब शंकर जी ने कहा कि जिस प्रकार नक्षत्रों में चंद्रमा, ग्रहों में सूर्य, चार वर्णों में ब्राह्मण, देवताओं में विष्णु, नदियों में गंगा श्रेष्ठ है. उसी प्रकार व्रतों में हरितालिका व्रत श्रेष्ठ है. पार्वती ने पूर्व में हिमालय पर्वत पर हरितालिका व्रत किया था. (माना जाता है कि भगवान शिव ने पार्वती को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के उद्देश्य से इस व्रत की महात्म्य कथा कही थी).
कथा के अनुसार पूर्वजन्म में पार्वती प्रजापति दक्ष और प्रसूति की पुत्री थीं और उनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था. एक बार प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया. सती भगवान शिव के मना करने पर भी पिता द्वारा आयोजित यज्ञ को देखने पहुंच गयीं. यज्ञस्थल पर प्रजापति दक्ष द्वारा भगवान शंकर का घोर अपमान किया गया. इस अपमान से क्षुब्ध होकर सती ने स्वयं को योगाग्नि में भस्म कर लिया. सती की मृत्यु का समाचार पाकर भगवान शंकर ने वीरभद्र नामक गण को भेजा, जिसने यज्ञ का विध्वंश कर दिया और स्वयं अखंड समाधि में चले गए. बाद में देवी सती ने ही गिरिराज हिमालय और मैना की पुत्री पार्वती के
रूप में जन्म लिया. इस जन्म में भी पार्वती की आस्था भगवान शंकर के प्रति अक्षुण्ण बनी रही. युवावस्था आने पर वह मनोनुकूल वर की प्राप्ति के लिए तपस्यारत हो गईं. पुत्री के अति कठोर तप को देखकर हिमालय बहुत उद्विग्न हुए. उन्होंने विचार-विमर्श कर अपनी बेटी का विवाह भगवान विष्णु से करने का निर्णय लिया. मन ही मन भगवान शिव को अपना वर मान चुकी देवी पार्वती को यह समाचार सुनकर बड़ा आघात लगा. उन्होंने सखियों को अपने मन की बात बताई. पिता की नजरों से पार्वती को बचाने के लिए उनकी सखियों ने उनको घने जंगल में छिपा दिया. जैसे किसी का हरण किया जाता है उसी तरह उमा की सखियों नें उनको जंगल में छिपा दिया था. इसी कारण इस व्रत का नाम हरितालिका पड़ा, '''आखिभिर्हरितायस्माचस्मात्सा हरितालिका'''. हरत अर्थात हरण करना और आलिका अर्थात सहेली. वन की एक पर्वतीय कंदरा में पार्वती जी ने शिव की प्रतिमा बनाकर उनका पूजन किया. उस दिन भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया थी. पार्वती जी ने निर्जल और निराहार व्रत करते हुए दिन-रात शिव की आराधना की. पार्वती की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर शिव प्रकट हुए और उन्होंने पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वर दिया. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन भगवान शिव ने पार्वती जी को वर के रूप में प्राप्त होने का वर दिया था. तभी से यह पर्व मनाया जाता है.
रूप में जन्म लिया. इस जन्म में भी पार्वती की आस्था भगवान शंकर के प्रति अक्षुण्ण बनी रही. युवावस्था आने पर वह मनोनुकूल वर की प्राप्ति के लिए तपस्यारत हो गईं. पुत्री के अति कठोर तप को देखकर हिमालय बहुत उद्विग्न हुए. उन्होंने विचार-विमर्श कर अपनी बेटी का विवाह भगवान विष्णु से करने का निर्णय लिया. मन ही मन भगवान शिव को अपना वर मान चुकी देवी पार्वती को यह समाचार सुनकर बड़ा आघात लगा. उन्होंने सखियों को अपने मन की बात बताई. पिता की नजरों से पार्वती को बचाने के लिए उनकी सखियों ने उनको घने जंगल में छिपा दिया. जैसे किसी का हरण किया जाता है उसी तरह उमा की सखियों नें उनको जंगल में छिपा दिया था. इसी कारण इस व्रत का नाम हरितालिका पड़ा, '''आखिभिर्हरितायस्माचस्मात्सा हरितालिका'''. हरत अर्थात हरण करना और आलिका अर्थात सहेली. वन की एक पर्वतीय कंदरा में पार्वती जी ने शिव की प्रतिमा बनाकर उनका पूजन किया. उस दिन भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया थी. पार्वती जी ने निर्जल और निराहार व्रत करते हुए दिन-रात शिव की आराधना की. पार्वती की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर शिव प्रकट हुए और उन्होंने पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वर दिया. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन भगवान शिव ने पार्वती जी को वर के रूप में प्राप्त होने का वर दिया था. तभी से यह पर्व मनाया जाता है.
Saturday, 23 August 2014
होम टिप्स ----
होम टिप्स ---- घरेलू फेस पैक--- कोमल व बेदाग त्वचा के लिए
आधी कटोरी बेसन में एक चम्मच खसखस के दाने एक चम्मच सरसों के दाने व कच्चा दूध मिलाकर बारीक पीस लें। इस फेस पेक को 15 मिनट चेहरे पर लगाएँ। फिर ठंडे पानी से धो लें।
त्वचा की रंगत निखरने के लिए
सरसों व मसूर की दाल की बराबर मात्रा लेकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसमें गुलाब की पत्तियाँ मिलाकर पीस लें। इस पेक को अपनी त्वचा पर 20 मिनट लगाकर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।
शहद के फेस पेक
1. . एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी पावडर, एक चम्मच गुलाब जल,
एक चम्मच शहद व एक चम्मच
संतरे का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की रंगत निखरती है।
केले को मसलकर उसमें एक बड़ा चम्मच शहद व आटे को चोकर मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। कुछ समय पश्चात चेहरा धो लें।
केले को मसलकर उसमें एक बड़ा चम्मच शहद व आटे को चोकर मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। कुछ समय पश्चात चेहरा धो लें।
रे चेहरे की झाइयाँ मिटाएँ
* आ लू को घिसकर चेहरे पर लगाए * कटे टमाटर को चेहरे पर रगड़ना फायदेमंद होता है।
1. * खीरे के रस में जैतुन के तेल की बूँद मिलाकर लगाएँ।
* केले के गुदे को चेहरे पर लगाने से झाइयाँ मिटती हैं।
* गाजर के रस में पिसी बादाम व कच्चे दूध को मिलाकर लगाएँ।
* रोजाना बादाम का तेल चेहरे पर लगाएँ।
* केले के गुदे को चेहरे पर लगाने से झाइयाँ मिटती हैं।
* गाजर के रस में पिसी बादाम व कच्चे दूध को मिलाकर लगाएँ।
* रोजाना बादाम का तेल चेहरे पर लगाएँ।
1. ब्लैक हेड्स हटाएँ
2. * पहले पानी से मुहँ को धो लीजिए फिर हल्के स्क्रब
का प्रयोग
करिए। इससे अधिक तेल एवं त्वचा की सूखी पपड़ी उतर जाएगी।
स्क्रब से
चेहरा साफ हो जाता है।
* घर से
बाहर जाने से पहले चेहरे पर मॉइस्चराइज़र का उपयोग
जरूर करें।
* एक बड़ी तपेली में पानी गरम कर लीजिए, उबलते पानी की भाप
मुँह पर लगाने से ब्लैक हेड्स को आसानी से हटाया जा
सकता है।
रोग संक्रमण से बचने के लिए यह उपचार बेहतर है।
* ब्लैक हेड्स स्ट्रीप से ये दाग आसानी से हट जाते हैं।
* हाथों से ब्लैक हेड्स को न छुएँ। इससे रोग का संक्रमण और
फैल जाएगा।
* त्वचा की देखभाल के लिए टोनर, क्लीनर एवं मॉइस्चराइ
* त्वचा की देखभाल के लिए टोनर, क्लीनर एवं मॉइस्चराइ
जर्स लगाना चाहिए। ये सारी चीज़ें अच्छे कंपनी की होनी चाहिए।
* खूब
सारा पानी पीना चाहिए जिससे पेट की प्रणाली सही प्रकार से
काम करे।
* ज्यादा तेल या मसाले के पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
इससे त्वचा पर प्रभाव पड़ता है।
* नियमित व्यायाम करने एवं संतुलित भोजन के सेवन से त्वचा
में चमक झलकती है। त्वचा का रंग
और निखर उठता है।
सफेद बालों हेतु घरेलू खिजाब
पिसी हुई सूखी मेहँदी एक कप, कॉफी पावडर पिसा हुआ 1 चम्मच, दही 1 चम्मच, नीबू का रस 1 चम्मच, पिसा कत्था 1 चम्मच, ब्राह्मी बूटी का चूर्ण 1 चम्मच, आँवला चूर्ण 1 चम्मच और सूखे पोदीने का चूर्ण 1 चम्मच। इतनी मात्रा एक बार प्रयोग करने की है। इसे एक सप्ताह में एक बार या दो सप्ताह में एक बार अवकाश के दिन प्रयोग करना चाहिए।
सभी सामग्री पर्याप्त मात्रा में पानी लेकर भिगो दें और दो घण्टे तक रखा रहने दें। पानी इतना लें कि लेप गाढ़ा रहे, ताकि बालों में लगा रह सके। यदि बालों में रंग न लाना हो तो इस नुस्खे से कॉफी और कत्था हटा दें। पानी में दो घण्टे तक गलाने के बाद इस लेप को सिर के बालों में खूब अच्छी तरह, जड़ों तक लगाएँ और घण्टेभर तक सूखने दें।
इसके बाद बालों को पानी से धो डालें। रात में तेल से मालिश कर परत:अच्छे शैम्पू से धो ले |
* आमलकी रसायन आधा चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से बाल प्राकृतिक रूप से जड़ से काले हो जाते हैं।
* एक छोटी कटोरी मेहँदी पावडर लें, इसमें दो बड़े चम्मच चाय का पानी, दो चम्मच आँवला पावडर, शिकाकाई व रीठा पावडर, एक चम्मच नीबू का रस, दो चम्मच दही, , आधा चम्मच नारियल तेल व थोड़ा-सा कत्था। यह सामग्री लोहे की कड़ाही में रात को भिगो दें। सुबह हाथों में दस्ताने पहनकर बालों में लगाएँ, त्वचा को बचाएँ, ताकि रंग न लगने पाए। दो घंटे बाद धो लें। यह आयुर्वेदिक खिजाब है, इससे बाल काले होंगे, लेकिन इन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।
* सफेद बालों को कभी भी उखाड़ें नहीं, ऐसा करने से ये ज्यादा संख्या में बढ़ते हैं।
* त्रिफला, नील, लोहे का बुरादा- तीनों 1-1 चम्मच लेकर भृंगराज पौधे के रस में डालकर रात को लोहे की कड़ाही में रख दें। प्रातः इसे बालों में लगाकर, सूख जाने के बाद धो डालें।
* जपा (जवाकुसुम या जास्बंद) के फूल और आँवला, एक साथ कूट-पीसकर लुगदी बनाकर, इसमें बराबर वजन में लौह चूर्ण मिलाकर पीस लें। इसे बालों में लगाकर सूखने के बाद धो डालें।
बादाम एक लाभ अनेक
यह बौद्धिक ऊर्जा बढ़ाने
वाला, दीर्घायु
बनाने वाला है।
मीठे बादाम तेल के सेवन से माँसपेशियों में दर्द जैसी तकलीफ से
मीठे बादाम तेल के सेवन से माँसपेशियों में दर्द जैसी तकलीफ से
तत्काल आराम मिलता है।
बादाम तेल का प्रयोग रंगत में निखार लाता है और बेजान त्वचा
बादाम तेल का प्रयोग रंगत में निखार लाता है और बेजान त्वचा
को रौनक प्रदान करता है। त्वचा की खोई नमी
लौटाने में भी
बादाम तेल सर्वोत्तम माना गया है।
शुद्ध बादाम तेल तनाव को दूर करता है। दृष्टि पैनी करता है और
शुद्ध बादाम तेल तनाव को दूर करता है। दृष्टि पैनी करता है और
स्नायु के दर्द में भी राहत दिलाता है।
विटामिन डी से भरपूर बादाम तेल बच्चों की हड्डियों के विकास में
विटामिन डी से भरपूर बादाम तेल बच्चों की हड्डियों के विकास में
भी योगदान करता है। बादाम तेल से रूसी
दूर होती है और बालों
की साज-सँभाल में भी यह कारगर है। इसमें मौजूद विटामिन
तथा
खनिज पदार्थ बालों को चमकदार और सेहतमंद बनाते हैं।
बादाम तेल का इस्तेमाल बाहर से किया जाए या फिर इसका सेवन
बादाम तेल का इस्तेमाल बाहर से किया जाए या फिर इसका सेवन
किया जाए, यह हर लिहाज से उपचारी और उपयोगी साबित होता
है। हर
रोज रात को 250 मिग्रा गुनगुने दूध में 5-10 मिली
बादाम तेल मिलाकर सेवन करना लाभदायक होता है।
त्वचा को नरम, मुलायम बनाने के लिए भी आप इसे लगा सकते
त्वचा को नरम, मुलायम बनाने के लिए भी आप इसे लगा सकते
हैं। नहाने से 2-3 घंटे पहले इसे लगाना आदर्श रहता
है। बादाम
तेल की मालिश न सिर्फ बालों के लिए अच्छी होती है, बल्कि
मस्तिष्क के विकास में भी फायदेमंद होती है। हफ्ते में एक बार
बादाम
तेल की मालिश गुणकारी है।
स्वास्थ्य रहने के लिए ---- होम टिप्स
* यदि
नींद न आने की शिकायत है, तो
रात्रि में सोते समय
तलवों पर सरसों का तेल लगाएँ।
* एक कप गुलाब जल में आधा नींबू निचोड़ लें, इससे सुबह-शाम
* एक कप गुलाब जल में आधा नींबू निचोड़ लें, इससे सुबह-शाम
कुल्ले करने पर मुँह की बदबू दूर होकर
मसूड़े व दाँत मजबूत होते
हैं।
* भोजन के साथ 2 केले प्रतिदिन सेवन करने से भूख में वृद्धि
होती है।
* आँवला भूनकर खाने से खाँसी में फौरन राहत मिलती है।
* 1 चम्मच शुद्ध घी में हींग मिलाकर पीने से पेटदर्द में राहत
* आँवला भूनकर खाने से खाँसी में फौरन राहत मिलती है।
* 1 चम्मच शुद्ध घी में हींग मिलाकर पीने से पेटदर्द में राहत
मिलती है।
* टमाटर को पीसकर चेहरे पर इसका लेप लगाने से त्वचा की
कांति और चमक दो गुना बढ़ जाती है। मुँहासे, चेहरे की झाइयाँ
और दाग-धब्बे दूर करने में मदद मिलती है।
* पसीना अधिक आता हो तो पानी में फिटकरी डालकर स्नान
* पसीना अधिक आता हो तो पानी में फिटकरी डालकर स्नान
करें।
* उबलते पानी में नींबू निचोड़कर पानी पीने से ज्वर का तापमान
* उबलते पानी में नींबू निचोड़कर पानी पीने से ज्वर का तापमान
गिर
जाता है।
* सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाने से होंठ नहीं
* सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाने से होंठ नहीं
फटते।
Tuesday, 19 August 2014
Haldi ak pryog anek
Haldi ak pryog anek
हल्दी एक प्रयोग अनेक
हल्दी में दर्द निवारक गुण भी हैं। यदि बदन दर्द हो तो हल्दी चूर्ण को दूध के साथ लेने पर राहत मिलती है।
- गले के दर्द में कच्ची हल्दी अदरक के साथ पीसकर गुड़ मिलाकर गर्म कर उसका सेवन करना लाभ पहुँचाता है।
- हल्दी के प्रयोग से घाव भी जल्दी ठीक हो जाते हैं। यही कारण है कि घरों में छोटी-मोटी चोट लग जाने पर हल्दी का प्रयोग आज भी प्रचलित है।
- यदि मुँह में छाले हो जाएँ तो हल्दी पावडर को गुनगुना करके छालों पर लगाएँ या गुनगुने पानी में हल्दी पावडर मिलाकर कुल्ले करें।
रजोनिवृत्ति के पश्चात हार्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी लेने वाली महिलाओं में हल्दी का सेवन करने से कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है।
- हृदय रोग से भी बचाती है।
- हल्दी मोटापा घटाने में सहायक होती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक रसायन शरीर में जल्दी घुल जाता है। यह शरीर में वसा वाले टिशू को बढ़ने नहीं देता।
- यदि दर्द जोड़ों का हो तो हल्दी चूर्ण का पेस्ट बनाकर लेप करना चाहिए। हड्डी टूट जाने, मोच आ जाने या भीतरी चोट के दर्द से निजात पाने के लिए गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीना फायदेमंद है।
हल्दी एक प्रयोग अनेक
हल्दी में दर्द निवारक गुण भी हैं। यदि बदन दर्द हो तो हल्दी चूर्ण को दूध के साथ लेने पर राहत मिलती है।
- गले के दर्द में कच्ची हल्दी अदरक के साथ पीसकर गुड़ मिलाकर गर्म कर उसका सेवन करना लाभ पहुँचाता है।
- हल्दी के प्रयोग से घाव भी जल्दी ठीक हो जाते हैं। यही कारण है कि घरों में छोटी-मोटी चोट लग जाने पर हल्दी का प्रयोग आज भी प्रचलित है।
- यदि मुँह में छाले हो जाएँ तो हल्दी पावडर को गुनगुना करके छालों पर लगाएँ या गुनगुने पानी में हल्दी पावडर मिलाकर कुल्ले करें।
रजोनिवृत्ति के पश्चात हार्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी लेने वाली महिलाओं में हल्दी का सेवन करने से कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है।
- हृदय रोग से भी बचाती है।
- हल्दी मोटापा घटाने में सहायक होती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक रसायन शरीर में जल्दी घुल जाता है। यह शरीर में वसा वाले टिशू को बढ़ने नहीं देता।
- यदि दर्द जोड़ों का हो तो हल्दी चूर्ण का पेस्ट बनाकर लेप करना चाहिए। हड्डी टूट जाने, मोच आ जाने या भीतरी चोट के दर्द से निजात पाने के लिए गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीना फायदेमंद है।
Subscribe to:
Posts (Atom)