Saturday, 30 August 2014

ganesh ji ki puja se purn kre apni sabhi manokamna

गणेश जी की पूजा से पूर्ण करे अपनी सभी मनोकामना

ganesh ji ki puja se purn kre apni sabhi manokamna

वर्तमान  समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी परेशानी से परेशान रहता है। इस परेशानी को बहुत हद तक कम किया जा सकता है यदि रोज सुबह के समय{अपनी सुविधा अनुसार } गणेश जी की पंचोपचार या षोडशोउपचार पूजन कर  के 108 नाम से दूर्वा चढ़ावे तो जीवन की हरमुश्किल आशान हो   जाएँगी । गणेश जी कोरिधि  सिद्धि शुभ लाभ एवम विघ्नहर्त्ता कहा गया है। गणेश जी के 108 नाम व सरल पूजन विधि  इस प्रकार हैं:-


पूजन सामग्री 

जल,दूध,दही,शहद,घी,चीनी,पंचामृत,वस्त्र,जनेऊ,मधुपर्क,सुगंध,लाल चन्दन,रोली,सिन्दूर,अक्षत(चावल),फूल,माला,बेलपत्र,दूब,शमीपत्र,गुलाल,आभूषण,सुगन्धित तेल,धूपबत्ती,दीपक,प्रसाद,फल,गंगाजल,पान,सुपारी,रूई,कपूर |
विधि- गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े |
                                               
और आवाहन करें -
    गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं |
    उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम ||
    आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव |
    यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव ||

और अब प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा) करें -
   अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च |
   अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन ||
आसन-
   रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम |
   आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः ||
पाद्य (पैर धुलना)-
     उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम |
     पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम ||
आर्घ्य(हाथ धुलना )-
     अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतै :|
     करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते ||
आचमन -
     सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं |
     आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः ||
स्नान -
     गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:|
     स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे ||
दूध् से स्नान -
     कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम |
     पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं ||
दही से स्नान-
    पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं |

    दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां ||
घी से स्नान -
   नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं |
   घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
शहद से स्नान-
   तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः |

तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
 शर्करा (चीनी) से स्नान -
     इक्षुसार समुदभूता शंकरा पुष्टिकार्कम |
     मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
पंचामृत से स्नान -

पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं |

    पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

शुध्दोदक (शुद्ध जल ) से स्नान -
    मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम |
    तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
वस्त्र -
   सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे |
   मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां ||
उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा )-
   सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव : |
    वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो ||
यज्ञोपवीत -
    नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |
    उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||
मधुपर्क -
    कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः |
    मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां ||
गन्ध -
    श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम |
    विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां ||

रक्त(लाल )चन्दन-
    रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम |
    मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम ||
रोली -
    कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम |
    कुम्कुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्: ||
सिन्दूर-
    सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् ||
    शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां ||
अक्षत -
     अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः |
     माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः ||
पुष्प-
     पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै: |
     पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां ||
पुष्प माला -
      माल्यादीनि सुगन्धिनी मालत्यादीनि वै प्रभो |
       मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर: ||
बेल का पत्र -
     त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै :शुभै : |
      तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर : ||
 दूर्वा -
      त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि |

      सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव ||
 दूर्वाकर -
     दूर्वाकुरान सुहरिता नमृतान मंगलप्रदाम |
     आनीतांस्तव पूजार्थ गृहाण गणनायक:||
शमीपत्र -
   शमी शमय ये पापं शमी लाहित कष्टका |
   धारिण्यर्जुनवाणानां रामस्य प्रियवादिनी ||
अबीर गुलाल -
   अबीरं च गुलालं च चोवा चन्दन्मेव च |
   अबीरेणर्चितो देव क्षत: शान्ति प्रयच्छमे ||
आभूषण -
    अलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान |

    गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर: ||
सुगंध तेल -
    चम्पकाशोक वकु ल मालती मीगरादिभि: |
    वासितं स्निग्धता हेतु तेलं चारु प्रगृह्यतां ||
धूप-
    वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम : |
    आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां ||
दीप -
     आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया |
     दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम ||
नैवेद्य-
    शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम |
    उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां ||
मध्येपानीय -
   अतितृप्तिकरं तोयं सुगन्धि च पिबेच्छ्या |

   त्वयि तृप्ते जगतृप्तं नित्यतृप्ते महात्मनि ||

ऋतुफल-

   नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम |
   कुष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं प्रतिगृह्यतां ||
आचमन -
   गंगाजलं समानीतां सुवर्णकलशे स्थितन |
   आचमम्यतां सुरश्रेष्ठ शुद्धमाचनीयकम ||
अखंड ऋतुफल -
    इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव |
    तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि ||
ताम्बूल पूंगीफलं -
    पूंगीफलम महद्दिश्यं नागवल्लीदलैर्युतम |
    एलादि चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां ||
दक्षिणा(दान)-
    हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो: |
    अनन्तपुण्यफलदमत : शान्ति प्रयच्छ मे ||
आरती -
   चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च |
    त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम ||
पुष्पांजलि -
    नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोदभवानि च |
    पुष्पांजलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर: ||
प्रार्थना-
    रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक:
    भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात ||
         अनया पूजया गणपति: प्रीयतां न मम ||
        

                    श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा |
माता जाकी पारवती,पिता महादेवा ||
एक दन्त दयावंत,चार भुजा धारी |
मस्तक पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी || जय ...................................................
अंधन को आँख देत,कोढ़िन को काया |
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया || जय ...................................................
हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा |
लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा || जय ....................................................
दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी |
कामना को पूरा करो जग बलिहारी || जय

          108 नाम से दूर्वा चढ़ावे

1. बालगणपति: सबसे प्रिय बालक
2. भालचन्द्र: जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो
3. बुद्धिनाथ: बुद्धि के भगवान
4. धूम्रवर्ण: धुंए को उड़ाने वाला
5. एकाक्षर: एकल अक्षर
6. एकदन्त: एक दांत वाले
7. गजकर्ण: हाथी की तरह आंखें वाला
8. गजानन: हाथी के मुँख वाले भगवान
9. गजनान: हाथी के मुख वाले भगवान
10. गजवक्र: हाथी की सूंड वाला
11. गजवक्त्र: जिसका हाथी की तरह मुँह है
12. गणाध्यक्ष: सभी जणों का मालिक
13. गणपति: सभी गणों के मालिक
14. गौरीसुत: माता गौरी का बेटा
15. लम्बकर्ण: बड़े कान वाले देव
16. लम्बोदर: बड़े पेट वाले
17. महाबल: अत्यधिक बलशाली वाले प्रभु
18. महागणपति: देवातिदेव
19. महेश्वर: सारे ब्रह्मांड के भगवान
20. मंगलमूर्त्ति: सभी शुभ कार्य के देव
21. मूषकवाहन: जिसका सारथी मूषक है
22. निदीश्वरम: धन और निधि के दाता
23. प्रथमेश्वर: सब के बीच प्रथम आने वाला
24. शूपकर्ण: बड़े कान वाले देव
25. शुभम: सभी शुभ कार्यों के प्रभु
26. सिद्धिदाता: इच्छाओं और अवसरों के स्वामी
27. सिद्दिविनायक: सफलता के स्वामी
28. सुरेश्वरम: देवों के देव
29. वक्रतुण्ड: घुमावदार सूंड
30. अखूरथ: जिसका सारथी मूषक है
31. अलम्पता: अनन्त देव
32. अमित: अतुलनीय प्रभु
33. अनन्तचिदरुपम: अनंत और व्यक्ति चेतना
34. अवनीश: पूरे विश्व के प्रभु
35. अविघ्न: बाधाओं को हरने वाले
36. भीम: विशाल
37. भूपति: धरती के मालिक
38. भुवनपति: देवों के देव
39. बुद्धिप्रिय: ज्ञान के दाता
40. बुद्धिविधाता: बुद्धि के मालिक
41. चतुर्भुज: चार भुजाओं वाले
42. देवादेव: सभी भगवान में सर्वोपरी
43. देवांतकनाशकारी: बुराइयों और असुरों के विनाशक
44. देवव्रत: सबकी तपस्या स्वीकार करने वाले
45. देवेन्द्राशिक: सभी देवताओं की रक्षा करने वाले
46. धार्मिक: दान देने वाला
47. दूर्जा: अपराजित देव
48. द्वैमातुर: दो माताओं वाले
49. एकदंष्ट्र: एक दांत वाले
50. ईशानपुत्र: भगवान शिव के बेटे
51. गदाधर: जिसका हथियार गदा है
52. गणाध्यक्षिण: सभी पिंडों के नेता
53. गुणिन: जो सभी गुणों क ज्ञानी
54. हरिद्र: स्वर्ण के रंग वाला
55. हेरम्ब: माँ का प्रिय पुत्र
56. कपिल: पीले भूरे रंग वाला
57. कवीश: कवियों के स्वामी
58. कीर्त्ति: यश के स्वामी
59. कृपाकर: कृपा करने वाले
60. कृष्णपिंगाश: पीली भूरी आंखवाले
61. क्षेमंकरी: माफी प्रदान करने वाला
62. क्षिप्रा: आराधना के योग्य
63. मनोमय: दिल जीतने वाले
64. मृत्युंजय: मौत को हरने वाले
65. मूढ़ाकरम: जिन्में खुशी का वास होता है
66. मुक्तिदायी: शाश्वत आनंद के दाता
67. नादप्रतिष्ठित: जिसे संगीत से प्यार हो
68. नमस्थेतु:  सभी बुराइयों और पापों पर विजय प्राप्त करने वाले
69. नन्दन: भगवान शिव का बेटा
70. सिद्धांथ:  सफलता और उपलब्धियों की गुरु
71. पीताम्बर: पीले वस्त्र धारण करने वाला
72. प्रमोद: आनंद
73. पुरुष: अद्भुत व्यक्तित्व
74. रक्त: लाल रंग के शरीर वाला
75. रुद्रप्रिय: भगवान शिव के चहीते
76. सर्वदेवात्मन: सभी स्वर्गीय प्रसाद के स्वीकार्ता
77. सर्वसिद्धांत: कौशल और बुद्धि के दाता
78. सर्वात्मन: ब्रह्मांड की रक्षा करने वाला
79. ओमकार: ओम के आकार वाला
80. शशिवर्णम: जिसका रंग चंद्रमा को भाता हो
81. शुभगुणकानन: जो सभी गुण के गुरु हैं
82. श्वेता: जो सफेद रंग के रूप में शुद्ध है
83. सिद्धिप्रिय: इच्छापूर्ति वाले
84. स्कन्दपूर्वज: भगवान कार्तिकेय के भाई
85. सुमुख: शुभ मुख वाले
86. स्वरुप: सौंदर्य के प्रेमी
87. तरुण: जिसकी कोई आयु न हो
88. उद्दण्ड: शरारती
89. उमापुत्र: पार्वती के बेटे
90. वरगणपति: अवसरों के स्वामी
91. वरप्रद: इच्छाओं और अवसरों के अनुदाता
92. वरदविनायक: सफलता के स्वामी
93. वीरगणपति: वीर प्रभु
94. विद्यावारिधि: बुद्धि की देव
95. विघ्नहर: बाधाओं को दूर करने वाले
96. विघ्नहर्त्ता: बुद्धि की देव
97. विघ्नविनाशन: बाधाओं का अंत करने वाले
98. विघ्नराज: सभी बाधाओं के मालिक
99. विघ्नराजेन्द्र: सभी बाधाओं के भगवान
100. विघ्नविनाशाय: सभी बाधाओं का नाश करने वाला
101. विघ्नेश्वर: सभी बाधाओं के हरने वाले भगवान
102. विकट: अत्यंत विशाल
103. विनायक: सब का भगवान
104. विश्वमुख:  ब्रह्मांड के गुरु
105. विश्वराजा: संसार के स्वामी
105. यज्ञकाय:  सभी पवित्र और बलि को स्वीकार करने वाला
106. यशस्कर:  प्रसिद्धि और भाग्य के स्वामी
107. यशस्विन: सबसे प्यारे और लोकप्रिय देव
108. योगाधिप: ध्यान के प्रभु

Thursday, 28 August 2014

Monthly Rashiphal --september 2014


 Monthly Rashiphal  --september 2014

मासिक  राशि फल –सितम्बर  2014

 मेष राशि --   समय  में सुधार,रुके कामबनेगे ,मान                   सम्मान की बढ़े |
वृष ---भाई की वृद्धि हो,सुख सुविधा बढ़े,यात्रा हो,समाचार          चिंता का विषय बने|
मिथुन ---कुटुम्बमें सुख,मिलन हो,शत्रुहार माने,स्त्री के प्रति         चिंता,धार्मिक कार्य हो
कर्क ---समय का लाभ उठाये,रुके हुए कार्य              बनेगे,सम्मानबढ़ेगा |
सिंह ---परिवार की किसी बात को लेकर चिंता, शुभ कार्य          में व्यय अधिक हो|            
कन्या ---रोजगारबढ़े,रोग से चिंता,लाभ के योग बने |
तुला ----कुटुम्ब परिवार में परेशानी,नये कार्य बने,स्त्री            कष्ट,चोट,यात्रा योग |
वृश्चिक----पराक्रमसे यश,मान,कार्य बने,चिंता स्वास्थ्य विषम          रहे|
धनु -----वातरोग,परिवार में सुख,पराक्रम सेकार्य बने,धार्मिक        कार्य हो,नईवस्तु आये |
मकर ----समय का फायदाउठावे,यश बढ़े,कार्य बने,भाई मित्र       से मदद मिले,सुख सुविधा बढ़े |
कुम्भ ---राष्ट्र कार्य से मान प्रतिष्ठा बढ़े,परिवार में हर्ष,भाई       –बहनो में चिंता,समस्या बने|
मीन ---संतानो के कार्यो से हर्ष,मान बढ़े,मंगल कार्य हो         चिंता हो |                 
मुक्ता ज्योतिष समाधान केंद्र
मो.--+917697961597        




Tuesday, 26 August 2014

हरितालिका तीज व्रत

हरितालिका तीज व्रत -----
 अखंड सौभाग्य देने वाला व्रत 


भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन अखंड सौभाग्य की कामना के लिए स्त्रियां हरतालिका तीज का विशिष्ट व्रत रखती हैं. शास्त्र इस व्रत की आज्ञा सम्पूर्ण स्त्री जाति को प्रदान करता है. कुँवारी कन्याएँ सुयोग्य एवं सुंदर जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए और विवाहिता स्त्रियां अपने पति की सुख, समृद्धि और दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं. इस व्रत को अखण्ड सौभाग्य प्रदान करने वाला  माना जाता है. यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है. इसमें सुबह चार बजे उठकर बिना बोले नहाना होता है और फिर निर्जल रहकर व्रत करना पड़ता है अर्थात इसमें अन्न, फल, दूध इत्यादि की मनाही तो होती है, पूरे दिन व्रत करने वाली स्त्रियां जल भी नहीं पीती. हरतालिका तीज पर रात भर भजन-जागरण होता है. इस व्रत को करने की इच्छुक स्त्रियों को चाहिए कि वे व्रत के एक दिन पहले बहुत ही सात्विक आहार लें. फलाहार अथवा अन्य हल्का आहार करना उत्तम होगा. रात्रि को सोने से पहले दातुन कर लेना चाहिए. रात्रि में सोते समय भवगती पार्वती और भगवान शिव से इस कठिन व्रत को पूरा करने के लिए शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करें.
इस व्रत का प्रारंभ ''मम उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये'' के संकल्प के साथ करना चाहिए.

              भारतीय महिलाओं ने इस पुरानी परंपराओं को कायम रखा है. यह शिव-पार्वती की आराधना का सौभाग्य व्रत है, जो केवल महिलाओं के लिए है. महिलाएं व कन्याएं भगवान शिव को गंगाजल, दही, दूध, शहद आदि से स्नान कराकर उन्हें फल समर्पित करती हैं. रात्रि के समय अपने घरों में सुंदर वस्त्रों, फूल पत्रों से सजाकर फुलहरा बनाकर भगवान शिव और पार्वती का विधि-विधान से पूजन अर्चन किया जाता है.


पौराणिक कथा : 

                हरितालिका तीज की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शंकर-पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठे थे. तब पार्वती ने शंकर जी से पूछा कि सभी व्रतों में श्रेष्ठ व्रत कौन-सा है और मैं आपको पत्नी के रूप में कैसे मिली. तब शंकर जी ने कहा कि जिस प्रकार नक्षत्रों में चंद्रमा, ग्रहों में सूर्य, चार वर्णों में ब्राह्मण, देवताओं में विष्णु, नदियों में गंगा श्रेष्ठ है. उसी प्रकार व्रतों में हरितालिका व्रत श्रेष्ठ है. पार्वती ने पूर्व में हिमालय पर्वत पर हरितालिका व्रत किया था. (माना जाता है कि भगवान शिव ने पार्वती को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के उद्देश्य से इस व्रत की महात्म्य कथा कही थी).

              कथा के अनुसार पूर्वजन्म में पार्वती प्रजापति दक्ष और प्रसूति की पुत्री थीं और उनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था. एक बार प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया. सती भगवान शिव के मना करने पर भी पिता द्वारा आयोजित यज्ञ को देखने पहुंच गयीं. यज्ञस्थल पर प्रजापति दक्ष द्वारा भगवान शंकर का घोर अपमान किया गया. इस अपमान से क्षुब्ध होकर सती ने स्वयं को योगाग्नि में भस्म कर लिया. सती की मृत्यु का समाचार पाकर भगवान शंकर ने वीरभद्र नामक गण को भेजा, जिसने यज्ञ का विध्वंश कर दिया और स्वयं अखंड समाधि में चले गए. बाद में देवी सती ने ही गिरिराज हिमालय और मैना की पुत्री पार्वती के
रूप में जन्म लिया. इस जन्म में भी पार्वती की आस्था भगवान शंकर के प्रति अक्षुण्ण बनी रही. युवावस्था आने पर वह मनोनुकूल वर की प्राप्ति के लिए तपस्यारत हो गईं. पुत्री के अति कठोर तप को देखकर हिमालय बहुत उद्विग्न हुए. उन्होंने विचार-विमर्श कर अपनी बेटी का विवाह भगवान विष्णु से करने का निर्णय लिया. मन ही मन भगवान शिव को अपना वर मान चुकी देवी पार्वती को यह समाचार सुनकर बड़ा आघात लगा. उन्होंने सखियों को अपने मन की बात बताई. पिता की नजरों से पार्वती को बचाने के लिए उनकी सखियों ने उनको घने जंगल में छिपा दिया. जैसे किसी का हरण किया जाता है उसी तरह उमा की सखियों नें उनको जंगल में छिपा दिया था. इसी कारण इस व्रत का नाम हरितालिका पड़ा, '''आखिभिर्हरितायस्माचस्मात्सा हरितालिका'''. हरत अर्थात हरण करना और आलिका अर्थात सहेली. वन की एक पर्वतीय कंदरा में पार्वती जी ने शिव की प्रतिमा बनाकर उनका पूजन किया. उस दिन भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया थी. पार्वती जी ने निर्जल और निराहार व्रत करते हुए दिन-रात शिव की आराधना की. पार्वती की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर शिव प्रकट हुए और उन्होंने पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वर दिया. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन भगवान शिव ने पार्वती जी को वर के रूप में प्राप्त होने का वर दिया था. तभी से यह पर्व मनाया जाता है.

Saturday, 23 August 2014

होम टिप्स ----

           
  होम टिप्स ----                            घरेलू फेस पैक---        कोमल व बेदाग  त्वचा के लिए 

आधी कटोरी बेसन में एक चम्मच खसखस के दाने एक चम्मच सरसों के दाने व कच्चा दूध मिलाकर बारीक पीस लें। इस फेस पेक को 15 मिनट चेहरे पर लगाएँ। फिर ठंडे पानी से धो लें।


                               त्वचा की रंगत निखरने के लिए 

सरसों व मसूर की दाल की बराबर मात्रा लेकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसमें गुलाब की पत्तियाँ मिलाकर पीस लें। इस पेक को अपनी त्वचा पर 20 मिनट लगाकर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।


                            शहद के फेस पेक  


1.      . एक चम्मच मुल्तानी मिट्‍टी पावडर, एक चम्मच गुलाब जल, एक चम्मच शहद व एक चम्मच संतरे का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की रंगत निखरती है।

 केले को मसलकर उसमें एक बड़ा चम्मच शहद व आटे को चोकर मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। कुछ समय पश्चात चेहरा धो लें।


रे                              चेहरे    की झाइयाँ मिटाएँ  

          * आ लू को घिसकर चेहरे पर लगाए                कटे टमाटर को चेहरे पर रगड़ना फायदेमंद होता है।


1.  *     खीरे के रस में जैतुन के तेल की बूँद मिलाकर लगाएँ।
 * केले के गुदे को चेहरे पर लगाने से झाइयाँ मिटती हैं। 
गाजर के रस में पिसी बादाम व कच्चे दूध को मिलाकर लगाएँ।
*  रोजाना बादाम का तेल चेहरे पर लगाएँ।

1.                                                                                                                         ब्लैक हेड्‍स हटाएँ
2.    * पहले पानी से मुहँ को धो लीजिए फिर हल्के स्क्रब का प्रयोग
 करिए। इससे अधिक तेल एवं त्वचा की सूखी पपड़ी उतर जाएगी।
 स्क्रब से चेहरा साफ हो जाता है।
घर से बाहर जाने से पहले चेहरे पर मॉइस्चराइज़र का उपयोग

     जरूर करें।


 
एक बड़ी तपेली में पानी गरम कर लीजिए, उबलते पानी की भाप

 मुँह पर लगाने से ब्लैक हेड्स को आसानी से हटाया जा सकता है।

 रोग संक्रमण से बचने के लिए यह उपचार बेहतर है।

ब्लैक हेड्स स्ट्रीप से ये दाग आसानी से हट जाते हैं। 
हाथों से ब्लैक हेड्स को न छुएँ। इससे रोग का संक्रमण और
 फैल जाएगा। 
त्वचा की देखभाल के लिए टोनर, क्लीनर एवं मॉइस्चराइ

  जर्स लगाना चाहिए। ये सारी चीज़ें अच्छे कंपनी की होनी चाहिए। 

खूब सारा पानी पीना चाहिए जिससे पेट की प्रणाली सही प्रकार से

  काम करे।
 
ज्यादा तेल या मसाले के पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।

 इससे त्वचा पर प्रभाव पड़ता है।
 
नियमित व्यायाम करने एवं संतुलित भोजन के सेवन से त्वचा

 में चमक झलकती है। त्वचा का रंग और निखर उठता है।


            सफेद बालों हेतु घरेलू खिजा 

पिसी हुई सूखी मेहँदी एक कप, कॉफी पावडर पिसा हुआ 1 चम्मच, दही 1 चम्मच, नीबू का रस 1 चम्मच, पिसा कत्था 1 चम्मच, ब्राह्मी बूटी का चूर्ण 1 चम्मच, आँवला चूर्ण 1 चम्मच और सूखे पोदीने का चूर्ण 1 चम्मच। इतनी मात्रा एक बार प्रयोग करने की है। इसे एक सप्ताह में एक बार या दो सप्ताह में एक बार अवकाश के दिन प्रयोग करना चाहिए।

सभी सामग्री पर्याप्त मात्रा में पानी लेकर भिगो दें और दो घण्टे तक रखा रहने दें। पानी इतना लें कि लेप गाढ़ा रहे, ताकि बालों में लगा रह सके। यदि बालों में रंग न लाना हो तो इस नुस्खे से कॉफी और कत्था हटा दें। पानी में दो घण्टे तक गलाने के बाद इस लेप को सिर के बालों में खूब अच्छी तरह, जड़ों तक लगाएँ और घण्टेभर तक सूखने दें।

इसके बाद बालों को पानी से धो डालें। रात में तेल से मालिश कर परत:अच्छे शैम्पू से धो ले |


* आमलकी रसायन आधा चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से बाल प्राकृतिक रूप से जड़ से काले हो जाते हैं।

* एक छोटी कटोरी मेहँदी पावडर लें, इसमें दो बड़े चम्मच चाय का पानी, दो चम्मच आँवला पावडर, शिकाकाई व रीठा पावडर, एक चम्मच नीबू का रस, दो चम्मच दही, , आधा चम्मच नारियल तेल व थोड़ा-सा कत्था। यह सामग्री लोहे की कड़ाही में रात को भिगो दें। सुबह हाथों में दस्ताने पहनकर बालों में लगाएँ, त्वचा को बचाएँ, ताकि रंग न लगने पाए। दो घंटे बाद धो लें। यह आयुर्वेदिक खिजाब है, इससे बाल काले होंगे, लेकिन इन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।

* सफेद बालों को कभी भी उखाड़ें नहीं, ऐसा करने से ये ज्यादा संख्या में बढ़ते हैं। 

* त्रिफला, नील, लोहे का बुरादा- तीनों 1-1 चम्मच लेकर भृंगराज पौधे के रस में डालकर रात को लोहे की कड़ाही में रख दें। प्रातः इसे बालों में लगाकर, सूख जाने के बाद धो डालें।

* जपा (जवाकुसुम या जास्बंद) के फूल और आँवला, एक साथ कूट-पीसकर लुगदी बनाकर, इसमें बराबर वजन में लौह चूर्ण मिलाकर पीस लें। इसे बालों में लगाकर सूखने के बाद धो डालें।


                           
बादाम एक लाभ अनेक 

यह बौद्धिक ऊर्जा बढ़ाने वाला, दीर्घायु बनाने वाला है।

मीठे बादाम तेल के सेवन से माँसपेशियों में दर्द जैसी तकलीफ से

 तत्काल आराम मिलता है।

बादाम तेल का प्रयोग रंगत में निखार लाता है और बेजान त्वचा

 को रौनक प्रदान करता है। त्वचा की खोई नमी लौटाने में भी

 बादाम तेल सर्वोत्तम माना गया है।

शुद्ध बादाम तेल तनाव को दूर करता है। दृष्टि पैनी करता है और

 स्नायु के दर्द में भी राहत दिलाता है।


विटामिन डी से भरपूर बादाम तेल बच्चों की हड्डियों के विकास में

 भी योगदान करता है। बादाम तेल से रूसी दूर होती है और बालों

 की साज-सँभाल में भी यह कारगर है। इसमें मौजूद विटामिन

 तथा खनिज पदार्थ बालों को चमकदार और सेहतमंद बनाते हैं। 

बादाम तेल का इस्तेमाल बाहर से किया जाए या फिर इसका सेवन

 किया जाए, यह हर लिहाज से उपचारी और उपयोगी साबित होता

 है। हर रोज रात को 250 मिग्रा गुनगुने दूध में 5-10 मिली

 बादाम तेल मिलाकर सेवन करना लाभदायक होता है। 

त्वचा को नरम, मुलायम बनाने के लिए भी आप इसे लगा सकते

 हैं। नहाने से 2-3 घंटे पहले इसे लगाना आदर्श रहता है। बादाम

 तेल की मालिश न सिर्फ बालों के लिए अच्छी होती है, बल्कि

 मस्तिष्क के विकास में भी फायदेमंद होती है। हफ्ते में एक बार

 बादाम तेल की मालिश गुणकारी है।

               स्वास्थ्य रहने के लिए ----          होम टिप्स 

 * यदि नींद न आने की शिकायत है, तो रात्रि में सोते समय

 तलवों पर सरसों का तेल लगाएँ। 

*
क कप गुलाब जल में आधा नींबू निचोड़ लें, इससे सुबह-शाम

 कुल्ले करने पर मुँह की बदबू दूर होकर मसूड़े व दाँत मजबूत होते

हैं। 

* भोजन के साथ 2 केले प्रतिदिन सेवन करने से भूख में वृद्धि

 होती है।

* आँवला भूनकर खाने से खाँसी में फौरन राहत मिलती है। 

* 1 चम्मच शुद्ध घी में हींग मिलाकर पीने से पेटदर्द में राहत

मिलती है।
 

* टमाटर को पीसकर चेहरे पर इसका लेप लगाने से त्वचा की

 कांति और चमक दो गुना बढ़ जाती है। मुँहासे, चेहरे की झाइयाँ

 और दाग-धब्बे दूर करने में मदद मिलती है। 

* पसीना अधिक आता हो तो पानी में फिटकरी डालकर स्नान

 करें। 

* उबलते पानी में नींबू निचोड़कर पानी पीने से ज्वर का तापमान

 गिर जाता है। 

* सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाने से होंठ नहीं

 फटते।












Tuesday, 19 August 2014

Haldi ak pryog anek


    Haldi     ak pryog anek                   
 हल्दी एक प्रयोग अनेक 

 हल्दी में दर्द निवारक गुण भी हैं। यदि बदन दर्द हो तो हल्दी चूर्ण को दूध के साथ लेने पर राहत मिलती है। 

- गले के दर्द में कच्ची हल्दी अदरक के साथ पीसकर गुड़ मिलाकर गर्म कर उसका सेवन करना लाभ पहुँचाता है। 

- हल्दी के प्रयोग से घाव भी जल्दी ठीक हो जाते हैं। यही कारण है कि घरों में छोटी-मोटी चोट लग जाने पर हल्दी का प्रयोग आज भी प्रचलित है। 

- यदि मुँह में छाले हो जाएँ तो हल्दी पावडर को गुनगुना करके छालों पर लगाएँ या गुनगुने पानी में हल्दी पावडर मिलाकर कुल्ले करें।
रजोनिवृत्ति के पश्चात हार्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी लेने वाली महिलाओं में हल्दी का सेवन करने से कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है। 

- हृदय रोग से भी बचाती है।

- हल्दी मोटापा घटाने में सहायक होती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक रसायन शरीर में जल्दी घुल जाता है। यह शरीर में वसा वाले टिशू को बढ़ने नहीं देता। 

- यदि दर्द जोड़ों का हो तो हल्दी चूर्ण का पेस्ट बनाकर लेप करना चाहिए। हड्डी टूट जाने, मोच आ जाने या भीतरी चोट के दर्द से निजात पाने के लिए गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीना फायदेमंद है।