बगलामुखी की साधना --- शत्रु भय से मुक्ति हेतु
bagla mukhi ki sadhna -shtru bhy se mukti hetu
इनकी उपासना में हरिद्रा माला, पीत पुष्प एवं पीत वस्त्र का विधान है। महाविद्याओं में इनका स्थान आठवां है
बगला-मुखी-ध्यान----
मध्येसुधाब्धिमणिमण्डरत्नवेदीसिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम!
पीताम्बराभरणमाल्यभूषितांगीं
देवीं स्मरामि धृतमुद्गरवैरिजिह्वाम!!
जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं
वामें शत्रून परिपीडयन्तीम!
गदाभिवातेन च दक्षिणेन
पीताम्बराढ यां द्विभुजा नमामि !!
सुधा-सागर के मणिमय मण्डल में रत्ननिर्मित वेदी के ऊपर जो सिंहासन है , बगला मुखी देवी उस पर विराजमान हैं! वे पीतावर्णा हैं तथा पीतवस्त्र, पीतवर्ण के आभूषण तथा पीतवर्ण की ही माला को धारण किये हुए हैं! उनके एक हाथ में मुंगर तथा दूसरे हाथ में शत्रु की जिह्वा है! वे अपने बायें हाथ में शत्रु की हिह्वा के अग्रभाग को धारण करके दायें हाथ के गदाघात से शत्रु को पीड़ित कर रही हैं! वे बगलामुखी देवी पीत वस्त्रों से विभूषित तथा दो भुजा वाली है!
बगलामुखी-स्तव--------
बगला सिद्धविद्या च दुष्टनिग्रहकारिणी!
स्तम्भिन्याकर्षिणी चैव तथोच्चाटनकारिणी !!
भैरवी भीमनयनान महेशगृहिणी शुभा!
दशनामात्मकं स्तोत्रं पठेद्वा पाठ्येद्यदि !
स भवेत् मन्त्र सिद्धश्च देवी पुत्र इव क्षितौ !
१ बगला, २ सिद्ध विद्या, ३ दुष्ट निग्रह कारिणी, ४ स्तंभिनी, ५-आकर्षिणी, ६--उच्चाटन, ७--भैरवी, ८-भीमनयना, ९ महेश गृहिणी तथा १० -=शुभादशनामात्मक देवी-स्तोत्र का जो मनुष्य पाठ करता है अथवा दूसरे से पाठ करवाता है, वह मन्त्र सिद्ध होकर देवी-पुत्र की भाँती पृथ्वी पर विचारण करता है!
बगलामुखी कवच-----
ॐ ह्रीं मे हृदयं पादौ श्री बगलामुखी!
ललाटे सततं पातु दुष्टग्रहनिवारिणी!!
"ॐ ह्रीं " यह बीज मेरे हृदय की रक्षा करो, बगलामुखी दोनों पावों की रखा करेन तथा दुष्ट ग्रह निवारिणी मेरे लातात की सदैव रखा करें!
रसानां पातु कौमारी भैरवी चक्षुधोर्म्मम !
कटौ पृष्ठे महेशानी कर्णों शंकरभामिनी!!
कौमारी, मेरी जीभ की, भैरवी नेत्रों की, महेशानी कमर तथा पीठ की एवं शंका-भामिनी मेरे कानों की रक्षा करें!
वर्ज्जतानि तु स्थानानि यानि च कवचेन हि!
तानि सर्व्वाणि मे देवी सततं पातु स्तम्भिनी!!
जिन स्थानों का कवच में वर्णन नहीं किया गया है, स्तम्भिनी देवी उन सब स्थानों की रक्षा करें!
अज्ञातं कवचं देवी यो भजेदबगलामुखीम!
शास्त्राघातमवाप्नोति सत्यं सत्यं ण संशय!!
इस कवच को जाने बिना जो मनुष्य बगलामुखी की उपासना करता है, उसकी शस्त्राघात से मृतु हो जाती है, इसमें संदेह नहीं है! यह सत्य है, सत्य है!
मन्त्र----
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्व्वदुष्टानां वाचं मुखं स्तम्भय जिह्वां कीले कीले बुद्धि नाशय ह्लीं स्वाहा!
इस मन्त्र के द्वारा "बगालामुखि" की पूजा तथा जप आदि करना चाहिये! बगला मुखी माता को "कमला" भी कहते हैं!
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