Wednesday, 13 January 2016

मकर संक्रांति मनाने का विशेष महत्व


मकर संक्रांति मनाने का विशेष महत्व makar sankranti manane ka vishesh mhtva


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                                                                                सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ही मकर संक्रांति कहलाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है। इस दिन स्नान, दान, तप, जप और अनुष्ठान का अत्यधिक महत्व है
सूर्य की उपासना- मकर संक्रांति के दिन सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है। मकर संक्रांति से दिन बढऩे लगता है और रात की अवधि कम होती जाती है। चूंकि सूर्य ही ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत है इसलिए हिंदू धर्म में मकर संक्रांति मनाने का विशेष महत्व है।जरुर करें गंगा स्नान- ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम, प्रयाग में सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान के लिए आते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।   एवं किसी भी पवित्र नदी या घर पर भी तिलएवं गंगा जल स्नान करने से पुण्य की प्राप्ती होती है |                                                                                                   तिल का महत्व- संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं, जो सूर्य देव के पुत्र होते हुए भी सूर्य से शत्रु भाव रखते हैं। इसलिए शनिदेव के घर में सूर्य की उपस्थिति के दौरान शनि उन्हें कष्ट न दें, इसलिए मकर संक्रांति पर तिल का दान किया जाता है।                                                                                                         दान का महत्व- मकर संक्रांति के दिन ब्राह्मणों को अनाज, वस्त्र, ऊनी कपड़े, फल आदि दान करने से शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन दान करने वाला व्यक्ति संपूर्ण भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है।

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