Monday, 30 January 2017
Sunday, 29 January 2017
वसंत पंचमी 1 फरवरी 2017 को -करे सरस्वती जी को प्रसन्न
वसंत पंचमी 1 फरवरी 2017 को -करे सरस्वती जी को प्रसन्न
vasant panchmi kre sarsvati ji ko prsnn
वसंत पंचमी अज्ञान का नाश करके प्रकाश की ओर ले जाती है। इसलिए सभी कार्य इस दिन शुभ होते है।वसंत पंचमी को अबुझ मुहूर्त रहता है अर्थात बिना पंचांग देखे ही कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ कर सकते है। ज्योतिष में पांचवी राशि के अधिष्ठाता भगवान सूर्यनारायण होते है।
इस दिन विद्यार्थी, शिक्षक एवं अन्य सभी देवी सरस्वती का पूजन करें। गरीब छात्रों को पुस्तक, पेन, आदि विद्या उपयोगी वस्तु का दान करें। सरस्वती मंत्र का जाप करें धूप दीप नेवद श्वेत फूल आदि से सरस्वती जी का पूजन करे मंत्र का 108 बार जप करे |
सरस्वती मंत्र: ऊं ऐं सरस्वत्यै नमः
इस दिन शक्तियों के पुनर्जागरण होता है। बसंत पंचमी के दिन सबसे अधिक विवाह होते एवं इस दिन गृह प्रवेश, वाहन क्रय, भवन निर्माण प्रारंभ, विद्यारंभ ग्रहण करना, अनुबंध करना, आभुषण क्रय करना व अन्य कोई भी शुभ एवं मांगलिक कार्य सफल होते है।
- वसंत ऋतु:-समस्त ऋतुओं की राजा इसे ऋतुराज वसंत कहते है यह सृष्टि का यौवनकाल होता है।
- सरस्वती जयंतीः ब्रह्मपुराण के अनुसार देवी सरस्वती इस दिन ब्रह्माजी के मानस से अवतीर्ण हुई थी।
Saturday, 28 January 2017
चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय
चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय
Chanakya Neeti In Hindi
१. तीनो लोको के स्वामी सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु को नमन करते हुए मै एक राज्य के लिए नीति शास्त्र के सिद्धांतों को कहता हूँ. मै यह सूत्र अनेक शास्त्रों का आधार ले कर कह रहा हूँ।
2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा कि किन बातों का अनुशरण करना चाहिए और किनका नहीं। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा और अंततः उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञान होगा।
३. इसलिए लोगो का भला करने के लिए मै उन बातों को कहूंगा जिनसे लोग सभी चीजों को सही परिपेक्ष्य मे देखेगे।
४. एक पंडित भी घोर कष्ट में आ जाता है यदि वह किसी मुर्ख को उपदेश देता है, यदि वह एक दुष्ट पत्नी का पालन-पोषण करता है या किसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है.
५. दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास साक्षात् मृत्यु के समान है।
६ . व्यक्ति को आने वाली मुसीबतो से निबटने के लिए धन संचय करना चाहिए। उसे धन-सम्पदा त्यागकर भी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए। लेकिन यदि आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और पत्नी दोनो को तुक्ष्य समझना चाहिए।
७ .भविष्य में आने वाली मुसीबतो के लिए धन एकत्रित करें। ऐसा ना सोचें की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेजी से घटने लगता है।
८. उस देश मे निवास न करें जहाँ आपकी कोई ईज्जत नहीं हो, जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते, जहा आपका कोई मित्र नहीं और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते।
९ . ऐसे जगह एक दिन भी निवास न करें जहाँ निम्नलिखित पांच ना हो:
एक धनवान व्यक्ति ,
एक ब्राह्मण जो वैदिक शास्त्रों में निपुण हो,
एक राजा,
एक नदी ,
और एक चिकित्सक।
१० . बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नहीं जाना चाहिए जहाँ :
रोजगार कमाने का कोई माध्यम ना हो,
जहा लोगों को किसी बात का भय न हो,
जहा लोगो को किसी बात की लज्जा न हो,
जहा लोग बुद्धिमान न हो,
और जहाँ लोगो की वृत्ति दान धरम करने की ना हो।
११ . नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्त्तव्य का पालन न कर रहा हो,
रिश्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत मे घिरें हों,
मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों मे करें,
और जब आपका वक्त अच्छा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे।
१२ . अच्छा मित्र वही है जो हमे निम्नलिखित परिस्थितियों में नहीं त्यागे:
आवश्यकता पड़ने पर,
किसी दुर्घटना पड़ने पर,
जब अकाल पड़ा हो,
जब युद्ध चल रहा हो,
जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े,
और जब हमे समशान घाट जाना पड़े।
आवश्यकता पड़ने पर,
किसी दुर्घटना पड़ने पर,
जब अकाल पड़ा हो,
जब युद्ध चल रहा हो,
जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े,
और जब हमे समशान घाट जाना पड़े।
१३ . जो व्यक्ति कसी नाशवंत चीज के लिए कभी नाश नहीं होने वाली चीज को छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अविनाशी वस्तु तो चली ही जाती है और इसमे कोई संदेह नहीं की नाशवान को भी वह खो देता है।
१४ . एक बुद्धिमान व्यक्ति को किसी इज्जतदार घर की अविवाहित कन्या से किस वयंग होने के बावजूद भी विवाह करना चाहिए। उसे किसी हीन घर की अत्यंत सुन्दर स्त्री से भी विवाह नहीं करनी चाहिए। शादी-विवाह हमेशा बराबरी के घरो मे ही उिचत होता है।
१५ . इन ५ पर कभी विश्वास ना करें :
१. नदियां,
२. जिन व्यक्तियों के पास अश्त्र-शस्त्र हों,
३. नाख़ून और सींग वाले पशु,
४. औरतें (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है, बहने बुरा न माने )
५. राज घरानो के लोगो पर।
१६ . अगर हो सके तो विष मे से भी अमृत निकाल लें,
यदि सोना गन्दगी में भी पड़ा हो तो उसे उठाये, धोएं और अपनाये,
निचले कुल मे जन्म लेने वाले से भी सर्वोत्तम ज्ञान ग्रहण करें,
उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की कन्या भी महान गुणो से संपनन है और आपको कोई सीख देती है तो गहण करे.
१७ . महिलाओं में पुरुषों कि अपेक्षा:
भूख दो गुना,
लज्जा चार गुना,
साहस छः गुना,
और काम आठ गुना होती है।
लक्ष्मीजी प्रसन्न होती है लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से
लक्ष्मीजी प्रसन्न होती है लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से
laxmi ji prssnhoti hai laxmi chalisaa pdhne se
दोहा
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
सोरठा
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
दोहा
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
।। इति लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।
Friday, 27 January 2017
फिश एक्वैरियम कैसा होना चाहिए
फिश एक्वैरियम कैसा होना चाहिए
एक्वैरियम में रखी जाने वाली मछलियों की संख्या नौ होनी चाहिए।
चीनी वास्तु के अनुसार मछलियों में एक काली मछली का होना शुभ माना गया है। एक गोल्ड मछली का होना भी अच्छा होता है। लाल और एक काली मछली को अच्छी किस्मत और खुशहाली से जोड़कर देखा जाता है।
मछलियों को बार-बार एक से दूसरी जगह पर नहीं रखना चाहिए और उन्हे सिर्फ एक ही व्यक्ति के द्वारा भोजन देना चाहिए।
मछलियों का घर में होना शुभ माना जाता है। ये घर को बुरी नजर से दूर रखती हैं।
मछलियों को दाना देने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
ऐसा भी माना जाता है कि अगर आपके द्वारा पाली गईं मछलियां प्राकृतिक मृत्यु मरती हैं तो आपके घर या ऑफिस की भी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
अगर घर या ऑफिस में वास्तु दोष हो तो फिश एक्वेरियम से दूर कर सकते हैं। इससे समस्याएं भी सुलझेंगी और पैसा भी खूब आएगा।
Wednesday, 25 January 2017
Tuesday, 24 January 2017
रोग स्वयं बताते है किस ग्रह के रोग से पीड़ित है
रोग स्वयं बताते है किस ग्रह के रोग से पीड़ित है
rog swam batate hai kis grh ka rog hai
सूर्य से रोग
सूर्य ग्रहों का राजा है इसलिए यदि सूर्य आपका बलवान है तो बीमारियाँ कुछ भी हों आप कभी परवाह नहीं करेंगे | क्योंकि आपकी आत्मा बलवान होगी | आप शरीर की मामूली व्याधियों की परवाह नहीं करेंगे | परन्तु सूर्य अच्छा नहीं है तो सबसे पहले आपके बाल झड़ेंगे | सर में दर्द अक्सर होगा नेत्र रोग हड्डी के रोग ह्रदय रोग आदि का खतरा रहता है |
चन्द्र रोग
चन्द्र संवेदनशील लोगों का अधिष्ठाता ग्रह है | यदि चन्द्र दुर्बल हुआ तो मन कमजोर होगा और आप भावुक अधिक होंगे | कठोरता से आप तुरंत प्रभावित हो जायेंगे और सहनशक्ति कम होगी | इसके बाद सर्दी जुकाम और खांसी कफ जैसी व्याधियों से शीग्र प्रभावित हो जायेंगे |मानसिक तानवआदि
मंगल रोग
मंगल रक्त का प्रतिनिधित्व करता है परन्तु जिनका मंगल कमजोर होता है रक्त की बीमारियों के अतिरिक्त जोश की .कमी होगी | ऐसे व्यक्ति हर काम को धीरे धीरे करेंगे | आपने देखा होगा कुछ लोग हमेशा सुस्त दिखाई देते हैं और हर काम को भी उस ऊर्जा से नहीं कर पाते | अधिक खराब मंगल से चोट चपेट और एक्सीडेंट आदि का खतरा रहता है |
बुध से रोग
बुध व्यक्ति को चालाक और धूर्त बनाता है | आज यदि आप चालाक नहीं हैं तो दुसरे लोग आपका हर दिन फायदा उठाएंगे | भोले भाले लोगों का बुध अवश्य कमजोर होता है | अधिक खराब बुध से व्यक्ति को चमड़ी के रोग अधिक होते हैं | साँस की बीमारियाँ बुध के दूषित होने से होती हैं | बेहद खराब बुध से व्यक्ति के फेफड़े खराब होने का भय रहता है | व्यक्ति हकलाता है तो भी बुध के कारण और गूंगा बहरापन भी बुध के कारण ही होता है |
ब्रहस्पति के रोग
गुरु यानी ब्रहस्पति व्यक्ति को बुद्धिमान बनता है परन्तु पढ़े लिखे लोग यदि मूर्खों जैसा व्यवहार करें तो समझ लीजिये कि व्यक्ति का गुरु कुंडली में खराब है | गुरु सोचने समझने की शक्ति को प्रभावित करता है और व्यक्ति जडमति हो जाता है | इसके अतिरिक्त गुरु कमजोर होने से पीलिया या पेट के अन्य रोग होते हैं | गुरु यदि दुष्ट ग्रहों से प्रभावित होकर लग्न को प्रभावित करता है तो मोटापा देता है | अधिकतर लोग जो शरीर से काफी मोटे होते हैं उनकी कुंडली में गुरु की स्थिति कुछ ऐसी ही होती है |
शुक्रके रोग
शुक्र मनोरंजन का कारक ग्रह है | शुक्र स्त्री, यौन सुख, वीर्य और हर प्रकार के सुख और सुन्दरता का कारक ग्रह है | यदि शुक्र की स्थिति अशुभ हो तो जातक के जीवन से मनोरंजन को समाप्त कर देता है | नपुंसकता या सेक्स के प्रति अरुचि का कारण अधिकतर शुक्र ही होता है | मंगल की दृष्टि या प्रभाव निर्बल शुक्र पर हो तो जातक को ब्लड शुगर हो जाती है | इसके अतिरिक्त शुक्र के अशुभ होने से व्यक्ति के शरीर को बेडोल बना देता है | बहुत अधिक पतला शरीर या ठिगना कद शुक्र की अशुभ स्थिति के कारण होता है |
दीर्घ कालीन रोग और शनि
शनि दर्द या दुःख का प्रतिनिधित्व करता है | जितने प्रकार की शारीरिक व्याधियां हैं उनके परिणामस्वरूप व्यक्ति को जो दुःख और कष्ट प्राप्त होता है उसका कारण शनि होता है | शनि का प्रभाव दुसरे ग्रहों पर हो तो शनि उसी ग्रह से सम्बन्धित रोग देता है | शनि की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक कुछ भी कर ले सर दर्द कभी पीछा नहीं छोड़ता | चन्द्र पर हो तो जातक को नजला होता है | मंगल पर हो तो रक्त में न्यूनता या ब्लड प्रेशर, बुध पर हो तो नपुंसकता, गुरु पर हो तो मोटापा, शुक्र पर हो तो वीर्य के रोग या प्रजनन क्षमता को कमजोर करता है और राहू पर शनि के प्रभाव से जातक को उच्च और निम्न रक्तचाप दोनों से पीड़ित रखता है | केतु पर शनि के प्रभाव से जातक को गम्भीर रोग होते हैं परन्तु कभी रोग का पता नहीं चलता और एक उम्र निकल जाती है पर बीमारियों से जातक जूझता रहता है |दीर्घ कालीन रोग देता है
राहू रोग
राहू एक रहस्यमय ग्रह है | इसलिए राहू से जातक को जो रोग होंगे वह भी रहस्यमय ही होते हैं | एक के बाद दूसरी तकलीफ राहू से ही होती है | राहू अशुभ हो तो जातक की दवाई चलती रहती है और डाक्टर के पास आना जाना लगा रहता है | किसी दवाई से रिएक्शन या एलर्जी राहू से ही होती है | यदि डाक्टर पूरी उम्र के लिए दवाई निर्धारित कर दे तो वह राहू के अशुभ प्रभाव से ही होती है | वहम यदि एक बीमारी है तो यह राहू देता है | डर के मारे हार्ट अटैक राहू से ही होता है | अचानक हृदय गति रुक जाना राहू से ही होता है |
केतु रोग
केतु यह जीवन और मृत्यु से परे है | जातक को यदि केतु से कुछ होना है तो उसका पता देर से चलता है यानी केतु से होने वाली बीमारी का पता चलना मुश्किल हो जाता है | केतु थोडा सा खराब हो तो फोड़े फुंसियाँ देता है और यदि थोडा और खराब हो तो घाव जो देर तक न भरे वह केतु की वजह से ही होता है | भूत प्रेत बाधा केतु के कारण ही होती है | असफल इलाज के बाद दुबारा इलाज केतु के कारण होता है }
Monday, 23 January 2017
vyapar bhvishy -denik teji mandi -gold सोना मे तेजी मंदी 23 से 31जनवरी
vyapar bhvishy -denik teji mandi -gold सोना मे तेजी मंदी 23 से 31जनवरी
बाजार का रुख भी देख ले सोना मे
23 ता को 1 बजे तक मंदी
बाद मे साधारण तेजी रहे
24 को पहले मंदी 4 बजे से
तेजी की के योग
25को साधारण तेजी 6 बजे के
और तेजी के कुछ योग
26 को मंदी 8:30 से मंदी
संभव
27 को मंदी
28 को
घट- बढ़ चले सधरन तेजी
30को मंदी
31 को पहले घट- बढ़ मंदी
संपर्क करे --+917697961597
Thursday, 19 January 2017
उत्तर प्रदेश चुनाव 2017और अखिलेशयादव की कुंडली
उत्तर प्रदेश चुनाव 2017और अखिलेशयादव की कुंडली
UP Election 2017aur Akhilesh Yadav horoscope
26 जनवरी; शनि का राशि परिवर्तन और साढ़े सती
26 जनवरी; शनि का राशि परिवर्तन और साढ़े साती
26 january -shani ka rashi parivartn sadhe sati 2017
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रहों का अलग-अलग असर हमारे जीवन पर पड़ता है। मान्यता है शनिदेव ही मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का फल उसे प्रदान करते हैं। इस समय शनि वृश्चिक राशि में हैं जो 26 जनवरी को राशि परिवर्तन कर धनु में प्रवेश करेंगे। शनि के इस राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशियों पर अलग-अलग दिखाई देगा। राशि अनुसार उपाय करने से शनि के अशुभ प्रभाव को कुछ कम किया जा सकता है।
इस माह 27 जनवरी 2017 की शाम 3.45 बजे शनि राशि बदलकर धनु में प्रवेश करेगे। धनु राशि का स्वामी गुरु है, जो कि शनि से समभाव रखता है। अगले 27 महीनों तक शनि धनु राशि में रहेगे एवं अपना प्रभाव सभी 12 राशियों पर बनाए रखेगे। इस दौरान 21 जून से 26 अक्टूबर 2017 शनि वक्री होने के कारण वृश्चिक में रहेगे। शनि और गुरु दोनों ही ग्रह सबसे ज्यादा समय तक एक राशि में रुकते हैं। शनि करीब ढाई साल और गुरु करीब 12 माह एक राशि मे रुकता है। शनि अब गुरु की राशि धनु में रहेगा, शनि गुरु का ये योग प्रभावित करेगा।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक सूर्य पुत्र शनि का स्वभाव क्रूर व स्वरूप भयानक है। वहीं दूसरी ओर शनि के घोर तपस्वी रूप का भी शास्त्रों में वर्णन मिलता है। जिसके कारण शनिदेव को भगवान शिव से नवग्रहों में श्रेष्ठ स्थान और जगत के जीवों को दण्डित करने का अधिकार प्राप्त हुआ।शनि जब प्रसन्न होते हैं तो यश, सम्मान, पद, धन लाभ से व्यक्ति अपार सुख पाता है।
मेष राशि- सारसो के तेल का दोपदान करे , वष राशि- शनि अष्ठोत्तर का पाठ करें, मिथुन-* शनिदेव को काली उडद चढाये, कर्क- राजा दशरथ क़़त शनि स्रोत पाठ करें, सिंह- मंगलवार को हनुमान जी का चोला चढाये- कन्या- शनिदेव के बीज मंत्रो का जाप करें तुला- शनिदेव का अभिषेक- सरसो के तेल से, व़श्चिक – चीटियों कोमिश्री आटा डाले- धनु- पीपल के पेड के नीचे 7 दीपक जलाये गुड चढाये - मकर- शनिदेव के वैदिक मंत्रों का जाप करें- कुम्भ-जमुनिया धरण करे - मीन- गरीब -रोगियों की यथा संभव मदद करें-
Tuesday, 17 January 2017
व्यापार भविष्य ---देनिक तेजी मंदी जनबरी 2017 17 से 20 ता तक
व्यापार भविष्य ---देनिक तेजी मंदी जनबरी 2017 17 से 20 ता तक
denik tejii mandi 17 se 20 january
ता 17 को नशीले पढ़ार्थों मे तेजी लोहा ताबा मंदी ता 18 तिल तेल मे घट-बढ़ 19 सोना चाँदी कपास चना मे तेजी 20 को मंदी के योग |Sunday, 15 January 2017
डोनाल्ड ट्र्प को किस ग्रह ने उच्च पद दिलवाया -कुंडली विश्लेषण
डोनाल्ड ट्र्प को किस ग्रह ने उच्च पद दिलवाया -कुंडली विश्लेषण
donald trpm -- Horoscope
Friday, 13 January 2017
व्यापार भविष्य--देनिक तेजी मंदी 2017 जनबरी
व्यापार भविष्य--देनिक तेजी मंदी 2017 जनबरी
vyapar bhvishy -denik teji mandi2017 january
12 ता को धातु और अनाजों मे घट-बढ़ 13 सामन्या रहे 14 ता को धातु मे मंदी औरअनाजों मे घट-बढ़16 ता को सारसो जीरा धनिया मे तेजी सोना चाँदी मे घट-बढ़रहे |श्री यंत्र ही देता है सर्व सिद्धि और अपर धन
श्री यंत्र ही देता है सर्व सिद्धि और अपर धन
shree yantr hi deta hai sarv siddhi aur apar dhan
श्री यंत्र साधना उपासना से लक्ष्मी की प्राप्ति, शत्रुओं का शमन और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस की देवी त्रिपुरसुंदरी है। श्री यंत्र रचना: इसमें कई वृत्त होते हैं। इसके केंद्र में बिंदु होता है। इसके चारों ओर नौ त्रिकोण होते हैं। इनमें 5 की नोंकें ऊपर व चार की नोंकें नीचे की ओर होती हंै। इसमें एक अष्ट दल व दूसरा षोडश दस वाला कमल होता है। आनंद लहरी में श्री शंकराचार्य इस संबंध में कहते हैं ‘‘चतुर्भीः श्रीकण्ठेः शिव युवतीभिः पंचभिरपि मूल प्रकृतिभिः त्रयश्च त्वारिशद्वसुदल कलाब्जत्रिबलय त्रिरेखाभिः सार्घः तव भवन कोणः परिणताः। यह अनेक तरह के होते हैं। इस यंत्र में पांच शक्ति त्रिकोण ऊध्र्वमुखी व चार शिव त्रिकोण अधोमुखी होते हैं। यह यंत्र सर्व सिद्धिदायक है और इसी से इसे यंत्र राज कहते हैं। यह भोजपत्र, त्रिलोह, ताम्रपत्र, रजत व स्वर्ण पत्र पर बनाया जा सकता है। यह स्फटिक का भी होता है। स्फटिक या स्वर्ण के शास्त्रोक्त मुहूर्त में बने ऊध्र्वमुखी यंत्र की पूजा कर कमलगट्टे की माला से जप करने से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। श्रीयंत्र केवल धन प्राप्ति का ही नहीं, अपितु यह अपने आप में इतनी शक्ति समेटे हुए है, की यह संसार के सारे सुख देने में पूर्ण समर्थ है !!
एक दक्षिण भारतीय पौराणिक गाथा के अनुसार लक्ष्मी जी, अपने पति भगवान नारायण से रुष्ट हो कर वैकुण्ठ से चली गई ! तो लक्ष्मीजी की अनुपस्थिति में भगवान नारायण बहुत परेशान हुए ! तब महर्षि वशिष्ठ और श्री विष्णु ने मिलकर लक्ष्मीजी को बहुत ढूंढा, फिर भी लक्ष्मी जी कहीं नहीं मिलीं ! तब देवगुरु बृहस्पति ने एक उपाय किया, लक्ष्मीजी को आकर्षित करने के लिए ""श्रीयंत्र"" नामक एक यंत्र की रचना की ! तथा वैदिक रीती से उसके स्थापन एवं पूजन का उपाय बताया ! इस यंत्र का ऐसा प्रभाव हुआ, की माताजी अपने-आप को रोक ना सकीं, और वापस भगवान नारायण को प्राप्त हुई !!तब भगवान् नारायण ने स्वयं अपने श्रीमुख से कहा - की जो कोई भी , व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक इस विधि से श्रीयंत्र के उपर, देवी लक्ष्मी की आराधना करेगा ! उसके घर में सर्वदा अष्ट-लक्ष्मी का निवास होगा ! तथा माता लक्ष्मी ने भी कहा " श्रीयंत्र ही मेरा आधार है, और इस यंत्र में मेरी आत्मा निवास करती है, इसी लिए इसी विवसता वश मुझे आना ही पड़ा ! अत: आज के उपरांत जो कोई भी व्यक्ति, किसी श्रेष्ठ वेदज्ञ-जानकार ब्राह्मण से, विधि पूर्वक इसकी कराकर, अपने घर में स्थापित करेगा, उसके उपर मेरी पूर्ण कृपा होगी !! विधि पूर्वकप्राण प्रतिष्ठा किए हुए श्री यंत्र को ले , एक ताम्बे के छोटे से प्लेट में, सिंदूर अथवा अष्टगंध के ऊपर स्थापित कर दीजिए ! सुबह उठकर नहा-धोकर सूर्यार्घ आदि से निवृत्त होकर पूजा घर में आइये ! फिर यंत्र को उस स्थान से उठाकर, शुद्ध जल से धोकर, एक कटोरी में रख लीजिए ! एक दूसरे कटोरी में शुद्ध जल और चम्मच ले लीजिए !श्री सूक्त से जल को चम्मच, श्रृंगी अथवा दक्षिणावर्ती शंख से यंत्र के ऊपर गिराते हुए अभिषेक करना है !
अभिषेक के उपरांत यंत्र को सूखे कपडे से साफ करके यथास्थान स्थापित कर दीजिए ! फिर घर में जैसे आप नियमित पूजा करते हैं, वैसे ही रोली चन्दन धुप, दीप तथा नैवेद्य आदि से पूजा करें
यदि आप गृह कलह से आप जूझ रहें हैं, लक्ष्मी आती है, लेकिन रुकती नहीं है ! घर में वास्तु दोष है, बच्चों का पढने में मन नहीं लगता ! आपकी नौकरी बार-बार छूट जाती है, अथवा आपको अपने धंधे से लाभ शुन्य होता है ! तो श्री यंत्र ही सभी कष्टो को दूर करता है
प्राण-प्रतिष्ठा पूजित श्री यंत्र उपलब्ध है |
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