Wednesday, 25 September 2019

स्त्रियों के अंगों पर तिल का फल=कितने शुभ या अशुभ

स्त्रियों के अंगों पर तिल का फल=कितने शुभ या अशुभ

भगवान ने हमारे शरीर पर तिल दिया है तो जरूर इसका कोई न कोई प्रभाव तो हमारे जीवन पर पड़ता ही होगा। हमारे शरीर पर मौजूद अलग-अलग जगहों पर तिल के अलग-अलग प्रभाव भी होते हैं। जैसे कि गाल पर तिल, होठों पर तिल, हथेलियों पर तिल, जांघ पर तिल, छाती पर तिल, इन सभी के अलग-अलग प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हमारे शरीर पर मौजूद तील कुछ ख़ास जगह पर हो तो, इंसान भाग्यशाली माना जाता है।  स्त्री जातक के शरीर मे विभिन्न हिस्सों पर पाये जाने वाले तिलों के विषय में कितने शुभ या अशुभ ==

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जिस स्त्री के ललाट पर काले रंग का तिल होता हैं वह पुत्रवान, सौभाग्यवान, धार्मिक स्वभाव व दयालु प्रवृति की होती हैं। ललाट की दायीं और तिल स्त्री के जन्म स्थान से दूर रहने वाली, अच्छे स्वभाव की स्त्री होना बताता है जिसे संतान कष्ट रहता है। ललाट के बीचोंबीच तिल स्त्री को कला कुशल परन्तु कठोर वचन कहने वाली बनाता है। जबकि ललाट के बाईं और का तिल स्त्री को पति सुख में कमी दर्शाता है।
स्त्री के भोहों के मध्य भाग में तिल उसे सरकार से ऊंच पद का लाभ प्राप्त करवाता हैं अर्थात वह या उसका पति सरकारी नौकरी वाले होते हैं। किसी एक भोह में बना तिल स्त्री के स्वभाव में ओछेपन का प्रतीक होता है ऐसी स्त्री का विवाह बेमेल होता है।
स्त्री की आंखों के ऊपर या नीचे तिल होतो वह स्त्री अनुचित तरीके से धन संचय करने वाली तथा संतान विहीन होती हैं जो अपने स्वास्थ्य की सही से देखभाल नहीं करती हैं उसकी आयु भी कम होती है। जबकि स्त्री की आंख मे तिल पति की प्रियतमा होने की सूचना देता हैं।
स्त्री की दायीं ओर आंख के नीचे गाल पर तिल हो तो स्त्री धार्मिक व सदाचारिणी होती है जिसे हर जगह मान-सम्मान व यश प्राप्त होता है जबकि बाईं ओर आंख के नीचे गाल पर तिल हो तो ऐसी स्त्री अत्यधिक काम वासना से पीड़ित रहती है जिसका उसकी उम्र से छोटे कई प्रेमी होते हैं।
स्त्री के कान में तिल उसके आभूषण प्रिया होने की सूचना देते हैं जबकि कान के नीचे तिल उसकी अन्य स्त्रियों से शत्रुता के बारे में बताते हैं।
स्त्री के नाक के अग्रभाग में लाल रंग का तिल उसके सौभाग्यशाली व ऊंचाधिकारी की पत्नी होने का सूचक होता है।
स्त्री के मुख में तिल उसके सुखी, सम्पन्न व सज्जन होने की सूचना देता है उपरी होंठ पर तिल स्त्री के शिक्षावान होने का संकेत देता हैं ऐसी स्त्री अच्छी वक्ता या शिक्षिका होती हैं।
स्त्री के बाएं गाल में काला तिल उसके ऐश्वर्य पूर्ण जीवन के बारे में बताता है जो भोग विलास में अधिक रुचि रखती हैं जबकि लाल तिल उसके मिष्ठान प्रिय होने के बारे मे बताता हैं तथा दायें गाल पर तिल स्त्री को किसी असाध्य बीमारी होने के बारे मे बताता हैं।
स्त्री की ठोड़ी में तिल उसके मिलनसार ना होने का पता बताता है जो किसी से भी घुलना-मिलना पसंद नहीं करती है जिन्हें आम भाषा में लाजवंती स्त्री कहते हैं।
स्त्री के कंठ में तिल हो तो वह अपने घर में हुकूमत चलाना पसंद करती हैं सब पर नियंत्रण रखना चाहती हैं।
स्त्री के हृदय स्थान में तिल सौभाग्य का प्रतीक होता हैं बाएं स्तन पर लाल तिल हो तो स्त्री के पुत्र जन्म बाद विधवा हो जाने का सूचक होता हैं काला तिल हो तो उस स्त्री की मृत्यु किसी दुर्घटना से होती हैं जबकि दायें स्तन में तिल स्त्री की कन्या संतान की अधिकता बताता है।
स्त्री की बाईं भुजा में तिल उसके कला, काव्य, अभिनय, संगीत इत्यादि के क्षेत्र से जुड़ा होने का प्रतीक होता है जिससे उसे धन व यश प्राप्त होता है।
स्त्री के गुप्त स्थान के दायीं ओर तिल हो तो वह राजा अथवा ऊंचाधिकारी की पत्नी होती हैं जिसका पुत्र भी आगे चलकर अच्छा पद प्राप्त करता है।
स्त्री की जंघा पर तिल उसके यात्रा व भ्रमण प्रिय होने की सूचना देते हैं।
स्त्री के पांव के टखने में तिल उसकी दरिद्रता भरे जीवन की सूचना देता है।
जिस व्यक्ति के दाए पैर पर तिल होता है ऐसे लोग बेहद भाग्यशाली होते है ऐसे लोगों को हमेशा समाज में मान सम्मान मिलता है, और ऐसे लोगों को विदेश का यात्रा करने का मौका भी मिलता है। और यदि किसी व्यक्ति के बाएं पैर के जांघ पर तिल हो तो ऐसे लोगों को विदेशों से नौकरियों का ऑफर आता है। यदि किसी व्यक्ति के दाएं पैर की एड़ी में तिल हो तो ऐसे लोग बहुत ही खुशनसीब होते हैं और बहुत ही भाग्यशाली माने जाते हैं।

Monday, 16 September 2019

श्रीनरेन्द्र मोदी कुंडली विश्लेषण


श्रीनरेन्द्र मोदी  कुंडली   विश्लेषण
Narendar Modi kundli 

Image result for narendra modiश्रीनरेन्द्र मोदी  का जन्म सन् 1950 में एक छोटे से शहर मेहसाना में हुआ था।  श्री नरेन्द्र मोदी की जन्म कुंडली के अनुसार उनका जन्म शनि की महादशा में हुआ था जोकि सन् 1961 तक उनके जीवन को प्रभावित करती रही। 
Narendra Modi kundaliइस शनि की महादशा ने उनको तेज दिमाग, चतुर, चालाक व अपने काम के प्रति अति निपुणता प्रदान की परंतु शनि के साथ शुक्र के मेल ने उनकी किस्मत को चार चाँद लगा दिए क्योकि दसवे घर में बैठा शनि शुक्र का मेल इन्सान को एक अच्छी सोच का मालिक बनाता है और साथ ही साथ दुनिया में अपना नाम प्रसिद्ध करता है। 
श्री नरेन्द्र मोदी की जन्म कुंडली के पहले घर में बैठे चंद्र मंगल के योग ने इनको देश के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करवाया और मेहनती बनाया तथा इसी शनि की महादशा और राहु की युति जोकि पाँचवे घर की है जिसकी वजह से पिता को अति कष्टों का सामना करवाया साथ ही श्री नरेन्द्र मोदी को अपने पिता की चाय की दुकान का काम भी करवाय।  
श्री नरेन्द्र मोदी को बिलकुल भी ज्ञात नहीं था की आने वाली बुध की दशा सन् 1961-1978 तक उनके जीवन में क्या मोड़ लेकर आएगी।  17 साल की आयु में उनका विवाह सम्पन हुआ क्योकि उनकी   जन्म कुंडली के अनुसार अनेक योग जैसे बुध की महादशा व शुक्र की अंतरदशा सन्  1965 से 1968 तक रही परंतु उनका विवाह जन्म कुंडली के अनुसार 28 वर्ष की उम्र के बाद ही सुखमय होता तथा वो ही हुआ की उनका विवाह सुखमय नहीं रहा वह कुछ माह ही अपने वैवाहिक जीवन का सुख भोग पाये थे कि उन्होंने देश के प्रति अपनी जागरूकता को प्रस्तुत करने का फैसला किया और अपना घर त्याग दिया। 
सन् 1985 - 2005  तक उनके जीवन में शुक्र की महादशा रही जिसने उनके जीवन में यश की प्राप्ति करवाई और साथ ही सन् 2001 में गुजरात का मुख्य मंत्री भी बनवाया।  जोकि शनि शुक्र के योग में उनको ये पद प्राप्त हुआ तथा इसी के चलते कठनाईयाँ भी उनके जीवन ने आई और सन् 2002 में उनको कार सैनिकों की मौत का आरोप भी लगाया गया क्योकि बुध, सूर्य, केतु का मेल ग्यारवे घर का और राहु की दृष्टि के कारन उनको सरकारी मामलों में तथा मान सम्मान की कमी व बदनामी का सामना करवाया परंतु श्री नरेंद्र मोदी की कुंडली के अनुसार वह ऐसे बिलकुल भी नही थे।  यह योग था जो उनको कष्ट पहुचने के लिए आया था।  
इस वर्ष 2019 भारतीय राजनीति का कारक ग्रह शनि और आश्चर्य के कारक ग्रह केतु के योग ने नरेंद्र मोदी जी की जन्म कुंडली मे रोजयोग निर्मित किया है और वे इस राजयोग के दौरान यानि की 30 मई के दिन गुरुवार शाम 7 बजे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की शपथ लेने जा रहे है l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के समय वृश्चिक लग्न का उदय हो रहा है जो की संयोग से उनका जन्म लग्न और जन्म राशि भी है l वृश्चिक लग्न की कुंडली में गुरु पंचमेश है और उस पर सातवें भाव से दशमेश सूर्य और अष्टमेश बुध की दृष्टि से अच्छे फल मिलने की पूर्ण संभावना बनी हुई है l

Sunday, 8 September 2019

इस राशिवालों को मिलती है शर्मीले स्वभाव की लड़की, जानिए कैसी होगी आपकी पत्नी

इस राशिवालों को मिलती है शर्मीले स्वभाव की लड़की, जानिए कैसी होगी आपकी पत्नी

लोग अपनी शादी को लेकर चिंतित रहते हैं और बात करें लड़को की तो वह खासकर. ऐसे में लड़के हमेशा सोचते हैं कि हमे कैसी पत्नी मिलेगी.  हम आपको बताने जा रहे हैं आपकी राशि के अनुसार कि आपको कैसी पत्नी मिलेगी.

मेष राशि- कहते हैं इस राशि के लड़कों को अक्सर ही शांत स्वभाव की बीवी मिलती हैं और पत्नी के नेचर के कारण ही शादीशुदा जीवन में लड़ाई-झगड़े भी कम होते हैं.
वृषभ राशि- इस राशि वालों को गुस्सैल स्वभाव की पत्नी मिलती हैं जो छोटी छोटी बात पर बहुत जल्दी गुस्सा हो जाती हैं।
मिथुन राशि- इस राशि वाले लड़कों को बातूनी पत्नी मिलती हैं बातचीत में ये बहुत ही माहिर होती हैं। इसी के साथ वह अपने आगे किसी को मौका नहीं देती हैं।
कर्क राशि- इस राशि के लड़कों को मिलनसार पत्नी मिली है और इन्हें किसी के साथ घूलने मिलने में अधिक समय नहीं लगता हैं।
सिंह राशि- इस राशि के लड़कों को लड़ाकू पत्नी मिली है जो हर बात पर लड़ने का मौका ढूंढती हैं।
कन्या राशि- इस राशि के लड़कों को समझदार पत्नियां मिलती हैं। इनकी समझदारी से हर कोई प्रभावित हो जाता हैं।
तुला राशि- इस राशि के लड़कों को हंसमुख स्वभाव वाली पत्नी मिलती हैं ये ना किसी को टेंशन देती हैं और ना ही टेंशन लेना पसंद करती हैं।
वृश्चिक राशि- इस राशि की लड़को को चंट और चालाक पत्नी मिलती हैं जो हर मुश्किल को बड़ी ही चालाकी से निपटती हैं।
धनु राशि- इस राशि के लड़कों को खर्चीली पत्नी मिलती हैं जो सेविंग्स से दूर रहती है.
मकर राशि- इस राशि के लड़कों को आजाद ख्यालों वाली पत्नी नसीब होती हैं इन्हें बंदिशों में रहना पंसद नहीं होती हैं।
कुंभ राशि- इस राशि के लड़कों को थोड़ी नौटंकीबाज पत्नियां मिलती हैं.
मीन राशि- इस राशि के लड़कों को शर्मीले स्वभाव की पत्नी मिली हैं इनकी दुनिया बस इनके पति और बच्चे ही होते हैं.

Tuesday, 3 September 2019

शिवलिंग करते हैं आपकी हर मनोकामना पूरी जाने कैसे


शिवलिंग करते हैं आपकी हर मनोकामना पूरी जाने कैसे 


1. मिश्री(चीनी) से बने शिवलिंग कि पूजा से रोगो का नाश होकर सभी प्रकार से सुख प्राप्त होते हैं।
Sawan 2019: बीस प्रकार के बने यह शिवलिंग करते हैं आपकी हर मनोकामना पूरी2. मिर्च, पीपल के चूर्ण में नमक मिलाकर बने शिवलिंग कि पूजा से वशीकरण और अभिचार कर्म के लिए किया जाता हैं।
3. फूलों से बने शिवलिंग कि पूजा से भूमि-भवन कि प्राप्ति होती हैं।
4. जौं, गेहूं, चावल तीनो का एक समान भाग में मिश्रण कर आटे के बने शिवलिंग कि पूजा से परिवार में सुख समृद्धि एवं संतान का लाभ होकर रोग से रक्षा होती हैं।
5. किसी भी फल को शिवलिंग के समान रखकर उसकी पूजा करने से फलवाटिका में अधिक उत्तम फल होता हैं।
6. यज्ञ कि भस्म से बने शिव लिंग कि पूजा से अभीष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
7. बांस के अंकुर को शिवलिंग के समान काटकर पूजा करने से वंश वृद्धि होती है।
8. दही को कपड़े में बांधकर निचोड़ देने के पश्चात उससे जो शिवलिंग बनता हैं उसका पूजन करने से समस्त सुख एवं धन कि प्राप्ति होती हैं।
9. गुड़ से बने शिवलिंग में अन्न चिपकाकर शिवलिंग बनाकर पूजा करने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होती हैं।
10. आंवले से बने शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से मुक्ति प्राप्त होती हैं।
11. कपूर से बने शिवलिंग का पूजन करने से आध्यात्मिक उन्नती प्रदत एवं मुक्ति प्रदत होता हैं।
12. यदि दुर्वा को शिवलिंग के आकार में गूंथकर उसकी पूजा करने से अकाल-मृत्यु का भय दूर हो जाता हैं।
13. स्फटिक के शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति कि सभी अभीष्ट कामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं।
14. मोती के बने शिवलिंग का पूजन स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि करता हैं।
15. स्वर्ण निर्मित शिवलिंग का पूजन करने से समस्त सुख-समृद्धि कि वृद्धि होती हैं।
16. चांदी के बने शिवलिंग का पूजन करने से धन-धान्य बढ़ाता हैं।
17. पीपल कि लकड़ी से बना शिवलिंग दरिद्रता का निवारण करता हैं।
18. लहसुनिया से बना शिवलिंग शत्रुओं का नाश कर विजय प्रदत होता हैं।
19. बिबर के मिट्टी के बने शिवलिंग का पूजन विषैले प्राणियों से रक्षा करता है।
20. पारद शिवलिंग का अभिषेक सर्वोत्कृष्ट माना गया है। घर में पारद शिवलिंग सौभाग्य, शान्ति, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए अत्यधिक सौभाग्यशाली है। दुकान, ऑफिस व फैक्टरी में व्यापार को बढ़ाने के लिए पारद शिवलिंग का पूजन एक अचूक उपाय है।
शिवलिंग के मात्र दर्शन ही सौभाग्यशाली होता है। इसके लिए किसी प्राणप्रतिष्ठा की आवश्कता नहीं हैं लेकिन, बेहतर और अच्छा लाभ पाने के लिए लिए पूजन विधि युक्त किया जाना चाहिए।