स्त्रियों के अंगों पर तिल का फल=कितने शुभ या अशुभ
भगवान ने हमारे शरीर पर तिल दिया है तो जरूर इसका कोई न कोई प्रभाव तो हमारे जीवन पर पड़ता ही होगा। हमारे शरीर पर मौजूद अलग-अलग जगहों पर तिल के अलग-अलग प्रभाव भी होते हैं। जैसे कि गाल पर तिल, होठों पर तिल, हथेलियों पर तिल, जांघ पर तिल, छाती पर तिल, इन सभी के अलग-अलग प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हमारे शरीर पर मौजूद तील कुछ ख़ास जगह पर हो तो, इंसान भाग्यशाली माना जाता है। स्त्री जातक के शरीर मे विभिन्न हिस्सों पर पाये जाने वाले तिलों के विषय में कितने शुभ या अशुभ ==
जिस स्त्री के ललाट पर काले रंग का तिल होता हैं वह पुत्रवान, सौभाग्यवान, धार्मिक स्वभाव व दयालु प्रवृति की होती हैं। ललाट की दायीं और तिल स्त्री के जन्म स्थान से दूर रहने वाली, अच्छे स्वभाव की स्त्री होना बताता है जिसे संतान कष्ट रहता है। ललाट के बीचोंबीच तिल स्त्री को कला कुशल परन्तु कठोर वचन कहने वाली बनाता है। जबकि ललाट के बाईं और का तिल स्त्री को पति सुख में कमी दर्शाता है।
स्त्री के भोहों के मध्य भाग में तिल उसे सरकार से ऊंच पद का लाभ प्राप्त करवाता हैं अर्थात वह या उसका पति सरकारी नौकरी वाले होते हैं। किसी एक भोह में बना तिल स्त्री के स्वभाव में ओछेपन का प्रतीक होता है ऐसी स्त्री का विवाह बेमेल होता है।
स्त्री की आंखों के ऊपर या नीचे तिल होतो वह स्त्री अनुचित तरीके से धन संचय करने वाली तथा संतान विहीन होती हैं जो अपने स्वास्थ्य की सही से देखभाल नहीं करती हैं उसकी आयु भी कम होती है। जबकि स्त्री की आंख मे तिल पति की प्रियतमा होने की सूचना देता हैं।
स्त्री की दायीं ओर आंख के नीचे गाल पर तिल हो तो स्त्री धार्मिक व सदाचारिणी होती है जिसे हर जगह मान-सम्मान व यश प्राप्त होता है जबकि बाईं ओर आंख के नीचे गाल पर तिल हो तो ऐसी स्त्री अत्यधिक काम वासना से पीड़ित रहती है जिसका उसकी उम्र से छोटे कई प्रेमी होते हैं।
स्त्री के कान में तिल उसके आभूषण प्रिया होने की सूचना देते हैं जबकि कान के नीचे तिल उसकी अन्य स्त्रियों से शत्रुता के बारे में बताते हैं।
स्त्री के नाक के अग्रभाग में लाल रंग का तिल उसके सौभाग्यशाली व ऊंचाधिकारी की पत्नी होने का सूचक होता है।
स्त्री के मुख में तिल उसके सुखी, सम्पन्न व सज्जन होने की सूचना देता है उपरी होंठ पर तिल स्त्री के शिक्षावान होने का संकेत देता हैं ऐसी स्त्री अच्छी वक्ता या शिक्षिका होती हैं।
स्त्री के बाएं गाल में काला तिल उसके ऐश्वर्य पूर्ण जीवन के बारे में बताता है जो भोग विलास में अधिक रुचि रखती हैं जबकि लाल तिल उसके मिष्ठान प्रिय होने के बारे मे बताता हैं तथा दायें गाल पर तिल स्त्री को किसी असाध्य बीमारी होने के बारे मे बताता हैं।
स्त्री की ठोड़ी में तिल उसके मिलनसार ना होने का पता बताता है जो किसी से भी घुलना-मिलना पसंद नहीं करती है जिन्हें आम भाषा में लाजवंती स्त्री कहते हैं।
स्त्री के कंठ में तिल हो तो वह अपने घर में हुकूमत चलाना पसंद करती हैं सब पर नियंत्रण रखना चाहती हैं।
स्त्री के हृदय स्थान में तिल सौभाग्य का प्रतीक होता हैं बाएं स्तन पर लाल तिल हो तो स्त्री के पुत्र जन्म बाद विधवा हो जाने का सूचक होता हैं काला तिल हो तो उस स्त्री की मृत्यु किसी दुर्घटना से होती हैं जबकि दायें स्तन में तिल स्त्री की कन्या संतान की अधिकता बताता है।
स्त्री की बाईं भुजा में तिल उसके कला, काव्य, अभिनय, संगीत इत्यादि के क्षेत्र से जुड़ा होने का प्रतीक होता है जिससे उसे धन व यश प्राप्त होता है।
स्त्री के गुप्त स्थान के दायीं ओर तिल हो तो वह राजा अथवा ऊंचाधिकारी की पत्नी होती हैं जिसका पुत्र भी आगे चलकर अच्छा पद प्राप्त करता है।
स्त्री की जंघा पर तिल उसके यात्रा व भ्रमण प्रिय होने की सूचना देते हैं।
स्त्री के पांव के टखने में तिल उसकी दरिद्रता भरे जीवन की सूचना देता है।
जिस व्यक्ति के दाए पैर पर तिल होता है ऐसे लोग बेहद भाग्यशाली होते है ऐसे लोगों को हमेशा समाज में मान सम्मान मिलता है, और ऐसे लोगों को विदेश का यात्रा करने का मौका भी मिलता है। और यदि किसी व्यक्ति के बाएं पैर के जांघ पर तिल हो तो ऐसे लोगों को विदेशों से नौकरियों का ऑफर आता है। यदि किसी व्यक्ति के दाएं पैर की एड़ी में तिल हो तो ऐसे लोग बहुत ही खुशनसीब होते हैं और बहुत ही भाग्यशाली माने जाते हैं।
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