Wednesday, 16 October 2019

कार्तिक मास का विशेष महत्व

 कार्तिक मास का विशेष महत्व

Image result for कार्तिक मासकार्तिक महीने का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा पर खत्म होता है। इस महीने में दान, पूजा-पाठ तथा स्नान का बहुत महत्व होता है तथा इसे कार्तिक स्नान की संज्ञा दी जाती है। यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है। स्नान कर पूजा-पाठ को खास अहमियत दी जाती है। साथ ही देश की पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व होता है। इस दौरान घर की महिलाएं नदियों में ब्रह्ममूहुर्त में स्नान करती हैं। यह स्नान विवाहित तथा कुंवारी दोनों के लिए फलदायी होता है। इस महीने में दान करना भी लाभकारी होता है। दीपदान का भी खास विधान है। यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है। यही नहीं ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है।
 
हिन्दू धर्म में इस महीने में कुछ परहेज बताए गए हैं। कार्तिक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को इसका पालन करना चाहिए। इस मास में धूम्रपान निषेध होता है। यही नहीं लहुसन, प्याज और मांसाहर का सेवन भी वर्जित होता है। इस महीने में भक्त को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए उसे भूमि शयन करना चाहिए। इस दौरान सूर्य उपासना विशेष फलदायी होती है। साथ ही दाल खाना तथा दोपहर में सोना भी अच्छा नहीं माना जाता है।
 
कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिया हैं। तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं। इसलिए श्रद्धालु गण विशेष रूप से तुलसी की आराधना करते हैं। इस महीने में स्नान के बाद तुलसी तथा सूर्य को जल अर्पित किया जाता है तथा पूजा-अर्चना की जाती है। यही नहीं तुलसी के पत्तों को खाया भी जाता है जिससे शरीर निरोगी रहता है। साथ ही तुलसी के पत्तों को चरणामृत बनाते समय भी डाला जाता है। यही नहीं तुलसी के पौधे का कार्तिक महीने में दान भी दिया जाता है। तुलसी के पौधे के पास सुबह-शाम दीया भी जलाया जाता है। अगर यह पौधा घर के बाहर होता है तो किसी भी प्रकार का रोग तथा व्याधि घर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। तुलसी अर्चना से न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

कार्तिक मास मे दीपदान की कहानी जो आप ने कभी नहीं सुनी दीप दान का फल

कार्तिक मास मे दीपदान की कहानी जो आप ने कभी नहीं सुनी दीप दान का फल

Thursday, 10 October 2019

दीपावली पूजन सामग्री

दीपावली पूजन सामग्री 

diwali pujan samagri 


Related image* धूप बत्ती (अगरबत्ती) * चंदन * कपूर * केसर *
* यज्ञोपवीत 5 * कुंकु
* चावल * अबीर
* गुलाल, अभ्रक * हल्दी
* सौभाग्य द्रव्य- मेहँदी * चूड़ी, काजल, पायजेब,
* बिछुड़ी आदि आभूषण। * नाड़ा
* रुई * रोली, सिंदूर
* सुपारी, पान के पत्ते * पुष्पमाला, कमलगट्टे
* धनिया खड़ा * सप्तमृत्तिका * सप्तधान्य * कुशा व दूर्वा
* पंच मेवा * गंगाजल
* शहद (मधु) * शकर

* घृत (शुद्ध घी) * दही
* दूध * ऋतुफल
* (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि) * नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि)
* इलायची (छोटी) * लौंग
* मौली * इत्र की शीशी
* तुलसी दल * सिंहासन (चौकी, आसन) * पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते) * औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि)
* लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति) * गणेशजी की मूर्ति
* सरस्वती का चित्र * चाँदी का सिक्का
* लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र * गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र
* अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र * जल कलश (ताँबे या मिट्टी का) * सफेद कपड़ा (आधा मीटर) * लाल कपड़ा (आधा मीटर)
* पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार) * दीपक
* बड़े दीपक के लिए तेल * ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा)
* श्रीफल (नारियल) * धान्य (चावल, गेहूँ)
* लेखनी (कलम) * बही-खाता, स्याही की दवात
* तुला (तराजू) * पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल)
* एक नई थैली में हल्दी की गाँठ, * खड़ा धनिया व दूर्वा आदि * खील-बताशे * अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र

कुंडली के लग्नेश और नवमेश भी बतादेते व्यापार नोकरी कोन सा कार्य करे आप

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