शुक्रवार, 22 मई को शनि जयंती पर प्र्सन्न करे शनि देव को
ये हैं शनि के 10 नाम
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
इस मंत्र में शनि के 10 नाम बताए गए हैं। ये नाम हैं कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद और पिप्पलाद। आप चाहे तो इन नामों का जाप सुबह कर सकते हैं या शाम को सूर्योस्त के बाद कर सकते हैं। घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में भगवान की पूजा करें। पूजा में शनिदेव का ध्यान करें। धूप-दीप जलाएं। फूल-प्रसाद चढ़ाएं। इसके बाद शनि के 10 नाम वाले मंत्र का जाप 108 बार करें। अगर मंत्र का उच्चारण ठीक से नहीं कर पा रहे हैं तो शनि के 10 नाम भी 108 बार बोल सकते हैं। जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं। शनि को नीले फूल चढ़ाएं। जरूरतमंद लोगों को काले तिल और तेल का दान करें।
शनि जयंती पर हनुमानजी की पूजा भी जरूर करें। हनुमानजी की पूजा से भी शनि के दोष दूर हो सकते हैं। हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
मकर राशि में वक्री है शनि
इस समय शनि मकर राशि में स्थित है और वक्री है। अपनी राशि में शनि के रहते शनि जयंती मनाई जाएगी। ये एक शुभ योग है। मकर राशि के शनि की वजह से धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती है। मिथुन और तुला राशि पर शनि का ढय्या है। इन लोगों को अपने काम पूरी ईमानदारी से करना चाहिए। किसी का अहित न करें, अन्यथा शनि की वजह से हानि हो सकती है।
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