Saturday, 28 September 2013

fun time


fun
             fun
                        fun
                                    fun  time
 गब्बर: कितने आदमी थे
                                                        
सांभा: सरदार दो।
गब्बर: मुझे गिनती नहीं आती, दो कितने होते हैं?

सांभा: सरदार दो, एक के बाद आता है।

गब्बर: और दो के पहले?

सांभा: दो के पहले एक आता है सरदार।

गब्बर:तो बीच में कौन आता है?

सांभा: बीच में कोई नहीं आता सरदार।

गब्बर: तो फिर दोनों एक साथ क्यों नहीं आते?         



सांभा: एक के बाद ही दो आ सकता है क्योंकि दो, एक से बड़ा है सरदार।

गब्बर: दो, एक से कितना बड़ा है।

सांभा: दो, एक से एक बड़ा है सरदार।

गब्बर:अगर दो, एक से एक बड़ा है तो एक, एक से कितना बड़ा है?

सांभा: सरदार अब आप मुझे गोली ही मार दो मैंने आपका  नमक ही खाया है च्यवनप्राश नही।

                                                                                     2     

अध्यापक ने परीक्षा में चार पृष्ठों का निबन्ध लिखने को दिया - विषय था- "आलस्य क्या हैं ?

एक विद्यार्थी ने तीन पृष्ठों को खाली छोड़ दिया और चौथे पर बड़े - बड़े अक्षरों में लिखा - "यही आलस्य हैं |"
                                                                                        3
शिक्षक -बताओ हवाई जहाज४००मील प्रति घंटा,रेलगाडी,४०मील , बसम५०मील प्रति घंटा की रफ्तार से चल रहे है तो बताओं मेरी उम्र कितनी है?

छात्र-उठकर इधर-उधर देखा !

शिक्षक -शाबाश , शिक्षक ने उत्साहित होकर कहा |

छात्र -श्रीमान आपकी उम्र ४२ वर्ष है 

शिक्षक -बिलकुल ठीक ! लेकिन तुमने कैसे पता लगाया |

छात्र -श्रीमान मेरा भाई२१वर्ष का है जिसे सब लोग आधा पागल कहते है, श्रीमान मेने भैया को देखकर लगाया |



Monday, 23 September 2013

danik teji mandi


  danik teji  mandi

sona chandi me mandi 23-9-2013
chandi gehu chana alsi me teji 24-9-2013

Saturday, 21 September 2013

fun time

fun time
भई, हमें तो लड़का पसंद है!
लड़की वाले लड़के से " तुम नॉंनवेज खाते हो" ?
लड़का: " हां"। 
शराब?
"हां"
ड्रग्स?
"हां" 
जुआ?
"हां" 
सब कुछ नेगेटिव है, कुछ पॉज़िटिव भी है क्या?
लड़का: " हां जी, HIV पॉज़िटिव"!!!










             

                                           




kab kya kre jane vaaro se

kab kya kre jane vaaro  se
कब क्या करे जाने वारो  से 
रविवार - भगवान सूर्य देव की पूजा। गृह प्रवेश कार्य, स्वास्थ्य संबंधी उपचार। 


सोमवार - शिव व अग्रिदेव पूजा। अग्रि से जुड़े कार्य, यज्ञ, हवन, लिपाई-पुताई, गृह निर्माण का आरम्भ आदि।
मंगलवार - मंगलदेव, श्रीहनुमान पूजा। पदग्रहण, पराक्रम, शौर्य व शस्त्र अभ्यास से जुड़े काम।
बुधवार - श्रीगणेश पूजा। हर तरह की कार्यसिद्धि, सलाह-मन्त्रणा, यात्रा, कारोबार।
गुरुवार - गुरु, बृहस्पतिदेव, दत्तपूजा। धार्मिक व देव कार्य, वेदपाठ, नए वस्त्र व गहने पहनना।
शुक्रवार - देवी व शुक्र पूजा। दान, कन्यादान, स्त्री से जुड़े कार्य, वाहन संबंधी कार्य।
शनिवार - शनि, शिव पूजा। गृहस्थी से जुड़े कार्य, गृहप्रवेश, गृहारम्भ, व्यवसाय।

mahamrutyunjay mntr


                                       mahamrutyunjay mntr                                 महामृत्युंजयमंत्र 




शिवपुराण में बताया गया है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वश्रेष्ठ मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र। इस मंत्र के मात्र जप से ही सभी बीमारियों और कष्टों का निवारण हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के करीब है और इसके नाम से महामृत्युंजय मंत्र का जप कराया जाए तो वह पूर्ण स्वस्थ हो सकता है।
ये है महामृत्युंजय मंत्र: ऊँ त्र्यम्बकं यहामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मुत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।

bhagyoday hetu chmatkari pryog

bhagyoday  hetu chmatkari  pryog


              भाग्यो दय हेतु चमत्कारी प्रयोग 







1-->भाग्यो दय   हेतु आमवस्या  के दिन  पीले वस्त्र  का झंडा लक्ष्मी नारायण के मन्दिर में ऊचाई  वाले स्थान  पर फ्हरावे  |
2--<>प्रत्यके शनि वार को पीपल व्रक्ष कि पूजा करे दूध  से दीपक सरसों का तेल का  गुड़ जल  आदिसे करे  एवम श्री  राम जय राम जय जय राम से 11 परिक्रमा करे 

पीली कौड़ी से धन लाभ

 


                                  पीली    कौड़ी से धन लाभ 





2 पीली कौड़ी का चमत्कारी उपाय, जेब में रखना है इसे




सामान्यत: कौडिय़ां हिन्द और प्रशान्त महासागर के तटों से प्राप्त होती है। पुराने समय में कौड़ी का उपयोग विभिन्न खेलों में भी किया जाता था। चौपड़ और चौपड़ जैसे खेलों में पासों की तरह कौडिय़ों का उपयोग किया जाता था। उस समय कौड़ी के रूप में पासे काफी महंगे होते थे। 
नियमित रूप से, किसी विशेष शुभ मुहूर्त में देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा अवश्य करनी चाहिए। साथ ही यहां बताया जा रहा एक अन्य उपाय भी करें। जिससे निश्चित ही कुछ दिनों में पैसों से जुड़ी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।
किसी भी शुभ मुहूर्त में बाजार से दो पीली कौड़ी लेकर आएं। यह किसी भी पूजन सामग्री की दुकान पर आसानी से मिल जाती है। घर आकर किसी विशेष दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर महालक्ष्मी के पूजन 2 पीली कौड़ी का चमत्कारी उपाय, जेब में रखना है इसे
की तैयारी करें पूजन में देवी लक्ष्मी का चित्र या मूर्ति रखें। मूर्ति के साथ ही दोनों पीली कौडिय़ों को रखें। अब विधि-विधान से देवी लक्ष्मी की पूजा करें। पूजन के बाद दोनों पीली कौडिय़ों को अलग-अलग लाल कपड़े में बांधे।
अब एक कौड़ी घर में वहां रखें जहां पैसा रखते हैं। दूसरी कौड़ी अपने साथ अपनी जेब में हमेशा रखें। ध्यान रहे कौड़ी साथ रखने के बाद अधार्मिक कार्यों से खुद को बचाकर रखें। अन्यथा यह उपाय निष्फल हो जाएगा।
अब एक कौड़ी घर में वहां रखें जहां पैसा रखते हैं। दूसरी कौड़ी अपने साथ अपनी जेब में हमेशा रखें। ध्यान रहे कौड़ी साथ रखने के बाद अधार्मिक कार्यों से खुद को बचाकर रखें। अन्यथा यह उपाय निष्फल हो जाएगा।

chanakya niti

 जिससे हम किसी भी व्यक्ति से अपना कार्य पूरा करवा सकते हैं
आचार्य चाणक्य ने ऐसा उपाय बताया है जिससे हम किसी भी व्यक्ति से अपना कार्य पूरा करवा सकते हैं।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
यस्माच्च प्रियमिच्छेत्तु तस्य ब्रूयात् सदा प्रियम्।
व्याधो मृगवधं गन्तुं गीतं गायति सुस्वरम्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति से अपना काम करवाना हो तो हमेशा मीठा बोलना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग दूसरों से ऐसे काम करवाना चाहते हैं जिससे सिर्फ और सिर्फ उनका खुद का फायदा हो तो वे दूसरों से सदैव मीठा बोलते हैं। जिस प्रकार जंगल में शिकारी हिरण का शिकार करने के लिए मीठी आवाज में गाने गाता है। इस गाने को सुनकर हिरण शिकारी के जाल में फंस जाता है। यही बात इंसानों पर भी लागू होती है। किसी व्यक्ति को अपने जाल में फंसाने के लिए मीठी-मीठी बातों का सहारा लिया जाता है।
 इसी प्रकार किसी सांप को फंसाने के लिए सपेरा बीन बजाता है। बीन की तंरगों में फंसकर सांप सपेरे के सामने पहुंच जाता है और खुद की जान को आफत में डाल देता है। अत: इस बात का भी हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब कोई अधिक मीठा बोले तो उसकी बातों फंसे नहीं। अन्यथा भविष्य में कोई भयंकर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
इसी प्रकार किसी सांप को फंसाने के लिए सपेरा बीन बजाता है। बीन की तंरगों में फंसकर सांप सपेरे के सामने पहुंच जाता है और खुद की जान को आफत में डाल देता है। अत: इस बात का भी हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब कोई अधिक मीठा बोले तो उसकी बातों फंसे नहीं। अन्यथा भविष्य में कोई भयंकर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

Monday, 16 September 2013

bhvisya vichar octmber 2013

                    
                भविष्यविचार   अक्तूबर20 13  ज्योतिष के दर्पण में bhvisya  vichar    octmber 2013

       प्रजा में  भय व् असंतोष हो   |शासन महगाई को नियत्रित करने में असफल   ,किसी प्रान्त में सत्ता परिवर्तन की सम्भावना  ,विश्वमें  किसी स्थान में प्रक्रतिक आपदा  से जन धन  हानी   खान रेल आदि दुर्घटनासम्भावना  के योग बनते है |

teji mandi


सोना ताबा सूत में तेजी 16 -9-20 13
अनाजो में तेजी 17 -9-2013 

Friday, 13 September 2013

vastu shastr

                                     वास्तु शास्त्र

                                vastu shastr

 यदि आपका बाथरूम ईशा न {पूरब -उत्तर } में है तो करे  ये प्रयोग 






हमारे आसपास के वातावरण में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की शक्तियां सक्रिय रहती हैं। जो कि हम पर सीधा प्रभाव डालती हैं। वास्तु शास्त्र इन्हीं शक्तियों के सिद्धांत पर कार्य करता है। जिस घर में नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय होती है वहां के सदस्यों में नेगेटिव विचार अधिक रहते हैं और उन्हें आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ पारिवारिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
वास्तु शास्त्र में जीवन को सुखी और समृद्धिशाली बनाने के लिए कई अचूक फंडे बताए गए हैं। यदि किसी घर में वास्तुदोष हैं और उनका सही उपाय नहीं हो पा रहा है तो बाथरूम में एक कटोरी साबूत या खड़ा समुद्री नमक रखें। ऐसा करने पर घर की कई प्रकार नकारात्मक शक्तियां निष्क्रीय हो जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा को बल प्राप्त होने लगेगा।
नमक में अद्भुत शक्तियां होती हैं जो कई प्रकार के नकारात्मक प्रभावों को नष्ट कर देती हैं। इसके अलावा इससे घर दरिद्रता का भी नाश होता है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। परिवार के सभी सदस्यों के विचार सकारात्मक होंगे जिससे उनका कार्य में मन लगा रहेगा। असफलताओं का दौर समाप्त हो जाएगा और सफलताएं मिलने लगेंगी।

chanakya niti

                               chanakya niti


ये 7 लोग जब भी सोते हुए दिखे तो इन्हें तुरंत उठा देना चाहिए



                                           चाणक्य  नीति



आचार्य चाणक्य द्वारा बताया गया है कि किन लोगों को कब नहीं सोना चाहिए, यदि ये लोग सो रहे हों तो इन्हें तुरंत उठा देना चाहिए। जानिए ये सात लोग कौन-कौन हैं-
आचार्य कहते हैं कि-
विद्यार्थी सेवक: पान्थ: क्षुधार्तो भयकातर:।
भाण्डारी प्रतिहारी च सप्त सुप्तान् प्रबोधयेत्।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि यदि कोई विद्यार्थी परीक्षा के समय सो रहा है तो उसे तुरंत उठा देना चाहिए ताकि वह विद्या का अभ्यास ठीक से कर सके। अन्यथा विद्यार्थी सोता रहेगा तो वह परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं यदि कोई नौकर काम के समय सो रहा हो तो उसे तुरंत जगा देना चाहिए अन्यथा कार्य पूर्ण नहीं हो सकेगा।
यदि कोई व्यक्ति नींद में डर रहा है तो उसे भी उसी समय उठा देना चाहिए ताकि उसका भयानक सपना टूट जाए और उसे शांति मिले।
हो सकता है। 


यदि कोई राहगीर या यात्री रास्ते में सोता दिखाई दे तो उसे भी उठा देना चाहिए अन्यथा उसका सामान चोरी होने का भय रहता है। यात्री को सोता देख कोई चोर उसके धन हानि या अन्य कष्ट पहुंचा सकता है।
यदि कोई व्यक्ति भूखा है तो उसे उठा देना चाहिए और उसे भोजन देना चाहिए। भूखा व्यक्ति सोता रहेगा तो उसे शारीरिक कष्ट झेलना पड़ सकते हैं, वह बीमार हो सकता है।
किसी भण्डार गृह का रक्षक या कोई चौकीदार अपने कर्तव्य के समय सोते दिखे तो इन्हें भी तुरंत जगा देना चाहिए। भण्डार गृह का रक्षक या चौकीदार के सोने पर चोरी होने का भय बना रहता है इसके साथ ही जन हानि होने की भी वैर के कारण उत्पन्न होने वाली आग एक पक्ष को स्वाहा किए बिना कभी शांत नहीं होती। -वेदव्यास
अंधेरे को कोसने से बेहतर है कि एक दीया जलाया जाए। -उपनिषद
यदि तुम जीवन से सूर्य के जाने पर रो पड़ोगे तो आंसू भरी आंखे सितारे कैसे देख सकेंगी? - रवींद्रनाथ ठाकुर
संभावनाएं रहती हैं  दुख को दूर करने की एक ही अमोघ ओषधि है- मन से दुखों की चिंता न करना। - वेदव्यास
पराजय से सत्याग्रही को निराशा नहीं होती बल्कि कार्यक्षमता और लगन बढ़ती है। -महात्मा गांधी
मुट्ठी भर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। -महात्मा गांधी
जिनका चित्त विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों में भी अस्थिर नहीं होता वे ही सच्चे धीर पुरुष होते हैं। -कालिदास
पुण्य की कमाई मेरे घर की शोभा बढ़ाए, पाप की कमाई को मैंने नष्ट कर दिया है। - अथर्ववेद
मातृभाषा, मातृ संस्कृति और मातृभूमि ये तीनों सुखकारिणी देवियां स्थिर होकर हमारे हृदयासन पर विराजें। -ऋग्वेद
कष्ट पडऩे पर भी साधु पुरुष मलिन नहीं होते, जैसे सोने को जितना तपाया जाता है वह उतना ही निखरता है। -कबीर
जीवन का पहला और स्पष्ट लक्ष्य है-विस्तार। जिस क्षण आप विस्तार करना बंद कर देंगे, उसी क्षण जान लें कि आपको मृत्यु ने घेर लिया है, विपत्तियां सामने हैं।
ईमानदारी वैभव का मुंह नहीं देखती। वह तो परिश्रम के पालने में किलकारियां मारती है और संतोष पिता की भांति उसे देखकर तृप्त होता है।

ye 5 chijen bana sakti hai dhanvan


ये 5 चीजें बना सकती हैं धनवान 


ye 5 chijen bana sakti hai dhanvan




चांदी की लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति- चांदी से निर्मित लक्ष्मी गणेश की मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर रखना चाहिए। प्रतिदिन इनकी पूजा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-शांति भी बनी रहती है। 
लघु नारियल- ये नारियल आम नारियल से थोड़ा छोटा होता है। तंत्र-मंत्र में इसका खास महत्व है। नारियल को श्रीफल भी कहते हैं यानी देवी लक्ष्मी का फल। इसकी विधि-विधान से पूजा कर लाल कपड़े में बांधकर ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां किसी की नजर इस पर न पड़े। इस उपाय से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं।
कौड़ी- ये समुद्र से निकलती है। दिखने में यह बहुत साधारण होती है लेकिन इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है। लक्ष्मीजी समुद्र से उत्पन्न हुई हैं और कौडिय़ां भी समुद्र से निकलती हैं इसलिए इसमें धन को अपनी ओर आकर्षित करने का प्राकृतिक गुण होता है। इसे धन स्थान पर रखना शुभ होता है।
कौड़ी- ये समुद्र से निकलती है। दिखने में यह बहुत साधारण होती है लेकिन इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है। लक्ष्मीजी समुद्र से उत्पन्न हुई हैं और कौडिय़ां भी समुद्र से निकलती हैं इसलिए इसमें धन को अपनी ओर आकर्षित करने का प्राकृतिक गुण होता है। इसे धन स्थान पर रखना शुभ होता है।
लक्ष्मी की चरण पादुकाएं- मां लक्ष्मी की चांदी से निर्मित चरण पादुकाएं धन स्थान पर इस प्रकार रखनी चाहिए कि इसकी दिशा धन स्थान की ओर जाती हुई रहे। इसका अर्थ है लक्ष्मी सदैव आपके धन स्थान में ही निवास करे।

Sunday, 8 September 2013

Shri Ganapati Atharvashirsha english and hindi



Shri Ganapati AtharvashirshaAtharvashirsha title




Om Namste Ganpataye
Tvameva Pratyaksham Tatvamasi
Tvamev Kevalam Kartasi
Tvamev Kevalam Dhartasi
Tvamev Kevlam Hartasi
Tvamev Sarvam Khalvidam Bramhasi
Tvam Sakshadatmasi Nityam || 1 ||


Rritam Vachmi
Satyam Vachmi || 2 ||


Ava tvam Mam
Ava Vaktaram
Ava Shrotaram
Ava Dataram
Ava Dhataram
Avanuchanamv Shishyam
Ava Paschatat
Ava Purastat
Avo Uttaratat
Ava Dakshinatat
Ava chordhvatat
Ava Dharatat
Sarvatomam Pahi Pahi Samantat || 3 ||

Tvam Vangmayastvam Chinmaya
Tvam Anandmayastvam Bramhamaya
Tvam Sachitananda Dvitiyosi
Tvam Pratyaksham Bramhasi
Tvam Jnanmayo Vijnanamayo Asi || 4 ||

Sarvam Jagadidam Tatvo Jayate
Sarvam Jagadidam Tvat Sti Shastati
Sarvam Jagadidam Tvay Layamesyati
Sarvam Jagadidam Tvayi Pratyeti
Tvam Bhumi Rapo Nalo Nilo Nabha
Tvam Chatvarim Vak Padaini || 5 ||

Tvam Guna Traya Atitaha
Tvam Deha Treya Atitaha
Tvam Kala Treya Atitaha
Tvam Avastreya Atitaha
Tvam Muladhar Stiti Yosi Nityam
Tvam Shakti Treya Atmakaha
Tvam Yogino Dhayayanti Nityam
Tvam Bramhastvan, Vishnustvam, Rudrastvam, Indrastvam Agnistvam, Vayustvam, Suryastvam, Chndramastvam, Bramha Bhur Bhuva Svorom || 6 || 

Ganadim Purvamuccharaya Varnadim Tada Nantaram
Anusvara Paratarah
Ardhendu Lasitam
Taren Hridam
Etatva Manu Svarupam
Gakarah Purva Rupam
Akaro Madhyam Rupam
Anu Svaraschantya Rupam
Bindu Ruta Rupam
Nadah Sandhanam
Sagm Hitaa Sandihi
Sesha Ganeshvidhya
Ganal Rishi; Nichrud Gayatri chandah
Ganpatir devata
Om 'GUNG' Ganpataye Namah || 7 ||
Ek Dantaya Vid Mahe vakra Tundaya Dhimahi 

Tanno danti Prachodayat || 8 ||Ek Dantam Chatur Hastam Pashmam Kusha Dharinam
Radamch Vardam Hastair Bhi Bhranum Mushaka Dhvajam
Raktam Lambodaram Shoorpakarnkam Rakta Vasasamam
Raktam Gandhanu Liptangam Rakta Pushpaihi saupujitam
Bhaktanu Kampinam Devam Jagat Karnam Achutam
Avir Bhutam Cha Shrasta Yadao, Prakruthe Purushat Param
Evam Dhayayati Yo Nityam, Sa Yogi Yoginam Varah || 9 ||Namo Vrat Pataye, Namo Ganapataye
Namo Pramatha patye, Namste Stu Lambodaraya Ekdantaya, Vighna Nashine Shiv Sutaya, Sri Varad Murtiye Namo Namah || 10 ||

Thursday, 5 September 2013

dhanvardhakpryog

                       धनवर्धकप्रयोग 

dhanvardhakpryog


यह प्रयोग दिवाली पर  भी कर सकते है  आतिलाभकारी  एवम चमत्कारी  है धन सम्बन्धी बाधा को दूर करता 
नौकरी व्यापार  में लाभकारी नित्य  संकटनाशन गणेश स्तोत्र आति फल दयाक है |

यदि ------------>


 आपका व्यवसाय ठीक नहीं चल रहा है? या फिर कमाई से अधिक खर्च हो जाता है, या नौकरी में तरक्की नहीं - किसी गुरू पुष्य योग और शुभ चन्द्रमा के दिन सुबह हरे रंग के कपड़े की छोटी थैली तैयार करें। इस थैली को श्रीगणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे रखकर संकटनाशन गणेश स्तोत्र के 11 पाठ करें| इसके बाद इस थैली में 7 मूंग, 10 ग्राम साबुत धनिया, एक पंचमुखी रूद्राक्ष, एक चांदी का रुपया, 2 साबूत सुपारी, 2 हल्दी की गांठ रखें व गणेशजी को शुद्ध घी के मोदक का भोग लगाएं।  अब इस थैली को अपनी तिजोरी या कैश बॉक्स में रख दें। कुछ ही समय बाद आपकी आर्थिक स्थिति में शीघ्र सुधार आने लगेगा। 1 साल बाद नई थैली बना कर बदलते रहें

Tuesday, 3 September 2013

teji mandi


                            teji  mandi 

sona chandi rueyme teji 4-9-2013sona chandi me teji 5-9-2013

Monday, 2 September 2013

shree ganesh chalisaa


shree  ganesh chalisaa











जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥
जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥
ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥
बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥
पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥
गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥
मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥