Monday, 29 September 2014

shani ki shanti ke sarl upay--


शनि की शांति के सरल उपाय -शनिवार को करे 
shani ki shanti ke sarl upay--shanivar ko kre



                  यदि आपको शनि की साढ़ेसाती हो या ढय्या, राहु-केतु का कालसर्प दोष हो या पितृ दोष कोईदोष हो पीपल पूजन से सभी शांत हो जाते है |शास्त्रों में बताया गया है की पीपल में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है इस लिए पीपल की सेवा करने से सभी कष्ट दूर होते है |



धन लाभ के लिए -----
किसी भी शनिवार की शाम को गुड एवम खड़ी उड़द के 11 दाने पर थोड़ा सा  सिंदूर लगाएं और उसे किसी भी पीपल के नीचे रख आएं। वापस आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखें। यह उपाय शनिवार से ही शुरू करना चाहिए। हर शनिवार यह उपाय करते रहें। 

सु ख-शांति के लिए ----
घर में सुख-शांति नहीं रहती हो और हमेशा वाद-विवाद होते रहते हों तो ये उपाय करें। उपाय के अनुसार शनिवार को किसी पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं  यह उपाय हर शनिवार करें |

 शनिवार को ऐसे करें तेल का दान

शनिवार के शनि को मनाने का सबसे अच्छा उपाय है तेल का दान करना। इस उपाय के लिए एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखें, इसके बाद इस तेल का दान कर दें। यह  उपाय सर्वाधिक प्रचलित है। 
  काले कंबलएवम  छाते का  दान 
शनि और राहु-केतु के दोषों को दूर करने के लिए शनिवार के दिन किसी गरीब व्यक्ति को काले कंबल का दान करें। ये तीनों ग्रह गरीबों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस कारण जो गरीब की मदद करता है, उन लोगों पर इन ग्रहों की विशेष कृपा रहती है। साथ ही, आप छाते का दान भी कर सकते हैं।
हर शनिवार पीपल की ग्यारह परिक्रमा करें
शनि की साढ़ेसाती हो या ढय्या, राहु-केतु का कालसर्प दोष हो या पितृ दोष, यदि आप हर शनिवार किसी पीपल की ग्यारह परिक्रमा करेंगे तो इन दोषों की शांति हो सकती है। साथ ही, पीपल कोमीठा  जल भी अर्पित करें और पूजन करें।धन लाभ होता है |
तेल के दीपक---
हनुमानजी के भक्तों को शनिदेव से किसी प्रकार का कोई भय नहीं रहता है। यदि आप शनि के बुरे प्रभावों से जल्द मुक्ति पाना चाहते हैं तो शनिवार के दिन से प्रतिदिन किसी भी हनुमान मंदिर में जाएं। हनुमानजी के सामने तेल का दीपक लगाएं  शनिवार से यह उपाय प्रारंभ करें। इसके बाद उपाय प्रतिदिन करना चाहिए।
यदि आप प्रतिदिन नहीं कर सकते हैं तो कम से कम हर शनिवार को अवश्य करें। इससे बहुत ही जल्द आपकी कई समस्याओं का समाधान हो जायेगा  | 


Saturday, 20 September 2014

chamatakri laxmi kvach --sabhi mnokamno ko siddh kre

चमत्कारी लक्ष्मी कवच --- सभी मनोकामनो को सिद्ध करे 

chamatakri laxmi kvach --sabhi mnokamno ko siddh kre 

                                                                                                                     वर्तमान युग में सभी चहेत है की में सबसे धन धन वन बनू सारे कार्यो सफलता मिले लेकिन सब कुछ हमारे सोचे अनुसार नहीं होता अत:यदि लक्ष्मी जी की कृपा के बिना जीवन निर्थक सा लगता है अत: लक्ष्मी जीक्रपा  प्राप्त करने का यह सरल उपाय है |

लक्ष्मी जी का यह कवच सभी मनोकामनो को सिद्ध करने वाला होता है |इसको धारण करने वाला संकट ,विपदा   को दूर करने वाला  राज दरवार में सम्मन सभी कार्यो में सफलता  धन वैभव युक्त  रोग निवरक  अग्नि  धन हानी से रक्षा करता है इस कवच को गले में धारण करने से लक्ष्मी जी  की  सदैव कृपा बनी रहती है


यह केवल दिवाली के दिन निर्मित किया जाता है |  यदि आप प्राप्त करना चहते है तो सम्पर्क करे |

मुक्ता ज्योतिष समाधान केंद्र                                            मो .--+9176 97 96 15 97

Tuesday, 16 September 2014

janm kundli ka phaladesh kaise hota hai-- jane


janm kundli ka phaladesh kaise hota hai-- jane

जन्म कुंडली का फलादेश कैसे होता है -----जाने 


सर्व प्रथम लग्न से स्वाभाव  रंग स्वास्थ्य आदि का वर्णन किया जाता है 

धन कुटुम्ब का विचार ,पराक्रम का विचार ,,माता कुटुम्ब वहान ,विद्या विचार सांख्य साहित्य कला इंजीनियरिंग,लॉ  डॉक्टरी आदि जान सकते है |

ऋण रोग शत्रु  , विवाह कितनी दूर ,दिशा , कहा पर ,लव  या अरन्ज  शादी  ,नौकरी  या व्यापार ,कष्ट का समय साढ़े साती का समय आदि और भी हिन्दी में लिखित फल आप प्राप्त कर सकते है |

हमारा एक परमर्स आपका भाग्य बदल सकता है |

muktajyotishs@gmail.com    mo.--+917697961597 

Friday, 12 September 2014

सफलता के शास्त्त्रोक्त सूत्र


सफलता के शास्त्त्रोक्त  सूत्र 



हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत में बताए गए सफलता व उन्नति के  सूत्रों को अपने जीवन में उतार कर सफलता को आसानी से प्राप्त कर सकते है । सफलता व तरक्की के ये  सूत्र जीवन में उतार कर  कोई भीव्यक्ति  मनोअनुकुल सफलता व  ऊंचाईयों को पा सकता है - 
महाभारत में लिखा गया है कि - 
उत्थानं संयमो दाक्ष्यमप्रमादो धृति: स्मृति:।
समीक्ष्य च समारम्भो विद्धि मूलं भवस्य तु।। 
इस श्लोक में जीवन में कर्म, विचार और व्यवहार से जुड़ी  बातें उन्नति का मूल मंत्र मानी गई है। ये बाते हैं - 
उद्यम - मेहनत, कर्म व परिश्रम की भावना। 
संयम - मन व विचार पर काबू या उतावलेपन से बचना। 
दक्षता - किसी भी कार्य या कला में कुशलता या महारत। 
सावधानी - विषय, कार्य और स्थिति के प्रति जागरुकता। 
धैर्य - मनचाहे परिणाम न मिलने या अपेक्षा पूरा न होने पर लक्ष्य से न भटकना। 
स्मृति - इसकी अलग-अलग अर्थों में अहमियत है। जैसे ज्ञान, स्मरण शक्ति के अलावा दूसरों के उपकारों, सहयोग या प्रेम को न भूलना आदि। 
सोच-विचार - विवेक का साथ न छोडऩा। सफलता व तरक्की के लिए कोई भी कदम बढ़ाने से पहले सही और गलत की विचार शक्ति अहम होती है, जिसके लिए अधिक से अधिक ज्ञान व अनुभव  को एकत्रित कर विशेषज्ञ बनाना चाहिए ||

Thursday, 11 September 2014

man ko yekagr kre tratak----



                                         man ko yekagr kre tratak----
   मन को एकाग्र करे त्राटक ----जो जीवन में सफलता दिलावे 

यह त्राटकचक्र है इसे आप 5 से 10 मिनिट देखे तो यह चक्र चलने लगता है
 


              त्राटक क्या है ------                                                    मन को एकाग्रता की ओर ले जाने के लिए त्राटक एक अच्छा प्रयोग है |त्राटक करने से मन शांत रहता है |मन का भटकाव दूर होता है | विचलन दूर होता है सका नियमित अभ्यास कर मानसिक शां‍ति और मानसिक प्रसन्नता देता है  इससे आँख के सभी रोग दूर हो  जाते है त्राटक के अभ्यास से अनेक प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है। त्राटक स्मृतिदोष को भी  दूर करता है और इससे दूरदृष्टि बढ़ती है।
त्राटक  विधि --------जितनी देर तक आप बिना पलक गिराए किसी एक बिंदु, क्रिस्टल बॉल, त्राटक चक्र , घी के दीपक की ज्योति पर देख सकें देखते रहिए। इसके बाद आँखें बंद कर लें। कुछ समय तक इसका अभ्यास करें। इससे आप की एकाग्रता बढ़ेगी।
सावधानी : त्राटक का अभ्यास 5 ,7 ,10 ,12 15 मिनिट तक ही करे |प्रारम्भ कम समय ही करे  अधिक देर तक एक-सा करने पर आँखों से आँसू निकलने लगते हैं। अत: ऐसा जब हो, तब आँखें झपकाकर अभ्यास छोड़ दें। यह क्रिया केवल म न को  एकाग्रता की ओर ले जाने के लिए ही  करे |                 प्रतियोगियों के लिए --------------------------यदि आप विद्यार्थी है पढ़ने में मन नहीं लगता प्रतियोगी परीक्षाओं देते है जिस में अधिक एकाग्रता की अवश्यकता पडती है|लाभ करी है |



Sunday, 7 September 2014

chanakya niti-shrm na kre ye char kam krne me

chanakya niti-shrm na kre ye char kam krne me 

चाणक्य नीति: शर्म न करें ये चार काम करने में 



                                                                                    आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
 
धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणे तथा।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।।
 
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने पहला काम यह बताया है कि हमें धन संबंधी कार्यों में किसी भी प्रकार की शर्म नहीं करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को हमने पैसा उधार दिया है तो उसे पुन: मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए। व्यक्ति उधार मांगते समय तो मजबूरी दिखाता है, लेकिन पैसा वापस करने के लिए वह कई प्रकार के बहाने भी बना सकता है। इस परिस्थिति में हमारा पैसा अटक सकता है, अत: हमारे द्वारा दिया गया पैसा मांगने में शर्म को त्याग देना चाहिए। धन संबंधी कार्यों में जो बातें हैं, वे सभी पहले से तय कर लेनी चाहिए।
दूसरा काम
 
हमें कभी भी शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने में शर्म नहीं करना चाहिए। कुछ सीखना हो तो शर्माना नहीं चाहिए। अन्यथा जीवनभर अज्ञानी की भांति रहना पड़ सकता है। अज्ञान दूर करने के लिए जो भी योग्य व्यक्ति संपर्क में आए, उससे आवश्यक ज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिए। आज के दौर में काफी लोग किसी से कुछ पूछने में संकोच करते हैं, यह संकोच भविष्य में कई परेशानियों का कारण बनता है।
 तीसरा काम
 
जो व्यक्ति खाने के संबंध में संकोच करता है, वह अक्सर भूखा ही रह जाता है। इसलिए भूख लगने पर खाना खा ले लेना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति से खाना मांगना भी पड़े तो मांग लेना चाहिए। अन्यथा भूखे रहना पड़ सकता है। जब हम किसी के घर मेहमान बनकर जाते हैं तो वहां संकोचवश भूख लगने पर भी खाना नहीं मांगते हैं, जबकि ऐसी परिस्थिति में शर्म को छोड़ देना चाहिए। भूख लगने पर खाना नहीं खाएंगे तो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
 चौथा काम
 
यदि कोई व्यवसायी है तो उसे अपने ग्राहकों या देनदारों से शर्म नहीं करना चाहिए। धन और व्यापार से जुड़ी समस्त बातें साफ-साफ स्पष्ट कर लेनी चाहिए। यदि हम प्रारंभ में ही सारी बातें स्पष्ट नहीं करेंगे तो बाद में धन हानि का सामना करना पड़ सकता है या किसी भी विपरीत स्थिति से हमारी ख्याति पर भी बुरा असर हो सकता है।

Saturday, 6 September 2014

pitr dosh karan aur nivran

पितृ दोष कारण और निवरण                                          pitr dosh karan aur nivran
नवम भाव पर  जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है . शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है . व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है .
कुन्डली का नवां घर धर्म का घर कहा जाता है,यह पिता का घर भी होता है,अगर किसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी,जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है  नवां भाव,नवें भाव का मालिक ग्रह,नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहा जाता है।      सूर्य या  चन्द्र राहु के साथ हो पचममेश राहु के साथ हो तो पितृ दोष योग बनता है \ इस प्रकार का जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की टेंसन में रहता है,उसकी शिक्षा पूरी नही हो पाती है,वह जीविका के लिये तरसता रहता है,वह किसी न किसी प्रकार से दिमागी या शारीरिक रूप से परेशान  होता है।

               पितृ दोष के सरल उपाय 

1 --भागवत गीता का पाठ करे |
2 ---गया में श्राद्ध करवे\
    3     ---ग्यारस का व्रत करे 
      4------         पितृ सुक्ता का पाठ करे |

पितृदोष के निवारण के लिए श्राद्ध काल में पितृ सुक्त का पाठ संध्या समय में तेल का दीपक जलाकर करे तो पितृदोष की शांति होती है।
अर्चितानाम मूर्ताणां पितृणां दीप्ततेजसाम्।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्चक्षुषाम्।।
हिन्दी- जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यनत तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्य दुष्टि सम्पन्न है, उन पितरो को मै सदा नमस्कार करता है।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्।।
अर्थात जो इन्द्र आदि देवताओ, दक्ष, मारीच, सप्त ऋषियो तथा दुसरो के भी नेता है। कामना की पूर्ति करने वाले उन पितरो को मैं प्रणाम करता है।
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रूसोस्तयथा।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान पितृनप्सुदधावपि।।
अर्थात जो मनु आदि राजार्षियों, मुनिश्वरो तथा सूर्य चंद्र के भी नायक है, उन समस्त पितरो को मैं जल और समुद्र मै भी नमस्कार करता है।
नक्षत्राणां ग्रहणां च वाच्व्यग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिव्योश्च तथा नमस्यामि कृतांजलि5।।
अर्थात जो नक्षत्रों ,ग्रहो,वायु,अग्नि,आकाश और द्युलोक एवं पृथ्वीलोक के जो भी नेता है, उन पितरो को मै हाथ जोडकर प्रणाम करता हूँ।
देवर्षिणां जनितंृश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।
अक्षच्चस्य सदादातृन नमस्येळहं कृतांजलिः।।
अर्थात जो देवर्षियो के जन्मदाता, समस्त लोको द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता है। उन पितरो को मै हाथ जोडकर प्रणाम करता हूँ।
प्रजापतेः कश्यपाय सोमाय वरूणाय च।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृतांजलिः।।
अर्थात प्रजापति, कश्यप, सोम,वरूण तथा योगेश्वरो के रूप् में स्थित पितरो को सदा हाथ जोडकर प्रणाम करता हूँ।
नमो गणेभ्यः सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु।
स्वयंभूवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे।।
अर्थात सातो लोको मे स्थित सात पितृगणो को नमस्कार है। मै योगदृश्टि संपन्न स्वयंभू ब्रह्मजी को प्रणाम करता है।
सोमाधारान् पितृगणानयोगमूर्ति धरांस्तथा।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्।।
अर्थात चंद्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित और योगमूर्तिधारी पितृगणों को मै प्रणाम करता हूँ। साथ ही संपूर्ण जगत के पिता सोम को नमस्कार करता हूँ।
अग्निरूपांस्तथैवान्याम् नमस्यामि पितृनहम्।
अग्निषोममयं विश्वं यत एतदशेषतः।।
अर्थात अग्निस्वरूप् अन्य पितरो को भी प्रणाम करता हूँ क्याकि यह संपूर्ण जगत अग्नि और सोममय है।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तयः।
जगत्स्वरूपिणश्चैवतथा ब्रह्मस्वरूपिणः।।
अर्थात जो पितर तेज मे स्थित है जो ये चन्द्रमा, सूषर्् और अग्नि के रूप् मै दृष्टिगोचर होते है तथा जो जगतस्वरूप् और ब्रह्मस्वरूप् है।
तेभ्योळखिलेभ्यो योगिभ्यः पितृभ्यो यतमानसः।
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुजः।।
अर्थात उन संपूर्ण योगी पितरो को मै। एकाग्रचित होकर प्रणाम करता है। उन्हे बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझ पर प्रसन्न हो।
विशेष- संस्कृत या  हिन्दी में पाठ करे  पितृ कृपा प्राप्त होगी |
  5-----       पितृ दोष निवारण के लिये यदि कोई व्यक्ति सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर मीठा जलए मिष्ठान एवं जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुये 108 परिक्रमा करे तत्पश्चात् अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है। 

Tuesday, 2 September 2014

vyapar bhvishy teji mandi september 2014

vyapar bhvishy teji mandi september 2014

व्यापार भविष्य तेजी मंदी सितम्बर 2014 

ता.5 को मंगल का वशिच्क राशि में आने से सोना चाँदी व् धातु में तेजी होगी |चाँदी का भाव पहले गिरकर बाद में तेज होगा |ता.13 से अन्नादि में तेजी सोना चाँदी लोहा तेल के भाव में दो सप्ताह में तेजी आवे |ता. 17 से कपड़ा मेवा तेल सोना चाँदी शेयर आदिमें मंदी होगी |ता. 21 से तुला का बुध होने से खांड सोना आदि में तेजी |चाँदी ,अलसी में मंदी |

by muktajyotishs   मो. +9176 97 96 15 97    

चाणक्य नीति- जानिये पानी पीने का रहस्य जिससे पाचन शक्तिकमजोर न हो


चाणक्य नीति- जानिये  पानी पीने का रहस्य जिससे पाचन शक्तिकमजोर न  हो 

आचार्य चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि गलत समय पर पानी पीना स्वास्थ्य के लिए कैसे हानिकारक हो सकता है। इस नीति में कुछ परिस्थितियां बताई हैं जब पानी पीने से नुकसान हो सकता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...

अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चाऽमृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।।
चाणक्य नीति- जानिए किस समय पानी पीने से पाचन शक्ति हो सकती है कमजोर
इस श्लोक में आचार्य ने बताया है कि भोजन के एकदम बाद पानी नहीं पीना चाहिए। खाना खाने के बाद जब तक खाना पच ना जाए, तब तक पानी पीना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। यदि कोई व्यक्ति भोजन के तुरंत बाद ज्यादा पानी पी लेता है तो उसके पाचन तंत्र को भोजन पचाने में परेशानियां होती हैं। यदि खाना ठीक से पचेगा नहीं तो शरीर को उचित ऊर्जा प्राप्त नहीं हो सकेगी। अपच की स्थिति में पेट संबंधी रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। भोजन के तुरंत बाद पानी पीने पर वह विष के समान कार्य करता है। यदि हम चाहे तो भोजन के बीच-बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पी सकते हैं, लेकिन अधिक पानी पीना नुकसानदायक हो सकता है।
 कब पीएं पानी

चाणक्य कहते हैं कि जब खाना पूरी तरह पच जाए तो उसके बाद पानी पीना चाहिए। खाना पचने के बाद पानी पीने पर वह अमृत के समान काम करता है। शरीर को भरपूर ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहता है। पाचन तंत्र के स्वस्थ होने पर कब्ज, गैस, अपच आदि समस्याएं नहीं होती हैं।
ध्यान रखें, भोजन से कुछ देर पहले यानी एक घंटे या आधे घंटे पहले एक-दो गिलास पानी पी सकते हैं। खाना खाते समय बीच-बीच में एक-दो घूंट पानी पीना लाभदायक होता है। ऐसा करने पर खाना जल्दी पचता है। साथ ही, पाचन शक्ति भी बढ़ती है।

- हमें जब भी प्यास लगे, तब कम से कम एक गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। ऐसा करने पर हमारा शरीर पानी की कमी को पूरा कर लेता है।

- शारीरिक परिश्रम करने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। ऐसे काम करने के बाद, कम से कम आधे घंटे रुककर पानी पीना चाहिए।