Sunday, 7 September 2014

chanakya niti-shrm na kre ye char kam krne me

chanakya niti-shrm na kre ye char kam krne me 

चाणक्य नीति: शर्म न करें ये चार काम करने में 



                                                                                    आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
 
धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणे तथा।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।।
 
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने पहला काम यह बताया है कि हमें धन संबंधी कार्यों में किसी भी प्रकार की शर्म नहीं करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को हमने पैसा उधार दिया है तो उसे पुन: मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए। व्यक्ति उधार मांगते समय तो मजबूरी दिखाता है, लेकिन पैसा वापस करने के लिए वह कई प्रकार के बहाने भी बना सकता है। इस परिस्थिति में हमारा पैसा अटक सकता है, अत: हमारे द्वारा दिया गया पैसा मांगने में शर्म को त्याग देना चाहिए। धन संबंधी कार्यों में जो बातें हैं, वे सभी पहले से तय कर लेनी चाहिए।
दूसरा काम
 
हमें कभी भी शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने में शर्म नहीं करना चाहिए। कुछ सीखना हो तो शर्माना नहीं चाहिए। अन्यथा जीवनभर अज्ञानी की भांति रहना पड़ सकता है। अज्ञान दूर करने के लिए जो भी योग्य व्यक्ति संपर्क में आए, उससे आवश्यक ज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिए। आज के दौर में काफी लोग किसी से कुछ पूछने में संकोच करते हैं, यह संकोच भविष्य में कई परेशानियों का कारण बनता है।
 तीसरा काम
 
जो व्यक्ति खाने के संबंध में संकोच करता है, वह अक्सर भूखा ही रह जाता है। इसलिए भूख लगने पर खाना खा ले लेना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति से खाना मांगना भी पड़े तो मांग लेना चाहिए। अन्यथा भूखे रहना पड़ सकता है। जब हम किसी के घर मेहमान बनकर जाते हैं तो वहां संकोचवश भूख लगने पर भी खाना नहीं मांगते हैं, जबकि ऐसी परिस्थिति में शर्म को छोड़ देना चाहिए। भूख लगने पर खाना नहीं खाएंगे तो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
 चौथा काम
 
यदि कोई व्यवसायी है तो उसे अपने ग्राहकों या देनदारों से शर्म नहीं करना चाहिए। धन और व्यापार से जुड़ी समस्त बातें साफ-साफ स्पष्ट कर लेनी चाहिए। यदि हम प्रारंभ में ही सारी बातें स्पष्ट नहीं करेंगे तो बाद में धन हानि का सामना करना पड़ सकता है या किसी भी विपरीत स्थिति से हमारी ख्याति पर भी बुरा असर हो सकता है।

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