Friday, 12 September 2014

सफलता के शास्त्त्रोक्त सूत्र


सफलता के शास्त्त्रोक्त  सूत्र 



हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत में बताए गए सफलता व उन्नति के  सूत्रों को अपने जीवन में उतार कर सफलता को आसानी से प्राप्त कर सकते है । सफलता व तरक्की के ये  सूत्र जीवन में उतार कर  कोई भीव्यक्ति  मनोअनुकुल सफलता व  ऊंचाईयों को पा सकता है - 
महाभारत में लिखा गया है कि - 
उत्थानं संयमो दाक्ष्यमप्रमादो धृति: स्मृति:।
समीक्ष्य च समारम्भो विद्धि मूलं भवस्य तु।। 
इस श्लोक में जीवन में कर्म, विचार और व्यवहार से जुड़ी  बातें उन्नति का मूल मंत्र मानी गई है। ये बाते हैं - 
उद्यम - मेहनत, कर्म व परिश्रम की भावना। 
संयम - मन व विचार पर काबू या उतावलेपन से बचना। 
दक्षता - किसी भी कार्य या कला में कुशलता या महारत। 
सावधानी - विषय, कार्य और स्थिति के प्रति जागरुकता। 
धैर्य - मनचाहे परिणाम न मिलने या अपेक्षा पूरा न होने पर लक्ष्य से न भटकना। 
स्मृति - इसकी अलग-अलग अर्थों में अहमियत है। जैसे ज्ञान, स्मरण शक्ति के अलावा दूसरों के उपकारों, सहयोग या प्रेम को न भूलना आदि। 
सोच-विचार - विवेक का साथ न छोडऩा। सफलता व तरक्की के लिए कोई भी कदम बढ़ाने से पहले सही और गलत की विचार शक्ति अहम होती है, जिसके लिए अधिक से अधिक ज्ञान व अनुभव  को एकत्रित कर विशेषज्ञ बनाना चाहिए ||

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