Sunday, 21 October 2018

करवा चौथ विधि पूजन का शुभ मुहूर्त2018 और कहानी

करवा चौथ विधि पूजन का  शुभ मुहूर्त2018  और कहानी 

carva chauthpujan muhutr 2018
भारत में हिंदू धर्मग्रंथों, पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रादि के अनुसार हर महीने कोई न कोई उपवास, कोई न कोई पर्व, त्यौहार या संस्कार आदि आता ही है लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को जो उपवास किया जाता है उसका सुहागिन स्त्रियों के लिये बहुत अधिक महत्व होता है। दरअसल इस दिन को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन यदि सुहागिन स्त्रियां उपवास रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखद होने लगता है
करवा चौथ कैसे मनाया जाता है?
महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सर्गी खाती हैं. यह खाना आमतौर पर उनकी सास बनाती हैं. इसके बाद महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं. दिन में शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है. शाम को देवी की पूजा होती है, जिसमें पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है. चंद्रमा दिखने पर महिलाएं छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देखती हैं. पति इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाता है.
शुभ मुहूर्त --करवा चौथ 2018
27 अक्तूबर
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- 17:36 से 18:54
चंद्रोदय- 20:00
चतुर्थी तिथि आरंभ- 18:37 (27 अक्तूबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 16:54 (28 अक्तूबर)
करवा चौथ की कहानी
इस रोज बगैर खाए या पिए महिलाएं अपने पति या होने वाले पति की लंबी उम्र की कामना में व्रत रहती हैं. करवा चौथ को लेकर कई कहानियां हैं. एक कहानी महारानी वीरवती को लेकर है. सात भाइयों की अकेली बहन थी वीरवती. घर में उसे भाइयों से बहुत प्यार मिलता था. उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत अपने मायके यानी पिता के घर रखा. सुबह से बहन को भूखा देख भाई दुखी हो गए. उन्होंने पीपल के पेड़ में एक अक्स बनाया, जिससे लगता था कि चंद्रमा उदय हो रहा है. वीरवती ने उसे चंद्रमा समझा. उसने व्रत तोड़ दिया. जैसे ही खाने का पहला कौर मुंह में रखा, उसे नौकर से संदेश मिला कि पति की मौत हो गई है. वीरवती रात भर रोती रही. उसके सामने देवी प्रकट हुईं और दुख की वजह पूछी. देवी ने उससे फिर व्रत रखने को कहा. वीरवती ने व्रत रखा. उसकी तपस्या से खुश होकर यमराज ने उसके पति को जीवित कर दिया.

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