नरक चतुर्दशी 2018: कथा, पढ़ने या सुनने मात्र से घोर नरकों की यातनाओं से मिलती है मुक्ति
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दिवाली से एक दिन पहले यानी छोटी दिवाली के दिननरक चतुर्दशी मनाई जाती है।कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी अमावस्या से एक दिन पहले आती है। इस साल 6 नवम्बर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
इस दिन द्वापर में भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था और सौलह हजार एक सौ कन्याओं को उनके प्रार्थना करने पर अपनाया था। बाद में यही कन्याएं भगवान श्री कृष्ण की सौलह हजार एक सौ रानियां बनी थी।
नरक चतुर्दशी की कथा-
नरक चतुर्दशी कथा
एक समय की बात है रंति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने जाने-अनजाने में भी कभी कोई पाप नहीं किया। हमेशा वो संसार के भले के लिए कार्य करने में तत्पर रहा करते थे। लेकिन सदैव सात्विक जीवन जीने के बावजूद भी जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हो गए। यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हो गए। राजा बोले हे ईश्वर मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया। कभी गलती से भी किसी का दिल नहीं दुखाया फिर आप मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नरक जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है।
यह सुनकर यमदूत ने कहा कि- हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप कर्म का फल है। वजह के बारे में पता चलने के बाद राजा ने यमदूत से प्रार्थना की कि प्रभु कृपा कर मुझे एक वर्ष का समय दे दीजिए मैं अपने पाप कर्मों का धरती पर ही प्रायश्चित करना चाहता हूं।
तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया। राजा अपनी नरक लोक को जाने की समस्या लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा।
तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी आने पर आप उसका व्रत करें। उस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवा कर। उनकी सेवा करें। और उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया था।
इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और यमदूतों और नरक से दूर हो। विष्णु लोक अथार्त बैकुण्ठ लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक यानी पृथ्वी पर कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित हो गया।
नरक चतुर्दशी कथा सभी पापों को हर कर घोर नरकों से दूर करने वाली है। इसको पढ़ने-सुनने से मनुष्य नरक लोक से मुक्ति पा जाता है। नरक चतुर्दशी कथा का महत्व इतना अधिक है कि इसके निमित्त दीप प्रज्जवलित कर लेने से भी व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते है।
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