Monday, 23 December 2013

vyapar me hani kyo

                                                          व्यापार में हानी क्यों होती है


vyapar  me hani kyo 


व्यापार में हानी क्यों होती है जब आप कोई वस्तुखरीदते है और उस दिन ऐसा नक्षत्र जो हानि करता है तो आपको अवश्य हानि उठानी पड़गी व्यापार
में बहुत सी बातो का ध्यान रखे तो हानिकी सम्भवनायेंकमहोती है
call----+917697961597

Tuesday, 17 December 2013

Teji mandi

                                             Teji mandi

                                                                                                       तेजी मंदी -


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20 14 की वर्ष भर की तेजी मंदी जान सकते है |


by---muktajyotishs@gmail.com

Thursday, 12 December 2013

jab kisi stri ya purush ko apne vash me karna ho to ye hai saidha tarika


जब किसी स्त्री या पुरुष को अपने वश में करना हो तो ये है सीधा तरीका





हमेशा सुखी रहना हो तो ध्यान रखें ये एक चाणक्य नीति



आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हमारे आसपास कई प्रकार के लोग हैं। कुछ धन के लोभी हैं तो कुछ घमंडी भी हैं। कुछ मूर्ख हैं तो कुछ लोग बुद्धिमान भी हैं। इन लोगों को वश में करने के कुछ सबसे सरल तरीके हैं। जैसे किसी लालची व्यक्ति को धन देकर वश में किया जा सकता है। वहीं जो लोग घमंड में चूर होते हैं उन्हें हाथ जोड़कर या उन्हें उचित मान-सम्मान देकर वश में किया जाना चाहिएयदि किसी मूर्ख व्यक्ति को वश में करना हो तो वह व्यक्ति जैसा-जैसा बोलता हैं हमें ठीक वैसा ही करना चाहिए। झूठी प्रशंसा से मूर्ख व्यक्ति वश में हो जाता है। इसके अलावा यदि किसी 
विद्वान और समझदार व्यक्ति को वश में करना है तो उसके सामने केवल सच ही बोलें। वह आपके वश में हो जाएगा

इस प्रकार जो व्यक्ति धन का लालची है उसे पैसा देकर, घमंडी या अभिमानी व्यक्ति को हाथ जोड़कर, मूर्ख को उसकी बात मान कर और विद्वान व्यक्ति को सच से वश में किया जा सकता है।
.समझदार इंसान वही है जो हर परिस्थिति में सहज रहे और समस्याओं का निराकरण आसानी से निकाल लें। किसी भी प्रकार की विषम परिस्थिति को दूर करने की क्षमता जिस व्यक्ति में होती है वही समझदार होता है। जो व्यक्ति हालात और समय में छिपे संकेतों को समझ ले वहीं समझदार है।
 शारीरिक बीमारियों का उपचार उचित दवाइयों से किया जा सकता है लेकिन मानसिक या वैचारिक बीमारियों का उपचार किसी दवाई से होना संभव नहीं है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने सबसे बुरी बीमारी बताई है लोभ। लोभ यानि लालच। जिस व्यक्ति के मन में लालच जाग जाता है वह निश्चित ही पतन की ओर दौडऩे लगता है। लालच एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आसानी से नहीं हो पाता। इसी वजह से आचार्य ने इसे सबसे बड़ी बीमारी बताया है।
सभी माता-पिता को चाहिए कि वे पांच वर्ष की आयु तक अपने बच्चों के साथ प्रेम और दुलार करें। इसके जब पुत्र दस वर्ष का हो जाए तो और यदि वह गलत आदतों का शिकार हो रहा है तो उसे ताडऩा या दण्ड भी दिया जा सकता है। जिससे उसका भविष्य सुरक्षित रह सके। जब बच्चा सोलह वर्ष का हो जाए तो उसके साथ मित्रों के जैसा व्यवहार आचार्य चाणक्य कहते हैं जिस जगह हमें आदर-सम्मान न मिलें, जिस स्थान पर पैसा कमाने का कोई साधन न हो, जहां हमारा कोई मित्र या रिश्तेदार न हो, जहां कोई ज्ञान न हो और जहां कोई गुण या अच्छे कार्य न हो, वैसे स्थानों को तुरंत छोड़ देना चाहिए। यही समझदार इंसान की पहचान है।
 
 आचार्य चाणक्य कहते हैं जिस स्थान पर कोई धनी हो वहां व्यवसाय में बढ़ोतरी होती है। धनी व्यक्ति के आसपास रहने वाले लोगों को भी रोजगार प्राप्त होने की संभावनाएं रहती है। जिस स्थान पर कोई ज्ञानी, वेद जानने वाला व्यक्ति हो वहां रहने से धर्म लाभ प्राप्त होता है। हमारा ध्यान पाप की ओर नहीं बढ़ता है। जहां राजा या शासकीय व्यवस्था से संबंधित व्यक्ति रहता है वहां रहने से हमें सभी शासन की योजनाओं का लाभ प्राप्त होता है। जिस स्थान पर नदी बहती हो, जहां पानी प्रचुर मात्रा में वहां रहना से हमें समस्त प्राकृतिक वस्तुएं और लाभ प्राप्त होते हैं। अंत पांचवी बात है वैद्य का होना। जिस स्थान पर वैद्य हो वहां रहने से हमें बीमारियों से तुरंत मुक्ति मिल जाती है। अत: आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई ये पांच जहां हो वहां रहना ही लाभकारी रहता हैआचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी व्यक्ति का आचरण पर ध्यान दिया जाए तो हम जान सकते हैं कि उसका परिवार कैसा है? उसका कुल सभ्य है या असभ्य। हमारी बोलने की शैली बता देती है कि हम किस देश या क्षेत्र में रहते हैं। हर क्षेत्र या शहर के लोगों का बोलने का अंदाज अलग-अलग होता है। किसी भी व्यक्ति का व्यवहार, हाव-भाव बता देता है कि उसका स्वभाव कैसा है? ठीक ऐसे ही किसी भी मनुष्य का शरीर देखकर मालुम किया जा सकता है कि वह कैसा और कितना भोजन खाता हैजिस देश या स्थान पर मूर्खों की पूजा नहीं होती, जहां हमेशा पर्याप्त मात्रा अन्न का भंडार रहता है, जिस घर में पति और पत्नी में झगड़े नहीं होते हैं वहां महालक्ष्मी सदैव निवास करती हैंजिस स्थान पर जल रहता है, हंस वही रहते हैं। हंस उस स्थान को तुरंत ही छोड़ देते हैं जहां पानी नहीं होता है। हमें हंसों के समान स्वभाव वाला नहीं होना चाहिएयदि दूसरे लोग किसी व्यक्ति की प्रशंसा करते हैं तो यह गुणहीन व्यक्ति को भी गुणी बना देती है। इसके विपरित यदि कोई व्यक्ति स्वयं अपने मुंह से खुद की तारिफ करता है तो देवराज इंद्र भी छोटे ही माने जाएंगेआचार्य चाणक्य के अनुसार जो वस्तुएं, सुविधाएं हमारे पास पहले से ही हैं उन्हें छोड़कर अनिश्चित सुविधाओं के पीछे भागने वाले इंसान को अंत में दुख का ही सामना करना पड़ता है। जबकि समझदारी इसी में है कि जो वस्तुएं या सुविधाएं हमारे पास हैं उन्हीं से संतोष प्राप्त करें। इसके विपरित जो सुविधाएं हमारे पास हैं वे भी नष्ट हो जाएंगीतैरना ही है तो आशा के समुद्र में तैरिए, निराशा के समुद्र में तैरने से क्या फायदा। आशा की समाप्ति ही जीवन की समाप्ति है। निराशा मृत्यु है।
परोपकार मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है। यदि कोई मनुष्य परोपकारी नहीं है तो उसमें और दीवार में टंगी एक तस्वीर में भला क्या अंतर है।
 जो व्यक्ति जीवन में सफल हैं, हम उन्हें देखें। उनके जीवन में सब कुछ व्यवस्थित ही नजर आएगा। वहां हर चीज आईने की तरह स्पष्ट होती है।
विपत्तियां आने पर भी सत्य और विवेक का साथ नहीं छोडऩा चाहिए। क्योंकि यदि ये दोनों साथ हैं तो विपत्तियां खुद ही खत्म हो जाएंगी।
 यदि आपको एक पल का भी अवकाश  मिले, तो उसे सद्कर्म में लगाओ क्योंकि कालचक्र आप से भी अधिक क्रूर और उपद्रवी है।
इस जीवन को खोए हुए अवसरों की कहानी मत बनने दो। जहां अच्छा मौका दिखे,वहां तुरंत छलांग लगाओ। पीछे मुड़कर मत देखो।

मार्गशीर्ष{अहघनमास }की चमत्कारी ग्यारस जो भाग्य जगाये 13 दिसम्बर 2013

मार्गशीर्ष{अहघनमास }की चमत्कारी  ग्यारस  जो भाग्य जगाये 13 दिसम्बर 2013


13 को ये छोटे-छोटे विष्णु पूजा उपाय जगा देंगे सोई किस्मत




सुबह सूर्यादय से पहले उठकर नित्य कर्म कर, स्नान के बाद कर भगवान विष्णु की सोलह उपचारों या पूजन सामगियों जिनमें केसर चंदह, पीले फूल, पीला वस्त्र, इत्र खासतौर पर शामिल हो, से  भगवान की पूजा करनी चाहिए।
 ऊँ  नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। 
 तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए। 
 ऊँ  नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। 
 तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए। 








 ऊँ  नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। 
 तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए। 
 ऊँ  नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। 
 तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए। 





 ऊँ  नमो भगवते वासुदेवाय" इस बारह अक्षरों वाले महामंत्र या "ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। 
 तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।" का जप करना चाहिए। कलश स्थापना कर अखण्ड दीप जलाना चाहिए। 


श्रीमद्भागवतपुराण का पाठ करना या सुनना चाहिए।इस दिन घर, मंदिर, तीर्थ और पवित्र देवस्थानों में भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही व्रत-उपवास करने के साथ दान, पुण्य, पूजा, कथा व " श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी। हे नाथ नारायण वासुदेव।" ये नाम लेकर कीर्तन और जागरण करना चाहिए।

  
श्रीमएश्रीमद्भागवतपुराण का पाठ करना या सुनना चाहिए।का पाठ करना या सुनना चाहिए।श्रीमद्भागवतपुराण का पाठ करना या सुनना चाहिए।

Saturday, 30 November 2013

shani pradosh

                      शनि प्रदोषव्रत करे पुत्र प्राप्ति के लिये

                                          shani pradosh



शनि प्रदोष आज: पुत्र सुख चाहिए तो आज जरूर करें ये व्रत



 शनि प्रदोष व्रत की विधि-
 - प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
- शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें, जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें।
- भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।
- रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।
 शनि प्रदोष व्रत की कथा इस प्रकार है-

प्राचीन समय की बात है। किसी नगर में एक सेठ-सेठानी रहते थे। वह अत्यन्त दयालु थे। उसके यहां से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी जिसके कारण वे दोनों काफी दु:खी रहते थे। एक दिन उन्होंने तीर्थयात्रा पर जाने का निश्चय किया। अभी वे नगर के बाहर ही निकले थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़े। दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए। पति-पत्नी दोनों समाधिलीन साधु के सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे। सुबह से शाम और फिर रात हो गई लेकिन साधु की समाधि नही टूटी। मगर वे दोनों पति-पत्नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े पूर्ववत बैठे रहे। अंतत: अगले दिन सुबह साधु समाधि से उठे। पति-पत्नी को वहां बैठा देख साधु महाराज बोले- मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूं वत्स! मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं। साधु ने सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की विधि समझाई और शंकर भगवान की निम्न वन्दना बताई-
हे रुद्रदेव शिव नमस्कार। शिव शंकर जगगुरु नमस्कार॥
हे नीलकंठ सुर नमस्कार। शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार॥
हे उमाकान्त सुधि नमस्कार। उग्रत्व रूप मन नमस्कार॥
ईशान ईश प्रभु नमस्कार। विश्वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार॥
तीर्थयात्रा के बाद दोनों पति-पत्नी वापस घर लौटे और नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे। कुछ समय बाद ही सेठ की पत्नी ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। इस प्रकार शनि व्रत करने से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।

Saturday, 23 November 2013

vastu aur shyankaksh

                                                              vastu aur  shyankaksh
                                                        
                                                                   वस्तु और शयनकक्ष

 शयनकक्ष में खिड़की अवश्य होना चाहिए। सुबह की किरणें शयनकक्ष में प्रवेश करने से स्वास्थ्य बेहतर रहता है। कभी भी मुख्य द्वार की ओर पैर करके न सोएं। पलंग के सम्मुख दर्पण नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से आप सदैव व्याकुल व परेशान रहेंगे।
 बेडरूम में पलंग सदैव दक्षिण दिशा में रखना चाहिए तथा सोते समय सिरदक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं कर सकते तो पश्चिम दिशा में पलंग रखा जा सकता है। इस स्थिति में सोते समय मुख पूर्व की ओर व सिरहाना पश्चिम की ओर रहना चाहिए।  पूर्वाभिमुख व उत्तराभिमुख शयन करना सुखदायक होता है। दक्षिण की ओर मुख करके नहीं सोना चाहिए। दक्षिणामुख शयन करने से नींद नहीं आती है और आती है तो बुरे स्वप्न आते हैं। घर का मुख्य शयन कक्ष सदैव नैऋत्य(पश्चिम-दक्षिण) कोण में बनाना चाहिए। मुख्य शयनकक्ष वह होता है जिसगृहस्वामी सोता में है |  बेडरूम में डे्रसिंग टेबल कभी भी खिड़की के सामने न रखें क्योंकि खिड़की से आने वाला प्रकाश परावर्तित होने के कारण परेशानी उत्पन्न करेगा। पलंग के सामने खिड़की न होकर ठोस दीवार होना चाहिए। बेडरूम में फर्नीचर धनुषाकार, अर्धचन्द्राकार या वृत्ताकार नहीं होने चाहिए इससे घर के सदस्यों का स्वास्थ्य बिगड़ा रहेगा।  शयनकक्ष में पलंग के दाईं ओर छोटी टेबल आवश्यक वस्तु रखने के लिए रख सकते हैं। शयनकक्ष में प्रकाश व्यवस्था ऐसी हो कि पलंग पर सीधा प्रकाश नहीं पड़े। प्रकाश सदैव पीछे या बाईं ओर से आना चाहिए। पलंग के सामने की दीवार पर प्रेरक व रमणीय चित्र लगाने चाहिए। आदर्शवादी चित्र आत्मबल को बढ़ाते हैं और दाम्पत्य जीवन भी आनन्दमय व विश्वस्त बना रहता है। पलंग शयनकक्ष के द्वार के पास स्थापित नहीं करना चाहिए यदि ऐसा करेंगे तो चित्त में अशांति व व्याकुलता बनी रहेगी।


























Thursday, 14 November 2013

Teji Mandi


तेजी मंदी 14-11-20 13 
16 ता.से सोना  चाँदी ,रुई,कपास ,ऊन  सरसों अलसी  मुगफली ,तांबा में तेजी एवम  लाल मिर्च ,लाल चंदन ,लाल रंग की वस्तु ,सुपारी गुड  चीनी चना में मंदी के योग |

FUN Time

Fun Time

                                    मुर्गे  का अंडा 

क फार्म का मालिक एक दिन सभी मुर्गियों से बोलता है,“ कल से सबको दो-दो अंडे देने है जो नहीं देगा उसे मैं काट डालूंगा.” 

अगली सुबह सब मुर्गियों ने दो-दो अंडे दिए मगर एक ने सिर्फ एक ही अंडे दिया. मालिक ने इसकी वजह पूछी तो वह मुर्गी बोली, “जनाब, यह भी आपके डर से दिया वरना मैं तो मुर्गा हूं.”


                      दुनियां गोल है 
  
पिता (पुत्र से)- बेटा! मैं चाहता हूँ तुम इतने महान बनो कि तुम्हारा नाम दुनियां के चारो कोनों में फैले.

पुत्र- पापा, महान तो मैं बन जाऊंगा पर एक समस्या है.

पिता- वह क्या?

पुत्र- दुनियां तो गोल है, उसके चार कोने हो ही नहीं सकते, फिर मेरा नाम कैसे चारो कोनों में फैलेगा.

Sunday, 10 November 2013

भविष्य विचार नवम्बर 20 13


भविष्य  विचार  नवम्बर  20 13 

चार ग्रह  के  योग  से कही  भूकंप अग्नीकांड विस्फोट  आतंकी कृत्य  से हानी होगी |भारत  की सीमा  पर अतिक्रमण की  कोशिश    जनतामें रोग एवम कष्ट व्याप्त हो  चीन जापान  आदि में प्रकति प्रकोप से पीड़ित होगे |

chanakya niti




हमेशा सुखी रहना हो तो ध्यान रखें ये एक चाणक्य नीति





hamesha  sukhi  rahna ho  to  dyhanr  khe  ye ea chanakya  niti





आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि।।
इस श्लोक का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति निश्चित वस्तुओं को छोड़कर अनिश्चित वस्तुओं की ओर भागता है उसके हाथों से दोनों ही वस्तुएं निकल जाती है। अत: जीवन में निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस प्रकार की गलतियां हमें नहीं करना चाहिएआचार्य चाणक्य के अनुसार लालची लोगों के साथ अक्सर ऐसा ही होता है, अंत में वह खाली हाथ रह जाता है। जो वस्तुएं और सुविधाएं हमारे पास पहले से ही हैं उन्हें छोड़कर अनिश्चित सुविधाओं के पीछे भागने वाले इंसान को अंत में दुख का ही सामना करना पड़ता है। जबकि समझदारी इसी में है कि जो वस्तुएं या सुविधाएं हमारे पास हैं उन्हीं से संतोष प्राप्त करें। इसके विपरित जो सुविधाएं हमारे पास हैं वे भी नष्ट हो जाएंगी।

Thursday, 24 October 2013

DIWALI ME KARE CHMATKARI ___KARYA SADHAK PRYOG

दिवाली  में करे  चमत्कारी  ----कार्य  साधक  प्रयोग 

DIWALI  ME KARE  CHMATKARI  ___KARYA  SADHAK  PRYOG



यदि  आपका व्यापार न चले  धन संचय  में  बाधा कार्यो  में  बाधा तो  दिवाली  की रात में  लक्ष्मी  पूजन के  बाद  निम्न लक्ष्मी गायत्री  मन्त्र  का 1008  बार जप करे  तो मनोअनुकुल  सफलता  प्राप्त  होती है एवम  साथ में श्री गणेश  मन्त्र   का भी  100 8 जाप करे |
                                              
                                                 ॐ  गं  गणपतये  नम:  



ऊँ महालक्ष्म्यै विद्महे।
विष्णुप्रियायै धीमहि।
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।
 








Monday, 21 October 2013

chandi me teji mandi ka chkr 21 -10-2013

chandi me teji mandi  ka chkr 21 -10-2013


चाँदी में तेजी  मंदी  का 21 अक्तूबर 20 13  को 10 :00 से 11;00  तक का चक्र 
10से 10 :35  तेजी ,  10:35 से1:00 मंदी ,1:13 से 1:30 तेजी ,2:15 से 4:15 तेजी ,4:15 से 5:15 तक मंदी 6 :15 से 7 :25तेजी ,7:15 से 9:00 मंदी ,9से 11 तक तेजी की सम्भावना रहेगी |इस प्रकारकिसी  भी वस्तु की तेजी मंदी जान सकते है |
by--muktajyotishs@gmail.com   mo. +917697961597  

Wednesday, 16 October 2013

diwali pujan muhurt 3-11-2013

diwali  pujan  muhurt  3-11-2013
दीवाली पूजन  मुहूर्त  3-11 -20 13




प्रदोष काल --->  शाम 5:30  से 7:30 मिनिट तक प्रदोष काल है इस समय पूजा  आति उतम रहती है  इस वर्ष                   
                         अमावस्याशाम   6:18 मिनिट तक है | भक्त जनसुविधानुसार पूजन करकेलाभउठावें|



स्थिर  लग्न के मुहूर्त

कुम्भ लग्न  ------1:41 दिन से 3:9 मी .दिन तक 


वृष लग्न ---------6:10 शाम से 8:६मि . रात्रितक 


सिंह लग्न ---------1:39रात्रि  से 2:57रात्रि  तक 


इन मुहूर्त  में पूजन कर धर्म लाभ उठावे |


by  --- muktajyotishs@gmail.com

dhan banane aur rog naashk pryog


धनवान बनाने एवम रोग नाशक प्रयोग -->करे एक लोटा जल का प्रयोग  जाने कैसे -->
dhan banane  aur  rog  naashk  pryog
रोज सुबह पानी से करें ये उपाय, कुछ ही दिनों में हो जाएंगे मालामाल


                                                                                                        घर में तरक्की एवम समर्धि के लिए 

घर में जो भी महिला सुबह जल्दी उठती हो उसे यह उपाय करना चाहिए। उपाय के लिए स्त्री को सुबह जल्दी उठना है और घर के मुख्य द्वार पर प्रतिदिन तांबे के लौटे से जल छिड़कना है। यह छोटा सा उपाय है लेकिन बहुत कारगर है। जिन घरों में यह उपाय किया जाता है उन्हें महादेवी की कृपा प्राप्त होजाती  है सभी प्रकार के पूजन कार्य में तांबे के लौटे के उपयोग की अनिवार्यता बताई गई है। तांबे की धातु को पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही तांबे के लौटे में रखा पानी भी औषधीय गुण वाला हो जाता है। तांबे के लौटे से पानी पीने पर त्वचा संबंधी रोगों का नाश होता है 
 इसके साथ पेट से संबंधित रोग जैसे कब्ज, गैस आदि भी राहत मिलती है।
ऐसा माना जाता है कि सुबह-सुबह महालक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर निकलती हैं। इस दौरान जिन घरों में साफ-सफाई और पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाता है वहां लक्ष्मी निवास करती हैं।
तांबे के लौटे से मुख्य द्वार पर पानी छिड़कने से घर के आसपास का वातावरण पवित्र हो जाता है। नकारात्मकता नष्ट हो जाती है। पवित्र वातावरण घरों में ही सुख-समृद्धि और धन का वास होता है। ऐसे घर में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी प्राप्त होते है|

Tuesday, 15 October 2013

teji mandi

teji  mandi


til tel me teji 15-10-2013
sona mung joo me mandi 16-10-2013
chandi sut sun me mandi 17-10-2013

Thursday, 3 October 2013

pittr moksh amavasya

pittr   moksh   amavasya


 श्राद्ध पक्ष{पित्रपक्ष}  अमावस्या को  पूजन कर पितरो को प्रसन्न करे 





 अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता , अत: इसका काफी महत्व बताया गया है। यदि किसी व्यक्ति ने पूरे श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध नहीं किए हैं तो वे केवल अमावस्या के दिन यहां बता जा रहे उपाय करके भी पितृ देवताओं को प्रसन्न कर सकते है |शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए विशेष पूजन किया जाना चाहिए। यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न नहीं होंगे तो आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त नहीं हो सकती है। पितरों की कृपा के बिना कड़ी मेहनत करने के बाद भी उचित प्रतिफल प्राप्त नहीं होता है और कार्यों में बाधाएं बढ़ जाती हैं।
ऐसा माना जाता है पितरों को तृप्त करने से हमें सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं और सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं

 यह उपाय करें। उपाय के अनुसार सबसे पहले मुख्य दरवाजे के बाहर साफ-सफाई करें। पूजन की थाली सजाएं। थाली में पूजन सामग्री के साथ ही गुड़ और घी भी विशेष रूप से रखें।
इसके बाद दरवाजे के दोनों ओर एक-एक बड़ा दीपक रखें। उसमें गाय के गोबर से बने कंडें जलाएं, दोनों दीपों का पूजन करें। पूजन के बाद पितर देवताओं को याद करें और दोनों दीपों में सुलगते हुए कंडों पर गुड़-घी एक साथ मिलाकर पांच बार डाल दें। इससे पितृ तृप्त होते हैं। ध्यान रखें धूप देने से पहले कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाना चाहिए। इस उपाय से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस दौरान पितृ देवताओं के मंत्रों का जप भी किया जा सकता है।
आप किसी पीपल के वृक्ष के समीप जाएं और अपने साथ जनेऊ और संपूर्ण पूजन सामग्री लेकर जाएं। पीपल की पूजा करें और जनेऊ अर्पित करें। इसके साथ ही भगवान श्रीहरि के मंत्रों का जप करें या भगवान विष्णु का ध्यान करें।
इसके बाद पीपल की परिक्रमा करते हुए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करें। इस उपाय पितर देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है।

Saturday, 28 September 2013

fun time


fun
             fun
                        fun
                                    fun  time
 गब्बर: कितने आदमी थे
                                                        
सांभा: सरदार दो।
गब्बर: मुझे गिनती नहीं आती, दो कितने होते हैं?

सांभा: सरदार दो, एक के बाद आता है।

गब्बर: और दो के पहले?

सांभा: दो के पहले एक आता है सरदार।

गब्बर:तो बीच में कौन आता है?

सांभा: बीच में कोई नहीं आता सरदार।

गब्बर: तो फिर दोनों एक साथ क्यों नहीं आते?         



सांभा: एक के बाद ही दो आ सकता है क्योंकि दो, एक से बड़ा है सरदार।

गब्बर: दो, एक से कितना बड़ा है।

सांभा: दो, एक से एक बड़ा है सरदार।

गब्बर:अगर दो, एक से एक बड़ा है तो एक, एक से कितना बड़ा है?

सांभा: सरदार अब आप मुझे गोली ही मार दो मैंने आपका  नमक ही खाया है च्यवनप्राश नही।

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अध्यापक ने परीक्षा में चार पृष्ठों का निबन्ध लिखने को दिया - विषय था- "आलस्य क्या हैं ?

एक विद्यार्थी ने तीन पृष्ठों को खाली छोड़ दिया और चौथे पर बड़े - बड़े अक्षरों में लिखा - "यही आलस्य हैं |"
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शिक्षक -बताओ हवाई जहाज४००मील प्रति घंटा,रेलगाडी,४०मील , बसम५०मील प्रति घंटा की रफ्तार से चल रहे है तो बताओं मेरी उम्र कितनी है?

छात्र-उठकर इधर-उधर देखा !

शिक्षक -शाबाश , शिक्षक ने उत्साहित होकर कहा |

छात्र -श्रीमान आपकी उम्र ४२ वर्ष है 

शिक्षक -बिलकुल ठीक ! लेकिन तुमने कैसे पता लगाया |

छात्र -श्रीमान मेरा भाई२१वर्ष का है जिसे सब लोग आधा पागल कहते है, श्रीमान मेने भैया को देखकर लगाया |