Wednesday, 30 July 2014

eyes care tips - jo chshma na lgane de


                 eyes care  tips -  jo  chshma na lgane de
         


                                                                         जो  चश्मा  न   लगाने   दे 
सोया मिल्क में वसा कम और प्रोटीन अधिक होता है। इसमें विटामिन ई के साथ ही फैटी एसिड भी पाए जाते हैं, जो आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

- हरी सब्जियों व सलाद को भोजन में अधिक से अधिक शामिल करें। इनमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट शरीर को स्वस्थ रखते हैं।

सौंफ, मिश्री व बादाम समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है और नेत्र ज्योति बढ़ती है। 
आंखों को स्वस्थ रखने के लिए दही, मूंगफली, डार्क चॉकलेट और कोको पाउडर आदि जिंक युक्त आहार का सेवन बहुत जरूरी है। जिंक युक्त आहार लेने से आंखों से जुड़ी प्रॉब्लम्स नहीं होती हैं।
केवल बादाम का सेवन भी आंखों के लिए बहुत लाभदायक होता है। रोजाना चलते फिरते 5 से 7 बादाम खाने से शरीर को आवश्यक मात्रा में विटामिन ई प्राप्त होता है, जो आंखों को स्वस्थ बनाता है।

chanakyaniti -ye 4 baate kabhi bhi kisi ko batana nahi chahiye

chanakyaniti -ye 4 baate kabhi bhi kisi ko batana nahi chahiye 

चाणक्य नीति- ये 4 बातें कभी भी किसी को बताना नहीं चाहिए




                                                                                                      

                                                                                        आचार्य कहते हैं कि-




अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च।
नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
 

इस श्लोक में पहली बात ये बताई गई है कि हमें कभी अर्थ नाश यानी धन की हानि से जुड़ी बातें किसी पर जाहिर नहीं करनी चाहिए। यदि हमें धन की हानि का सामना करना पड़ रहा है और हमारी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है तो यह स्थिति किसी के सामने प्रकट नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जब ये बात सभी को मालूम हो जाएगी तो धन संबंधी मामलों में कोई भी मदद नहीं करेगा। समाज में गरीब व्यक्ति को धन की मदद आसानी से प्राप्त नहीं हो पाती है। अत: इस बात को सदैव राज ही रखना चाहिए।चाणक्य ने गुप्त रखने योग्य दूसरी बात यह बताई है कि हमें कभी भी मन संताप यानी दुख की बातें किसी पर जाहिर नहीं करनी चाहिए। यदि हम मन का संताप दूसरों पर जाहिर करेंगे तो लोग उसका मजाक बना सकते हैं, क्योंकि समाज में ऐसे लोग काफी हैं, जो दूसरों के दुखों का मजाक बनाते हैं। ऐसा होने पर दुख और बढ़ जाता है।
 
गुप्त रखने योग्य तीसरी बात- यहां दिए गए श्लोक में तीसरी गुप्त रखने योग्य बात है गृहिणी (पत्नी) का चरित्र। समझदार पुरुष वही है, जो अपनी पत्नी से जुड़ी सभी बातें गुप्त रखता है। घर-परिवार के झगड़े, सुख-दुख आदि बातें समाज में जाहिर नहीं करनी चाहिए। जो पुरुष ऐसा करते हैं, उन्हें भविष्य में भयंकर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
 
चौथी बात- यदि जीवन में कभी भी किसी नीच व्यक्ति ने हमारा अपमान किया हो तो वह घटना भी किसी को बतानी नहीं चाहिए। ऐसी घटनाओं की जानकारी अन्य लोगों को मालूम होगी तो वे भी हमारा मजाक बनाएंगे और हमारी प्रतिष्ठा में कमी आएगी।

Monday, 28 July 2014

Til se bhvish vichar


Til se bhvish vichar

तिल से भविष्य विचार 



तिल सुंदरता का प्रतीक ही नहीं होते हैं बल्कि ये व्यक्ति के भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का संकेत भी देते हैं। तिल के अध्ययन से जातक के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है।
पुरुष के शरीर पर दाहिनी ओर तिल होना शुभ एवं लाभकारी माना गया है जबकि महिलाओं के बायीं तरफ वाले तिलशुभ एवं लाभकारी माना गया है |                                                                                 ललाट पर तिल- ललाट के मध्य भाग में तिल निर्मल प्रेम की निशानी है। ललाट के दाहिने तरफ का तिल किसी विषय विशेष में निपुणता, किंतु बायीं तरफ का तिल फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है।
भौंहों पर तिल- यदि दोनों भौहों पर तिल हो तो जातक अकसर यात्रा करता रहता है। दाहिनी पर तिल सुखमय और बायीं पर तिल दुखमय दांपत्य जीवन का संकेत देता है।                                                                                                                                                                   आंख की पुतली पर तिल- दायीं पुतली पर तिल हो तो व्यक्ति के विचार उच्च होते हैं। बायीं पुतली पर तिल वालों के विचार ठीक नहीं होते हैं। पुतली पर तिल वाले लोग सामान्यत: भावुक होते हैं।
  • पलकों पर तिल- आंख की पलकों पर तिल हो तो जातक संवेदनशील होता है। दायीं पलक पर तिल वाले बायीं वालों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होते हैं।
  • आंख पर तिल- दायीं आंख पर तिल स्त्री से मेल होने का एवं बायीं आंख पर तिल स्त्री से अनबन होने का आभास देता है।
  • कान पर तिल- कान पर तिल व्यक्ति के अल्पायु होने का संकेत देता है।
  • नाक पर तिल- नाक पर तिल हो तो व्यक्ति प्रतिभासंपन्न और सुखी होता है। महिलाओं की नाक पर तिल उनके सौभाग्यशाली होने का सूचक है।
  • होंठ पर तिल- होंठ पर तिल वाले व्यक्ति बहुत प्रेमी हृदय होते हैं। यदि तिल होंठ के नीचे हो तो गरीबी छाई रहती है।
  • मुंह पर तिल- मुखमंडल के आसपास का तिल स्त्री तथा पुरुष दोनों के सुखी संपन्न एवं सज्जन होने के सूचक होते हैं। मुंह पर तिल व्यक्ति को भाग्य का धनी बनाता है। उसका जीवनसाथी सज्जन होता है।
  • गाल पर तिल- गाल पर लाल तिल शुभ फल देता है। बाएं गाल पर कृष्ण वर्ण तिल व्यक्ति को निर्धन, किंतु दाएं गाल पर धनी बनाता है।
  • जबड़े पर तिल- जबड़े पर तिल हो तो स्वास्थ्य की अनुकूलता और प्रतिकूलता निरंतर बनी रहती है।
  • ठोड़ी पर तिल- जिस स्त्री की ठोड़ी पर तिल होता है, उसमें मिलनसारिता की कमी होती है।
  • कंधों पर तिल- दाएं कंधे पर तिल का होना दृढ़ता तथा बाएं कंधे पर तिल का होना तुनकमिजाजी का सूचक होता है।
  • दाहिनी भुजा पर तिल- ऐसे तिल वाला जातक प्रतिष्ठित व बुद्धिमान होता है। लोग उसका आदर करते हैं।
  • बायीं भुजा पर तिल- बायीं भुजा पर तिल हो तो व्यक्ति झगड़ालू होता है। उसका सर्वत्र निरादर होता है। उसकी बुद्धि कुत्सित होती है।
  • कोहनी पर तिल- कोहनी पर तिल का पाया जाना विद्वत्ता का सूचक है।
  • हाथों पर तिल- जिसके हाथों पर तिल होते हैं वह चालाक होता है। गुरु क्षेत्र में तिल हो तो सन्मार्गी होता है। दायीं हथेली पर तिल हो तो बलवान और दायीं हथेली के पृष्ठ भाग में हो तो धनवान होता है। बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक खर्चीला तथा बायीं हथेली के पृष्ठ भाग पर तिल हो तो कंजूस होता है।अंगूठे पर तिल- अंगूठे पर तिल हो तो व्यक्ति कार्यकुशल, व्यवहार कुशल तथा न्यायप्रिय होता है।
  • तर्जनी पर तिल- जिसकी तर्जनी पर तिल हो, वह विद्यावान, गुणवान और धनवान किंतु शत्रुओं से पीड़ित होता है।
  • मध्यमा पर तिल- मध्यमा पर तिल उत्तम फलदायी होता है। व्यक्ति सुखी होता है। उसका जीवन शांतिपूर्ण होता है।
  • अनामिका पर तिल- जिसकी अनामिका पर तिल हो तो वह ज्ञानी, यशस्वी, धनी और पराक्रमी होता है।
  • कनिष्ठा पर तिल- कनिष्ठा पर तिल हो तो वह व्यक्ति संपत्तिवान होता है, किंतु उसका जीवन दुखमय होता है।
  • गले पर तिल- गले पर तिल वाला जातक आरामतलब होता है। गले पर सामने की ओर तिल हो तो जातक के घर मित्रों का जमावड़ा लगा रहता है। मित्र सच्चे होते हैं। गले के पृष्ठ भाग पर तिल होने पर जातक कर्मठ होता है।
  • छाती पर तिल- छाती पर दाहिनी ओर तिल का होना शुभ होता है। ऐसी स्त्री अनुरागिनी होती है। पुरुष भाग्यशाली होते हैं। छाती पर बायीं ओर तिल रहने से भार्या पक्ष की ओर से असहयोग की संभावना बनी रहती है। छाती के मध्य का तिल सुखी जीवन दर्शाता है। यदि किसी स्त्री के हृदय पर तिल हो तो वह सौभाग्यवती होती है।
  • कमर पर तिल- यदि किसी व्यक्ति की कमर पर तिल होता है तो उस व्यक्ति की जिंदगी सदा परेशानियों से घिरी रहती है।
  • पीठ पर तिल- पीठ पर तिल हो तो जातक भौतिकवादी, महत्वाकांक्षी एवं रोमांटिक हो सकता है। वह भ्रमणशील भी हो सकता है। ऐसे लोग धनोपार्जन भी खूब करते हैं और खर्च भी खुलकर करते हैं। वायु तत्व के होने के कारण ये धन संचय नहीं कर पाते।
  • पेट पर तिल- पेट पर तिल हो तो व्यक्ति चटोरा होता है। ऐसा व्यक्ति भोजन का शौकीन व मिष्ठान्न प्रेमी होता है। उसे दूसरों को खिलाने की इच्छा कम रहती है।
  • घुटनों पर तिल- दाहिने घुटने पर तिल होने से गृहस्थ जीवन सुखमय और बायें पर होने से दांपत्य जीवन दुखमय होता है।
  • पैरों पर तिल- पैरों पर तिल हो तो जीवन में भटकाव रहता है। ऐसा व्यक्ति यात्राओं का शौकीन होता है। दाएं पैर पर तिल हो तो उद्देश्यपूर्ण यात्राएं और बाएं पर हो तो बेकार की यात्राएं होती हैं।


  • Saturday, 26 July 2014

    साढ़े साती ,ढैया में शांति के लिए पाठ करे--- दशरथकृत शनि स्तोत्र


    साढ़े साती ,ढैया में शांति के लिए पाठ करे--- दशरथकृत शनि स्तोत्र


                                                   दशरथकृत शनि स्तोत्र
    दशरथकृत शनि स्तोत्रनम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
    नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।|
    नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
    नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
    नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
    नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।
    नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
    नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
    नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
    सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ।।
    अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
    नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ।।
    तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
    नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ।।
    ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
    तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।।
    देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
    त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।
    प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
    एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ।।
    एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबलः।
    अब्रवीच्च शनिर्वाक्यं हृष्टरोमा च पार्थिवः।।
    तुष्टोऽहं तव राजेन्द्र ! स्तोत्रेणाऽनेन सुव्रत।
    एवं वरं प्रदास्यामि यत्ते मनसि वर्तते।।
    दशरथ उवाच-
    प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम्।
    अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित्।।
    प्रसादं कुरु मे सौरे ! वरोऽयं मे महेप्सितः।
    शनि उवाच-
    अदेयस्तु वरौऽस्माकं तुष्टोऽहं च ददामि ते।।
    त्वयाप्रोक्तं च मे स्तोत्रं ये पठिष्यन्ति मानवाः।
    देवऽसुर-मनुष्याश्च सिद्ध विद्याधरोरगा।।
    न तेषां बाधते पीडा मत्कृता वै कदाचन।
    मृत्युस्थाने चतुर्थे वा जन्म-व्यय-द्वितीयगे।।
    गोचरे जन्मकाले वा दशास्वन्तर्दशासु च।
    यः पठेद् द्वि-त्रिसन्ध्यं वा शुचिर्भूत्वा समाहितः।।
    न तस्य जायते पीडा कृता वै ममनिश्चितम्।
    प्रतिमा लोहजां कृत्वा मम राजन् चतुर्भुजाम्।।
    वरदां च धनुः-शूल-बाणांकितकरां शुभाम्।
    आयुतमेकजप्यं च तद्दशांशेन होमतः।।
    कृष्णैस्तिलैः शमीपत्रैर्धृत्वाक्तैर्नीलपंकजैः।
    पायससंशर्करायुक्तं घृतमिश्रं च होमयेत्।।
    ब्राह्मणान्भोजयेत्तत्र स्वशक्तया घृत-पायसैः।
    तैले वा तेलराशौ वा प्रत्यक्ष व यथाविधिः।।
    पूजनं चैव मन्त्रेण कुंकुमाद्यं च लेपयेत्।
    नील्या वा कृष्णतुलसी शमीपत्रादिभिः शुभैः।।
    दद्यान्मे प्रीतये यस्तु कृष्णवस्त्रादिकं शुभम्।
    धेनुं वा वृषभं चापि सवत्सां च पयस्विनीम्।।
    एवं विशेषपूजां च मद्वारे कुरुते नृप !
    मन्त्रोद्धारविशेषेण स्तोत्रेणऽनेन पूजयेत्।।
    पूजयित्वा जपेत्स्तोत्रं भूत्वा चैव कृताञ्जलिः।
    तस्य पीडां न चैवऽहं करिष्यामि कदाचन्।।
    रक्षामि सततं तस्य पीडां चान्यग्रहस्य च।
    अनेनैव प्रकारेण पीडामुक्तं जगद्भवेत्।।

    Friday, 25 July 2014

    असफलता से ही सफलता की राह मिलती है

    असफलता  से ही सफलता  की राह मिलती है 

    सफल  लोगों की जिंदगी हमेशा असफलता से शुरू होती है, इसके एक नहीं कई उदाहारण इति‍हास में देखे जा सकते हैं। अमेरिका के पहले अरबपति जॉन डी. रॉकफेलर सीनियर, फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक हेनरी फोर्ड, विश्वप्रसिद्ध कंप्यूटर कंपनी 'डेल' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइकल डेल, माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स जैसे सैकड़ों-हजारों सफल व्यक्तियों ने शिक्षा क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि कभी हासिल नहीं की। 

    इनमें से कई तो उच्च शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर पाए और कई को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ गई। आगे चलकर यही लोग स्कूल-कॉलेजों में स्कॉलरशिप बांटने और डॉक्टरेट की उपाधियां पाने लगे। यानी जीवन में पढ़ाई-लिखाई जरूरी तो है पर अगर मन में विश्वास है तो उसके बिना भी बहुत कुछ किया जा सकता है। जरूरत है बस अपने अंदर छिपी प्रतिभा को जानने और उस पर अमल करने की। 

    न्यूटन, आइंस्टीन, सचिन तेंडुलकर, पेले, मोहम्मद अली आदि हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी असफल जरूर हुए हैं। आम आदमी और इनमें सिर्फ यही अंतर रहा कि इन्होंने असफलताओं से सीख लेकर उसी को सफलता की सीढ़ी बना लिया।

    एडमंड हिलेरी माउंट एवरेस्ट के शिखर तक पहुँचने वाले पहले इंसान थे, लेकिन वे भी एक बार के प्रयास में ही सफल नहीं हो गए थे। उन्होंने 1952 में माउंट एवरेस्ट पर चढने की कोशिश की, पर असफल रहे। इस अभियान के कुछ हफ्ते बाद जब एक कार्यक्रम में उनसे कुछ बोलने के लिए कहा गया तो उन्होंने माउंट एवरेस्ट की एक तस्वीर की ओर रुख करके जोशिले अंदाज में मुक्का ताना और कहा, 'तुमने मुझे पहली बार तो हरा दिया माउंट एवरेस्ट, लेकिन अगली बार मैं तुम्हें हराऊँगा, क्योंकि तुम तो बढ नहीं सकती, पर मैं आगे बढ़ सकता हूँ' और अगले वर्ष 29 मई, 1953 को एडमंड हिलेरी ने यह कर भी दिखाया। 
    हिन्दी फिल्मों के सुपर स्टार अभिनेता अमिताभ बच्चन एक बार रेडियो स्टेशन का 'ऑडिशन टेस्ट' भी पास नहीं कर पाए थे। फिल्मों में आने के बाद भी उनकी शुरूआती फिल्में लगातार फ्लॉप होती रही, पर उनके मन में आशा का दीपक जलता रहा। इसी आशा के बल पर आज वे सदी के महानायक कहलाते हैं। यानी कभी-कभी एक असफलता भी सैकड़ों सफलताओं से बढ़कर साबित होती है।

    Thursday, 24 July 2014

    काल सर्प योग शांति के उपाय- नाग पंचमी में करे

    kaal sarp yog shanti ke upay

    काल सर्प योग शांति के उपाय- नाग पंचमी में करे 
    जब जन्म कुंडली में सारेग्रह राहु केतु के मध्य में आते तो इसे काल सर्प योग कहते है का ल सर्प योग अच्छे एवम बुरे दोनों प्रकार का प्रभाव जातक पर छोड़ता है |यह योग राजा एवम रंकदोनों बनता है लेकिन जीवन संघर्स से भरा रहता है जिस भाव से सम्बन्धित रहे उस भाव सबंधी कष्ट अवश्य आते है यहाँ जन्म कुंडली देख कर ही पता लगता है काल सर्प योग भंग भी होता है |इस कुंडली में जातक दाम्पत्य जीवन में आशांति कष्ट शारीरिककष्ट से आति परेशानरहेगा |
    उदा.-कुंडली काल सर्प योग की 


    शुभ मुहूर्त--- दिन –सोमवार ,बुधवार ,गुरु वार ,शुक्रवार ,शनिवार ,|
    तिथि -1, 5 ,7 , पूर्णिमा अमावस्या बुधवारी आश्लेषायुक्त  एवम नाग पंचमी सर्व श्रेष्ठ है |
    जन्म कुंडली से तारा बल ,चन्द्र बल अवश्य देखे तब करे |
    काल सर्प योग शांति के अचूक सरल प्रयोग प्रस्तुत है |
    1.—शिव उपासना एवम निरंतर रूद्र सूक्त से अभिमंत्रित जल से स्नान करे |
    2.-लघु रूद्र करने पर लाभ होता है |
    3.-नाग पंचमी का व्रत करे |

    4.-किसी शिव लिंग के नाप का ताबा का बड़ा सर्प तथा चाँदी से निर्मित एक जोड़ा सर्प सर्पनी का जोड़ा भी लावे |इनकी पूजा प्राण प्रतिष्ठा योग पुरोहितसे करावे शाम को चाँदी निर्मित जोड़ा को नदी में प्रवाहित करे व तांबे के सर्प को घर पर रख कर रात्रि जागरण करे शिव मन्त्र का जप करे  ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर शिवालय में जा कर शिव लिंग में ताबा का सर्प चढ़े यादरखे कोईआप  को देखे नहीं यह प्रयोग चमत्कारी ढग शांत हो जाता है |प्रयोग तो अनेक है|  
    5 –आप परामर्श ले सकते है |
    लेखिक –मुक्ता दीक्षित
    मुक्ता ज्योतिष समाधानकेंद्र   
    अंतर्राष्ट्रीयख्याति प्राप्त    
    मो.76 97 96 15 97 

    Tuesday, 22 July 2014

    damptya jivan ko khushal kre --sphtik shiv ling ki puja

     दाम्पत्यजीवन को खुशाल करे -->स्फटिक शिव लिंग की पूजा 

    damptya jivan ko khushal kre --sphtik shiv ling ki puja 



    यदि आपके जीवन में अशांति  कलह   तनाव चल रहे है तो आप किसी शुक्लपक्ष  के सोमवारसे प्राण प्रतिष्ठा युक्त स्फटिक शिव लिंग की पूजा करे |

    पूजा में -दूध दही शक्कर शहद घी  फल मेवे रोली चन्दन इतर श्वेतवस्त्र  दीपक अक्षत नेवेद {प्रसाद }फूल चना की दाल हल्दी सामी पत्र बेल पत्र भस्म  आदि सामग्री ले |

    पूजा विधि --चोकी पर श्वेत वस्त्र पर  प्राण प्रतिष्ठा युक्त स्फटिक शिव लिंग स्थापित करे सकल्प करे की मेरा जीवन खुशल हो  31 सोमवार का व्रत ले गोरी गणेश कलश की भी प्रथम पूजा करे  और शिव जी पर सभी सामग्री ॐ नम:  शिवाय  मन्त्र से चढ़ावे |पीली सामग्री अवश्य चढ़ावे | सुंदरकांड [रामायण ग्रन्थ से }अवश्य पाठ करे | इस प्रकार प्रत्येक सोमवार करे |

    यदि आपके जीवन में तनाव अशांति आदि कष्ट चल रहे है तो आप कुंडली दिखा कर परामर्श ले सकते है |
    by  --- muktajyotishs@gmail. com    mo.-+917697961597