Friday, 25 July 2014

असफलता से ही सफलता की राह मिलती है

असफलता  से ही सफलता  की राह मिलती है 

सफल  लोगों की जिंदगी हमेशा असफलता से शुरू होती है, इसके एक नहीं कई उदाहारण इति‍हास में देखे जा सकते हैं। अमेरिका के पहले अरबपति जॉन डी. रॉकफेलर सीनियर, फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक हेनरी फोर्ड, विश्वप्रसिद्ध कंप्यूटर कंपनी 'डेल' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइकल डेल, माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स जैसे सैकड़ों-हजारों सफल व्यक्तियों ने शिक्षा क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि कभी हासिल नहीं की। 

इनमें से कई तो उच्च शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर पाए और कई को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ गई। आगे चलकर यही लोग स्कूल-कॉलेजों में स्कॉलरशिप बांटने और डॉक्टरेट की उपाधियां पाने लगे। यानी जीवन में पढ़ाई-लिखाई जरूरी तो है पर अगर मन में विश्वास है तो उसके बिना भी बहुत कुछ किया जा सकता है। जरूरत है बस अपने अंदर छिपी प्रतिभा को जानने और उस पर अमल करने की। 

न्यूटन, आइंस्टीन, सचिन तेंडुलकर, पेले, मोहम्मद अली आदि हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी असफल जरूर हुए हैं। आम आदमी और इनमें सिर्फ यही अंतर रहा कि इन्होंने असफलताओं से सीख लेकर उसी को सफलता की सीढ़ी बना लिया।

एडमंड हिलेरी माउंट एवरेस्ट के शिखर तक पहुँचने वाले पहले इंसान थे, लेकिन वे भी एक बार के प्रयास में ही सफल नहीं हो गए थे। उन्होंने 1952 में माउंट एवरेस्ट पर चढने की कोशिश की, पर असफल रहे। इस अभियान के कुछ हफ्ते बाद जब एक कार्यक्रम में उनसे कुछ बोलने के लिए कहा गया तो उन्होंने माउंट एवरेस्ट की एक तस्वीर की ओर रुख करके जोशिले अंदाज में मुक्का ताना और कहा, 'तुमने मुझे पहली बार तो हरा दिया माउंट एवरेस्ट, लेकिन अगली बार मैं तुम्हें हराऊँगा, क्योंकि तुम तो बढ नहीं सकती, पर मैं आगे बढ़ सकता हूँ' और अगले वर्ष 29 मई, 1953 को एडमंड हिलेरी ने यह कर भी दिखाया। 
हिन्दी फिल्मों के सुपर स्टार अभिनेता अमिताभ बच्चन एक बार रेडियो स्टेशन का 'ऑडिशन टेस्ट' भी पास नहीं कर पाए थे। फिल्मों में आने के बाद भी उनकी शुरूआती फिल्में लगातार फ्लॉप होती रही, पर उनके मन में आशा का दीपक जलता रहा। इसी आशा के बल पर आज वे सदी के महानायक कहलाते हैं। यानी कभी-कभी एक असफलता भी सैकड़ों सफलताओं से बढ़कर साबित होती है।

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