Tuesday, 31 October 2017
Sunday, 29 October 2017
शनि के धनु राशि में प्रवेश 26 अक्टूबर, 2017 किस राशि साढ़ेसातीकिस राशि ढैया
शनि के धनु राशि में प्रवेश 26 अक्टूबर, 2017 किस राशि साढ़ेसातीकिस राशि ढैया
shani ka rashi privesh 26 octomber2017
शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। 26 अक्टूबर, 2017 गुरुवार को 12 बजकर 40 मिनट पर शनि ने धनु राशि में प्रवेश किया है, जो 24 जनवरी 2020 तक रहेगा। शनि के धनु राशि में स्थान परिवर्तन से मेष और सिंह राशि पर चली आ रही ढैया समाप्त हो गई है।
तुला राशि पर शनि की साढ़ेसाती भी 26 अक्टूबर को समाप्त हो गई है। यानी मेष, सिंह और तुला राशि पर शनि की कृपा दोबारा से मिलने लगेगी और सारे बिगड़े काम बनने लगेंगे। एक तरफ जहां इन तीन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैया समाप्त हो गई है। वहीं, दूसरी तरफ अब वृषभ और कन्या राशि पर ढैया प्रारंभ हो गई है और साथ ही मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो गई है।
शनि एक न्यायप्रिय ग्रह है, जो हर प्राणी के साथ न्याय करता है। लेकिन जो लोग अनैतिक और गलत कार्य करते हैं, उन्हें शनि का दंड भोगना पड़ता है। बावजूद इसके कई बार देखने को मिलता है कि शनि की दशा आने पर कई बार कई लोगों के काम बनते नहीं हैं या जितनी मेहनत वे करते हैं, उतना फल नहीं मिलता है। जानें कि कैसे पता चलेगा कि आपकी कुंडली में शनि की दशा अच्छी नहीं हैं
शनि जब अशुभ फल देने लगता है, तो जातक की जिंदगी में समस्याएं बढ़ने लगती हैं। शनि अशुभ फल देने पर आ जाए, तो घर गिरने की स्थिति तक बन सकती है। सबसे बड़ी पहचान होती है कि व्यक्ति के बाल झड़ने लगते हैं, विशेषकर भौंह के। चप्पल, जूते गुमना पैरों में रुखापन या बेवाइयां फटने लगती हैं। जब ऐसा हो, तो समझना चाहिए कि शनि अशुभ फल दे रहा है।
ये करें उपाय
शनिवार का व्रत करें। सुंदरकांड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है।
Saturday, 28 October 2017
व्यापार में लाभ के लिए सरल टोटके
व्यापार में लाभ के लिए सरल टोटके
totke for bijanesa growth
व्यापार में अनुकूल सफलता नहीं मिल रही है तो इसका कारण ग्रहों का विपरीत प्रभाव या वास्तुदोष भी हो सकता है।व्यवसाय में उन्नति के लिए आप कुछ प्रचलित टोटके ।
बारह गोमती चक्र लेकर उसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर दुकान या अपने ऑफिस के बाहर मुख्य दरवाजे पर लटका दें। इससे ग्रहकों की संख्या बढ़ेगी और कारोबार में आने वाली बाधाएं दूर होगी
अगर किसी ने आपके व्यवसाय में टोटका कर दिया है तो उसे दूर करने के लिए रविवार के दिन दोपहर में पांच नींबू काटकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में रख दें। इसके साथ एक मुट्ठी काली मिर्च और एक मुट्ठी पीली सरसों रख दें। अगले दिन सुबह दुकान खोलने के बाद इन सभी सामानों को उठाकर किसी सूनसान स्थान पर ले जाकर रख आएं।
एक लघु नारियल लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में पूजा स्थान पर रखें। नियमित इस नारियल को धूप-दीप दिखाएं इससे व्यापार में उन्नति होती है।
सबसे पहले जब दूकान या व्यापार आरम्भ किया जाता है तो एक चांदी की कटोरी में धनियां रखकर उसमें चांदी के ही श्री लक्ष्मी जी और श्री गणेश जी को स्थापित करते है. तथा इसे दूकान में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके रखा जाता है. प्रतिदिन दूकान अथवा ऑफिस खोलते समय पांच अगरबत्तियां जलाने से व्यापार का लाभ बढने लगता है.
यदि दूकान आदि व्यवसाय क्षेत्र में ग्राहक नहीं आ रहे है तो आप मिटटी के चार बर्तन लेकर एक में जौयानि दूसरे में काले तिल तीसरे में साबुत हरे मूंग यानी और चौथे में पीली सरसों यानीभर कर रख दें. ये चारों बर्तन साल भर के लिए रखे जाते है फिर एक साल बाद उन्हें चलते पानी में विसर्जन कर दिया जाता है, इस प्रकार करते रहने से ग्राहक आपकी दूकान के प्रति आकर्षित हो जायेंगे।
अपने व्यवसाय अथवा दूकान की वृद्धि के लिए एक लोहे के कील में, काले धागे में सात हरी अखंडित मिर्च और एक बेदाग़ नींबू प्रातः मंगलवार या शनिवार बांधा जाता है. ध्यान रहे यह हरी मिर्च और नींबू दुकानदार की पत्नी या बेटी के द्वारा ही बनाया जाये तो लाभदायक रहेगा, बना बनाया मिलने वाला नींबू और मिर्च कोई लाभ नहीं देता अथवा कुल पुरोहित भी बना सकता है।
अपनीशॉप में प्रतिष्ठित श्री यन्त्र और व्यापार वृद्धि यन्त्र तथा श्री कुबेर यन्त्र की शुभ मुहूर्त में विधिवत स्थापना करने से व्यापार में हानि नहीं होती है और लाभ की मात्रा में वृद्धि होने लगती है.
अगर ऐसा लगे की कोई शत्रु आपकी दूकान या ऑफिस में तांत्रिक क्रिया करके आपको हानि पंहुचाने का प्रयास कर रहा है तो शनिवार प्रातः पांच पीपल के पत्ते और आठ पान के साबुत डंडीदार पत्ते लेकर लाल धागे में पिरोकर दूकान में पूर्व की तरफ बाँध दें और ऐसा अगर आप हर शनिवार करें तो तांत्रिक क्रिया बेअसर हो जायेगी तथा आपका लाभ बढ़ जाएगा
शम्मी वृक्ष की लकड़ी को पान के पत्ते में लपेटकर पैसे के गल्ले में रखने से भी तांत्रिक क्रिया बेअसर हो जाती है
आयात – निर्यात तथा दूसरे नगरों से सम्बंधित व्यापारियों को एक दक्षिणावर्ती शंखहमेशा लाल रंग की थैली में बांधकर श्री लक्ष्मी जी की प्रतिमा के पास दूकान अथवा ऑफिस में रखनी चाहिए
Wednesday, 25 October 2017
कुंडली में विवाह के योग बाधक योग प्रेम विवाह के योग विवाह योग
कुंडली में विवाह के योग
बाधक योग प्रेम विवाह के योग विवाह योग
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कुंडली में विवाह योग के कारक ग्रहों जब बृहस्पति पंचम पर दृष्टि डालता है तो यह जातक की कुंडली में विवाह का एक प्रबल योग बनाता है। बृहस्पति का भाग्य स्थान या फिर लग्न में बैठना और महादशा में बृहस्पति होना भी विवाह का कारक है। यदि वर्ष कुंडली में बृहस्पति पंचमेश होकर एकादश स्थान में बैठता है तब उस साल जातक का विवाह होने की बहुत ज्यादा संभावनाएं बनती हैं। विवाह के कारक ग्रहों में बृहस्पति के साथ शुक्र, चंद्रमा एवं बुद्ध भी योगकारी माने जाते हैं। जब इन ग्रहों की दृष्टि भी पंचम पर पड़ रही हो तो वह समय भी विवाह की परिस्थितियां बनाता है। इतना ही नहीं यदि पंचमेश या सप्तमेश का एक साथ दशाओं में चलना भी विवाह के लिये सहायक होता है।
आपके विवाह के योगकारी ग्रहों पर पाप ग्रहों की दृष्टि। पंचम स्थान पर यदि अशुभ ग्रहों यानि कि शनि, राहू और केतू की दृष्टि पड़ती है तो यह विवाह में बाधक योग बना देती है।
जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टलने से विवाह में बहुत देरी हो जाती है। वे विवाह को लेकर अत्यंत चिंतित हो जाते हैं। वैसे विवाह में देरी होने का एक कारण बच्चों का मांगलिक होना भी होता है। इनके विवाह के योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनते हैं। जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो जाता है, तो उनके ग्रहों की दशा ज्ञात कर, विवाह के योग कब बनते हैं, जान सकते हैं। जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग बनते हैं। सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।
विवाह काल का निर्णय
- शुक्र चंद्रमा की महादशा मे जब देवगुरू का अंतर आए तो विवाह होता है।
- दशम भाव के स्वामी की महादशा में जब अष्टम भाव के स्वामी का अंतर आए तो भी विवाह होता है।
- यदि कुंडली में शुक्र ग्रह से अन्य कोई ग्रह युति कर रहा हो तो ऎसे ग्रह की महादशा में गुरू, शुक्र व शनि के अंतर काल में विवाह प्रकरण तय होते हंै।
- लग्न भाव के स्वामी व सप्तम भाव के स्वामी के स्पष्ट राशि योग के समान राशि मे उसी अंश पर देवगुरू आते हैं तो विवाह होता है।
- यदि महादशा सप्तम भाव के स्वामी चल रही तो उस (सप्तम) भाव मे स्थित ग्रह, बृहस्पति व शनि के अंतर काल मे विवाह निश्चित होता है।
- सप्तम भाव के स्वामी व शुक्र के स्वामित्व वाले भाव में जब चंद्र व गुरू की गोचरीय युति हो तो विवाह होता है।
अन्य योग
- लग्नेश, जब गोचर में सप्तम भाव की राशि में आए।
- जब शुक्र और सप्तमेश एक साथ हो, तो सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।
- लग्न, चंद्र लग्न एवं शुक्र लग्न की कुंडली में सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।
- शुक्र एवं चंद्र में जो भी बली हो, चंद्र राशि की संख्या, अष्टमेश की संख्या जोड़ने पर जो राशि आए, उसमें गोचर गुरु आने पर।
- लग्नेश-सप्तमेश की स्पष्ट राशि आदि के योग के तुल्य राशि में जब गोचर गुरु आए।
- दशमेश की महादशा और अष्टमेश के अंतर में।
- सप्तमेश-शुक्र ग्रह में जब गोचर में चंद्र गुरु आए।
- द्वितीयेश जिस राशि में हो, उस ग्रह की दशा-अंतर्दशा में।
विवाह में बाधक योग
जन्म कुंडली में 6, 8, 12 स्थानों को अशुभ माना जाता है। मंगल, शनि, राहु-केतु और सूर्य को क्रूर ग्रह माना है। इनके अशुभ स्थिति में होने पर दांपत्य सुख में कमी आती है। सप्तमाधिपति द्वादश भाव में हो और राहू लग्न में हो, तो वैवाहिक सुख में बाधा होना संभव है। सप्तम भावस्थ राहू युक्त द्वादशाधिपति से वैवाहिक सुख में कमी होना संभव है। द्वादशस्थ सप्तमाधिपति और सप्तमस्थ द्वादशाधिपति से यदि राहू की युति हो तो दांपत्य सुख में कमी के साथ ही अलगाव भी उत्पन्न हो सकता है। लग्न में स्थित शनि-राहू भी दांपत्य सुख में कमी करते हैं। सप्तमेश छठे, अष्टम या द्वादश भाव में हो, तो वैवाहिक सुख में कमी होना संभव है। षष्ठेश का संबंध यदि द्वितीय, सप्तम भाव, द्वितीयाधिपति, सप्तमाधिपति अथवा शुक्र से हो, तो दांपत्य जीवन का आनंद बाधित होता है। छठा भाव न्यायालय का भाव भी है। सप्तमेश षष्ठेश के साथ छठे भाव में हो या षष्ठेश, सप्तमेश या शुक्र की युति हो, तो पति-पत्नी में न्यायिक संघर्ष होना भी संभव है।यदि विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करके उपरोक्त दोषों का निवारण करने के बाद ही विवाह किया गया हो, तो दांपत्य सुख में कमी नहीं होती है। किसी की कुंडली में कौन सा ग्रह दांपत्य सुख में कमी ला रहा है।विवाह नही होगा
सप्तमेश शुभ स्थान पर नही है। सप्तमेश छ: आठ या बारहवें स्थान पर अस्त होकर बैठा है। सप्तमेश नीच राशि में है। सप्तमेश बारहवें भाव में है,और लगनेश या राशिपति सप्तम में बैठा है। चन्द्र शुक्र साथ हों,उनसे सप्तम में मंगल और शनि विराजमान हों। शुक्र और मंगल दोनों सप्तम में हों। शुक्र मंगल दोनो पंचम या नवें भाव में हों। शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ हो और पंचम या नवें भाव में हो। शुक्र बुध शनि तीनो ही नीच हों। पंचम में चन्द्र हो,सातवें या बारहवें भाव में दो या दो से अधिक पापग्रह हों। सूर्य स्पष्ट और सप्तम स्पष्ट बराबर का हो।विवाह में देरी…
सप्तम में बुध और शुक्र दोनो के होने पर विवाह वादे चलते रहते है,विवाह आधी उम्र में होता है। चौथा या लगन भाव मंगल (बाल्यावस्था) से युक्त हो,सप्तम में शनि हो तो कन्या की रुचि शादी में नही होती है।सप्तम में शनि और गुरु शादी देर से करवाते हैं।
चन्द्रमा से सप्तम में गुरु शादी देर से करवाता है,यही बात चन्द्रमा की राशि कर्क से भी माना जाता है। सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो,कोई शुभ ग्रह योगकारक नही हो,तो पुरुष विवाह में देरी होती है।सूर्य मंगल बुध लगन या राशिपति को देखता हो,और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो आध्यात्मिकता अधिक होने से विवाह में देरी होती है।लगन में सप्तम में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक नही हों,परिवार भाव में चन्द्रमा कमजोर हो तो विवाह नही होता है,अगर हो भी जावे तो संतान नही होती है।महिला की कुन्डली में सप्तमेश या सप्तम शनि से पीडित हो तो विवाह देर से होता है।राहु की दशा में शादी हो,या राहु सप्तम को पीडित कर रहा हो,तो शादी होकर टूट जाती है,यह सब दिमागी भ्रम के कारण होता है।विवाह का समय…
सप्तम या सप्तम से सम्बन्ध रखने वाले ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा में विवाह होता है।कन्या की कुन्डली में शुक्र से सप्तम और पुरुष की कुन्डली में गुरु से सप्तम की दशा में या अन्तर्दशा में विवाह होता है।सप्तमेश की महादशा में पुरुष के प्रति शुक्र या चन्द्र की अन्तर्दशा में और स्त्री के प्रति गुरु या मंगल की अन्तर्दशा में विवाह होता है।सप्तमेश जिस राशि में हो,उस राशि के स्वामी के त्रिकोण में गुरु के आने पर विवाह होता है। गुरु गोचर से सप्तम में या लगन में या चन्द्र राशि में या चन्द्र राशि के सप्तम में आये तो विवाह होता है।गुरु का गोचर जब सप्तमेश और लगनेश की स्पष्ट राशि के जोड में आये तो विवाह होता है। सप्तमेश जब गोचर से शुक्र की राशि में आये और गुरु से सम्बन्ध बना ले तो विवाह या शारीरिक सम्बन्ध बनता है। सप्तमेश और गुरु का त्रिकोणात्मक सम्पर्क गोचर से शादी करवा देता है,या प्यार प्रेम चालू हो जाता है।चन्द्रमा मन का कारक है,और वह जब बलवान होकर सप्तम भाव या सप्तमेश से सम्बन्ध रखता हो तो चौबीसवें साल तक विवाह करवा ही देता है।- कुंडली में प्रेम विवाह के योग
- लग्नेश एवं सप्तमेश का स्थान परिवर्तन या युति होना प्रेम विवाह का कारण बनता है ।
- पंचम भाव एवं सप्तम भाव प्रेम विवाह में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं । पंचमेश एवं सप्तमेश की युति पंचम या सप्तम भाव में होना या दोनों का राशि परिवर्तन करना या पंचमेश और सप्तमेश में दृष्टि सम्बन्ध होना प्रेम - विवाह का कारण बनता है ।
- गुरु और शुक्र दाम्पत्य जीवन में पति और पत्नी के कारक ग्रह हैं ।
- लड़कियों के जन्मपत्री में गुरु का पाप प्रभाव में होना और पुरुष की कुंडली में शुक्र ग्रह का पाप प्रभाव में होना प्रेम - विवाह की सम्भावना को बढ़ाता है ।
- लग्नेश एवं पंचमेश की युति या दृष्ट सम्बन्ध या राशि परिवर्तन प्रेम विवाह योग को उत्पन्न करता है ।
- राहु का लग्न / सप्तम भाव में बैठना और सप्तम भाव पर गुरु का कोई प्रभाव न होना प्रेम विवाह का कारण बन सकता है ।
- नवम भाव में धनु/मीन राशि हो और शनि/राहू की दृष्टि सातवें भाव, नवम भाव और गुरु पर हो तो प्रेम विवाह होता है ।
- सातवें भाव में राहु + मंगल हों ।
- राहु + मंगल + सप्तमेश तीनों वृष /तुला राशि में हो तो प्रेम -विवाह का योग बनता है ।
- जन्मलग्न ,सूर्यलग्न और चन्द्रलग्न में दूसरे भाव और उसके स्वामी का सम्बन्ध मंगल से हो तो भी प्रेम विवाह होता है ।
- कुंडली का दूसरा भाव पाप प्रभाव में हो या उसका स्वामी शुक्र, राहु शनि के साथ बैठा हो और सप्तमेश का सम्बन्ध शुक्र ,चन्द्र एवं लग्न से हो ।
- जन्म लग्न या चन्द्र लग्न में शुक्र का पांचवे / नवें भाव में बैठना प्रेम विवाह का कारण बनता है ।
- लग्न में लग्नेश +चन्द्रमा हो तो प्रेम विवाह होता है या सप्तम में सप्तमेश + चन्द्रमा हो तो भी प्रेम - विवाह हो सकता है ।
Monday, 23 October 2017
छठ महापर्व,विधि और नियम मंगलवार से शुरू होगा 27 को देंगे सूर्य को अर्घ्य
छठ महापर्व,विधि और नियम मंगलवार से शुरू होगा 27 को देंगे सूर्य को अर्घ्य
इस बार छठ पर्व का प्रारंभ 24 अक्टूबर, मंगलवार को नहाय-खाए के साथ होगा। 25 अक्टूबर को खरना, 26 अक्टूबर को संध्याकालीन अर्घ्य व 27 अक्टूबर को प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद ही ये व्रत पूर्ण होगा। खरना में व्रती (व्रत करने वाले) प्रसाद ग्रहण करते हैं तथा उसके बाद अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने और फिर प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा करने के बाद ही प्रसाद के साथ व्रत खोलते हैं।
छठ व्रत दीपावली के छठे दिन मनाया जाता है। यह व्रत साल में दो बार मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास और फिर कार्तिक मास में। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को बड़े पैमाने पर यह पर्व मनाया जाता है।
छठ व्रत दीपावली के छठे दिन मनाया जाता है। यह व्रत साल में दो बार मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास और फिर कार्तिक मास में। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को बड़े पैमाने पर यह पर्व मनाया जाता है।
सूर्यदेव की बहन हैं छठ देवी
अथर्ववेद में छठ व्रत के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। छठ व्रत को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी माना गया है। इस व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि सीता, कुंती व द्रौपदी आदि ने भी यह व्रत किया था। छठ पर्व में व्रती आसपास के नदी-तालाब में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।जहां नदी या कोई पोखर यानी तालाब नहीं है, वहां लोग अपने घर के आगे ही साफ-सफाई करके एक गड्ढ़ा बनाते हैं और उसमें साफ जल भरते हैं, फिर व्रती उसमें खड़ा होकर सूर्य देव की अराधना करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, छठ देवी सूर्य की बहन है। जीवन के लिए जल और सूर्य की किरणों की महत्ता को देखते हुए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है।
इस व्रत को महिला या पुरुष कोई भी कर सकता है। यह व्रत काफी कठोर माना जाता है। इसमें व्रती को खरना के दिन भगवान का प्रसाद ग्रहण करके फिर अगले दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य देकर घर पर पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण करना पड़ता है।
ठेकुआ का है खास महत्व
छठ व्रत में केला, ईंख, मूली, नारियल, सुथनी, अखरोट, बादाम, खजूर (ठेकुआ) का बड़ा महत्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि से इस व्रत का आरंभ होता है। व्रती नहा-धोकर अरबा चावल, लौकी और चने की दाल बिना लहसुन-प्याज के ग्रहण करते हैं और फिर अगले दिन व्रती बिना अन्न-जल ग्रहण के रहते हैं और शाम को खरना का प्रसाद बनता है। प्रसाद में गुड़ की खीर, ठेकुआ और कसार तैयार किया जाता है।
जिनके घर में छठ व्रत नहीं होता है, उन्हें भी इस अवसर पर प्रसाद दिया जाता है। इसके अगले दिन व्रती नदी-तालाब में साफ जल में खड़े होकर अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। फिर शाम को पांच या सात ईंख (गन्ना) के बीच में नए कपड़े (ज्यादातर पीला) चंदवा से बांधकर उसके नीचे कोसी सजाया जाता है और इसके नीचे दीप जलाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिलता है और हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस अवसर पर घर के सभी सदस्य छठ घाट पर साफ-सफाई करते हैं और नए वस्त्र पहनते हैं। बच्चों की खुशियां तो देखते ही बनती हैं।
छठ व्रत में केला, ईंख, मूली, नारियल, सुथनी, अखरोट, बादाम, खजूर (ठेकुआ) का बड़ा महत्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि से इस व्रत का आरंभ होता है। व्रती नहा-धोकर अरबा चावल, लौकी और चने की दाल बिना लहसुन-प्याज के ग्रहण करते हैं और फिर अगले दिन व्रती बिना अन्न-जल ग्रहण के रहते हैं और शाम को खरना का प्रसाद बनता है। प्रसाद में गुड़ की खीर, ठेकुआ और कसार तैयार किया जाता है।
जिनके घर में छठ व्रत नहीं होता है, उन्हें भी इस अवसर पर प्रसाद दिया जाता है। इसके अगले दिन व्रती नदी-तालाब में साफ जल में खड़े होकर अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। फिर शाम को पांच या सात ईंख (गन्ना) के बीच में नए कपड़े (ज्यादातर पीला) चंदवा से बांधकर उसके नीचे कोसी सजाया जाता है और इसके नीचे दीप जलाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिलता है और हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस अवसर पर घर के सभी सदस्य छठ घाट पर साफ-सफाई करते हैं और नए वस्त्र पहनते हैं। बच्चों की खुशियां तो देखते ही बनती हैं।
ग्रहों के दोष दूर करना है तो इन मंत्रों का जाप करें,
ग्रहों के दोष दूर करना है तो इन मंत्रों का जाप करें,
grho ke dosho kodur krne in mantro ka jap
ज्योतिष में नौ ग्रह बताए गए हैं और सभी ग्रहों का अलग-अलग असर होता है। कुंडली में जिस ग्रह की स्थिति अशुभ होती है, उससे शुभ फल पाने के लिए कई उपाय हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय ये है कि अशुभ ग्रह के मंत्र का जाप किया जाए। ग्रहों के मंत्र जाप से अशुभ असर कम हो सकता है। किस ग्रह के लिए कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए...
मंत्र जाप कीसामान्य विधि: जिस ग्रह के लिए मंत्र जाप करना चाहते हैं, उस ग्रह की विधिवत पूजा करें। पूजा में सभी आवश्यक सामग्रियां चढ़ाएं। पूजा में संबंधित ग्रह के मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है।
सूर्यमंत्र- ऊँ सूर्याय नम:। सूर्य अर्घ्य देकर इस मंत्र के जाप से पद, यश, सफलता, तरक्की सामाजिक प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, संतान सुख प्राप्त हो सकता है और इस मंत्र से दरिद्रता दूर हो सकती है।
चंद्रमंत्र- ऊँ सोमाय नम:। इस मंत्र जाप से मानसिक परेशानियां दूर होती हैं। पेट व आंखों की बीमारियों में राहत मिल सकती है।
मंगलमंत्र-ऊँ भौमाय नम:। इस मंत्र जाप से भूमि, संपत्ति व विवाह बाधा दूर होने के साथ ही सांसारिक सुख मिल सकते हैं।बुधमंत्र- ऊँ बुधाय नम:। यह मंत्र जाप बुद्धि व धन लाभ देता है। घर या कारोबार की आर्थिक समस्याएं को घटाता है और निर्णय क्षमता बढ़ाता है।
गुरुमंत्र- ऊँ बृहस्पतये नम:। इस मंत्र जाप से सुखद वैवाहिक जीवन, आजीविका व सौभाग्य प्राप्त होता है।
शुक्रमंत्र- ऊँ शुक्राय नम:। यह मंत्र जाप वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाता है। वैवाहिक जीवन में कलह व अशांति को दूर करता है।शनिमंत्र- ऊँ शं शनैश्चराय नम:। ये मंत्र तन, मन, धन से जुड़ी तमाम परेशानियां दूर करता है। भाग्यशाली बनाता है।
राहुमंत्र- ऊँ राहवे नम:। यह मंत्र जाप मानसिक तनाव, विवादों का अंत करता है। आध्यात्मिक सुख भी देता है।
केतुमंत्र - ऊँ केतवे नम:। यह मंत्र जाप हर रिश्तों में तनाव दूर कर सुख-शांति देता है।
Saturday, 21 October 2017
काली हल्दी के गुप्त चमत्कारी उपाय करे माला माल
काली हल्दी के गुप्त चमत्कारी उपाय करे माला माल
Black turmeric ke gupt pryog
काली हल्दी का लंबा सा पत्र होता है जिसमे एक काले रंग की लकीर होती है | इंसान इसे दूर से ही देख के पहचान जाएगी की यह ही काली हल्दी है |
,काली हल्दी के चमत्कारी उपाय,
साधना या टोटको में
काली हल्दी हिन्दू धर्म में यह हर प्रकार के टोटको में काम आती है | यह घर के कामो में उपयोग नहीं आती है
रोग नाशक टोटके
यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार 3 गुरूवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गयी है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार उपर से उतार कर बहते हुये जल में प्रवाहित कर दें।
किसी की जन्मपत्रिका में गुरू और शनि पीडि़त है, तो वह जातक यह उपाय करें-
शुक्लपक्ष के प्रथम गुरूवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से ये दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे। यदि किसी के पास धन आता तो बहुत किन्तु टिकता नहीं है, उन्हे यह उपाय अवश्य करना चाहिए।
काली हल्दी से प्रसिद्ध टोटके
शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिन्दूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रूकने लगेगा।यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरूवार को पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार
“ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः ”
का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।
यदि आपका व्यवसाय मशीनों से सम्बन्धित है, और आये दिन कोई मॅहगी मशीन आपकी खराब हो जाती है, तो आप काली हल्दी को पीसकर केशर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन जल्दी खराब नहीं होगी।
दीपावली के दिन करे यह
दीपावली के दिन पीले वस्त्रों में काली हल्दी के साथ एक चांदी का सिक्का रखकर धन रखने के स्थान पर रख देने से वर्ष भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीडि़त हो तो किसी अच्छे मूहूर्त में काली हल्दी को कटोरी में धूप दिखाकर शुद्ध करें। तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर धागे की मद्द से उसके गले में पहना दें
.धन वृद्धि करने के लिए
गुरु पुष्य नक्षत्र में काली हल्दी को सिंदूर में रखकर लाल वस्त्र में लपेटकर धूप आदि देकर कुछ सिक्कों के साथ बाँधकर बक्से या तिजोरी में रख दें तो धनवृद्धि होने लगती है।
घर की सुरक्षा काली हल्दी से
काली हलदी , श्वेतार्क मूल, रक्त चन्दन और हनुमान मंदिर या काली मंदिर में हुए हवन की विभूति गोमूत्र में मिलाकर लेप बनायें और उससे घर के मुख्या द्वार और सभी प्रवेश के दरवाजों के ऊपर स्वास्तिक का चिन्ह बनायें। इससे किसी भी प्रकार की बुरी नज़र, टोना टोटका या बाधा आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।
माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए काली हल्दी का उपयोग
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तंत्र शास्त्र में हरिद्रा तंत्र की चर्चा है। कहते हैं, इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य की वर्षा करती हैं। हरिद्रा यानी काली हल्दी खाने के काम में नहीं आती, पर चोट लगने और दूसरे औषधीय गुणों में इसे महत्व दिया जाता है। यदि किसी को इस काली हल्दी की गांठ प्राप्त हो, तो उसे पूजा घर में रख दें। मान्यता है कि यह जहां भी होती है, सहज ही वहां श्री-समृद्धि का आगमन होने लगता है। हरिद्रा तंत्र को नए कपड़े में अक्षत और चांदी के टुकड़े अथवा किसी सिक्के के साथ रखकर गांठ बांध दें और धूप-दीप से पूजा करके गल्ले या बक्से में रख दें, तो आश्चर्यजनक आर्थिक लाभ होने लगता है। लेकिन इसको घर में रखने से पहले अभिमंत्रित भी कर लें, तभी इसका विशेष प्रभाव दिखता है।
हरिद्रा तंत्र के लिए साधना विधि महीने की किसी भी अष्टमी से इस पूजा को शुरू कर सकते हैं। इस दिन प्रात: उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं। तत्पश्चात् काली हल्दी की गांठ को धूप-दीप देकर नमस्कार करें। फिर उगते हुए सूर्यको नमस्कार करें और 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें।
‘‘ॐ ह्रीं सूर्याय नम:।’
इसके बाद स्थापित काली हल्दी की पूजा करें। पूरे दिन व्रत रखें और फलाहार करें। यथाशक्ति दान-पुण्य भी करें। हरिद्रा तंत्र की साधना में यह तथ्य स्मरण रखना चाहिए कि इसके साधक के लिए मूली, गाजर और जिमींकंद का प्रयोग वर्जित है। इस प्रयोग को विधिपूर्वक करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। घर में बरकत होती है।
वशीकरण में बहुत उपयोगी है काली हल्दी
चंदन की भाँति काली हल्दी का तिलक लगाएँ। सामने वाले को आकर्षित करता है।
Friday, 20 October 2017
Thursday, 12 October 2017
दीपावली के दिन किये जाने वाले टोटके
दीपावली के दिन किये जाने वाले टोटके
diwali ke din kiye jane vale totke
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार दीपावली के दिन विधि-विधान से यदि लक्ष्मीजी की पूजा की जाए तो वे अति प्रसन्न होती हैं। और घर में लक्ष्मी का स्थाई निवास हो जाता है। यह उपाय इस प्रकार हैं-
उपाय—–
1- दीपावली के दिन पीपल को प्रणाम करके एक पत्ता तोड़ लाएं और इसे पूजा स्थान पर रखें। इसके बाद जब शनिवार आए तो वह पत्ता पुन: पीपल को अर्पित कर दें और दूसरा पत्ता ले आएं। यह प्रक्रिया हर शनिवार को करें। इससे घर में लक्ष्मी की स्थाई निवास रहेगा और शनिदेव की प्रसन्न होंगे।
2- दीपावली पर मां लक्ष्मी को घर में बनी खीर या सफेद मिठाई को भोग लगाएं तो शुभ फल प्राप्त होता है।
3- दीपावली की रात 21 लाल हकीक पत्थर अपने धन स्थान(तिजोरी, लॉकर, अलमारी) पर से ऊसारकर घर के मध्य(ब्रह्म स्थान) पर गाढ़ दें।
4- दीपावली के दिन घर के पश्चिम में खुले स्थान पर पितरों के नाम से चौदह दीपक लगाएं।
दीपावली: आपकी हर समस्या का समाधान हैंटोटके—
दीपावली की रात टोने-टोटके के लिए विशेष शुभ होती है, ऐसा तंत्र शास्त्र में लिखा है। किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान दीपावली की रात को किए गए टोटके से संभव है। अपनी समस्या के समाधान के लिए दीपावली की रात नीचे लिखे टोटके करें-
1- दीपावली की रात लक्ष्मी पूजन के साथ एकाक्षी नारियल की स्थापना कर उसकी पूजन-उपासना करें। इससे धन लाभ होता है साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
2- दूध से बने नैवेद्य मां लक्ष्मी को अति प्रिय हैं। इसलिए उन्हें दूध से निर्मित मिष्ठान जैसे- खीर, रबड़ी आदि का भोग लगाएं। इससे मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
3- दुर्भाग्य के नाश के लिए दीपावली की रात में एक बिजोरा नींबू लेकर मध्यरात्रि के समय किसी चौराहे पर जाएं और वहां उस नींबू को चार भाग में काटकर चारों रास्तों पर फेंक दें।
4- दीपावली की रात लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ काली हल्दी का भी पूजन करें और यह काली हल्दी अपने धन स्थान(लॉकर, तिजोरी) आदि में रखें। इससे धन लाभ होगा।
5- धन-समृद्धि के लिए दीपावली की रात में केसर से रंगी नौ कौडिय़ों की भी पूजा करें। पूजन के पश्चात इन कौडिय़ों को पीले कपड़े में बांधकर पूजास्थल पर रखें। ये कौडिय़ां अपने व्यापार स्थल पर रखने से व्यापार में वृद्धि होती है।
6- घर पर हमेशा बैठी हुई लक्ष्मी की और व्यापारिक स्थल पर खड़ी हुई लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
6- घर पर हमेशा बैठी हुई लक्ष्मी की और व्यापारिक स्थल पर खड़ी हुई लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
7- इस दिन श्रीयंत्र को स्थापित कर गन्ने के रस और अनार के रस से अभिषेक करके लक्ष्मी मंत्रों का जप करें।
8- लक्ष्मीजी को गन्ना, अनार, सीताफल अवश्य चढ़ाएं।
9 - दीपावली के दिन गन्ने के पेड़ की जड़ को लाकर लाल कपड़े में बांधकर लाल चंदन लगाकर धन स्थान पर रखें। इससे धन में वृद्धि होगी।
10 -दीपावली की रात्रि में मोती शंख को सिंदूर में भरकर तिजोरी में रखने से धन वृद्धि होती है
Wednesday, 11 October 2017
Tuesday, 10 October 2017
दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त 2017
दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त 2017
diwali puja shubh muhurt 2017
दिवाली पर शुभ मुहूर्त और सही विधि से पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. इस दिन दीप जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दिवाली को दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. दिवाली का त्योहार धनतेरस पर्व से शुरू होकर भैया दूज पर खत्म होता है.
वैसे तो कार्तिक माह लगते ही त्योहारों की झड़ी लग जाती है. अश्विन की शरद पूर्णिमा से ही कार्तिक लग जाता है. इस महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं. इसी माह में दिवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज और छठ जैसे बड़े त्योहार आते हैं. इस बार दिवाली 19 अक्टूबर को है. इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है.
दिवाली पूजा 2017 और दिवाली शुभ मुहूर्त
दिवाली 2017 - 19 अक्टूबर गुरुवार
इस दिन पूजा करने के लिए 3 शुभ मुहूर्त है. इन तीनों मुहूर्त में पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इन विशेष मुहूर्त पर आप मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की पूजा करें.
1. प्रदोष काल मुहूर्त
समय- 1 घंटा और 5 मिनट
मां लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त- 05.43 से 08.06
वृषभ काल- 7.11 से 9.06
2. चौघड़िया पूजा मुहूर्त
सुबह- 6.28 से 7.53
शाम- 4.19 से 8.55
3.महानिशिता काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा का अवधि- 51 मिनट
महानिशिता काल- 11.40 से 12.31
Monday, 9 October 2017
अक्टूबर 2017 का मासिक राशि फल
अक्टूबर 2017 का मासिक राशि फल
october 2017 ka masik rashi phal
मेष (Aries): शारीरिक- मानसिक स्वास्थ्य सही रहेगा। आर्थिक मामले में भविष्य के लिए अच्छी प्लानिंग कर सकेंगे। लक्ष्मी माता की कृपा से आय में वृद्धि होगी। कलाकार एवं कारीगरों को उनकी कला का प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा और उनकी कद्र होगी। नकारात्मक विचारों से दूर रहे |
वृषभ (Taurus): स्वास्थ्य अच्छा रहने से सुख और आनंद की अनुभूति होगी। सगे- संबंधियों या मित्रों की तरफ से उपहार मिलेगा। प्रवास आपका दिन अच्छा बनाएंगे। आर्थिक लाभ की संभावना है।
मिथुन (Gemini): संयमशील और विचारपूर्ण व्यवहार आपको बहुत से अनिष्टों से बचा लेंगे। आपके वाणी- व्यवहार से गलतफहमी पैदा होगी। शारीरिक कष्ट, मन को भी अस्वस्थ बनाएंगे। परिवार में क्लेश का वातावरण रहेगा। आंख में पीड़ा होगी। खर्च अधिक रहेगा। आध्यात्मिक व्यवहार मानसिक शांति दे सकेंगे।
कर्क (Cancer): आकस्मिक धन प्राप्ति और बहुविधि लाभ से युक्त और आनंदप्रद बना रहेगा, आय में वृद्धि होगी। व्यापारियों को मुनाफा देने वाले सौदे होंगे। पुत्र और पत्नी से लाभ होगा।
सिंह (Leo): आपके कार्यों में विलंब से सफलता मिलेगी। ऑफिस या घर में उत्तरदायित्वों का बोझ बढ़ेगा। जीवन में अधिक गंभीरता का अनुभव करेंगे। नए संबंध स्थापित करने या कार्य के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय न ले पिता के साथ मतभेद उत्पन्न होगा।
कन्या (Virgo): संतान के साथ मतभेद या मनमुटाव होगा। उनके स्वास्थ्य की चिंता सताएगी। आफिस में उच्च पदाधिकारियों के साथ आपका वादविवाद होगा। राजनीतिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। धार्मिक कार्यों के पीछे धन खर्च होगा। भाई- बंधुओं द्वारा लाभ होने की संभावना हैं।
तुला (Libra): कटुवचन या खराब व्यवहार के कारण झगड़े- विवाद होंगे। क्रोध और कामवृत्ति पर संयम आवश्यक है। आकस्मिक धनलाभ होगा। भोजन करने में विलंब और अत्यधिक खर्च आपके मन को अस्वस्थ बनाएंगे।
वृश्चिक (Scorpio): नौकरी- धंधे और व्यवसाय के क्षेत्र मेंआपको लाभ होने वाला है। इसके साथ मित्रों, सगे सम्बंधियों और बुजुर्गों से भी लाभ प्राप्ति का संकेत है। सामाजिक समारोह, पर्यटन जैसे प्रसंगों में जाएंगे। आप प्रफुल्लित रहेंगे। आय के स्रोत बढ़ेंगे। अविवाहितों के लिए वैवाहिक योग है। सांसारिक जीवन में आनंद का अनुभव करेंगे।
धनु (Sagittarius): आर्थिक और व्यापारिक करने के लिए समय शुभ है। कार्य सरलता से सफल होंगे। परोपकार की भावना आज बलवती रहेगी। आज आमोद-प्रमोद में आपका दिन बीतेगा। नौकरी व्यवसाय में उन्नति और मान- सम्मान प्राप्त होगा। गृहस्थ जीवन में आनंद ही आनंद है।
मकर (Capricorn): मिश्रित फलदायी साबित होगा। बौद्धिक कार्यों और व्यवसाय में नई विचारधारा अमल में लाएंगे। लेखन और साहित्य से संबंधित प्रवृत्तियों में आपकी सृजनात्मकता दिखाई देगी, फिर भी मन के किसी कोने में आपको अस्वस्थ होने का अनुभव होगा।
कुंभ (Aquarius): नकारात्मक विचारों से मन में हताशा जन्म लेगी। इस समय मानसिक उद्वेग और क्रोध की भावना का अनुभव करेंगे। खर्च बढ़ेगा। वाणी पर संयम न रहने के कारण परिवार में मनमुटाव और झगड़े होने की संभावना है। स्वास्थ्य खराब होगा।
मीन (Pisces):समय सुख-शांति से व्यतीत होगा। व्यापारियों को भागीदारी के लिए उत्तम समय है। मित्रों तथा स्वजनों के साथ मिलन मुलाकात होगी।सार्वजनिक जीवन में प्रगति मिलेगी। उत्तम वैवाहिक सुख प्राप्त होगा।
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