नक्षत्र का आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है जाने
चन्द्रमा का एक राशिचक्र 27 नक्षत्रों में विभाजित है, इसलिए अपनी कक्षा में चलते हुए चन्द्रमा को प्रत्येक नक्षत्र में से गुजरना होता है। आपके जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होगा, वही आपका जन्म नक्षत्र होगा। आपके वास्तविक जन्म नक्षत्र का निर्धारण होने के बाद आपके बारे में बिल्कुल सही भविष्यवाणी की जा सकती है। अपने नक्षत्रों की सही गणना व विवेचना से आप अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। इसी प्रकार आप अपने अनेक प्रकार के दोषों व नकारात्मक प्रभावों का विभिन्न उपायों से निवारण भी कर सकते हैं। नक्षत्रों का मिलान रंगों, चिन्हों, देवताओं व राशि-रत्नों के साथ भी किया जा सकता है।गंडमूल नक्षत्र - अश्विनी, आश्लेषा, मघा, मूला एवं रेवती !ये छ: नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र कहे गए हैं !इनमें किसी बालक का जन्म होने पर 27 दिन के पश्चात् जब यह नक्षत्र दोबारा आता है तब इसकी शांति करवाई जाती है ताकि पैदा हुआ बालक माता- पिता आदि के लिए अशुभ न हो ! संस्था में गंडमूल दोष निवारण की विशेष सुविधा उपलब्ध है !
शुभ नक्षत्र - रोहिणी, अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढा, उत्तरा फाल्गुनी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, पुनर्वसु, अनुराधा और स्वाति ये नक्षत्र शुभ हैं !इनमें सभी कार्य सिद्ध होते हैं !
मध्यम नक्षत्र - पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढा, पूर्वाभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठा, आर्द्रा, मूला और शतभिषा ये नक्षत्र मध्यम होते हैं ! इनमें साधारण कार्य सम्पन्न कर सकते हैं, विशेष कार्य नहीं !
अशुभ नक्षत्र - भरणी, कृत्तिका, मघा और आश्लेषा नक्षत्र अशुभ होते हैं !इनमें कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है !ये नक्षत्र क्रूर एवं उग्र प्रकृति के कार्यों के लिए जैसे बिल्डिंग गिराना, कहीं आग लगाना, विस्फोटों का परीक्षण करना आदि के लिए ही शुभ होते हैं !
पंचक नक्षत्र - धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती ! ये पाँच नक्षत्र पंचक नक्षत्र कहे गए हैं ! इनमें समस्त शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, यात्रा, गृहारंभ, घर की छत डालना, लकड़ी का संचय करना आदि कार्य नहीं करने चाहियें !
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