Sunday, 1 October 2017

शरद पूर्णिमा व्रत कथा-----चंद्रमा अपनी किरणों से धरती पर अमृत गिराता है।

शरद पूर्णिमा व्रत कथा-----चंद्रमा अपनी किरणों से धरती पर अमृत गिराता है। 


shrad purnima vrt katha


Image result for शरद पूर्णिमाहिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। साल 2017 में शरद पूर्णिमा 05 अक्टूबर को मनाई जाएगी। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते है। शरद पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के आश्विन महीने में पूरे चाँद के दिन मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा को कौमुदी त्यौहार के तौर पर भी मनाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्यूंकि यह मान्यता है की इस दिन चंद्रमा अपनी किरणों से धरती पर अमृत गिराता है। 
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा कहने के पीछे भी एक कथा है। ऐसी मान्यता है की शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी रात में आसमान में घुमते हुआ यह पूछती है की ‘कौ जाग्रति’। असल में देवी लक्ष्मी उन लोगों को ढूँढती है जो रात में जाग रहे होते है। संस्कृत में ‘कौ जाग्रति’ का मतलब होता है की ‘कौन जाग रहा है’। जो लोग शरद पूर्णिमा के दिन रात में जाग रहे होते हैं उन्हें देवी लक्ष्मी धन प्रदान करती है।   अनुसार शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा को आती हैं। ज्‍योतिष के अनुसार, पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। शरद पूर्णिमा को कौमुदी व्रत, कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचा था। कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने का विधान है।
कथा
एक साहुकार के दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थी। बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। हुआ यह कि छोटी पुत्री की सन्तान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितों से इसका कारण पूछा, तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी, जिसके कारण तुम्हारी सन्तान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा को पूरे विधि-विधान से पूजा करने से तुम्हारी सन्तान जीवित रह सकती है।
उसने शरद पूर्णिमा का व्रत किया। तब छोटी पुत्री के यहां संतान पैदा हुई, लेकिन वह भी शीघ्र ही मर गई । उसने अपनी संतान के लिटाकर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया। फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और उसी जगह पर बैठने को कहा, जहां उसने अपनी संतान को उसने कपड़े से ढंका था। बड़ी बहन जब बैठने लगी, तो उसका घाघरा बच्चे का छू गया और घाघरा छूते ही बच्‍चा रोने लगा।
बडी बहन बोली- 'तुम मुझे कंलक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता।' तब छोटी बहन बोली, 'यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। इस घटना के बाद से वह हर वर्ष शरद पूर्णिमा का पूरा व्रत करने लगी।'
शरद पूर्णिमा व्रत विधि 
- पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए.
- इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए.
- ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए.
- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है.
- रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए. 
- मंदिर में खीर आदि दान   दी  है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है.

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