शंख में रखे पानी के फायदे और शंख के प्रकार :—
-रातभर शंख में रखे पानी में उतना ही सादा पानी मिलाकर आँखों को धोने से आँखें हेल्दी रहती है।
-नहाने के बाद शंख को स्किन पर हल्के-हल्के रगड़ने से स्किन ग्लो करती है।शंख में रातभर रखे पानी से सुबह स्किन की रेगुलर मसाज करे। स्किन संबधित बिमारियों में फायदा होता है।
——-शंख के जल से शालीग्राम को स्नान कराएं और फिर उस जल को यदि गर्भवती स्त्री को पिलाया जाए तो पैदा होने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होता है। साथ ही बच्चा कभी मूक या हकला नहीं होता।
——यदि शंखों में भी विशेष शंख जिसे दक्षिणावर्ती शंख कहते हैं इस शंख में दूध भरकर शालीग्राम का अभिषेक करें। फिर इस दूध को निरूसंतान महिला को पिलाएं। इससे उसे शीघ्र ही संतान का सुख मिलता है।
-शंख में कैल्शियम और फॉस्फोरस के अलावा कई मिनरल्स होते हैं जो हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं।
-शंख बजाने के अलावा इसमें रखा पानी कई बीमारियों में फायदा करता है। शंख में कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं। गले की मसल्स की एक्सरसाइज होती है। वोकल कार्ड और थाइरायड से जुडी प्रॉब्लम्स में फायदा होता है।
-ब्रेन और पूरी बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। हेयर फॉल की प्रॉब्लम भी दूर होती है।
– फेस की मसल्स की एक्सरसाइज होती है। झुर्रियों से बचाव होता है।
जानिए शंख के प्रकार :—
वैसे तो शंख कई प्रकार के होते है और सभी की विशेषता व पूजा करने की विधि भी अलग अलग ही होती है| कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, कोरामंडल द्वीप समूह, श्रीलंका एवं भारत में उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ शंख पाये जाते हैं और यें तीन प्रकार के होते हैं :-
गणेश शंख :—
ये पूज्य देव गणेश के आकार का ही होता है इसलिए इसको गणेश शंख ही कहा जाता है. इसे हम प्रकृति का चमत्कार या प्रभु की कृपा भी कह सकते है कि इसकी आकृति और शक्ति बिल्कुल गणेश जी के जैसी ही होती है. वे व्यक्ति निश्चित रूप से बहुत ही ज्यादा सौभाग्यशाली होते है जिनके घर में गणेश शंख का पूजन किया जाता है. गणेश जी की कृपा से सभी प्रकार की परेशानियाँ दूर हो जाती है आर्थिक, व्यापारिक समस्याओं से मुक्ति पाने का श्रेष्ठ उपाय श्री गणेश शंख ही है, इसे चार वर्णों में बांटा गया है जिसका आधार इसका रंग है इस दृष्टि से शंख चार रंग का होता हैं :- सफेद, गाजरी व भूरा, हल्का पीले व स्लेटी रंग का होता है.
वामावर्ती शंख :—
वामावर्ती शंख का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है इसका आकार बिल्कुल श्री यंत्र की तरह ही होता है. इसे प्राकृतिक श्री यंत्र भी माना जाता है जिस भी घर में पूरे विधि विधान से इसकी पूजा की जाती है, वहाँ पर लक्ष्मी जी सदा वास करती है. इसे दो प्रकारों से सीधे होठों से व धातु के बेलन पर रखकर बजाया जाता है, इस शंख की आवाज़ बहुत ही सुरीली होती है. विद्या की देवी सरस्वती भी शंख धारण करती है वे खुद भी विणा शंख की पूजा करती है और यह भी माना जाता है कि इसकी पूजा करने से या इसके जल को पीने से मंद बुद्धि वाला इन्सान भी ज्ञान से परिपूर्ण हो जाता है.
दक्षिणावर्ती शंख :—
भगवान विष्णु खुद भी अपने दाहिने हाथ में दक्षिणावर्ती शंख धारण करते है. पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के समय यह शंख निकला था जिसे स्वयं भगवान विष्णु जी ने धारण किया था. यह एक ऐसा शंख है, जिसको बजाया नहीं जाता है सिर्फ पूजा के स्थान पर ही रखा जाता है. इसे सर्वाधिक शुभ भी माना जाता है.
गोमुखी शंख :—
इस शंख की आकृति गाय के मुख के समान बहुत ही सुंदर होती है. इसे शिव पावर्ती का भी स्वरूप माना जाता है, धन की प्राप्ति तथा अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसकी स्थापना उत्तर की ओर मुँह करके की जाती है. यह भी माना जाता है कि इसमें रखा पानी पीने से गाय की हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है और इसको कामधेनु शंख भी कहा जाता है.
विष्णु शंख :—
यह शंख सफ़ेद रंग और गरुड़ की आकृति के समान होता है. इसे वैष्णव संप्रदाय के व्यक्ति विष्णु स्वरूप मानकर अपने अपने घरों में रखते है. माना जाता है कि जहाँ विष्णु होते है वहां लक्ष्मी भी स्थित होती है. इसलिए जिस भी घर में इस शंख की स्थापना होती है उसमें लक्ष्मी और नारायण का वास हमेशा रहता है. एक और मान्यता यह भी है कि इस शंख से रोहिणी, चित्रा व स्वाति नक्षत्रों में गंगाजल भरकर और मंत्र का जप करकें, उस जल को किसी गर्भवती महिला को पिलाने से सुंदर, ज्ञानवान व स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है.
पांचजन्य शंख :—
यह भगवान श्री कृष्ण का ही रूप है इसको विजय व यश का प्रतीक माना गया है इसमें पांच उँगलियों की आकृति होती है. घर में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष चल रहा है तो उसी से मुक्ति पाने के लिए इसकी स्थापना की जाती है. यह राहू और केतु के दुष्प्रभाव को भी कम करने में मदद करता है |भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी।
पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय:।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशंखं भीमकर्मा वृकोदर:।। –महाभारत
भगवान श्रीकृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था। कहते हैं कि यह शंख आज भी कहीं मौजूद है। इस शंख के हरियाणा के करनाल में होने के बारे में कहा जाता रहा है।
माना जाता है कि यह करनाल से 15 किलोमीटर दूर पश्चिम में काछवा व बहलोलपुर गांव के समीप स्थित पराशर ऋषि के आश्रम में रखा था, जहां से यह चोरी हो गया। यहां हिन्दू धर्म से जुड़ी कई बेशकीमती वस्तुएं थीं।
अन्नपूर्णा शंख :—-
यह अन्य सभी शंखों से बहुत ज्यादा भारी होता है इसका इस्तेमाल भाग्यवृद्धि और सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस शंख में गंगाजल भरकर सुबह सुबह सेवन करने से मन में संतुष्टि की इच्छा उत्पन्न होने लगती है तथा व्याकुलता समाप्त होती जाती है.
मोती शंख :—-
इसका आकार बहुत ही छोटा और बिल्कुल मोती के आकार का ही होता है इसको भी लक्ष्मी जी की प्राप्ति के लिए दक्षिणावर्ती शंख के समान पूजाघर में स्थापित किया जाता है. इसकी स्थापना से समृद्धि की प्राप्ति व व्यापार में सफलता प्राप्त होती है. इसमें नियमित रूप से लक्ष्मी मंत्र का 11 बार जप अवश्य करें, ऐसा करने से लक्ष्मी जी जल्दी ही प्रसन्न होती है.
कोड़ी शंख :– कोड़ी शंख अत्यंत ही दुर्लभ शंख है। माना जाता है कि यह जिसके भी घर में होता है उसका भाग्य खुला जाता है और समृद्धि बढ़ती जाती है। प्राचीनकाल से ही इस शंख का उपयोग गहने, मुद्रा और पांसे बनाने में किया जाता रहा है। कौरी को कई जगह कौड़ी भी कहा जाता है। पीली कौड़िया घर में रखने से धन में वृद्धि होती है।
हीरा शंख :– इसे पहाड़ी शंख भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल तांत्रिक लोग विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए करते हैं। यह दक्षिणावर्ती शंख की तरह खुलता है। यह पहाड़ों में पाया जाता है। इसकी खोल पर ऐसा पदार्थ लगा होता है, जो स्पार्कलिंग क्रिस्टल के समान होता है इसीलिए इसे हीरा शंख भी कहते हैं। यह बहुत ही बहूमुल्य माना गया है। यह स्फटिक के समान धवल, पारदर्शी व चमकीला होता है यह बहुत ही ऐष्वर्यदायक लेकिन अत्यंत कमज़ोर होता है. इसमें से हीरे के समान सात रंग निकलते है, इसका इस्तेमाल प्रेम व शुक्र दोष से रक्षा के लिए किया जाता है. इसकी स्थापना से शुक्र ग्रह की कृपा भी प्राप्त होती है.
टाइगर शंख :—
इस शंख पर बाघ के समान धारियां होती है जो बहुत ही सुंदर दिखाई देती है. ये धारियां लाल,गुलाबी,काली व कत्थई जैसे रंग की होती है. इसकी स्थापना से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है तथा शनि, राहू और केतू ग्रह की व्याधियों से मुक्ति मिलती है|
तात्पर्य यह है कि शंख के अनेक गुण है साथ ही साथ साधक के मन में भी तंत्र शक्ति का संचार भी होता है ये सभी गुण अध्यात्मिक भी है, वैज्ञानिक भी और औषधीय भी है इनके गुणों को देखते हुए इनकी स्थापना अवश्य करनी चाहिए. ऐसा करने से आपके पाप तो नष्ट होंगें ही साथ में हमारी मनोकामनाओं की भी पूर्ति होगी और ये सब हमारे लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगा |
शंख के अन्य प्रकार :— देव शंख, चक्र शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, पंचमुखी शंख, वालमपुरी शंख, बुद्ध शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख, शेर शंख, कुबार गदा शंख, सुदर्शन शंक आदि।
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