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सारी प्रकृति जब खुशी से झुमती दिखाई दे तो समझ लीजिए कि वसंत आ गया है। मां सरस्वती की पूजन और आराधना के इस पवित्र दिन का अत्यंत महत्व है। इस दिन विद्या, ज्ञान और बुद्धि की अधिष्ठात्री मां शारदा विशेष आशीष प्रदान करती है।माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी कहा जाता है। ज्ञान,विद्या, बुद्धि व संगीत की देवी सरस्वती का आविर्भाव इसी दिन हुआ था। इसलिए यह तिथि वागीश्वरी जयंती व श्री पंचमी के नाम से भी प्रसिद्ध है।ऋग्वेद के 10/125 सूक्त में सरस्वती देवी के असीम प्रभाव व महिमा का वर्णन किया गया है। पौराणिक ग्रंथों में भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना गया है व हर नए काम की शुरुआत के लिए यह बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। वर्ष 2018 में यह पर्व 22 जनवरी को आ रहा है।
वसंत पंचमी की पौराणिक कथा
देवी ने वीणा के तार झंकृत किए जिससे समस्त प्राणी बोलने लगे, नदियां प्रवाहमयी होकर बहने लगी, हवा ने भी सन्नाटे को चीर कर मीठा संगीत पैदा किया। वह दिन वसंत पंचमी का था तब से ही बुद्धि व संगीत की देवी के रुप में मां सरस्वती पूजी जाने लगी।यह सुनिश्चित हुआ कि माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी को समस्त विश्व तुम्हारी विद्या व ज्ञान की देवी के रुप में पूजा करेगा। भगवान श्री कृष्ण ने सबसे पहले देवी सरस्वती की पूजा की तब से लेकर निरंतर वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा लोग करते आ रहे हैं।पूजा का शुभ मुहूर्त वसंत पंचमी - 22 जनवरी 2018 पूजा का शुभ और सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त - 07:17 से 12:32 बजे तक पंचमी तिथि का आरंभ - 15:33 बजे से (21 जनवरी 2018) पंचमी तिथि समाप्त - 16:24 बजे (22 जनवरी 2018)प्रात:काल स्नानादि कर पीले, नारंगी, गुलाबी या श्वेत वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें। मंगल कलश स्थापित कर भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें। फिर मां सरस्वती की पूजा करें। मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं।फिर मां शारदा का फूलों से का श्रृंगार करें। मां श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। प्रसाद के रुप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढ़ा सकते हैं। श्वेत फूल अर्पण करें।कुछ क्षेत्रों में देवी की पूजा कर प्रतिमा को विसर्जित भी किया जाता है।विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें। संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगा कर मां की आराधना करें व बांसुरी भेंट करें।
वर्ष 2018 का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को माघ माह की पूर्णिमा के दिन दिखाई देगा। जिस कारण से मंदिरों के पट बंद रहेंगे इस दौरान किसी भी तरह की पूजा नहीं की जा सकती है। ये चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा जिस कारण से इसे धार्मिक सूतक की मान्यता दी जाएगी। चंद्र ग्रहण की अवधि करीब 2 घंटे 43 मिनट तक रहेगी। 31 जनवरी को खग्रास चंद्रग्रहण है जो पूरे भारत में दिखाई देगा। सूतक का काल सुबह 8 बजकर 18 मिनट से शुरु हो जाएगा। ग्रहण का समय चंद्रोदय के साथ ही शुरु होगा। बालक, वृद्ध और रोगियों के लिए सूतक काल नहीं माना जाएगा। ग्रहण के समय मूर्ति स्पर्श, भोजन और नदी स्नान वर्जित माना जाएगा। इसी के साथ मंत्रों का जाप कई गुणा फलदायक माना जाएगा। ऊं क्षीरपुत्राय विह्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चंद्रः प्रचोदयात्।। चंद्रग्रहण के सूतक के दौरान इस मंत्र का जाप करना सबसे लाभकारी माना जाता है। सूतक काल के समय किसी भी नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। भोजन ग्रहण करने और पकाने से दूर रहना ही लाभकारी माना जाता है। देवी-देवताओं और तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसी के साथ सूतक काल में ध्यान, भजन और ईश्वर की आराधना करना ही लाभकारी माना जाता है। ग्रहण के समाप्त होने के बाद गंगाजल से घर का शुद्धिकरण करना चाहिए और मंदिर की सफाई भी की जानी चाहिए। सूतक के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने और ग्रहण देखने से बचना चाहिए। ये बच्चे की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है और उसके अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
श्रीशालिग्राम की पूजा सुख-समृद्धि, शांति व लक्ष्मी देने वाली होती है
Puja of Shaligram.
जहां भगवान विष्णु कृपा होती है, वहां मां लक्ष्मी भी वास करने लगती है। भगवान विष्णु स्वरूप श्रीशालिग्राम पूजा सुख-समृद्धि, शांति व लक्ष्मी कृपा देने वाली होती है। इस धार्मिक दर्शन व उपाय में एक जीवन सूत्र यह भी मिलता है कि घर में शांति कायम रखने और कलह न करने से भरपूर सुख-वैभव मिलता है।गण्डकी अर्थात नारायणी नदी के एक प्रदेश में शालिग्राम स्थल नाम का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है; वहाँ से निकलनेवाले पत्थर को शालिग्राम कहते हैं। शालिग्राम शिला के स्पर्शमात्र से करोड़ों जन्मों के पाप का नाश हो जाता है। फिर यदि उसका पूजन किया जाय, तब तो उसके फल के विषय में कहना ही क्या है; वह भगवान के समीप पहुँचाने वाला है। बहुत जन्मों के पुण्य से यदि कभी गोष्पद के चिह्न से युक्त श्रीकृष्ण शिला प्राप्त हो जाय तो उसी के पूजन से मनुष्य के पुनर्जन्म की समाप्ति हो जाती है। पहले शालिग्राम-शिला की परीक्षा करनी चाहिये; यदि वह काली और चिकनी हो तो उत्तम है। यदि उसकी कालिमा कुछ कम हो तो वह मध्यम श्रेणी की मानी गयी है। और यदि उसमें दूसरे किसी रंग का सम्मिश्रण हो तो वह मिश्रित फल प्रदान करने वाली होती है। जैसे सदा काठ के भीतर छिपी हुई आग मन्थन करने से प्रकट होती है, उसी प्रकार भगवान विष्णु सर्वत्र व्याप्त होने पर भी शालिग्राम शिला में विशेष रूप से अभिव्यक्त होते हैं। जो प्रतिदिन द्वारका की शिला-गोमती चक्र से युक्त बारह शालिग्राम मूर्तियों का पूजन करता है, वह वैकुण्ठ लोक में प्रतिष्ठित होता है। जो मनुष्य शालिग्राम-शिला के भीतर गुफ़ा का दर्शन करता है, उसके पितर तृप्त होकर कल्प के अन्ततक स्वर्ग में निवास करते हैं। जहाँ द्वारकापुरी की शिला- अर्थात गोमती चक्र रहता है, वह स्थान वैकुण्ठ लोक माना जाता है; वहाँ मृत्यु को प्राप्त हुआ मनुष्य विष्णुधाम में जाता है। शालिग्राम-स्थल से प्रकट हुए भगवान शालिग्राम और द्वारका से प्रकट हुए गोमती चक्र- इन दोनों देवताओं का जहाँ समागम होता है, वहाँ मोक्ष मिलने में तनिक भी सन्देह नहीं है। द्वारका से प्रकट हुए गोमती चक्र से युक्त, अनेकों चक्रों से चिह्नित तथा चक्रासन-शिला के समान आकार वाले भगवान शालिग्राम साक्षात चित्स्वरूप निरंजन परमात्मा ही हैं। ओंकार रूप तथा नित्यानन्द स्वरूप शालिग्रामको नमस्कार है। पूजन विधि-- सर्वप्रथम पूर्व या उत्तर पूर्व की दिशा में मुख करके बैठ जाएं | अब शालिग्राम को गंगाजल से शंख की सहायता से धो लें, फिर इसे पञ्चगब्य से धो लें पुनः इसे गंगाजल से धो लें |
फिर कुछ कुश (कुशा घास ) जल में रख कर शालिग्राम पर छिड़के , एक प्लेट में साफ लाल कपड़ा रख कर उस में शालिग्राम को पीपल के पत्ते पर रखे | कपूर अगरबत्ती और दीपक जला लें | शालिग्राम के ऊपर चन्दन का लेप लगाये |कुछ धन भी चढ़ाये और सारा चढ़ावा किसी गरीब को दान कर दें |
नित्य जलाभिषेक एवं तुलसी पत्र एवं चंदन से पूजा करें।
विशेष शुभ प्राप्ति के लिए निम्न मंत्र की एक माला जप करें अथवा विष्ण् ाुसहस्र नाम का पाठ करें। मंत्र: ऊं नमो भगवाते वसुदेवय:
मकर संक्रांति 2018: स्नान का शुभ मुहूर्त, महत्व पूजा विधि, मंत्र,
makar-sankranti 2018
14 जनवरी 2018 को पूरे देश में मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस बार मकर संक्रांति के दिन सर्वार्थ सिद्धि और परिजात योग भी बन रहा है जिसे ज्योतिष में शुभ माना जाता है।ऐसा 6 साल बाद हो रहा है कि रविवार को ही मकर संक्रांति पड़ रही है। इसके साथ ही संक्रांति पर्व पर मूल नक्षत्र, सिंह लग्न और ध्रुव योग के संयोग शुभ फल प्रदान करने वाले हैं। साथ में इस दिन प्रदोष होने से रवि प्रदोष का भी संयोग बनेगा।इस साल मकर संक्रांति के साथ कई शुभ संयोग बने हैं। सबसे पहले तो रविवार के दिन मकर संक्रांति का होना ही अच्छा संयोग है क्योंकि रविवार के स्वामी ग्रह सूर्यदेव हैं। अपने दिन में ही सूर्य उत्तरायण हो रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना है जिसे सभी सिद्धियों को पूर्ण करने में सक्षम माना गया है। तीसरा इस दिन प्रदोष व्रत भी है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इसदिन ध्रुव योग भी बना हुआ है। ऐसे में इस मकर संक्रांति पर किया गया दान-पुण्य और पूजन का अन्य दिनों की अपेक्षा हजारों गुणा पुण्य प्राप्त होगा और ग्रह दोषों के प्रभाव से भी आप राहत महसूस कर सकते हैं।
मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान का बहुत महत्व है। कहते हैं कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है। मकर संक्रान्ति के दिन घी-तिल-कंबल-खिचड़ी दान का खास महत्व है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं
इस दिन तड़के सुबह स्नान कर सूर्य उपासना का विशेष महत्व है
मकर संक्रांंति की पूजा विधि भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए. तिल को पानी में मिलाकार स्नान करना चाहिए. अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए. इस दिन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है. इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए.
मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी और तिल-गुड़ दान देने का विधान है
मंत्र
मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव का स्मरण करना चाहिए. 1- ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम: 2- ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम:
शुभ मुहूर्त साल 2018 में मकर संक्रांति 14 जनवरी 2018, रविवार के दिन मनाई जाएगी. पुण्य काल मुहूर्त- प्रात: 6 :56 से प्रारम्भ
बिशेस पुण्य काल मुहूर्त-दिन मे 1 :20 से सूर्यास्त तक
हिंदू पंचांग के अनुसार से यह व्रत माघ माह की चतुर्थी को आता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से कष्ट दूर होते हैं और मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही इस दिन तिल दान करने का भी बड़ा महत्व बताया जाता है। वहीं इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है
संकट चतुर्थी पर पूजन इस दिन मंगलमूर्ति श्रीगणेश का पंचामृत से स्नान करने के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मौली अर्पित करना चाहिए। साथ ही 'ॐ गणेशाय नमः' का जाप 108 बार करना चाहिए।
गणपति को तिल से बनी चीजों या तिल-गुड़ के लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए। तिल के साथ गुड़, गन्ने और मूली का उपयोग करना चाहिए। इस दिन मूली भूलकर भी नहीं खानी चाहिए कहा जाता है कि मूली खाने धन की हानि होती है। भगवान श्रीगणेश की अर्चना के साथ चंद्रोदय के समय अर्घ्य दिया जाता है।
तिल चौथ की व्रत कथा
इस व्रत की एक प्रचलित कथा है- सतयुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार कुम्हार ने बर्तन बना कर आंवा लगाया, पर आंवा पका ही नहीं बर्तन कच्चे रह गए। इससे कुम्हार बहुत परेशान हो गया और बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक के पास जाकर पूछा तो उसने कहा कि इस संकट से बचने के लिए किसी एक बच्चे की बलि देना पड़ेगा।
बलि के बाद तुम्हारे सभी संकट दूर हो जाएगा। तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र को पकड़ कर संकट चौथ के दिन आंवा में डाल दिया। परन्तु सौभाग्यवश बालक की माता ने उस दिन गणेशजी की पूजा की थी। बहुत खोजने के बाद भी जब पुत्र नहीं मिला तो गणेशजी से प्रार्थना की।सुबह कुम्हार ने देखा कि आंवा तो पक गया, परन्तु बच्चा जीवित और सुरक्षित था। डर कर उसने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार कर लिया। राजा ने माता से इस चमत्कार का रहस्य पूछा तो उसने गणेश पूजा के बारे में बताया। तब से प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकटहारिणी माना जाता है और इस दिन गणेश जी की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।गणेश पूजा में संकट चतुर्थी व्रत की बहुत महिमा मानी जाती है और 5 जनवरी 2018 को है। इस पर्व को संकट चतुर्थी व्रत के अलावा वक्रतुंडी चतुर्थी, माघी चौथ और तिलकुटा चौथ व्रत भी कहा जाता है।
मेष राशि का वार्षिक राशिफल 2018 Mesh Rashifal 2018
मेष राशि मे वर्ष 2018यह वर्ष आपके लिये नई-नई चीज़ों को जानने का कारक है। साथ ही व्यक्तिगत से लेकर व्यावसायिक जीवन में मांगलिक कार्यों के होने के भी योग बन रहे हैं जनवरी यह समय आपके कामकाजी जीवन के लिये बहुत ही अच्छा रहने के आसार हैं। इस समय आप थोड़े से अतिरिक्त प्रयासों से नाम व प्रसिद्धि पा सकते हैं।किसी बात को लेकर उनके साथ मनमुटाव भी हो सकता है। मार्च मे गुरु दांपत्य जीवन में आपके लिये परेशानियां खड़ी कर सकते हैं। स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर होने के आसार हैं।अप्रैल मे आपको अपनी मेहनत पर यकीन रखने की आवश्यकता होगी क्योंकि भाग्य का साथ आपको कम ही मिलने के आसार हैं। कामकाजी जीवन में यह समय थोड़ा मंदा रहने के संकेत हैं। मई मे किसी नई परियोजना में धन निवेश करने से बचें हानि हो सकती है। प्रतिद्वदी भी इस समय आप पर हावि हो सकते हैं।जूनमें आप पर कामकाज का दबाव अत्यधिक हो सकता है। वरिष्ठ अधिकारियों या फिर परिवार में बड़े बुजूर्गों के साथ आपके वैचारिक मतभेद बढ़ सकते हैं। आप अपनी सेहत में भी इस समय गिरावट महसूस कर सकते हैं। हालांकि माता के स्वास्थ्य के प्रति आपकी चिंताओं में कमी आयेगी और उनकी सेहत बेहतर होने के आसार हैं। जुलाई माह मे बृहस्पति की चाल बदलेगी जिससे आपके दांपत्य जीवन की दिक्कतें दूर हो सकती हैं। साथ ही व्यवसाय में भी आपको अपेक्षानुसार परिणाम मिलने आरंभ हो सकते हैं। आपके लाभ में भी इस समय वृद्धि होने के आसार हैं। सेहत भी बेहतर रहेगी। यदि लंबे समय से नये घर या नई गाड़ी के लिये प्रयासरत हैं तो इस समय सफलता मिलने के आसार भी बनेंगें।अगस्त के अंत में सेहत बेहतर होगी। पिता के प्रति आपके संबंध बेहतर होने की संभावना है लेकिन माता के प्रति आपकी चिंताएं बढ़ सकती हैं। सितंबर माह मे शनि आपको कामकाजी जीवन में फिर से तेजी आयेगी व भाग्य भी इस समय आपका साथ देगा। इस समय प्रतिद्वंदियों पर भी आप हावि रहेंगें।
अक्तूबर महीने में बृहस्पति के परिवर्तन से वह आपकी राशि से अष्टम में गोचररत होंगे। हो सकता है इस समय लिये गये निर्णयों से आपको लाभ न मिले और आपको आर्थिक रूप से नुक्सान भी झेलना पड़े। इस समय निवेश करने का निर्णय अच्छे से विचार-विमर्श करने के पश्चात ही करें। अपनी सेहत पर भी इस समय आपको ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
नवंबर माह मे समय आर्थिक तौर पर आपके लिये लाभदायक रहेगा। इस समय संपत्ति में वृद्धि के योग भी आपके लिये बनेंगें। साथ ही आप अपने संचित धन या बचत में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं। वर्ष के अंत दिसंबर मे आपके लिये निवेश के अवसर लेकर आ सकता है। प्रोपर्टी में निवेश करना आपके लिये लाभकारी रहने के आसार हैं। वार्षिक राशिफल 2018 में मेष राशि वालों को उतार-चढ़ाव देखने पड़ेंगें।
राशी और लग्न से जाने कैसा होगा आपका जीवनसाथी और उसका स्वभावrashi aur lagn se jane kaise hoga aapka jivan saathi aur uska swavabh
राशी और लग्न से जाने कैसा होगा आपका जीवनसाथी और कैसा होगा उसका स्वभाव.शादी को लेकर हर लड़की और लड़के के मन ये यही प्रश्न उठता है कि उसका लाइफ पार्टनर कैसा होगा, उसका स्वभाव कैसा होगा?युवावस्था में आने के बाद हर किसी के मन में अपने होने वाले पति या पत्नी के बारे में जानने की प्रबल इच्छा होती हैज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपकी कुंडली का सप्तम भाव बताता है किआपका होने वाला जीवन साथी कैसा होगा.
मेष राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
मेष लग्न वालों की कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी शुक्र होता है और इनकी राशि तुला होती है शुक्र को विवाह का कारक माना जाता है मेष राशि वाले जातकों को सुंदर और सुशिक्षित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. शुक्र कला प्रेमी व सौंदर्य के प्रतीक कहे जाते है इसीलिए मेष राशि वाले जातकों का जीवनसाथी घर की साज सज्जा पर विशेष ध्यान देने वाला होगा.
वृष राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
वृष लग्न वालों की कुंडली में सातवे भाव का स्वामी मंगल व राशि वृश्चिक है, ऐसी कन्या या पुरूष का जीवनसाथी थोड़ा कम पड़ा लिखा होता है ऐसे जातक का जीवन संघर्षमय होता है.
मिथुन राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी Mithun Rashi
इस लग्न वालों की कुंडली में के सप्तम भाव का स्वामी गुरु होता है और राशि धनु होती है. ऐसी कन्या या पुरूष का जीवनसाथी सुंदर और गौरवशाली होता है. इनके जीवनसाथी को अवज्ञा करने वाले लोग पसंद नहीं होते है.
कर्क राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
कर्क राशि के लग्न का स्वामी चंद्रमा और सप्तमेश शनि होते हैं. ऐसी कन्या और पुरूष के जीवनसाथी पढ़ाई के शौकीन होते है ऐसी कन्या और पुरूष का जीवनसाथी आत्म- सम्मानी होता है.
सिंह राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
इस लग्न लड़कियों के सप्तम भाव में शनि और राशि कुंभ होती है, इस लग्न की कन्या का जीवनसाथी बहुत मेहनती होता है और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बहुत मेहनत करने वाला होता है ऐसी कन्या और पुरूष का जीवनसाथी बड़ों की सेवा करने वाला और दूसरों की भलाई करने वाला होता है.
कन्या राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी जीवनसाथी देखने में बहुत ही सुन्दर, वाक्पटु और धार्मिक वृत्ति वाला भाग्यशाली पुरुष होता है.
तुला राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
तुला लग्न, ऐसे जातकों के सप्तम भाव में मंगल और राशि मेष होती है ऐसे जातकों का जीवनसाथी थोड़ा क्रोधी स्वभाव का होता है ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन सफल होता है.
वृश्चिक राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
वृश्चिक लग्न की कन्या और पुरूष का सप्तमेश शुक्र और राशि वृष होती है.ऐसे जातकों का जीवनसाथी बहुत ही शांत स्वभाव का होता है और साथ ही भावुक किस्म का भी होता है. ऐसे जातकों का जीवनसाथी अपने दांपत्य-जीवन में मधुरता बनाए रखने की कोशिश करता है.
धनु राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
धनु लग्न वालों के सप्तम भाव में बुध होता है और धनु लग्न की राशि मिथुन होती है ऐसे जातकों का जीवनसाथी शालीन और उच्च विचार वाला होता है इस लग्न की राशि का जीवनसाथी सुंदर और बहुत ही भाग्यशाली होता है.
मकर राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
इस लग्न वालों के सप्तम भाव में चंद्रमा होते है और इनकी राशि कर्क होती है ऐसे जातकों का जीवनसाथी मधुर वाणी और भावुक प्रवृति का होता है. ऐसे जातक अनुशासन प्रिय होते है और ये हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेते है.
कुम्भ राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
कुंभ लग्न वालों का जीवनसाथी अपनी बात मनवाने वाला होता है ये दूसरों के साथ मेल-मुलाकात करने वाले स्वभाव वाला होता है
मीन राशि के अनुसार कैसा होगा आपका जीवनसाथी
मीन लग्न के सप्तम भाव में बुध और राशि कन्या होती है. ऐसे जातकों का जीवनसाथी देखने में सुंदर और कम बोलने वाला होता है. ऐसे जातकों का जीवनसाथी अपने मन में बहुत सारी इच्छाएं रखने वाला होता है.