तिल गणेश चौथ की पूजन विधि और व्रत कथा
til ganesh ki puja vidhi aur vrt katha
हिंदू पंचांग के अनुसार से यह व्रत माघ माह की चतुर्थी को आता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से कष्ट दूर होते हैं और मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही इस दिन तिल दान करने का भी बड़ा महत्व बताया जाता है। वहीं इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है
संकट चतुर्थी पर पूजन इस दिन मंगलमूर्ति श्रीगणेश का पंचामृत से स्नान करने के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मौली अर्पित करना चाहिए। साथ ही 'ॐ गणेशाय नमः' का जाप 108 बार करना चाहिए।
गणपति को तिल से बनी चीजों या तिल-गुड़ के लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए। तिल के साथ गुड़, गन्ने और मूली का उपयोग करना चाहिए। इस दिन मूली भूलकर भी नहीं खानी चाहिए कहा जाता है कि मूली खाने धन की हानि होती है। भगवान श्रीगणेश की अर्चना के साथ चंद्रोदय के समय अर्घ्य दिया जाता है।
तिल चौथ की व्रत कथा
इस व्रत की एक प्रचलित कथा है- सतयुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार कुम्हार ने बर्तन बना कर आंवा लगाया, पर आंवा पका ही नहीं बर्तन कच्चे रह गए। इससे कुम्हार बहुत परेशान हो गया और बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक के पास जाकर पूछा तो उसने कहा कि इस संकट से बचने के लिए किसी एक बच्चे की बलि देना पड़ेगा।
बलि के बाद तुम्हारे सभी संकट दूर हो जाएगा। तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र को पकड़ कर संकट चौथ के दिन आंवा में डाल दिया। परन्तु सौभाग्यवश बालक की माता ने उस दिन गणेशजी की पूजा की थी। बहुत खोजने के बाद भी जब पुत्र नहीं मिला तो गणेशजी से प्रार्थना की।सुबह कुम्हार ने देखा कि आंवा तो पक गया, परन्तु बच्चा जीवित और सुरक्षित था। डर कर उसने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार कर लिया। राजा ने माता से इस चमत्कार का रहस्य पूछा तो उसने गणेश पूजा के बारे में बताया। तब से प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकटहारिणी माना जाता है और इस दिन गणेश जी की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। गणेश पूजा में संकट चतुर्थी व्रत की बहुत महिमा मानी जाती है और 5 जनवरी 2018 को है। इस पर्व को संकट चतुर्थी व्रत के अलावा वक्रतुंडी चतुर्थी, माघी चौथ और तिलकुटा चौथ व्रत भी कहा जाता है।
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