वसंत पंचमी की पौराणिक कथा और पूजन विधि
basant panchami
सारी प्रकृति जब खुशी से झुमती दिखाई दे तो समझ लीजिएकि वसंत आ गया है। मां सरस्वती की पूजन और आराधना के इस पवित्र दिन का अत्यंत महत्व है। इस दिन विद्या, ज्ञान और बुद्धि की अधिष्ठात्री मां शारदा विशेष आशीष प्रदान करती है।माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी कहा जाता है। ज्ञान,विद्या, बुद्धि व संगीत की देवी सरस्वती का आविर्भाव इसी दिन हुआ था। इसलिए यह तिथि वागीश्वरी जयंती व श्री पंचमी के नाम से भी प्रसिद्ध है।ऋग्वेद के 10/125 सूक्त में सरस्वती देवी के असीम प्रभाव व महिमा का वर्णन किया गया है। पौराणिक ग्रंथों में भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना गया है व हर नए काम की शुरुआत के लिए यह बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। वर्ष 2018 में यह पर्व 22 जनवरी को आ रहा है।
वसंत पंचमी की पौराणिक कथा
देवी ने वीणा के तार झंकृत किए जिससे समस्त प्राणी बोलने लगे, नदियां प्रवाहमयी होकर बहने लगी, हवा ने भी सन्नाटे को चीर कर मीठा संगीत पैदा किया। वह दिन वसंत पंचमी का था तब से ही बुद्धि व संगीत की देवी के रुप में मां सरस्वती पूजी जाने लगी।यह सुनिश्चित हुआ कि माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी को समस्त विश्व तुम्हारी विद्या व ज्ञान की देवी के रुप में पूजा करेगा। भगवान श्री कृष्ण ने सबसे पहले देवी सरस्वती की पूजा की तब से लेकर निरंतर वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा लोग करते आ रहे हैं।पूजा का शुभ मुहूर्त वसंत पंचमी - 22 जनवरी 2018 पूजा का शुभ और सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त - 07:17 से 12:32 बजे तक पंचमी तिथि का आरंभ - 15:33 बजे से (21 जनवरी 2018) पंचमी तिथि समाप्त - 16:24 बजे (22 जनवरी 2018)प्रात:काल स्नानादि कर पीले, नारंगी, गुलाबी या श्वेत वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें। मंगल कलश स्थापित कर भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें। फिर मां सरस्वती की पूजा करें। मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं।फिर मां शारदा का फूलों से का श्रृंगार करें। मां श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। प्रसाद के रुप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढ़ा सकते हैं। श्वेत फूल अर्पण करें।कुछ क्षेत्रों में देवी की पूजा कर प्रतिमा को विसर्जित भी किया जाता है।विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें। संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगा कर मां की आराधना करें व बांसुरी भेंट करें।
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