Wednesday, 31 October 2018
Tuesday, 30 October 2018
धनतेरस 2018 --का शुभ पूजा खरीदार मुहूर्त
धनतेरस 2018 --का शुभ पूजा खरीदार मुहूर्त
Dhanteras 2018 Shubha Muhurat:
दिवाली का पर्व 7 नवंबर को मनाया जाएगा लेकिन ठीक उससे दो दिन पूर्व यानि 5 नवंबर धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन खासतौर पर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की भी पूजा होती है। ज्योतिष के अनुसार धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में की गई खरीदारी जीवन में ढेर सारी सफलता और समृद्धि लेकर आती है। इस दिन लोग बर्तन और गहनों की खरीदारी करते हैं। यदि इस खास पर्व पर शुभ मुहूर्त में पूजा की जाए तो घर में धन की वर्षा हो सकती है। इस साल धनतेरस के दिन पूजा करने के लिए 1 घंटा 55 मिनट तक का वक्त रहेगाधनतेरस में पूजा करने का शुभ मुहूर्त:
धनतेरस 2018 का शुभ मुहूर्त-
- धनतेरस पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त: शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे तक का है
- शुभ मुहूर्त की अवधि: 1 घंटा 55 मिनट
- प्रदोष काल: शाम 5.29 से रात 8.07 बजे तक
- वृषभ काल: शाम 6:05 बजे से रात 8:01 बजे तक
- त्रयोदशी तिथि आरंभ: 5 नवंबर को सुबह 01:24 बजे
- त्रयोदशी तिथि खत्म: 5 नवंबर को रात्रि 11.46 बजे
धनतेरस के दिन इस मुहूर्त में करें खरीदार
- दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक
- रात 05:35 से 07:30 बजे तक
नरक चतुर्दशी 2018: कथा, पढ़ने या सुनने मात्र से घोर नरकों की यातनाओं से मिलती है मुक्ति
नरक चतुर्दशी 2018: कथा, पढ़ने या सुनने मात्र से घोर नरकों की यातनाओं से मिलती है मुक्ति
narak-chaturdashi-2018-narak-chaturdashi-katha-
दिवाली से एक दिन पहले यानी छोटी दिवाली के दिननरक चतुर्दशी मनाई जाती है।कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी अमावस्या से एक दिन पहले आती है। इस साल 6 नवम्बर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
इस दिन द्वापर में भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था और सौलह हजार एक सौ कन्याओं को उनके प्रार्थना करने पर अपनाया था। बाद में यही कन्याएं भगवान श्री कृष्ण की सौलह हजार एक सौ रानियां बनी थी।
नरक चतुर्दशी की कथा-
नरक चतुर्दशी कथा
एक समय की बात है रंति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने जाने-अनजाने में भी कभी कोई पाप नहीं किया। हमेशा वो संसार के भले के लिए कार्य करने में तत्पर रहा करते थे। लेकिन सदैव सात्विक जीवन जीने के बावजूद भी जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हो गए। यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हो गए। राजा बोले हे ईश्वर मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया। कभी गलती से भी किसी का दिल नहीं दुखाया फिर आप मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नरक जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है।
यह सुनकर यमदूत ने कहा कि- हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप कर्म का फल है। वजह के बारे में पता चलने के बाद राजा ने यमदूत से प्रार्थना की कि प्रभु कृपा कर मुझे एक वर्ष का समय दे दीजिए मैं अपने पाप कर्मों का धरती पर ही प्रायश्चित करना चाहता हूं।
तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया। राजा अपनी नरक लोक को जाने की समस्या लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा।
तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी आने पर आप उसका व्रत करें। उस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवा कर। उनकी सेवा करें। और उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया था।
इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और यमदूतों और नरक से दूर हो। विष्णु लोक अथार्त बैकुण्ठ लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक यानी पृथ्वी पर कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित हो गया।
नरक चतुर्दशी कथा सभी पापों को हर कर घोर नरकों से दूर करने वाली है। इसको पढ़ने-सुनने से मनुष्य नरक लोक से मुक्ति पा जाता है। नरक चतुर्दशी कथा का महत्व इतना अधिक है कि इसके निमित्त दीप प्रज्जवलित कर लेने से भी व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते है।
Sunday, 28 October 2018
Saturday, 27 October 2018
Friday, 26 October 2018
Thursday, 25 October 2018
श्रीयंत्र स्थापित जहा हो -वहां कभी नहीं रहता धन का अभाव
श्रीयंत्र स्थापित जहा हो -वहां कभी नहीं रहता धन का अभाव
sphatik shree yantra benefits
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने की। इसका सरल एवं उत्तम साधन है स्फटिक श्री यंत्र। श्री का अर्थ है धन और यंत्र का अर्थ है साधन अर्थात धन प्राप्त करने का साधन है श्री यंत्र। श्री यंत्र उत्त्प्रेरक रूप में उर्जा के कंडक्टर का काम करता है। श्री यंत्र शुक्रवार के दिन घर या ऑफिस में विधि-विधान से स्थापित करना चाहिए। श्री यंत्र को शुभ मुहूर्त में साफ़ पानी से धो कर पंचामृत एवं गंगाजल से स्नान करवाकर पूजा स्थल पर पीले कपड़े में रखना चाहिए तत्पश्चात कच्ची हल्दी व फुल चढ़ाएं, अष्टगंध का टीका लगाकर शुद्ध घी का दीपक जलाकर अगरबत्ती जलाकर श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए।यंत्रों के बिना देवपूजा निष्फल हो जाती है। इसलिए श्रीनाथ मंदिर में सुदर्शन चक्र, जगन्नाथपुरी में भैरवी चक्र तथा तिरुपति में श्रीयंत्र स्थापित है।
प्रत्येक शुक्रवार को नियमित रूप से श्री यंत्र की पूजा करें। श्री यंत्र ऐसा माध्यम है जिससे मनुष्य के जीवन की समस्त नकारात्मकता समाप्त हो जाती है और उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति मिलती है। यंत्रराज श्री यंत्र स्वयं में मानव शरीर का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। तांत्रिक साहित्य में जितना अधिक श्रीयंत्र पर लिखा गया है, उतना अन्य किसी विषय पर नहीं। श्रीयंत्र पूजन की दक्षिणमार्गी और वाममार्गी विधियों का वर्णन त्रिपुरतापिनी और त्रिपुरा उपनिषदों में मिलता है। कहते हैं कि श्रीयंत्र का अतिभाव से नित्यपूजन करने, दर्शन करने तथा उसके समक्ष श्री सूक्त का पाठ करने से अथाह धन संपत्ति प्राप्त होती है।
प्राप्त करे ---+91 -7697961597
Tuesday, 23 October 2018
शरद पूर्णिमा 24 अक्टूबर 2018 कथा व्रत विधि शुभ मुहूर्त खास मंत्र
शरद पूर्णिमा 24 अक्टूबर 2018 कथा व्रत विधि शुभ मुहूर्त खास मंत्र
इस साल 24 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु यानि सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है। माना जाता है इस दिन चंद्रमा सोलह संपूर्ण कलाओं से युक्त होकर अमृत बरसाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा करके व्रत रखा जाता है। इस व्रत की कथा और पूजा विधि...
शरद पूर्णिमा की कथा
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त करने के लिए एक साहूकार की दोनों बेटियां हर पूर्णिमा को व्रत किया करती थीं। इन दोनों बेटियों में बड़ी बेटी पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि-विधान से और पूरा व्रत करती थी। वहीं छोटी बेटी व्रत तो करती थी लेकिन नियमों को आडंबर मानकर उनकी अनदेखी करती थी। विवाह योग्य होने पर साहूकार ने अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर दिया। बड़ी बेटी के घर समय पर स्वस्थ संतान का जन्म हुआ। संतान का जन्म छोटी बेटी के घर भी हुआ लेकिन उसकी संतान पैदा होते ही दम तोड़ देती थी।दो-तीन बार ऐसा होने पर उसने एक ब्राह्मण को बुलाकर अपनी व्यथा कही और धार्मिक उपाय पूछा। उसकी सारी बात सुनकर और कुछ प्रश्न पूछने के बाद ब्राह्मण ने उससे कहा कि तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती हो, इस कारण तुम्हारा व्रत फलित नहीं होता और तुम्हें अधूरे व्रत का दोष लगता है। ब्राह्मण की बात सुनकर छोटी बेटी ने पूर्णिमा व्रत पूरे विधि-विधान से करने का निर्णय लिया। लेकिन पूर्णिमा आने से पहले ही उसने एक बेटे को जन्म दिया। जन्म लेते ही बेटे की मृत्यु हो गई। इस पर उसने अपने बेटे के शव को एक पीढ़े पर रख दिया और ऊपर से एक कपड़ा इस तरह ढक दिया कि किसी को पता न चले।
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त करने के लिए एक साहूकार की दोनों बेटियां हर पूर्णिमा को व्रत किया करती थीं। इन दोनों बेटियों में बड़ी बेटी पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि-विधान से और पूरा व्रत करती थी। वहीं छोटी बेटी व्रत तो करती थी लेकिन नियमों को आडंबर मानकर उनकी अनदेखी करती थी। विवाह योग्य होने पर साहूकार ने अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर दिया। बड़ी बेटी के घर समय पर स्वस्थ संतान का जन्म हुआ। संतान का जन्म छोटी बेटी के घर भी हुआ लेकिन उसकी संतान पैदा होते ही दम तोड़ देती थी।दो-तीन बार ऐसा होने पर उसने एक ब्राह्मण को बुलाकर अपनी व्यथा कही और धार्मिक उपाय पूछा। उसकी सारी बात सुनकर और कुछ प्रश्न पूछने के बाद ब्राह्मण ने उससे कहा कि तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती हो, इस कारण तुम्हारा व्रत फलित नहीं होता और तुम्हें अधूरे व्रत का दोष लगता है। ब्राह्मण की बात सुनकर छोटी बेटी ने पूर्णिमा व्रत पूरे विधि-विधान से करने का निर्णय लिया। लेकिन पूर्णिमा आने से पहले ही उसने एक बेटे को जन्म दिया। जन्म लेते ही बेटे की मृत्यु हो गई। इस पर उसने अपने बेटे के शव को एक पीढ़े पर रख दिया और ऊपर से एक कपड़ा इस तरह ढक दिया कि किसी को पता न चले।
फिर उसने अपनी बड़ी बहन को बुलाया और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। जैसे ही बड़ी बहन उस पीढ़े पर बैठने लगी, उसके लहंगे की किनारी बच्चे को छू गई और वह जीवित होकर तुरंत रोने लगा। इस पर बड़ी बहन पहले तो डर गई और फिर छोटी बहन पर क्रोधित होकर उसे डांटने लगी कि क्या तुम मुझ पर बच्चे की हत्या का दोष और कलंक लगाना चाहती हो! मेरे बैठने से यह बच्चा मर जाता तो?
इस पर छोटी बहन ने उत्तर दिया, यह बच्चा मरा हुआ तो पहले से ही था। दीदी, तुम्हारे तप और स्पर्श के कारण तो यह जीवित हो गया है। पूर्णिमा के दिन जो तुम व्रत और तप करती हो, उसके कारण तुम दिव्य तेज से परिपूर्ण और पवित्र हो गई हो। अब मैं भी तुम्हारी ही तरह व्रत और पूजन करूंगी। इसके बाद उसने पूर्णिमा व्रत विधि पूर्वक किया और इस व्रत के महत्व और फल का पूरे नगर में प्रचार किया। जिस प्रकार मां लक्ष्मी और श्रीहरि ने साहूकार की बड़ी बेटी की कामना पूर्ण कर सौभाग्य प्रदान किया, वैसे ही हम पर भी कृपा करें।
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
- पूर्णिमा के दिन सुबह इष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
- इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए।
- ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
- रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
- पूर्णिमा के दिन सुबह इष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
- इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए।
- ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
- रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
- मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।
- शरद पूर्णिमा के मौके पर श्रद्धालु गंगा व अन्य पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाएंगे। स्नान-ध्यान के बाद गंगा घाटों पर ही दान-पुण्य किया जाएगा।
शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
चंद्रोदय का समय: 23 अक्टूबर 2018 की शाम 05 बजकर 20 मिनट
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 23 अक्टूबर 2018 की रात 10 बजकर 36 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 24 अक्टूबर की रात 10 बजकर 14 मिनट
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 23 अक्टूबर 2018 की रात 10 बजकर 36 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 24 अक्टूबर की रात 10 बजकर 14 मिनट
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें
ॐ चं चंद्रमस्यै नम:
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
ॐ श्रां श्रीं
ॐ चं चंद्रमस्यै नम:
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
ॐ श्रां श्रीं
शरद पूर्णिमा के दिन खीर का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं ये युक्त होकर रात 12 बजे धरती पर अमृत की वर्षा करता है. शरद पूर्णिमा के दिन श्रद्धा भाव से खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है और फिर उसका प्रसाद वितरण किया जाता है.
Monday, 22 October 2018
दिवाली के 9 टोटकेलक्ष्मी प्राप्ति हेतु
दिवाली के 9 टोटकेलक्ष्मी प्राप्ति हेतु diwali ke totke
(1) ब्रह्म मुहूर्त में लक्ष्मीजी के मंदिर में जाकर पूजन-अर्चन कर, गुलाब का इत्र, गुलाब की अगरबत्ती, कमल पुष्प, लाल गुलाबी वस्त्र तथा खीर का नैवेद्य लगाएं। माता लक्ष्मी की कृपा वर्षभर बनी रहेगी।
(2) लक्ष्मी पूजन में गन्ना, कमल पुष्प, कमल गट्टे, नागकेसर, आंवला, खीर का प्रयोग धन प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त करता है।
(3) दीपावली पूजन में कुछ नागकेसर, कमल तथा लाल वस्त्र में बांधकर धन रखने की जगह रख दें। धन प्राप्ति सुगम होगी।
(4) दीपावली को किसी युवा सुहागन स्त्री को घर पर भोजन-मिष्ठान्न करवाकर लाल वस्त्रादि भेंट करें।
(5) भाग्योदय नहीं हो रहा हो तो लक्ष्मीजी को चने की दाल कच्ची चढ़ाकर बाद में पीपल वृक्ष में चढ़ा दें।
(6) अच्छे कामकाज में आए दिन नजर लगती रहती है तो रात्रि में कार्यस्थल पर से एक फिटकरी का बड़ा डला लेकर उतारें तथा चौराहे पर फेंक दें। कार्य की बाधा दूर होगी।
(7) लक्ष्मीजी के चित्र पर कमल गट्टे की माला हमेशा चढ़ी रहने दें।
(8) दीपावली पर गन्ने के रस के द्वारा या दूध के द्वारा या शहद के द्वारा रुद्राभिषेक करवाएं। वर्षभर धन प्राप्ति होती रहेगी।
(9) अपंग, गरीब, अनाथ व्यक्तियों को भोजन-वस्त्र दान करें, लक्ष्मी कृपा बनी रहेगी।
Sunday, 21 October 2018
करवा चौथ विधि पूजन का शुभ मुहूर्त2018 और कहानी
करवा चौथ विधि पूजन का शुभ मुहूर्त2018 और कहानी
carva chauthpujan muhutr 2018
भारत में हिंदू धर्मग्रंथों, पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रादि के अनुसार हर महीने कोई न कोई उपवास, कोई न कोई पर्व, त्यौहार या संस्कार आदि आता ही है लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को जो उपवास किया जाता है उसका सुहागिन स्त्रियों के लिये बहुत अधिक महत्व होता है। दरअसल इस दिन को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन यदि सुहागिन स्त्रियां उपवास रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखद होने लगता है
करवा चौथ कैसे मनाया जाता है?
महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सर्गी खाती हैं. यह खाना आमतौर पर उनकी सास बनाती हैं. इसके बाद महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं. दिन में शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है. शाम को देवी की पूजा होती है, जिसमें पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है. चंद्रमा दिखने पर महिलाएं छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देखती हैं. पति इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाता है.
शुभ मुहूर्त --करवा चौथ 2018
27 अक्तूबर
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- 17:36 से 18:54
चंद्रोदय- 20:00
चतुर्थी तिथि आरंभ- 18:37 (27 अक्तूबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 16:54 (28 अक्तूबर)
करवा चौथ की कहानी
इस रोज बगैर खाए या पिए महिलाएं अपने पति या होने वाले पति की लंबी उम्र की कामना में व्रत रहती हैं. करवा चौथ को लेकर कई कहानियां हैं. एक कहानी महारानी वीरवती को लेकर है. सात भाइयों की अकेली बहन थी वीरवती. घर में उसे भाइयों से बहुत प्यार मिलता था. उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत अपने मायके यानी पिता के घर रखा. सुबह से बहन को भूखा देख भाई दुखी हो गए. उन्होंने पीपल के पेड़ में एक अक्स बनाया, जिससे लगता था कि चंद्रमा उदय हो रहा है. वीरवती ने उसे चंद्रमा समझा. उसने व्रत तोड़ दिया. जैसे ही खाने का पहला कौर मुंह में रखा, उसे नौकर से संदेश मिला कि पति की मौत हो गई है. वीरवती रात भर रोती रही. उसके सामने देवी प्रकट हुईं और दुख की वजह पूछी. देवी ने उससे फिर व्रत रखने को कहा. वीरवती ने व्रत रखा. उसकी तपस्या से खुश होकर यमराज ने उसके पति को जीवित कर दिया.
Friday, 19 October 2018
Thursday, 18 October 2018
Monday, 15 October 2018
Friday, 12 October 2018
Thursday, 11 October 2018
गुरु का गोचर -वृश्चिक राशि मे 2018 -2019 विचार --सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा फल--
गुरु का गोचर -वृश्चिक राशि मे 2018 -2019 विचार --सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा फल--
guru ka vrsshik rashi me prvesh 2018 -2019
गुरु ग्रह के राशि परिवर्तन का असर सभी 12 राशियों पर हो रहा है। ।मंगल की राशि वृश्चिकमें गुरु कुछ लोगों के लिए बहुत फायदेमंद रहने वाला है।कुछ राशि यों के लिए कष्ट करी गुरु ग्रह करीब 13 माह में एक बार राशि बदलता है। फल क्या होगा |जाने सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा फल--
मेष- नए कार्यों प्राप्त होंगे एवं विरोधी से हानी रहेंगे। अभी प्रसन्नता और अचानक धन लाभ का योग है। कुछ दिनों बाद समस्याएं बढ़ सकती हैं। आरोप लग सकते हैं।तनाव रहेगा एवं अनेक प्रकार की चिंताएं रहेंगीशांति करावे
वृृषभ- सहयोग की प्राप्ति। परिवार में खुशियां और धन की प्राप्ति होगी। नए कार्यों प्राप्त होंगेकुछ दिनों बाद आय में सुधार होगा, लेकिन अन्य हालात वैसे ही बने रहेंगे। मेहनत अधिक रहेगी। निकट के लोग दूरी बनाने का प्रयास करेंगे। धीरे-धीरे हालात अच्छे जाएंगे।
मिथुन- भाग्य का साथ मिलेगा। कार्य में गति बनी रहेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। नए कार्य प्राप्त होंगे। सावधान रहें वाहन से दिक्कत हो सकती है। मित्रों से परेशानी होगी। परिवार के साथ यात्रा पर जाने का मौका प्राप्त होगा।
कर्क- गुरु की नवम पूर्ण दृष्टि के साथ, गुरु के पंचम हो जाने से कई दिनों से चली आ रही परेशानियों का अंत होगा। आय में सुधार के साथ, सम्मान में वृद्धि होगी। विरोधियों का शमन होगा। राहत की प्राप्ति होगी। कानूनी मामलों में आ रही अड़चनें भी समाप्त होंगी।
सिंह- आय एवं कार्यस्थल पर प्रभाव बढ़ेगा। संतान से सुख प्राप्त होगा और नए कार्यों की प्राप्ति होंगी। जमीन से लाभ प्राप्त होगा। गुरु चतुर्थ है, इस कारण कुछ दिनों बाद आय में कमी देने वाला समय आ सकता है। सतर्क रहने से लाभ होगा।
कन्या- कार्य में बाधाएं आएंगी और खर्च अधिक होगा। बेकार समय भी बर्बाद होगा। अभी सावधान रहें, नुकसान हो सकता है। परिवार अनुकूल रहेगा और मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा।
तुला- कार्य समय पर होंगे एवं लाभ की प्राप्ति भी होगी। कुछ दिनों बाद परेशानी आ सकती है। चोरी होने का भय है। बुरे समय के बाद फिर अच्छा समय आने के योग हैं। वाहन सुख एवं यात्रा का योग है। मित्रों से मिलना होगा। मनचाहे काम मे बाधा आयगी
वृश्चिक- मदद की प्राप्ति भी होगी और कार्य में तरक्की मिलेगी। छोटी-मोटी परेशानियां आ सकती हैं। गुरु का प्रवेश राशि में होने से पिछले समय से चली आ रही आर्थिक तंगी होगी। साथ ही सम्मान वृद्धि के साथ बड़े कार्य करने के मौके मिलेंगे।
धनु- गुरु द्वादश रहेगा। यह समय व्यय बढ़ाने वाला और आय को कम करने वाला होगा। अत्यंत सावधान रहकर काम करना होगा। रोग से कष्ट होगा वाहन प्रयोग में सावधानी रखें।
मकर-आय में वृद्धि होने लगेगी। अनावश्क समय की बर्बादी से बचेंगे। कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होगी। नए काम की प्राप्ति होगी। पुरानी जायदाद से लाभ मिलेेगा। साथियों के कारण परेशानियां हो सकती हैं। परेशानियां रहेंगी। धीरे-धीरे सुधार होगा।
कुंभ- कार्य स्थान पर प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी। यात्राएं सुखद रहेंगी। विरोधी शांत रहेंगे। कुछ दिनों बाद अनचाहे काम करना पड़ सकते हैं। आय बनी रहेगी। संतान से सुख और कार्य में वृद्धि |
मीन- आपके लिए समय अच्छा है। । वरिष्ठों सहयोग प्राप्त होगा। नए काम भी मिल सकते हैं। योजनाएं सफल होंगी। कुछ दिनों बाद कार्यों में परेशानियां आ सकती हैं, लेकिन गुरु नवम होने से भाग्य वृद्धि होगी और परेशानियों को दूर कर पाएंगे। पिछले समय से रुके कार्यों में गति आएगी
Tuesday, 9 October 2018
नवरात्रि 2018 बुधवार से, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि की जानकारी
नवरात्रि 2018 बुधवार से, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और तिथि की जानकारी
Navratri 2018: kalash sthapan shubh muhurt
शरद नवरात्रि का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र में मां जगदम्बे के नाव पर आगमन से शुरू हो रहा है। इस बार प्रतिपदा और द्वितीया तिथि एक साथ होने से मां शैलपुत्री और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एक दिन होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 10 अक्टूबर को प्रतिपदा और द्वितीया माना जा रहा है। पहला और दूसरा नवरात्र दस अक्तूबर को है। दूसरी तिथि का क्षय माना गया है। अर्थात शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना एक ही दिन होगी। इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है। 13 और 14 अक्तूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी। पंचमी तिथि स्कंदमाता का दिन है। दो दिन पंचमी रहने से मां स्कंदमाता की दो दिन पूजा की जाएगी।
घट स्थापना: सिर्फ एक घंटा दो मिनट
इस बार नवरात्रि घट-स्थापना के लिए बहुतही कम समय प्राप्त हो रहा है। केवल एक घंटा दो मिनट के अंदर ही घट स्थापना की जा सकती है अन्यथा प्रतिपदा के स्थान पर द्वितीया को घट स्थापना होगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा। पहली बार नवरात्र की घट स्थापना के लिए काफी कम समय मिल रहा है। यदि प्रतिपदा के दिन ही घट स्थापना करनी है तो आपको केवल एक घंटा दो मिनट मिलेंगे। सवेरे जल्दी उठना होगा और तैयारी करनी होगी। पिछले नवरात्र पर घट स्थापना के लिए मुहूर्त काफी थे , लेकिन कम समय के लिए प्रतिपदा होने से इस बार घट स्थापना के लिए कम समय है।
10 अक्तूबर- प्रात: 6.22 से 7.25 मिनट तक रहेगा ( यह समय कन्या और तुला का संधिकाल होगा जो देवी पूजन की घट स्थापना के लिए अतिश्रेष्ठ है।)
मुहूर्त की समयावधि- एक घंटा दो मिनट
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 4.39 से 7.25 बजे तक का समय भी श्रेष्ठ है। 7.26 बजे से द्वितीया तिथि का प्रारम्भ हो जाएगा।
स्वय सिद्ध मुहूर्त
यदि किन्हीं कारणों से प्रतिपदा के दिन सवेरे 6.22 से 7.25 मिनट तक घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में 11.36 से 12.24 बजे तक घट स्थापना कर सकते हैं। लेकिन यह घट स्थापना द्वितीया में ही मानी जाएगी।
प्रतिपदा तिथि का आरंभ :
9 अक्टूबर 2018, मंगलवार 09:16 बजे
9 अक्टूबर 2018, मंगलवार 09:16 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त : 10 अक्टूबर 2018, बुधवार 07:25 बजे
नवरात्र की तिथियां -
प्रतिपदा / द्वितीया - 10 अक्तूबर - माँ शैलपुत्री माँ ब्रह्मचारिणी
प्रतिपदा / द्वितीया - 10 अक्तूबर - माँ शैलपुत्री माँ ब्रह्मचारिणी
तृतीया - 11 अक्तूबर - माँ चन्द्रघण्टा
चतुर्थी - 12 अक्तूबर - माँ कुष्मांडा
पंचमी - 13 अक्टूबर - माँ स्कंदमाता
पंचमी - 14 अक्तूबर - माँ स्कंदमाता
षष्टी - 15 अक्तूबर - माँ कात्यायनी
सप्तमी - 16 अक्तूबर - माँ कालरात्रि
अष्टमी - 17 अक्तूबर - माँ महागौरी (दुर्गा अष्टमी)
नवमी - 18 अक्तूबर - माँ सिद्धिदात्री (महानवमी)
दशमी- 19 अक्तूबर- विजय दशमी (दशहरा)
Thursday, 4 October 2018
भविष्य विचार -----निफ्टी मे क्या होगा तेजी या मंदी अक्तूबर 2018
भविष्य विचार -----निफ्टी मे क्या होगा तेजी या मंदी अक्तूबर 2018
Nifty me kya teji ya mandi october2018
निफ़्टी में तारीख 5 को ग्रह स्थिति के अनुसार घटवार चले गी 2:00 से 3:00 के बीच में सामान्य तेजी की संभावना तारीख 8 को ग्रह स्थिति अनुसार तेजी के योग बने 9 को भी तेजी बनी रहे तारीख 10 को पहले मंदी फिर तेजी तारीख 11 को घट बढ़ के बाद तेजी के योग संभावित तारीख 12 को मंदी के साथ सामान्य तेजी के योग बनेंगे बाजार का रुख अवश्य ध्यान में रखें यह जानकारी ग्रह स्थिति के अनुसार दी जा रही है
Subscribe to:
Posts (Atom)