Monday, 29 April 2013

rang aaor rog ki pahachan



सूर्य चिकित्सा रंग  ओर रोग  कि पहचान 




rang aaor rog ki pahachan








सूर्य चिकित्सा के सिद्धान्त के अनुसार रोगोत्पत्ति का कारण शरीर में रंगों का घटना-बढना है| सूर्य किरण चिकित्सा के अनुसार अलग‍-अलग रंगों के अलग-अलग गुण होते हैं| लाल रंग उत्तेजना और नीला रंग शक्ति पैदा करता है| इन रंगों का लाभ लेने के लिए रंगीन बोतलों में आठ-नौ घण्टे तक पानी रखकर उसका सेवन किया जाता है|


मानव शरीर रासायनिक तत्वों का बना है| रंग एक रासायनिक मिश्रण है| जिस अंग में जिस प्रकार के रंग की अधिकता होती है शरीर का रंग उसी तरह का होता है| जैसे त्वचा का रंग गेहुंआ, केश का रंग काला और नेत्रों के गोलक का रंग सफेद होता है| शरीर में रंग विशेष के घटने-बढने से रोग के लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे खून की कमी होना शरीर में लाल रंग की कमी का लक्षण है|

सूर्य स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का भण्डार है| मनुष्य सूर्य के जितने अधिक सम्पर्क में रहेगा उतना ही अधिक स्वस्थ रहेगा| जो लोग अपने घर को चारों तरफ से खिडकियों से बन्द करके रखते हैं और सूर्य के प्रकाश को घर में घुसने नहीं देते वे लोग सदा रोगी बने रहते हैं |

जहां सूर्य की किरणें पहुंचती हैं, वहां रोग के कीटाणु स्वत: मर जाते हैं और रोगों का जन्म ही नहीं हो पाता| सूर्य अपनी किरणों द्वारा अनेक प्रकार के आवश्यक तत्वों की वर्षा करता है और उन तत्वों को शरीर में ग्रहण करने से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं|

शरीर को कुछ ही क्षणों में झुलसा देने वाली गर्मियों की प्रचंड धूप से भले ही व्यक्ति स्वस्थ होने की बजाय उल्टे बीमार पड जाए लेकिन प्राचीन ग्रंथ अथर्ववेद में सबेरे धूप स्नान हृदय को स्वस्थ रखने का कारगर तरीका बताया गया है| उसमें कहा गया है कि जो व्यक्ति सूर्योदय के समय सूर्य की लाल रश्मियों का सेवन करता है उसे हृदय रोग कभी नहीं होता|


रंग  ओर रोग  कि पहचान 

1. लाल रंग ... यह ज्वार, दमा, खाँसी, मलेरिया, सर्दी, ज़ुकाम, सिर दर्द और पेट के विकार आदि में लाभ कारक है


2. हरा रंग .... यह स्नायुरोग, नाडी संस्थान के रोग, लिवर के रोग, श्वास रोग आदि को दूर करने में सहायक है


3. पीला रंग ...... चोट ,घाव रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, दिल के रोग, अतिसार आदि में फ़ायदा करता है

4. नीला रंग.....दाह, अपच, मधुमेह आदि में लाभकारी है

5. बैंगनी रंग.... श्वास रोग, सर्दी, खाँसी, मिर् गी ..दाँतो के रोग में सहायक है

6. नारंगी रंग... वात रोग . अम्लपित्त, अनिद्रा, कान के रोग दूर करता है

7. आसमानी रंग... स्नायु रोग, यौनरोग, सरदर्द, सर्दी- जुकाम आदि में सहायक है

Saturday, 27 April 2013

Chanakya Niti aati avsakaysutr



चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य



 Chanakya Niti  aati avsakaysutr




in sytro ko jiven  me utare








1) “दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी  आयु कम पड़ेगी.”
2)”किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार (सीधा साधा ) नहीं होना चाहिए —सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं.”

3)”अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. ”
4)”हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होताहै –यह कडुआ सच है.”
5)”कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो —मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?”
6)”भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो .”
7)”दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है.”
8)”काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो.”
9)”सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है.”
10)”ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ.”
11) “व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं.”
12) “ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं .”
13) “अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथमित्रवत व्यवहार
करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है.”
14) “अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है .”
15) “शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर है.
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Friday, 26 April 2013

kya aap nokri se ya aapne adhakri se pareshan hai  to kre  --.>chamatkri pryoge
क्या आप नोकरीसे  या  अधिकारी  से परेशान है तो  करे ----->चमत्करी  प्रयोग 






यदि  आप सूर्य  उदय के पहले उठ कर  रविवार  से  ४१ दिन  स्नान आदि कर के लाल फूल  गुड जल  सूर्य  भगबान  को अर्पण कर  मनोकामना  बोले  एवम 12 नमो  से सूर्य  पूजन एवम नमस्कार  करे तो आपकी नोकरी एवम सरकारी  परेशनी दूर होगी |

Wednesday, 24 April 2013

kre aapna bhaguday ker 2upay

kre  aapna bhaguday  ker 2upay


करे आपना  भाग्यउदय  2 उपाय करे 

1 ----आमवस्या के दिन पीले  वस्त्र  का झंडा लक्ष्मी नारायण  के मन्दिर में  ऊचाई  वाले स्थान  पर फ्हरावे 
2 ------शनिवार को पीपल व्रक्ष कि पूजा करे  जल से दूध से गुड़ से सरसों के तेल दीपक से एवम   11 परिक्रमा श्री राम जय राम जय जय राम से करे |

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Monday, 22 April 2013

teji mandi

til tel tilhan me jeji 24-4-2013
sona chandi gahu me teji 25-4-2013

funny time

                        funny time                         
                                                     दो महिलाएं 
दो महिलाएं कुछ समय बाद मिलीं तो एक ने पूछा - बहन आपने राजू बेटे का उंगली चूसना कैसे छुडाया ?

दूसरी महिला- कुछ खास नहीं उसकी नेकर ढीली सिल दी हैं , वह उसे ही पकडे रहता हैं |


                                                              खूबसूरत लडकी


एक खूबसूरत लडकी बस स्टैंड पर खडी थी | एक नौजवान बोला- चांद तो रात में निकलता हैं , आज दिन में कैसे निकल आया ?

लडकी बोली - अरे उल्लू तो रात को बोलता था , आज दिन में कैसे बोल रहा हैं |

                                                                     पिता ( बेटे से ) 

पिता ( बेटे से ) - देखों बेटे , जुआ नहीं खेलते | यह ऐसी आदत हैंकि यदि इसमें आज जीतोगे तो कल हारोगे , परसों जीतोगे तो उससे अगले दिन हार जाओगे |

बेटा - बस , पिताजी ! मैं समझ गया , आगे से मैं एक दिन छोदकर खेला करूंगा |
                                                                       अध्यापक ने

अध्यापक ने कपिल से कहा - जो काम तुमने नहीं किया , उसके लिए तुम्हें सजा नहीं दी जाएगी |

कपिल - धन्यवाद सर ! आज में होमवर्क करना भूल गया हूं |
                                                                   संगीत के अध्यापक 
संगीत के अध्यापक ने अपने एक छात्र से पूछा-तुम किस ताल के विषय में अधिक जानते हो ? छात्र ने तुरंत उत्तर दिया - सर ! में हडताल के विषय में अधिक जानता हुं |
                                                          पति पत्नी 
एक आदमी अपने ख्यालों में इतना खोया रहता मानो घर से उसे कोई मतलब ही न हो |

एक दिन उसकी पत्नी बोली - पता है , हमारा मुन्ना चलने लगा हैं ?

पति का ध्यान कहीं और था , उसने पूछा - कब से ?

पत्नी ने कहा - अजी 2012 से |

पति बोला - ओह ! तब तो वह 2013 में चला गया होगा |


पति सारी रात गायब रहने के बाद सुबह जब घर पहुंचा , तो पत्नी ने गुस्से से कहा , अब सुबह के सात बजे किसलिए आये हो ?

पति ने जवाब दिया नाश्ता करने के लिए

teji mandi



gud me teji chandi me mandi 22-4-2013
bhang me loha taba me teji 23-4-2013

Wednesday, 17 April 2013

bhokamp



teji mandi

gaehu chana urad me mandi 18-4-2013
chandi khand me mandi 19da.
pital sona me mandi 20-4-2013
muktajyotishs@gmail.com

Saturday, 13 April 2013

kre maa ko prsnn kre vises vidhan



kre maa  ko prsnn kre vises vidhan




चैत्र नवरात्रि में करे माँ  को प्रसन्न    करे विशेषविधान 







इन दिनों चैत्र मास की नवरात्रि चल रही है, जो 19 अप्रैल, शुक्रवार तक रहेगी। धर्म शास्त्रों के अनुसार देवी शक्ति की उपासना यदि चैत्र नवरात्रि में पूरे विधि-विधान से की जाए तो सभी सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में विभिन्न प्रकार से देवी की पूजा के बारे में उल्लेख किया गया है।
देवी भागवत (स्कंध 11, अध्याय 12) में लिखा है कि विभिन्न प्रकार के रसों से माता को स्नान करवाया जाए तो वे अति प्रसन्न होती हैं। चैत्र नवरात्रि में ये उपाय करें तो शीघ्र ही मनोकामना पूरी हो जाती है1- माता जगदंबिका को आम अथवा गन्ने के रस से स्नान करवाया जाए तो लक्ष्मी और सरस्वती ऐसे भक्त का घर छोड़कर कभी नहीं जातीं। वहां नित्य ही संपत्ति और विद्या का वास रहता है2- वेद पाठ के साथ यदि कर्पूर, अगरु (सुगंधित वनस्पति), केसर, कस्तूरी व कमल के जल से देवी को स्नान करवाया जाए तो सभी प्रकार के पापों का  नाश हो जाता है तथा साधक को थोड़े प्रयासों से ही सफलता मिलती है।3- देवी के लिए रत्नाभूषणों का दान करने पर भक्त निश्चित ही धन-संपदा प्राप्त करता है। वह अनेक प्रकार की विशेष संपत्तियों का स्वामी होता है। 

Thursday, 11 April 2013

durga chalisa


                                                       durga  chalisa



दुर्गा  चालीसा                            दुर्गा  चालीसा           दुर्गा  चालीसा               दुर्गा  चालीसा 




दुर्गा  चालीसा [नवरात्रि  में प्रात:  नो दिन  तक 108  लाल जसो न फूल से अर्चन  करने  से सभी मनोकामनापूरी होती  है |]

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तन बीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

आभा पुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥ 

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी

॥ इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥ 

॥ जय माता दी ॥

चाणक्य नीति


चाणक्य नीति 


. चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति का पुत्र उसके नियंत्रण में रहता है, जिसकी पत्नी आज्ञा के अनुसार आचरण करती है और जो व्यक्ति अपने कमाए धन से पूरी तरह संतुष्ट रहता है। ऐसे मनुष्य के लिए यह संसार ही स्वर्ग के समान है।

Tuesday, 9 April 2013

jyotish


jyotish




ज्योतिष   समाधान  प्रत्यके  समस्या के  सरल  शास्त्रोंकत   समाधान  के लिए सम्पर्क  करे 
1 --कुंडली निर्माण   जीवनके   सभी पहलू ----विद्या  में बाधा    सफलता न मिलाना   प्रतियोगी परीक्ष   अथक प्रयास  के बाद निराशा  हाथ लगना   आदि 
2 ---विवाहसम्बन्धित   ----मंगल   बाधा   विवाह  न होना   अनेक  समस्या उत्पन्न  होना आदि
3----संतान ---सम्बन्धित---समस्या   |
4 --नोकरी  व्यवसाय  सम्बन्धित----कि आप क्या करेगे   |
5 ---जीवन   में भाग्यशाली  वर्ष  |
6 --रोग  एवम  कष्ट  के वर्ष   |
7 -धन लाभ   एवम  धन प्रप्ति  के अनेक   चमत्कारी   प्रयोग    रत्न    धन कबच    आदि|
8-शेयरबाजार   धातु    अनाज    सोना   चांदी   आदि  में  तेजी  मंदी    ----प्रत्यके दिन कि   . विशेष  चांस    समपूर्ण  व्यापार  भविष्य आदि
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Monday, 8 April 2013

teji mandi

gahu jo chana me mandi 8-4-2013 sona chandi sut me mandi 9-4 sona same chandi me mandi 10-4

vivah mangal astak



विवाह मंगलाष्टक    vivah  mangal astak



ॐमत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः । चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः । प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः, स्वामी शक्तिधरश्च लाङ्गलधरः, कुवर्न्तु वो मङ्गलम्॥१॥ गङ्गा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ, गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गङ्गाधरो गौतमः । गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी, गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मङ्गलम्॥२॥ नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं, तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम् । गङ्गावाहपथत्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्, संध्यानां त्रितयं द्विजैरभिमतं, कुवर्न्तु वो मङ्गलम्॥३॥ बाल्मीकिः सनकः सनन्दनमुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः, जाबालिजर्मदग्निरत्रिजनकौ, गर्गोऽ गिरा गौतमः । मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः, पुण्यो धमर्सुतो ययातिनहुषौ, कुवर्न्तु वो मङ्गलम्॥४॥ गौरी श्रीकुलदेवता च सुभगा, कद्रूसुपणार्शिवाः, सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रतारुन्धती । स्वाहा जाम्बवती च रुक्मभगिनी, दुःस्वप्नविध्वंसिनी, वेला चाम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मङ्गलम्॥५॥ गङ्गा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा, कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका । शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी, ख्याता च या गण्डकी, पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मङ्गलम्॥६॥ लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुरा, धन्वन्तरिश्चन्द्रमा, गावः कामदुघाः सुरेश्वरगजो, रम्भादिदेवांगनाः । अश्वः सप्तमुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं चाम्बुधे, रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मङ्गलम्॥७॥ ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः, शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः । विष्णुयर्ज्ञपतियर्मः पितृपतिः, तारापतिश्चन्द्रमा, इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मङ्गलम्॥८॥
विवाह के समय पढने  से मंगल होता है 

Saturday, 6 April 2013

महा मृत्यु जय मन्त्र

महा मृत्यु जय मन्त्र 
नित्य जाप करने से अकाल मृत्यु टलजाती है |

Tuesday, 2 April 2013

grhay aapki rashi me rahaega april 2013


grhay  aapki rashi me rahaega  april 2013




 ग्रह आपकी राशि में रहेगा    अप्रैल-13


चंद्र: माह अप्रैल के प्रारंभ चंद्र वृश्चिक राशि में है। इसके बाद दिनांक 1 अप्रैल से चंद्र रात करीब 3.15 बजे से धनु राशि में जाएगा। चंद्र लगभग ढाई दिन में राशि बदलता है। चंद्र दिनांक 3 की रात अंत करीब 5.45 बजे से मकर राशि में, 6 अप्रैल की सुबह 9 बजे से कुंभ में, 8 अप्रैल की दोपहर करीब 2 बजे से मीन में, इसके बाद 10 अप्रैल की रात करीब 9 बजे से मेष राशि में, दिनांक 13 की सुबह 6.35 बजे के बाद वृष राशि में रहेगा। इसके बाद चंद्र 15 अप्रैल की शाम 6 बजे से मिथुन राशि में, 17 अप्रैल की रात अंत करीब 5.45 बजे से कर्क राशि में, तारीख 20 अप्रैल की शाम 4 बजे से सिंह राशि में, इसके बाद 22 अप्रैल की रात करीब 12 बजे से कन्या राशि में, तारीख 24 अप्रैल की रात अंत करीब 5.15 बजे से तुला राशि में, इसके बाद 27 अप्रैल की सुबह 9 बजे से वृश्चिक में, तारीख 29 अप्रैल की दोपहर 11.30 बजे से चंद्र धनु राशि में रहेगा।शनि: शनिदेव को न्यायाधीश माना जाता है। हमारे द्वारा किए गए सभी कर्मों का फल शनि महाराज ही प्रदान करते हैं। इस माह शनि तुला राशि में स्थित है। शनि फिलहाल वक्री है।
राहु: इस माह राहु शनि के साथ तुला राशि में रहेगा।
केतु: अप्रैल-13 में केतु मेष राशि में स्थित रहेगा।गुरु: गुरु ग्रह को देवताओं का गुरु माना जाता है। इस ग्रह को बृहस्पति भी कहते हैं। यह सभी नौ ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है। अप्रैल में बृहस्पति ग्रह वृष राशि में स्थित रहेगा।
शुक्र: अप्रैल-13 के प्रारंभ में शुक्र ग्रह मीन राशि में स्थित है। दिनांक 10 अप्रैल की शाम करीब 5 बजे के बाद यह ग्रह मेष राशि में जाएगा।सूर्य: सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। इस माह के प्रारंभ में सूर्य मीन राशि में स्थित है। इसके बाद 13 अप्रैल की रात लगभग 3 बजे से सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा। यह स्थिति मेष संक्रांति कहलाती है।बुध: अप्रैल-13 के प्रारंभ में बुध कुंभ राशि में स्थित है। इसके बाद 9 अप्रैल की रात करीब 3 बजे से यह मीन राशि में प्रवेश करेगा। दिनांक 28 अप्रैल की शाम 6.30 बजे के बाद बुध मेष राशि में जाएगा।मंगल: इस माह की शुरुआत में मंगल ग्रह मीन राशि में स्थित है। इसके बाद 12 अप्रैल की शाम करीब 6.10 बजे से यह मेष राशि में प्रवेश करेगा। मंगलदेव को ग्रहों के सेनापति का पद प्राप्त है।

25 aprilko hoga sal ka pahaka aor aakhri chandrgrhan



25 अप्रैल को होगा साल का पहला और आखिरी चंद्रग्रहण


25 aprilko hoga  sal  ka pahaka  aor  aakhri chandrgrhan








इस महीने की 25 तारीख को भारत में खण्डग्रास चंद्र ग्रहण होने वाला है। ये ग्रहण साल का पहला और आखिरी ग्रहण है जो भारत में दिखेगा भी और जिसका असर भी होगा। यह ग्रहण अपने आप में बहुत खास होगा जानिए क्यों?
क्योंकि भारत में दिखने वाला ये एक मात्र ग्रहण होगा जो साल का पहला और आखिरी ग्रहण होगा। ये ग्रहण बहुत खास इसलिए भी रहेगा क्योंकि हनुमान जयंती पर यह ग्रहण होगा। ग्रहण के समय सितारे बहुत खास रहेंगे। ग्रहण के समय बनने वाली ग्रह स्थिति विशेष प्रभाव देने वाली रहेगी।ग्रहण का असर कब से कब तक-

इस ग्रहण का पर्व काल बहुत कम है लेकिन यह ग्रहण दृश्य होने से महत्वपूर्ण होगा। इस खण्डग्रास चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घण्टे पहले से ही शुरु हो जाएगा। यानी 25 अप्रैल को शाम 4 बजकर 20 मिनट से ग्रहण का सूतक शुरु हो जाएगा और 26 तारीख को 1 बजकर 54 मिनट पर ग्रहण के साथ सूतक भी खत्म हो जाएगा।
 ग्रहण में क्या करें क्या न करें-

चंद्रग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले और सूर्यग्रहण शुरू होने के 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक काल में खाना खाना, सोना और सांसारिक सुखों का त्याग कर देना चाहिए। सूतक काल में बच्चे, बूढ़े और रोगी रियायत के तौर पर आवश्यक मात्रा में शुद्ध भोजन पदार्थ ले सकते है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ हो या शत्रु राशि में है उन्हे चंद्रग्रहण नही देखना चाहिए। ग्रहण काल में जप, तप, पूजा-पाठ, दान आदी करना चाहिए।